इलाहाबाद हाईकोट

कम्युनल टेंशन बढ़ाने वाला एक भी काम पब्लिक ऑर्डर को खराब करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने NSA डिटेंशन सही ठहराया
'कम्युनल टेंशन बढ़ाने वाला एक भी काम पब्लिक ऑर्डर को खराब करता है': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने NSA डिटेंशन सही ठहराया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ़्ते एक आदमी को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट, 1980 (NSA) के तहत डिटेंशन को सही ठहराया, क्योंकि उसने कहा कि एक भी क्रिमिनल काम, अगर उससे कम्युनल टेंशन होता है। "ज़िंदगी की रफ़्तार बिगड़ जाती है", तो वह सिर्फ़ लॉ एंड ऑर्डर तोड़ने के बजाय पब्लिक ऑर्डर तोड़ने जैसा है।इस तरह जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की बेंच ने शोएब नाम के एक आदमी की हेबियस कॉर्पस रिट पिटीशन खारिज की, जिसने मऊ के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के दिए गए अपने डिटेंशन ऑर्डर को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में...

सहकारी बैंक अधिकारी भी लोक सेवक; तकनीकी क्लीन-चिट FIR रोकने का आधार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सहकारी बैंक अधिकारी भी 'लोक सेवक'; तकनीकी क्लीन-चिट FIR रोकने का आधार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा नियंत्रित या सहायता प्राप्त सहकारी बैंकों के कर्मचारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 'लोक सेवक' की श्रेणी में आते हैं, और इस आधार पर दर्ज की गई FIR वैध है।अदालत ने यह भी माना कि विभागीय जांच में दी गई मात्र 'तकनीकी दोषमुक्ति', जिसमें जांच अधिकारी ने यह कहा कि वह असंगत संपत्ति के आरोपों की जांच करने में सक्षम नहीं है, FIR दर्ज होने से रोकने का कानूनी आधार नहीं बन सकती। मामला उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक...

अंतरिम रोक लगाने वाली एप्लीकेशन में पास किए गए इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन मेंटेनेबल नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
अंतरिम रोक लगाने वाली एप्लीकेशन में पास किए गए इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन मेंटेनेबल नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अंतरिम रोक लगाने वाली एप्लीकेशन में पास किए गए इंटरलोक्यूटरी ऑर्डर के खिलाफ रिवीजन मेंटेनेबल नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इसे रिट ज्यूरिस्डिक्शन में चैलेंज किया जा सकता है।1985 में मृतक ने रेस्पोंडेंट नंबर 5 के फेवर में एक वसीयत लिखी थी। इसके बाद रेस्पोंडेंट नंबर 4 और याचिकाकर्ता के फेवर में क्रमशः दूसरी और तीसरी वसीयत लिखी गईं। वसीयत करने वाले की मौत के बाद रेस्पोंडेंट नंबर 5 ने याचिकाकर्ता के फेवर में लिखी गई वसीयत को छिपाकर रेवेन्यू रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा...

कहीं कुछ गड़बड़ है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 साल पुराने मामले में एक बुजुर्ग व्यक्ति के खिलाफ ट्रायल जज की सुस्ती पर फटकार लगाई, कार्रवाई की चेतावनी दी
कहीं कुछ गड़बड़ है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 साल पुराने मामले में एक बुजुर्ग व्यक्ति के खिलाफ ट्रायल जज की 'सुस्ती' पर फटकार लगाई, कार्रवाई की चेतावनी दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते प्रयागराज की एक ट्रायल कोर्ट को 20 साल पुराने आपराधिक मामले को 'सुस्ती' से संभालने के लिए फटकार लगाई। साथ ही कहा कि कोर्ट के बार-बार टालने और पिछले 13 सालों से प्रॉसिक्यूशन द्वारा एक भी गवाह पेश न करने के कारण 73 साल के आरोपी को 'परेशान' किया गया।यह देखते हुए कि ट्रायल कोर्ट के कामकाज में कहीं कुछ गड़बड़ लग रहा है, जस्टिस विवेक कुमार सिंह ने पीठासीन अधिकारी को सख्त अल्टीमेटम दिया कि वह एक महीने के अंदर ट्रायल पूरा करें नहीं तो अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी का गला घोंटने के लिए आदमी की सज़ा बरकरार रखी, कहा- मां के मुकरने के बावजूद आरोप साबित हुए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बेटी का गला घोंटने के लिए आदमी की सज़ा बरकरार रखी, कहा- मां के मुकरने के बावजूद आरोप साबित हुए

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने एक आदमी की सज़ा और उम्रकैद को बरकरार रखा, जिस पर अपनी 17 साल की बेटी की हत्या का आरोप था। उसे शक था कि उसकी बेटी का उसी इलाके के एक लड़के के साथ रिश्ता था।जस्टिस रजनीश कुमार और जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने कहा कि ट्रायल के दौरान पीड़िता की मां के मुकरने के बावजूद, हालात के सबूतों की चेन, जिसमें आरोपी-पिता का इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 106 के तहत मौत को समझाने में नाकाम रहना भी शामिल है, उन्होंने पक्के तौर पर उसके दोषी होने की ओर इशारा किया।इस तरह कोर्ट ने अपील...

ऊंचे पद पर काम करने वाला कर्मचारी बिना फॉर्मल प्रमोशन के भी उस पद की सैलरी पाने का हकदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
ऊंचे पद पर काम करने वाला कर्मचारी बिना फॉर्मल प्रमोशन के भी उस पद की सैलरी पाने का हकदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक कर्मचारी जिसने ऊंचे पद पर ऑफिसिएटिंग कैपेसिटी में काम किया, भले ही वह रेगुलर प्रमोट न हुआ हो, वह उस समय के लिए उस ऊंचे पद के लिए मिलने वाली सैलरी पाने का हकदार है।चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की बेंच ने कहा कि ऊंचे पद के लिए सैलरी न देना "कानून के खिलाफ और पब्लिक पॉलिसी के भी खिलाफ" होगा।हाईकोर्ट उमा कांत पांडे नामक व्यक्ति की रिट याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें उसने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT), इलाहाबाद बेंच के उस...

स्पष्टीकरण से असंतुष्ट: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कैंसर पीड़ित टीचर को ट्रांसफर न देने पर बेसिक शिक्षा सचिव को तलब किया
स्पष्टीकरण से असंतुष्ट: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कैंसर पीड़ित टीचर को ट्रांसफर न देने पर बेसिक शिक्षा सचिव को तलब किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते यूपी बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया, क्योंकि कोर्ट ने स्तन कैंसर से पीड़ित एक असिस्टेंट टीचर के ट्रांसफर अनुरोध को खारिज करने के अधिकारी के स्पष्टीकरण पर असंतोष व्यक्त किया।जस्टिस प्रकाश पाडिया की बेंच ने कहा कि वह सचिव (प्रतिवादी नंबर 4) द्वारा तकनीकी आधार पर याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज करने के औचित्य के लिए दायर व्यक्तिगत हलफनामे से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है।बता दें कि याचिकाकर्ता ने शाहजहांपुर से गाजियाबाद ट्रांसफर के...

हर लेवल पर बेईमानी: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली नज़र में उत्तर प्रदेश के बर्थ सर्टिफिकेट सिस्टम की आलोचना क्यों कहा?
'हर लेवल पर बेईमानी': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली नज़र में उत्तर प्रदेश के बर्थ सर्टिफिकेट सिस्टम की 'आलोचना' क्यों कहा?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य के बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने के सिस्टम की कड़ी आलोचना की। हाईकोर्ट ने यह आलोचना उस वक्त की, जब उसे पता चला कि एक याचिकाकर्ता ने दो अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट बनवाए, जिनमें जन्म की तारीखें बिल्कुल अलग-अलग हैं।यह देखते हुए कि यह सिस्टम "हर लेवल पर मौजूद बेईमानी की हद" को दिखाता है, जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की बेंच ने मेडिकल और हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को यह सुझाव देने के लिए बुलाया कि एक व्यक्ति को सिर्फ़ एक ही बर्थ...

आरोपों में बदलाव की मांग करने का अधिकार न शिकायतकर्ता को, न आरोपी को; यह शक्ति केवल अदालत के पास: इलाहाबाद हाईकोर्ट
आरोपों में बदलाव की मांग करने का अधिकार न शिकायतकर्ता को, न आरोपी को; यह शक्ति केवल अदालत के पास: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि धारा 216 दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत आरोपों में संशोधन या नया आरोप जोड़ने की शक्ति केवल न्यायालय के पास होती है। न तो शिकायतकर्ता और न ही आरोपी—किसी भी पक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वे स्वयं आरोप जोड़ने/बदलने के लिए आवेदन कर सकें।जस्टिस अब्दुल शाहिद की एकलपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए वाराणसी के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/FTC-II के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक शिकायतकर्ता के आवेदन पर ट्रायल के बाद के चरण में आरोपी के विरुद्ध POCSO Act के कठोर...

वकील को कोर्ट में धमकाया गया, वकालतनामा वापस लेने के लिए मजबूर किया गया? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज को आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया
वकील को कोर्ट में धमकाया गया, वकालतनामा वापस लेने के लिए मजबूर किया गया? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज को आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया

वकील के साथ कोर्ट रूम के अंदर बुरा बर्ताव करने और उसे धमकाकर अपना वकालतनामा वापस लेने के लिए मजबूर करने के आरोपों पर गंभीर चिंता जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज, लखनऊ से आरोपों की जांच करने के लिए एक रिपोर्ट मांगी।जस्टिस सैयद कमर हसन रिज़वी की बेंच ने कहा कि अगर ऐसे आरोपों को उनके पहले के बयानों के आधार पर सही मान लिया जाता है तो वे "न्याय देने में रुकावट" पैदा करते हैं और "न्याय देने के सिस्टम को बदनाम" करते हैं।यह टिप्पणी तब आई जब बेंच देवी प्रसाद और अन्य...

सेस टैक्सेशन का ब्रैकेट तय करने के लिए इंडस्ट्री का मुख्य मकसद ज़रूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
सेस टैक्सेशन का ब्रैकेट तय करने के लिए इंडस्ट्री का मुख्य मकसद ज़रूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि किसी इंडस्ट्री के लिए सेस तय करते समय असेसिंग अथॉरिटी को इंडस्ट्री के मुख्य मकसद पर विचार करना चाहिए।जस्टिस इरशाद अली ने कहा,“इस मामले में जहां सवाल यह है कि क्या कोई खास इंडस्ट्री एक्ट के शेड्यूल I में शामिल इंडस्ट्री है तो आम तौर पर यह तय किया जाना चाहिए कि वह इंडस्ट्री मुख्य रूप से क्या बनाती है। हर इंडस्ट्री अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कई तरह के काम करती है, जिसके लिए कई अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। कोई खास इंडस्ट्री टैक्सेशन के दायरे में आती है या...

नोरी जामा मस्जिद को अब और ध्वस्त नहीं किया जाएगा: हाईकोर्ट ने दर्ज किया यूपी सरकार का आश्वासन
नोरी जामा मस्जिद को अब और ध्वस्त नहीं किया जाएगा: हाईकोर्ट ने दर्ज किया यूपी सरकार का आश्वासन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर-नोरी जामा मस्जिद प्रबंध समिति की याचिका को इस आधार पर निस्तारित कर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया कि धार्मिक संरचना पर अब किसी तरह की आगे की तोड़फोड़ आवश्यक नहीं है।जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि जब राज्य सरकार ने साफ शब्दों में यह स्थिति स्पष्ट कर दी तो याचिकाकर्ता के अधिकार विधिक प्रक्रिया के माध्यम से पर्याप्त रूप से संरक्षित रहेंगे। अदालत ने समिति को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 24 के तहत...

Transfer of Property Act | एग्रीमेंट टू सेल से संपत्ति में कोई हक़ नहीं बनता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया सिद्धांत
Transfer of Property Act | एग्रीमेंट टू सेल से संपत्ति में कोई हक़ नहीं बनता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोहराया सिद्धांत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (Transfer of Property Act) की धारा 54 के अनुसार एग्रीमेंट टू सेल (बिक्री का समझौता) संपत्ति में कोई हक़, स्वामित्व या हित पैदा नहीं करता। अदालत ने कहा कि ऐसा समझौता केवल उस अधिकार को जन्म देता है, जिसके आधार पर भविष्य में विधिवत पंजीकृत सेल डीड हासिल की जा सकती है, लेकिन इससे संपत्ति पर कोई कानूनी स्वामित्व नहीं मिलता।जस्टिस मनोज कुमार निगम ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों स्टेट ऑफ यूपी बनाम डिस्ट्रिक्ट जज तथा रंभाई...

निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट से चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों को निर्देश दिया
'निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट से चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की निचली अदालतों को निर्देश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य के सभी ट्रायल कोर्ट के जजों को सख्त निर्देश जारी किया कि वे अपने निर्णयों में मेडिकल रिपोर्ट में दर्ज चोटों का विवरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें।जस्टिस राजीव मिश्रा और जस्टिस डॉ. अजय कुमार-द्वितीय की खंडपीठ ने कहा कि यह देखकर 'दुख' हो रहा है कि ट्रायल कोर्ट अपने आदेशों में इस महत्वपूर्ण फोरेंसिक विवरण को छोड़ रही हैं, जबकि लंबे समय से प्रशासनिक परिपत्रों में ऐसा करने की आवश्यकता थी।यह निर्देश दहेज के आरोपी पति को बरी किए जाने के खिलाफ दायर आपराधिक अपील...

अपराध जघन्य लेकिन पूर्वनियोजित नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 5 महीने की चचेरी बहन के बलात्कार-हत्या मामले में मृत्युदंड आजीवन कारावास में बदला
अपराध जघन्य लेकिन पूर्वनियोजित नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 5 महीने की चचेरी बहन के बलात्कार-हत्या मामले में मृत्युदंड आजीवन कारावास में बदला

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने मंगलवार को 5 महीने की चचेरी बहन के बलात्कार और हत्या के मामले में 27 वर्षीय आरोपी की दोषसिद्धि बरकरार रखी।हालांकि, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मृत्युदंड की पुष्टि करने से इनकार किया और उसे बिना किसी छूट के शेष जीवन के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया।जस्टिस रजनीश कुमार और जस्टिस राजीव सिंह की खंडपीठ ने अपने 65-पृष्ठीय फैसले में निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष ने परिस्थितियों की एक श्रृंखला के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302, 364, 376 (क)(ख)...

1996 गाज़ियाबाद बस धमाका: पुलिस के बयान मान्य नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को भारी मन से बरी किया
1996 गाज़ियाबाद बस धमाका: पुलिस के बयान मान्य नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को 'भारी मन से' बरी किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1996 के मोदीनगर–गाज़ियाबाद बस बम धमाका मामले में दोषी ठहराए गए मोहम्मद इलियास को बरी कर दिया है। 51 पन्नों के विस्तृत फैसले में अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और पुलिस द्वारा रिकॉर्ड किया गया इलियास का कथित इक़बाल-ए-जुर्म भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के चलते कानूनी रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता।जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस के समक्ष दिया गया कथित बयान एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा टेप पर...

केंद्रीय यूनिवर्सिटी जैसी सुविधाओं का दावा नहीं कर सकते घटक संस्थान के कर्मचारी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
केंद्रीय यूनिवर्सिटी जैसी सुविधाओं का दावा नहीं कर सकते घटक संस्थान के कर्मचारी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी स्वायत्त संस्थान को केवल केंद्रीय यूनिवर्सिटी का घटक बना देने भर से उसके कर्मचारियों को केंद्रीय विश्वविद्यालय के कर्मचारियों जैसी सुविधाएं स्वतः नहीं मिल सकतीं।अदालत ने कहा कि जब तक कोई विशिष्ट नीति या प्रावधान लागू न हो ऐसे लाभ देने का कोई आधार नहीं बनता।जस्टिस सौरभ श्याम शम्शेरी की एकल पीठ ने यह फैसला जी.बी. पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान इलाहाबाद के कर्मचारियों द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए सुनाया। यह संस्थान भारतीय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत...