सुप्रीम कोर्ट

ऐसे फैसले लिखना बिल्कुल गलत: सुप्रीम कोर्ट ने किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया
'ऐसे फैसले लिखना बिल्कुल गलत': सुप्रीम कोर्ट ने 'किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने' की सलाह देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 जनवरी) को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले की आलोचना की, जो पिछले साल दिसंबर में सुर्खियों में आया था। उक्त फैसले में किशोरावस्था में लड़कियों को समाज की नजरों में 'हारा हुआ' समझे जाने से बचने के लिए 'अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण' रखने की चेतावनी दी गई थी। कोर्ट ने उक्त टिप्पणियां करते हुए कहा था कि वह मुश्किल से दो मिनट के यौन सुख का आनंद लेने के लिए तैयार हो जाती है।”सुप्रीम कोर्ट ने न केवल टिप्पणियों को 'समस्याग्रस्त' पाया, बल्कि फैसले में लागू कानूनी सिद्धांतों पर भी...

पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया
पीएम मोदी पर 'आपत्तिजनक' टिप्पणी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 जनवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कथित टिप्पणी पर उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की याचिका खारिज की।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई कथित 'नरेंद्र गौतम दास मोदी' टिप्पणी पर खेड़ा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था।सुनवाई के दौरान खेड़ा की याचिका को सिरे से...

पन्नुन हत्याकांड की साजिश में चेक में हिरासत में लिए गए भारतीय परिवार की याचिका में हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
पन्नुन हत्याकांड की साजिश में चेक में हिरासत में लिए गए भारतीय परिवार की याचिका में हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 जनवरी) को भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका में खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या की साजिश के सिलसिले में चेक गणराज्य में हिरासत में लिया गया है।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा बताते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालांकि, याचिका को भारत सरकार के प्रतिवेदन के रूप में मानने के...

अगर अभियोजन अपहरण के लिए फिरौती की मांग और जान के खतरे को साबित नहीं कर पाता तो धारा 364 ए आईपीसी के तहत सजा संभव नहीं : सुप्रीम कोर्ट
अगर अभियोजन अपहरण के लिए फिरौती की मांग और जान के खतरे को साबित नहीं कर पाता तो धारा 364 ए आईपीसी के तहत सजा संभव नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने (03 जनवरी को) भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 364 ए (फिरौती के लिए अपहरण) के संदर्भ में कहा कि अपहरण के कृत्य को साबित करने के अलावा, अभियोजन पक्ष को अपहृत व्यक्ति की जान को खतरे के साथ- साथ फिरौती की मांग को भी साबित करना होगा।जस्टिस सुधांशु धूलिया और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, "अभियोजन पक्ष को अदालत के समक्ष उचित संदेह से परे जो आवश्यक सामग्री साबित करनी चाहिए, वह न केवल अपहरण का कार्य है, बल्कि उसके बाद फिरौती की मांग है, साथ ही अपहृत व्यक्ति के जीवन के लिए खतरा भी होना...

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास पूर्व जजों को सेवानिवृति के बाद सुविधाएं देने के नियम बनाने की शक्ति नहीं : सुप्रीम कोर्ट
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास पूर्व जजों को सेवानिवृति के बाद सुविधाएं देने के नियम बनाने की शक्ति नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सुविधाओं के संबंध में निर्देशों का कथित रूप से पालन न करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के दो सचिवों को हिरासत में लेने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों को रद्द करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक पक्ष पर कार्य करने के तहत कार्यपालिका की नियम-निर्माण जिम्मेदारी को छीनने की कोई शक्ति नहीं है।भारत के मुख्य न्यायाधीश, डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि नीति निर्धारण...

साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत हिरासत का मतलब औपचारिक गिरफ्तारी के बाद हिरासत नहीं; इसमें किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या निगरानी शामिल: सुप्रीम कोर्ट
साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत 'हिरासत' का मतलब औपचारिक गिरफ्तारी के बाद हिरासत नहीं; इसमें किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या निगरानी शामिल: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) की धारा 27 में प्रयुक्त अभिव्यक्ति 'हिरासत' का मतलब औपचारिक हिरासत नहीं है।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा,"इसमें पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार का प्रतिबंध, संयम या यहां तक कि निगरानी भी शामिल है। भले ही सूचना देने के समय आरोपी को औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया, फिर भी आरोपी को सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए पुलिस की हिरासत में माना जाना चाहिए।खंडपीठ ने राजेश बनाम एमपी राज्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 814...

2008 Jaipur Blasts Case: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संदीप मेहता ने बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील की सुनवाई से खुद को अलग किया
2008 Jaipur Blasts Case: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संदीप मेहता ने बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील की सुनवाई से खुद को अलग किया

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संदीप मेहता ने 2008 जयपुर बम विस्फोट मामले (2008 Jaipur Blasts Case) में आरोपी व्यक्तियों को बरी करने के खिलाफ राजस्थान राज्य द्वारा दायर अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस बी.आर. गवई भी उक्त डिवीजन बेंच शामिल थे।13 मई 2008 को जयपुर में कई विस्फोट हुए, जिनमें 71 लोगों की मौत हो गई और 185 लोग घायल हो गए। ट्रायल कोर्ट ने चार लोगों को अपराध का दोषी पाया और उन्हें मौत की सजा सुनाई। हालांकि, पिछले साल मार्च में जांच में गंभीर खामियों की ओर इशारा करने के बाद...

वैधानिक अपील उपलब्ध होने पर अनुच्छेद 136 का सहारा लेकर परिसीमा की बाधा से बचा नहीं जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
वैधानिक अपील उपलब्ध होने पर अनुच्छेद 136 का सहारा लेकर परिसीमा की बाधा से बचा नहीं जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण, चेन्नई द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका को सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने खारिज कर दी।प्रासंगिक रूप से, बेंच ने टिप्पणी की कि वैधानिक अपील उपलब्ध होने पर संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत कार्यवाही का सहारा लेकर परिसीमा की बाधा को खत्म या दरकिनार नहीं किया जा सकता।यह देखते हुए कि विवादित आदेश दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 की...

सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट कानूनी रूप से देखने के लिए बाध्य है कि आरोप अपराध का गठन करता है या नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट कानूनी रूप से देखने के लिए बाध्य है कि आरोप अपराध का गठन करता है या नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने ( 14 दिसंबर को) एक एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली अपील की अनुमति देते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट कानूनी रूप से यह देखने के लिए बाध्य है कि आरोप किसी अपराध का गठन करता है या नहीं।एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि प्रदान करने के लिए, शिकायतकर्ता (दूसरा प्रतिवादी) और अपीलकर्ता की एक नाबालिग बेटी थी। अपीलकर्ता ने पहले ही शिकायतकर्ता के साथ अपने विवाह को समाप्त करने के लिए एक याचिका दायर की थी और 1890 के संरक्षक और वार्ड अधिनियम के तहत एक आवेदन...

सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति-आधार पर अलग रखने के मुद्दे पर पत्रकार की याचिका पर केंद्र, 13 राज्यों को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में जाति-आधार पर अलग रखने के मुद्दे पर पत्रकार की याचिका पर केंद्र, 13 राज्यों को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और 13 राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया, जिसमें विभिन्न राज्यों की जेलों में जाति-आधार पर अलग रखने के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को देश भर की कई जेलों की स्थिति से अवगत कराया गया, जहां जेल मैनुअल श्रम विभाजन और बैरक के पृथक्करण में जाति पदानुक्रम के माध्यम से जाति-आधारित भेदभाव को मजबूत करते हैं।पीठ ने कहा कि भेदभाव तीन पहलुओं...

रजिस्टर्ड सेल डीड जहां संपूर्ण प्रतिफल का भुगतान किया जाता है, उसके निष्पादन की तारीख से लागू होगी, निष्पादन के बाद एकतरफा बदलाव अमान्य: सुप्रीम कोर्ट
रजिस्टर्ड सेल डीड जहां संपूर्ण प्रतिफल का भुगतान किया जाता है, उसके निष्पादन की तारीख से लागू होगी, निष्पादन के बाद एकतरफा बदलाव अमान्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि किसी डीड के पंजीकरण के बाद और दूसरे पक्ष की जानकारी के बिना एक पक्ष द्वारा सेल डीड में किए गए एकतरफा बदलावों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा, “पंजीकरण अधिनियम की धारा 47 के अनुसार, कोई पंजीकृत सेल डीड जहां संपूर्ण प्रतिफल का भुगतान किया जाता है, उसके निष्पादन की तारीख से लागू होगी। इस प्रकार, मूल रूप से निष्पादित सेल डीड मान्य होगी। क्रेता की जानकारी और सहमति के बिना सेल डीड के निष्पादन के बाद पहले प्रतिवादी द्वारा...

Bhima Koregaon Case | सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर हनी बाबू की जमानत याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया
Bhima Koregaon Case | सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर हनी बाबू की जमानत याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हनी बाबू की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया, जिन्हें भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया है।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय करोल खंडकी पीठ इस मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के सितंबर, 2022 के फैसले को चुनौती देने वाली बाबू की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पुणे के भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई जाति-आधारित हिंसा के सिलसिले में गैरकानूनी...

जांच करें कि क्या हिंडनबर्ग और अन्य द्वारा अडानी शेयरों में कम बिक्री के कारण भारतीय निवेशकों को हुआ नुकसान कानून का उल्लंघन है: सुप्रीम कोर्ट
जांच करें कि क्या हिंडनबर्ग और अन्य द्वारा अडानी शेयरों में कम बिक्री के कारण भारतीय निवेशकों को हुआ नुकसान कानून का उल्लंघन है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप्स के खिलाफ स्टॉक मूल्य में हेरफेर के संबंध में लगाए गए आरोपों की एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार करते हुए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों को जांच करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच करें कि क्या हिंडनबर्ग रिसर्च और किसी अन्य संस्था द्वारा शॉर्ट पोजिशन लेने के कारण भारतीय निवेशकों को जो नुकसान हुआ है, उसमें कानून का कोई उल्लंघन शामिल है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़,...

सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा सचिवालय से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ महुआ मोइत्रा की याचिका पर लोकसभा सचिवालय से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को लोकसभा के महासचिव से अनैतिक आचरण के आरोप में लोकसभा से उनके हालिया निष्कासन को चुनौती देने वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता महुआ मोइत्रा की रिट याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने लोकसभा के महासचिव को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इनमें से मुद्दा लोकसभा की कार्रवाई की समीक्षा करने का न्यायालय का अधिकार क्षेत्र होगा। जवाब तीन सप्ताह के भीतर दाखिल करना होगा और याचिकाकर्ता को उसके बाद तीन सप्ताह के भीतर...

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू को हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू को हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश पर रोक लगा दी। उक्त आदेश में हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के पुलिस जनरल डायरेक्टर (डीजीपी) को उनके पद से हटा दिया था। न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा कुंडू को डीजीपी के पद से ट्रांसफर करने और उन्हें आयुष विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में तैनात करने के आदेश पर भी रोक लगा दी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कुंडू को आदेश वापस लेने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा...

मामूली त्रुटियों के कारण उम्मीदवारी रद्द नहीं की जा सकती  : सुप्रीम कोर्ट ने गलत जन्म तिथि देने वाले पुलिस अभ्यर्थी को राहत दी
'मामूली त्रुटियों के कारण उम्मीदवारी रद्द नहीं की जा सकती ' : सुप्रीम कोर्ट ने गलत जन्म तिथि देने वाले पुलिस अभ्यर्थी को राहत दी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पुलिस कांस्टेबल बनने के इच्छुक एक व्यक्ति की याचिका स्वीकार कर ली, जिसकी उम्मीदवारी आवेदन पत्र में अपनी जन्मतिथि का उल्लेख करते समय हुई अनजाने में हुई गलती के कारण प्रतिवादी-अधिकारियों ने रद्द कर दी थी।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने प्रतिवादी-अधिकारियों को अपीलकर्ता को उसके 10वीं कक्षा के प्रमाण पत्र में उल्लिखित जन्मतिथि को ध्यान में रखते हुए चयन प्रक्रिया को 'उत्तीर्ण' करने वाले उम्मीदवार के रूप में मानने का निर्देश देते हुए टिप्पणी की कि...

Adani-Hindenburg Case: मीडिया आर्टिकल्स और OCCRP रिपोर्ट सेबी जांच पर संदेह करने के लिए निर्णायक सबूत नहीं: सुप्रीम कोर्ट
Adani-Hindenburg Case: मीडिया आर्टिकल्स और OCCRP रिपोर्ट सेबी जांच पर संदेह करने के लिए निर्णायक सबूत नहीं: सुप्रीम कोर्ट

हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप्स के खिलाफ लगाए गए आरोपों की विशेष जांच दल (SIT) द्वारा जांच का आदेश देने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को मीडिया और संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्वतंत्र समूहों या खोजी व्यक्तियों की रिपोर्ट भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड...

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को तलब करने पर हाईकोर्ट को दिशानिर्देश जारी किए, कहा- व्यक्तिगत उपस्थिति असाधारण होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अधिकारियों को तलब करने पर हाईकोर्ट को दिशानिर्देश जारी किए, कहा- व्यक्तिगत उपस्थिति असाधारण होनी चाहिए

न्यायालयों द्वारा सरकारी अधिकारियों को "मनमाने ढंग से और बार-बार" बुलाने के मुद्दे को संबोधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (2 जनवरी) को हाईकोर्ट को दिशानिर्देश जारी किए।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सरकारी अधिकारियों को तलब करने पर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की और निर्देश दिया कि सभी हाईकोर्ट को इसका पालन करना चाहिए। सभी हाईकोर्ट को एसओपी को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों की उपस्थिति को विनियमित करने के लिए...

सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में SIT जांच से इनकार किया; SEBI जांच और विनियमों का समर्थन किया
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में SIT जांच से इनकार किया; SEBI जांच और विनियमों का समर्थन किया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (3 जनवरी) को अडानी ग्रुप्स की कंपनियों द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की SIT जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया।न्यायालय ने माना कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा की जा रही जांच पर संदेह करने का कोई आधार नहीं है। न्यायालय ने यह भी माना कि एफपीआई और एलओडीआर नियमों पर अपने संशोधनों को रद्द करने के लिए सेबी को निर्देश देने के लिए कोई वैध आधार नहीं उठाया गया। न्यायालय ने माना कि इन नियमों में कोई खामियां...

सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल में रिक्त न्यायिक सदस्य पदों पर वकीलों की नियुक्ति की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल में रिक्त न्यायिक सदस्य पदों पर वकीलों की नियुक्ति की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) में रिक्त न्यायिक सदस्य पदों को भरने के लिए अनुभवी वकीलों की नियुक्ति की याचिका खारिज कर दी।अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल में सभी रिक्त पदों के लिए न्यायिक सदस्यों के रूप में कम से कम 10 वर्षों के अभ्यास वाले अनुभवी वकीलों की नियुक्ति की प्रार्थना की गई।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को सूचित किया गया कि पैन-इंडिया में 17 पीठों में से, 2021 में...