पीएम मोदी पर 'आपत्तिजनक' टिप्पणी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया

Shahadat

4 Jan 2024 8:24 AM GMT

  • पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (4 जनवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कथित टिप्पणी पर उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की याचिका खारिज की।

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई कथित 'नरेंद्र गौतम दास मोदी' टिप्पणी पर खेड़ा के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था।

    सुनवाई के दौरान खेड़ा की याचिका को सिरे से खारिज कर दिया गया। उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि खेड़ा की याचिका का जवाब आरोप पत्र के आधार पर दाखिल किया गया है।

    उन्होंने कहा,

    ''जवाब केवल आरोपपत्र के आधार पर है, जो उनके पास शुरू से था।''

    जस्टिस गवई ने खेड़ा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद से कहा,

    "उन्होंने केवल आरोपपत्र पर भरोसा किया। लेकिन, अब आप माफी मांगते रहिए।"

    जस्टिस मेहता ने कहा,

    "किसी अपराध को कामना से दूर करना, क्या यह संभव है?"

    अंततः पीठ ने विशेष अनुमति याचिका खारिज करने का फैसला किया।

    जस्टिस गवई ने पीठ के दिन भर के लिए उठने से पहले कहा,

    "वैसे भी, क्षमा करें, हम इच्छुक नहीं हैं।"

    अक्टूबर में कांग्रेस नेता की ओर से पेश सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने खेड़ा के स्पष्टीकरण की ओर इशारा किया कि टिप्पणी अनजाने में की गई और उन्होंने एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर अलग पोस्ट में तुरंत माफी मांगी। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि खेड़ा के खिलाफ लगाए गए आरोप, जिनमें मानहानि, देश को नीचा दिखाने और अस्थिर करने का प्रयास, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देना और सार्वजनिक शांति को भंग करना शामिल है, 'पूरी तरह से गलत हैं'।

    मामले की पृष्ठभूमि

    कांग्रेस नेता और प्रवक्ता पवन खेड़ा इस साल फरवरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी 'नरेंद्र गौतम दास मोदी' टिप्पणी को लेकर विवाद में फंस गए थे। इसके चलते उनके खिलाफ कई एफआईआर रिपोर्ट दर्ज की गईं और असम पुलिस ने उन्हें एक ही महीने में गिरफ्तार कर लिया। खेड़ा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए, 153बी, 500, 504 और अन्य प्रावधानों के तहत आरोप का सामना करना पड़ रहा।

    23 फरवरी को असम पुलिस ने टिप्पणी पर दर्ज एफआईआर के संबंध में खेरा को दिल्ली हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था।

    उनकी गिरफ्तारी के दिन ही सुप्रीम कोर्ट ने खेरा को अस्थायी राहत दी और सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया। बाद में अंतरिम राहत को 28 फरवरी से 3 मार्च तक और फिर 17 मार्च तक बढ़ा दिया गया।

    20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ वाराणसी और असम में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया और उन्हें उत्तर प्रदेश के लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया। खेड़ा को मामले में क्षेत्राधिकार वाली अदालत के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की भी छूट दी गई। अगस्त में खेरा को लखनऊ की स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी।

    कांग्रेस प्रवक्ता ने अपने खिलाफ दायर समन आदेश और आरोपपत्र रद्द करने की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कथित घटना के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी। हालांकि, हाईकोर्ट ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया और उनकी याचिका खारिज कर दी।

    जस्टिस राजीव सिंह ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही संहिता की धारा 482 के तहत चल रही कार्यवाही के दौरान जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का अदालत द्वारा मूल्यांकन नहीं किया जा सका। अदालत ने खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च के निर्देश के अनुसार, क्षेत्राधिकार वाली अदालत के समक्ष सभी विवाद उठाने का भी निर्देश दिया।

    केस टाइटल- पवन खेड़ा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 13143/2023

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