कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कोई भ्रम किसी को नहीं होना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर डीएम को लगाई फटकार
Amir Ahmad
28 April 2025 12:30 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक कड़े आदेश में फतेहपुर के जिलाधिकारी को फटकार लगाई। अदालत के अनुसार जिलाधिकारी द्वारा दाखिल शपथपत्र में यह सूक्ष्म संकेत था कि वह न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखने, कमजोर करने या अपमानित करने की शक्ति रखते हैं।
जस्टिस जे.जे. मुनीर की एकल पीठ ने जिलाधिकारी के शपथपत्र में दर्ज इस आश्वासन पर आपत्ति जताई कि कोर्ट की गरिमा हमेशा बनाए रखी जाएगी। कोर्ट ने इसे एक छिपा हुआ विचार बताया और कहा कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि डीएम खुद को कोर्ट की गरिमा को कम करने या अपमानित करने में सक्षम मानते हैं।
कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,
"यह कोर्ट कलेक्टर जैसे अधिकारियों से निपटने और अपनी गरिमा की रक्षा करने में असमर्थ नहीं है। हमें उनके आश्वासन की आवश्यकता नहीं है। जो शब्द उन्होंने प्रयोग किए हैं, उनसे यह छुपा हुआ विचार झलकता है कि वह हमारी गरिमा को क्षति पहुँचाने में सक्षम हैं। किसी को भी जिसमें कलेक्टर फतेहपुर भी शामिल हैं, इस प्रकार का कोई भ्रम नहीं पालना चाहिए।"
कोर्ट ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह यह बताते हुए एक स्पष्टीकरण शपथपत्र दाखिल करें कि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों न की जाए, क्योंकि उन्होंने ऐसा शपथपत्र प्रस्तुत किया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह तीखी टिप्पणी जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि कुछ भूखंड जो कि रिकॉर्ड में खेल का मैदान तालाब और खलिहान के रूप में दर्ज हैं पर ग्राम सभा के प्रधान द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है और उसे अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव और संबंधित जिलाधिकारी ने कोर्ट को सूचित किया कि अतिक्रमण के मामले में लेखपाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई लेकिन याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि राजस्व अधिकारी और पुलिसकर्मी उसे याचिका वापस लेने के लिए धमका रहे हैं।
कोर्ट ने इस गंभीर आरोप का संज्ञान लेते हुए डीएम और एसपी से शपथपत्र दाखिल करने को कहा था। इसके अनुपालन में डीएम ने शपथपत्र दाखिल किया, जिसमें निम्नलिखित पैराग्राफ था,
"17. कि शपथकर्ता अत्यंत सम्मान के साथ इस माननीय न्यायालय से अपनी ईमानदार और बिना शर्त माफी मांगता है, यदि जिला प्रशासन की कार्रवाई से किसी भी असुविधा या गलतफहमी की स्थिति उत्पन्न हुई हो। शपथकर्ता का कभी भी याचिकाकर्ता के इस जनहित याचिका को आगे बढ़ाने के अधिकार में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं था और न ही कार्यवाही को अनुचित तरीके से प्रभावित करने का प्रयास किया गया। तथापि इस माननीय न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए शपथकर्ता भविष्य में अधिक सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने का वचन देता है कि सभी प्रशासनिक कार्यवाही पूरी पारदर्शिता, निष्पक्षता और विधि के अनुरूप की जाए शपथकर्ता इस माननीय न्यायालय को आदरपूर्वक आश्वस्त करता है कि कोर्ट की गरिमा और सभी व्यक्तियों के अधिकार हमेशा सुरक्षित रहेंगे।"
कोर्ट ने पैराग्राफ 17 के अंतिम वाक्यों पर विशेष आपत्ति जताई और जिलाधिकारी से इस पर कारण बताओ शपथपत्र मांगा।
मामला अब 6 मई को पुनः सूचीबद्ध किया गया।
केस टाइटल: डॉ. कमलेन्द्र नाथ दीक्षित बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 11 अन्य

