UP Anti-Conversion Law लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

29 March 2024 5:59 AM GMT

  • UP Anti-Conversion Law लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में देखा कि ,, 2021 (UP 'Anti-Conversion' Law) न केवल विवाहों पर लागू होता है, बल्कि विवाह या लिव-इन रिलेशनशिप की प्रकृति के रिश्तों पर भी लागू होता है।

    जस्टिस रेनू अग्रवाल की पीठ ने अंतरधार्मिक जोड़े (याचिकाकर्ताओं) द्वारा दायर सुरक्षा याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि दोनों ने 2021 अधिनियम के प्रावधानों के तहत किसी भी रूपांतरण के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन नहीं किया।

    अधिनियम की धारा 3(1) के स्पष्टीकरण का उल्लेख करते हुए न्यायालय ने कहा,

    “धर्मांतरण न केवल विवाह के उद्देश्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह विवाह की प्रकृति के सभी रिश्तों में भी आवश्यक है। इसलिए विवाह या लिव-इन रिलेशनशिप की प्रकृति में संबंध पर रूपांतरण अधिनियम लागू होता है।”

    यह अधिनियम, जो 5 मार्च, 2021 को लागू हुआ, ने अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए इसके प्रावधानों के अनुसार धर्म परिवर्तन करना अनिवार्य बना दिया। अदालत ने कहा कि उसने देखा कि किसी भी याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 8 और 9 के अनुसार धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन नहीं किया था।

    कोर्ट ने कहा कि हालांकि कानून के प्रावधानों में अस्पष्टता होने पर अदालतों को कानून के प्रावधानों की व्याख्या करने की शक्ति है, 2021 का कानून स्पष्ट है, जो कहता है कि न केवल अंतर-जातीय विवाह के मामलों में बल्कि रिश्तों में भी धर्म परिवर्तन की आवश्यकता है। विवाह की प्रकृति भी इसलिए जब कानून बहुत स्पष्ट हो तो न्यायालयों को किसी भी अर्थ में कानून की व्याख्या करने से बचना चाहिए।

    ये टिप्पणियां तब की गईं, जब अदालत ने मुस्लिम महिला (24) और उसके साथी हिंदू पुरुष (23) द्वारा दायर सुरक्षा याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने इस साल जनवरी में आर्य समाज के अनुष्ठानों के अनुसार शादी करने का दावा किया।

    उन्होंने यह कहते हुए अदालत का रुख किया कि वे पत्नी और पति के रूप में रह रहे हैं। उनके रिश्ते को निजी प्रतिवादी नंबर 4 पसंद नहीं करता। इससे सहमत नहीं है, जो उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप कर रहा है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ताओं को प्रतिवादी नंबर 4 से जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरा है। इसलिए हाईकोर्ट की कृपा मांगी गई। दूसरी ओर, राज्य के वकील ने उनकी याचिका का विरोध किया, क्योंकि तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ताओं ने धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन नहीं किया।

    केस टाइटल- मारिया जमील उर्फ रिया और अन्य बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य लाइव लॉ (एबी) 195/2024 [रिट - सी नंबर - 1067/2024]

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