सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से ट्रांसफर याचिका में आपत्तिजनक आरोप लगाने पर तेलंगाना हाईकोर्ट के जज से माफी मांगने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट की मौजूदा न्यायाधीश जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य के खिलाफ 'अपमानजनक और अपमानजनक' टिप्पणी के साथ स्थानांतरण याचिका दायर करने में शामिल वकीलों को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर न्यायाधीश के समक्ष बिना शर्त माफी मांगें।जस्टिस भट्टाचार्य से अनुरोध किया गया था कि वह दी गई माफी की स्वीकृति के मुद्दे पर विचार करें और फैसला करें। सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एएस चंदुकर की खंडपीठ उन वकीलों के खिलाफ शुरू की गई स्वत: संज्ञान अवमानना कार्यवाही की...
मोटर दुर्घटना मामले में रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर न होने पर पंजीकृत मालिक का बीमा कंपनी जिम्मेदार: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वाहन के पंजीकृत मालिक का बीमाकर्ता वाहन के उपयोग से उत्पन्न होने वाले तीसरे पक्ष के नुकसान की भरपाई के लिए उत्तरदायी होगा, अगर वाहन के हस्तांतरण के बावजूद वाहन का पंजीकरण नहीं बदला गया था।जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने माल ढोने वाले एक चालक की अपील पर सुनवाई की, जिसमें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे अपने माल के साथ वाहन में यात्रा करते समय हुई घातक दुर्घटना में मारे गए और घायल हुए यात्रियों को मुआवजा देने के...
“क्या पशुप्रेमी रेबीज़ से मरे बच्चों को लौटा सकते हैं? दिल्ली से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश": सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने आज (11 अगस्त) पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों से सवाल किया, जो आवारा कुत्तों को पशु आश्रयों में स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं, और पूछा कि क्या वे युवा शिशुओं और बच्चों को वापस ला सकते हैं, जिन्होंने रेबीज और कुत्ते के काटने के कारण अपनी जान गंवा दी है।अदालत शिशुओं, छोटे बच्चों और बुजुर्गों के रेबीज के शिकार होने की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। जबकि यह एक आदेश जारी कर रहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आवारा कुत्तों को तुरंत उनके लिए...
सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी के खिलाफ फैसलों में की गई टिप्पणियों को हटाने से मना किया
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की ओर से दायर उन याचिकाओं पर, जिनमें 'नौकरी के बदले पैसे' घोटाले संबंधित फैसलों में की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की मांग की गई थी, सोमवार को संकेत दिया कि वह उनसे संबंधित मामलों में पिछले फैसलों में एक भी शब्द नहीं बदलेगा। कोर्ट ने कहा,"हम कुछ भी नहीं हटाएंगे, हम एक भी शब्द नहीं छुएंगे...हम फैसले को नहीं छू रहे हैं। हम केवल यह स्पष्ट करेंगे कि टिप्पणियों का मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह आपराधिक न्यायशास्त्र का एक मूल सिद्धांत...
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोगों को राजनीतिक दलों के अवैध कृत्यों पर अंकुश लगाने का निर्देश देने संबंधी PIL पर विचार करने से मना किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) सभी राज्य चुनाव आयोगों को राजनीतिक दलों की अवैध गतिविधियों पर नज़र रखने और उन पर अंकुश लगाने के लिए एक योजना बनाने के निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अपने सभी विकल्प इस्तेमाल किए बिना सीधे शीर्ष न्यायालय का रुख किया।चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एएस चंदूकर की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी।चीफ जस्टिस ने शुरू में पूछा...
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के 'कबूतरखानों' में कबूतरों को दाना खिलाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि कबूतरों को खाना खिलाने से गंभीर स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं। साथ ही, कोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम को उन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया जो निगम के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए मुंबई के 'कबूतरखानों' में कबूतरों को खाना खिलाना जारी रखते हैं।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने कहा, "इस न्यायालय द्वारा समानांतर हस्तक्षेप उचित नहीं...
सुपीम कोर्ट ने दिल्ली NCR के सभी अवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में भेजने का निर्देश दिया, रोकने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) को एक महत्वपूर्ण आदेश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अधिकारियों को सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में पहुंचाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को उठाने से अधिकारियों को रोकता है, तो उसे कानूनी परिणाम भुगतने होंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर आवारा कुत्तों को उठाना ज़रूरी हुआ, तो अधिकारी बल प्रयोग भी कर सकते हैं।कोर्ट ने निर्णय में कुत्तों के काटने और रेबीज़ के खतरे पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने...
अभियुक्त द्वारा दर्ज FIR में दिए गए बयानों का इस्तेमाल दूसरे अभियुक्त के खिलाफ नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि अभियुक्त द्वारा FIR में दिए गए बयानों का इस्तेमाल दूसरे अभियुक्त के खिलाफ नहीं किया जा सकता।अतः कानूनी स्थिति यह है कि मामले के एक अभियुक्त द्वारा दर्ज FIR में दिए गए बयान का इस्तेमाल किसी भी तरह से दूसरे अभियुक्त के खिलाफ नहीं किया जा सकता।यहां तक कि बयान देने वाले अभियुक्त के खिलाफ भी अगर बयान दोषसिद्धि प्रकृति का है तो उसका इस्तेमाल न तो पुष्टि या खंडन के लिए किया जा सकता है, जब तक कि बयान देने वाला खुद मुकदमे में गवाह के तौर पर पेश न हो।जस्टिस जेबी...
BREAKING| Delhi LG मानहानि मामले में मेधा पाटकर को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि बरकरार रखी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 अगस्त) को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और एक्टिविस्ट मेधा पाटकर की दोषसिद्धि में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। यह आपराधिक मानहानि का मामला दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल (Delhi LG) और लेफ्टिनेंट जनरल विनय कुमार सक्सेना ने 2001 में उनके खिलाफ दर्ज कराया था।जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने हालांकि पाटकर पर लगाया गया एक लाख रुपये का जुर्माना रद्द कर दिया। निचली अदालत ने प्रोबेशन अवधि लागू करके उन्हें जेल की सजा से छूट दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने...
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने JAG पदों पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए अधिक संख्या में आरक्षण देने की आर्मी पॉलिसी रद्द की, बताया- समानता के विरुद्ध
सुप्रीम कोर्ट ने जज एडवोकेट जनरल (JAG) शाखा में पुरुषों के लिए पद आरक्षित करने संबंधी भारतीय सेना की नीति को रद्द कर दिया और जेएजी पदों पर नियुक्त होने वाली महिलाओं की संख्या सीमित कर दी।न्यायालय ने माना कि जेंडर-न्यूट्रेलिटी का सही अर्थ यह है कि सभी मेधावी उम्मीदवारों का, चाहे वे किसी भी जेंडर के हों, चयन किया जाना चाहिए। इसलिए उसने भारत संघ और भारतीय सेना को निर्देश दिया कि वे JAG में इस तरह से भर्ती करें कि किसी भी लिंग के लिए सीटों का विभाजन न हो, अर्थात यदि सभी महिला उम्मीदवार योग्य हैं, तो...
'सरकारी ज़मीन का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कैसे किया जा सकता है?' सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों से झंडे हटाने का आदेश बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। उक्त आदेश में सभी राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों को राष्ट्रीय राजमार्गों और सरकारी ज़मीन सहित सार्वजनिक स्थलों पर उनके द्वारा लगाए गए स्थायी झंडों को हटाने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।याचिकाकर्ता के वकील ने सार्वजनिक स्थलों से झंडों को हटाने के निर्देश की आलोचना की और तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने कई निर्देश दिए, जबकि मूल मामले में मांगी गई...
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व हाईकोर्ट जज को बांके बिहारी मंदिर के प्रशासन के लिए गठित समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के दैनिक कार्यों की देखरेख और पर्यवेक्षण हेतु इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अशोक कुमार की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया।न्यायालय ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025 के तहत गठित समिति के संचालन को निलंबित करते हुए इस समिति का गठन किया। न्यायालय ने अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाला मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास भेज दिया। हाईकोर्ट द्वारा...
रजिस्टर्ड सोसाइटी के खिलाफ 'कंस्ट्रक्टिव ट्रस्ट' के रूप में S. 92 CPC का मुकदमा कब चलाया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांतों की व्याख्या की
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले (ऑपरेशन आशा बनाम शैली बत्रा एवं अन्य) में सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 92 से संबंधित सिद्धांतों का सारांश प्रस्तुत किया और उन परिस्थितियों की व्याख्या की जिनमें किसी पंजीकृत सोसाइटी को 'कंस्ट्रक्टिव ट्रस्ट' माना जा सकता है ताकि उसके खिलाफ धारा 92 के अंतर्गत मुकदमा चलाया जा सके। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ की ओर से दिए गए निर्णय में निष्कर्षों का सारांश इस प्रकार है:i. CPC की धारा 92 के अंतर्गत दायर किया गया मुकदमा एक विशेष...
CPC की धारा 80 का नोटिस न देने पर डिक्री रद्द हो जाती है, निष्पादन न्यायालय शून्यता की दलील पर विचार करने के लिए बाध्य: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि डिक्री के 'शून्य' होने का तर्क निष्पादन के चरण में उठाया जा सकता है और निष्पादन न्यायालय गुण-दोष के आधार पर उस पर निर्णय लेने के लिए बाध्य है।न्यायालय ने कहा,"CPC की धारा 47 के अनुसार, निष्पादन न्यायालय को डिक्री के निष्पादन, निर्वहन या संतुष्टि से संबंधित प्रश्नों की जाँच करने का अधिकार है। वह डिक्री से आगे नहीं जा सकता; लेकिन साथ ही, जब यह दलील दी जाती है कि डिक्री शून्य है। इसलिए लागू नहीं की जा सकती तो निष्पादन न्यायालय ऐसे आवेदन की जांच करने और उसके...
Banke Bihari Temple | अध्यादेश की वैधता पर हाईकोर्ट के निर्णय लिए जाने तक समिति को निलंबित करने का आदेश पारित किया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025 के तहत समिति के संचालन को निलंबित करने का आदेश पारित करेगा, जिसे मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन सौंपा गया है।न्यायालय ने कहा कि वह अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट में भेजेगा और जब तक हाईकोर्ट इस मामले का निर्णय नहीं ले लेता, समिति को स्थगित रखा जाएगा। न्यायालय ने कहा कि इस बीच मंदिर के सुचारू प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए वह एक अन्य समिति का...
BREAKING| चीफ जस्टिस के अनुरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट जज को आपराधिक क्षेत्राधिकार से हटाने का निर्देश वापस लिया
सुप्रीम कोर्ट ने एक असामान्य घटनाक्रम में शुक्रवार (8 अगस्त) को 4 अगस्त को पारित अपने अभूतपूर्व आदेश को वापस ले लिया। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को उनकी रिटायरमेंट तक आपराधिक क्षेत्राधिकार से हटा दिया जाना चाहिए और उन्हें एक अनुभवी सीनियर जज के साथ बैठाया जाना चाहिए।जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार द्वारा पारित आदेश पर आपत्ति जताते हुए यह असामान्य आदेश पारित किया था, जिसमें आपराधिक शिकायत को इस आधार...
JSW ने समाधान योजना लागू करने में चूक की, BPSL के परिसमापन की नहीं, बल्कि नए सिरे से CIRP की ज़रूरत: पूर्व प्रवर्तक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
सुप्रीम कोर्ट ने भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के लिए JSW स्टील की समाधान योजना के खिलाफ अपीलों पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने मामले की सुनवाई की। पिछले हफ़्ते, बेंच ने पुनर्विचार शक्ति का प्रयोग करते हुए 5 मई के उस फ़ैसले को वापस ले लिया था, जिसमें JSW की समाधान योजना को खारिज कर दिया गया। मामले की नए सिरे से सुनवाई करने का फ़ैसला किया था। गौरतलब है कि जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने 5 मुख्य...
चीफ जस्टिस को आंतरिक जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजते हुए जज को हटाने की सिफ़ारिश करने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
अघोषित नकदी विवाद में जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी ठहराने वाली आंतरिक समिति की रिपोर्ट के ख़िलाफ़ दायर रिट याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) को जज को हटाने की सिफ़ारिश करते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजने का अधिकार है।न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तैयार की गई आंतरिक प्रक्रिया में वह प्रावधान (पैराग्राफ 7(ii)) "कानूनी और वैध" है, जिसके तहत चीफ जस्टिस को समिति की रिपोर्ट के साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजने की आवश्यकता...
'आप आरोपियों को बिना सुनवाई के वर्षों तक जेल में रखने में सफल रहे': सुप्रीम कोर्ट ने ED की दोषसिद्धि दर पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (7 अगस्त) को एक मौखिक टिप्पणी में चिंता व्यक्त की कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आरोपियों को वर्षों तक विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रखने में 'सफल' हो रहा है, जबकि उन्हें अंततः दोषी नहीं पाया जाता है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना को खारिज कर दिया गया था और BPSL के...
माता-पिता द्वारा की गई अनाचारपूर्ण यौन हिंसा के लिए कठोरतम दंड की आवश्यकता: सुप्रीम कोर्ट ने पिता की POCSO दोषसिद्धि बरकरार रखी
सुप्रीम कोर्ट ने एक पिता की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में अनाचारपूर्ण यौन हिंसा को क्षमा नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह पारिवारिक विश्वास की नींव को हिला देता है। उक्त पिता ने अपनी दस वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ बार-बार बलात्कार किया था।यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO Act) की धारा 6 के तहत प्रवेशात्मक यौन हमले के अपराध के लिए उसे दी गई आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखते हुए न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण को पीड़ित लड़की, जो अब वयस्क हो...


















