एक वर्ष से अधिक अलग रहने के बाद आपसी सहमति से तलाक पर सहमत होना, अलगाव को निष्प्रभावी नहीं करता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Amir Ahmad
26 April 2025 10:36 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि पति-पत्नी एक वर्ष से अधिक समय तक अलग रहने के बाद आपसी सहमति से तलाक के लिए सहमत हुए हैं, अदालत पूर्व के अलगाव काल को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि तलाक के लिए सहमति बनने से पहले का अलगाव काल भी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13-बी(1) के तहत गिना जाएगा।
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13-बी के अंतर्गत आपसी सहमति से तलाक का प्रावधान करती है। अधिनियम की उप-धारा (1) के अनुसार दोनों पक्ष मिलकर तलाक की याचिका दायर कर सकते हैं। यदि वे एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हों और उनके बीच वैवाहिक जीवन संभव न हो। अधिनियम की उप-धारा (2) प्रक्रिया संबंधी प्रावधानों का उल्लेख करती है।
जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने कहा,
"अधिनियम की धारा 13-बी(1) के तहत आवश्यक है कि याचिका दायर करने से पहले एक वर्ष या उससे अधिक का अलगाव हो। यदि इस अवधि के दौरान आपसी सहमति से तलाक हेतु सहमति बनती है। ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि इसके बाद वे साथ रहने लगे तो तलाक हेतु सहमति बनने को अलगाव समाप्त नहीं माना जाएगा।"
मामले में पति-पत्नी का विवाह 2004 में हुआ था और उनके तीन बच्चे हैं। कुछ समय बाद मतभेद होने पर दोनों 12 जनवरी, 2022 से अलग रहने लगे। 1 अगस्त 2023 को दोनों ने आपसी सहमति से तलाक लेने का निर्णय लिया। लेकिन फैमिली कोर्ट ने तलाक याचिका यह मानते हुए खारिज कर दी कि अलगाव की तिथि 2 अगस्त 2023 (आपसी सहमति के अगले दिन) है।
इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को बुलाया और उनसे व्यक्तिगत रूप से पूछा तो दोनों ने विवाह समाप्त करने की इच्छा जताई तथा बच्चों की अभिरक्षा मां के पास रहने पर सहमति जताई।
कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्ष याचिका दाखिल करने से पहले एक वर्ष से अधिक समय तक अलग रह चुके थे और 2013 से उनके बीच कोई शारीरिक संबंध भी नहीं था। साथ ही छह महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि (Cooling-off Period) भी पूरी हो चुकी थी।
कोर्ट ने कहा,
"कारण कार्यवाही (Cause of Action) तथ्यों का एक समूह होता है। केवल 1 अगस्त, 2023 को तलाक हेतु सहमति बनने मात्र से यह नहीं माना जा सकता कि उस दिन दोनों साथ रह रहे थे।"
अतः हाईकोर्ट ने विवाह को भंग करते हुए तलाक की डिक्री जारी करने का आदेश दिया।
टाइटल: स्मृति मिनाक्षी गुप्ता बनाम कैलाश चंद्र