इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टूडेंट के यौन शोषण के आरोपी सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को जमानत देने से किया इनकार

Amir Ahmad

22 Oct 2024 11:18 AM IST

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टूडेंट के यौन शोषण के आरोपी सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को जमानत देने से किया इनकार

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के बुलंदशहर जिले के सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल को जमानत देने से इनकार किया, जिन्हें इस साल मार्च में स्टूडेंट के साथ यौन शोषण करने और उन्हें अपने मोबाइल फोन पर अश्लील चीजें दिखाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

    पीड़ितों की कम उम्र जो 9 से 13 वर्ष के बीच थी, उसको देखते हुए जस्टिस कृष्ण पहल की पीठ ने आवेदक (प्रताप सिंह) को जमानत देने के लिए इसे उपयुक्त मामला नहीं पाया।

    यूपी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 354, 354-का, 376एबी आईपीसी, धारा 9एम/10 और 5एमएफ/6 POCSO Act और धारा 3(2)5 SC/ST Act के तहत मामला दर्ज किया। आरोप है कि वह स्टूडेंट से छेड़छाड़ करता था, उनके निजी अंगों को गलत तरीके से छूता था। उन्हें अपने मोबाइल पर यौन संबंधी सामग्री दिखाता था। यह भी आरोप है कि आरोपी द्वारा किए गए कथित कृत्यों के कारण ओबीसी और एससी श्रेणी के छह बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया।

    मामले में जमानत की मांग करते हुए उसके वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि सूचक और अन्य पीड़ितों के परिवार के अन्य सदस्यों को राज्य से कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली है, ऐसे में आवेदक को इस मामले में झूठा फंसाया गया।

    आरोपी ने अपने बचाव में दलील देने की भी मांग की, क्योंकि उसके वकील ने तर्क दिया कि चूंकि आरोपी खांसी और सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित था। इसलिए उसे 10 से 25 मार्च, 2024 (वह अवधि जिसके दौरान कथित अपराध किया गया) के बीच आराम करने की सलाह दी गई।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि आरोपी पहले कैंसर का मरीज था और उसके फिर से उक्त बीमारी से प्रभावित होने की पूरी संभावना है, क्योंकि वह 25 मार्च, 2024 से जेल में बंद है।

    दूसरी ओर राज्य सरकार के वकील ने इस आधार पर उसकी जमानत याचिका का विरोध किया कि उक्त पीड़ितों की उम्र 9 से 13 वर्ष के बीच थी। ऐसे में यह तर्क दिया गया कि आवेदक द्वारा किया गया अपराध गंभीर था।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि आरोपी द्वारा प्रस्तुत मेडिकल सर्टिफिकेट फर्जी है और उसे बाद में उसके द्वारा प्राप्त किया गया।

    इन दलीलों के मद्देनजर एकल जज ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया, इसे योग्यता से रहित पाया।

    केस टाइटल - प्रताप सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और 3 अन्य

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