सुप्रीम कोर्ट

S. 138 NI Act | लोन देने की क्षमता नहीं दर्शाई गई, बयानों में विरोधाभास: सुप्रीम कोर्ट ने चेक अनादर मामले में बरी होने का फैसला बरकरार रखा
S. 138 NI Act | 'लोन देने की क्षमता नहीं दर्शाई गई, बयानों में विरोधाभास': सुप्रीम कोर्ट ने चेक अनादर मामले में बरी होने का फैसला बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने चेक अनादर मामले में शिकायतकर्ता के बयानों में कुछ विरोधाभासों, साथ ही लोन देने की वित्तीय क्षमता दिखाने में असमर्थता और आयकर रिटर्न में लोन की पावती न होने को ध्यान में रखते हुए बरी होने के फैसले को बरकरार रखा।हालांकि चेक पर आरोपी के हस्ताक्षर साबित हो गए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस मामले में परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (NI Act) की धारा 139 के तहत अनुमान लागू नहीं होता।शिकायत में शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपी ने राशि उधार लेते समय चेक जारी किया था, लेकिन जिरह में उसने अलग बयान दिया;...

जिला न्यायपालिका से कुछ लोग मात्र 15 हजार रुपये मासिक पेंशन के साथ रिटायर होते हैं: सुप्रीम कोर्ट
'जिला न्यायपालिका से कुछ लोग मात्र 15 हजार रुपये मासिक पेंशन के साथ रिटायर होते हैं': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जिला जजों को दी जाने वाली अल्प रिटायरमेंट पेंशन के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के कार्यान्वयन से संबंधित अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले की सुनवाई कर रही थी।अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने न्यायिक अधिकारियों को दिए जाने वाले भत्तों पर टीडीएस कटौती के मुद्दे पर विचार करने के लिए समय मांगा। सुनवाई स्थगित करने पर सहमति जताते हुए सीजेआई ने न्यायिक...

किसी इकाई को ब्लैक लिस्ट में डालना सिविल डेथ के समान, यह न्यायोचित और आनुपातिक होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
किसी इकाई को ब्लैक लिस्ट में डालना 'सिविल डेथ' के समान, यह न्यायोचित और आनुपातिक होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

कोलकाता नगर निगम द्वारा वाणिज्यिक इकाई के विरुद्ध पारित ब्लैक लिस्ट में डालने के आदेश को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि ब्लैक लिस्ट में डालने के आदेश एक "कठोर उपाय" हैं। इस प्रकार, उन्हें न्यायोचित और आनुपातिक होना चाहिए।जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा,"ये सभी कारण वर्तमान मामले में अपीलकर्ता के आचरण को इतना घृणित बनाने से बहुत दूर हैं कि ब्लैक लिस्ट में डालने/निषेध करने के कठोर उपाय को उचित ठहराया जा सके। अपीलकर्ता को स्पष्ट...

लेक्चरर के रूप में एडहॉक नियुक्ति को CAS के तहत सीनियर वेतनमान की पात्रता के लिए नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
लेक्चरर के रूप में एडहॉक नियुक्ति को CAS के तहत सीनियर वेतनमान की पात्रता के लिए नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिसि अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने माना कि नियमित आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होने से पहले लेक्चरर के रूप में एडहॉक नियुक्ति में दी गई सेवाओं को 'कैरियर एडवांसमेंट स्कीम' (CAS) के तहत सीनियर वेतनमान के अनुदान के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए नहीं गिना जा सकता।केंद्र सरकार द्वारा 22 जुलाई, 1988 को अधिसूचित CAS के अनुसार, यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों के वेतनमान में 1 जनवरी, 1986 से संशोधन किया गया। प्रत्येक लेक्चरर को...

जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं कि आरोपी को अपराध कबूल करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं कि आरोपी को अपराध कबूल करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं है कि आरोपी को जांच अधिकारी के सामने अपना अपराध कबूल करना चाहिए।कोर्ट ने कहा,"हमारा दृढ़ मत है कि आरोपी द्वारा सहयोग न करना एक बात है और आरोपी द्वारा अपराध कबूल करने से इनकार करना दूसरी बात है। आरोपी पर यह बाध्यता नहीं होगी कि पूछताछ किए जाने पर उसे अपराध कबूल करना होगा। उसके बाद ही जांच अधिकारी संतुष्ट होगा कि आरोपी ने जांच में सहयोग किया।"जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने पुलिस निरीक्षक और मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट...

भारत मधुमेह की बड़ी समस्या का सामना कर रहा है: पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर चीनी और वसा के स्तर के बारे में चेतावनी लेबल लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका
"भारत मधुमेह की बड़ी समस्या का सामना कर रहा है": पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर चीनी और वसा के स्तर के बारे में चेतावनी लेबल लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में भारत संघ के साथ-साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर फ्रंट-ऑफ-पैकेज चेतावनी लेबल (एफओपीएल) के कार्यान्वयन को अनिवार्य करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है।याचिका में लिखा है, "यह विचार करना बहुत महत्वपूर्ण है कि फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग उपभोक्ताओं को उनके आहार के बारे में सूचित विकल्प बनाने और बड़े कॉरपोरेट्स के वाणिज्यिक हितों के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सशक्त बनाने में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में...

हम ट्रायल कोर्ट को नियंत्रित नहीं करने जा रहे हैं: वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ रामकृष्ण राजू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
'हम ट्रायल कोर्ट को नियंत्रित नहीं करने जा रहे हैं': वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ रामकृष्ण राजू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ लंबित मामले को स्थानांतरित करने के लिए तेलुगु देशम पार्टी के विधायक रघु रामकृष्ण राजू की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पहले ही ट्रायल में तेजी लाने के निर्देश पारित कर दिए हैं। अब वह किसी भी डिस्चार्ज आवेदन या अन्यथा के संबंध में ट्रायल कोर्ट को कोई निर्देश नहीं देगा।जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ के समक्ष यह मामला था, जिसने रेड्डी (और अन्य आरोपियों) द्वारा प्रस्तुत...

गुजरात की अदालतों द्वारा अग्रिम जमानत देते समय पुलिस को रिमांड मांगने की अनुमति देना अवैध : सुप्रीम कोर्ट
गुजरात की अदालतों द्वारा अग्रिम जमानत देते समय पुलिस को रिमांड मांगने की अनुमति देना अवैध : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि गुजरात की अदालतों द्वारा अग्रिम जमानत देते समय जांच अधिकारियों को आरोपी की पुलिस हिरासत रिमांड मांगने की स्वतंत्रता देने की प्रथा अवैध है।कोर्ट ने कहा,पुलिस को ऐसी स्वतंत्रता देने से अग्रिम जमानत देने का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।कोर्ट ने यह फैसला पुलिस इंस्पेक्टर और न्यायिक मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत का उल्लंघन करते हुए आरोपी की गिरफ्तारी और रिमांड के लिए अदालत की अवमानना ​​का दोषी ठहराते हुए सुनाया।अवमानना ​​करने वालों ने बचाव...

सुप्रीम कोर्ट ने विष्णुपद मंदिर को सार्वजनिक ट्रस्ट घोषित करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने विष्णुपद मंदिर को 'सार्वजनिक ट्रस्ट' घोषित करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गया में हिंदुओं के श्राद्ध कर्म का केंद्र विष्णुपद मंदिर धार्मिक सार्वजनिक ट्रस्ट है, न कि गयावाल ब्राह्मणों (मंदिर के पारंपरिक पुजारी) की निजी संपत्ति।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील की दलील सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में 15 गवाहों (दस्तावेजी और मौखिक) की जांच की, लेकिन अपीलीय अदालत ने सबूतों को खारिज कर दिया।जस्टिस खन्ना ने जवाब में कहा,"ठीक ही हुआ, पहला...

न्यायालय जांच एजेंसियों के दूत नहीं, नियमित रूप से रिमांड की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को अवमानना ​​का दोषी ठहराया
न्यायालय जांच एजेंसियों के दूत नहीं, नियमित रूप से रिमांड की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को अवमानना ​​का दोषी ठहराया

न्यायिक मजिस्ट्रेटों से "जांच एजेंसियों के दूत" के रूप में कार्य करने की अपेक्षा नहीं की जाती, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम अग्रिम जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए आरोपी को रिमांड पर लेने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को अदालत की अवमानना ​​का दोषी ठहराते हुए कहा।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ द्वारा दिए गए फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि नियमित रूप से रिमांड आवेदनों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद पुलिस ने मैग के समक्ष...

लाइव-स्ट्रीमिंग और व्यापक रिपोर्टिंग के युग में जजों के लिए टिप्पणियों पर संयम बरतना आवश्यक: सुप्रीम कोर्ट
लाइव-स्ट्रीमिंग और व्यापक रिपोर्टिंग के युग में जजों के लिए टिप्पणियों पर संयम बरतना आवश्यक: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जजों के लिए अदालती कार्यवाही में टिप्पणी या अवलोकन करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिसे अब आम तौर पर लाइवस्ट्रीम किया जाता है और मीडिया द्वारा व्यापक रूप से कवर किया जाता है।सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं द्वारा पारित स्थगन आदेश की आलोचना करने वाले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश में "अनुचित" टिप्पणियों को हटाते हुए यह टिप्पणी की।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की विशेष पीठ ने...

10 वर्षों में 5000 PMLA मामलों में से केवल 40 में दोषसिद्धि: सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा
'10 वर्षों में 5000 PMLA मामलों में से केवल 40 में दोषसिद्धि': सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में दोषसिद्धि की कम दर पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अभियोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ छत्तीसगढ़ के व्यवसायी सुनील कुमार अग्रवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें कोयला परिवहन के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में गिरफ्तार किया गया था।धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत मामलों में दोषसिद्धि के खराब आंकड़ों का हवाला देते हुए...

लाडली बहू योजना के लिए आपके पास पर्याप्त धन है, मुआवज़ा देने के लिए नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई
'लाडली बहू योजना के लिए आपके पास पर्याप्त धन है, मुआवज़ा देने के लिए नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई कि उसने अन्य बातों के साथ-साथ मामले में दिए गए मुआवज़े के विवरण के बारे में हलफ़नामा दायर नहीं किया, जिसमें राज्य ने व्यक्ति की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया था और इसके बदले में अधिसूचित वन भूमि आवंटित कर दी थी।जस्टिस गवई ने कहा,"न्यायालय को हल्के में न लें। आप न्यायालय के हर आदेश को लापरवाही से नहीं ले सकते। आपके पास लाडली बहू (योजना) के लिए पर्याप्त धन है। मैंने आज का अख़बार पढ़ा... मुफ़्त चीज़ों पर खर्च किए गए सारे पैसे में...

PMLA : सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित की
PMLA : सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित की

सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ (VMC) में 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं के बैच पर सुनवाई स्थगित कर दी।सुप्रीम कोर्ट अब इन याचिकाओं पर 28 अगस्त को सुनवाई करेगा।जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की विशेष पीठ ने संक्षेप में दलीलें सुनीं, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर मामले को स्थगित करने पर सहमत हो गई, जिन्होंने प्रस्तुत किया कि मामला अचानक (मंगलवार रात 9 बजे के बाद) सूचीबद्ध किया गया था। इसलिए ED को तैयारी और बहस...

BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस निरीक्षक और मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले आरोपी की गिरफ्तारी और रिमांड के लिए अवमानना ​​का दोषी ठहराया
BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस निरीक्षक और मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले आरोपी की गिरफ्तारी और रिमांड के लिए अवमानना ​​का दोषी ठहराया

सुप्रीम कोर्ट ने वेसु पुलिस स्टेशन (गुजरात) के पुलिस निरीक्षक और सूरत (गुजरात) के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम अग्रिम जमानत आदेश की अनदेखी करते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार करने और रिमांड पर लेने के लिए न्यायालय की अवमानना ​​का दोषी ठहराया।न्यायालय ने अवमानना ​​करने वालों को उनकी सजा तय करने के लिए 02 सितंबर, 2024 को उपस्थित रहने को कहा है।संक्षिप्त पृष्ठभूमि देने के लिए याचिकाकर्ता, जिसका नाम धोखाधड़ी के अपराध के लिए एफआईआर में आरोपी के रूप में दर्ज किया...

BREAKING| हमें दुख है: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाया
BREAKING| 'हमें दुख है': सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित असामान्य आदेश का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने बुधवार (7 अगस्त) को हाईकोर्ट के आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्थगन आदेश की आलोचना करने वाली "अनुचित" टिप्पणियों को हटा दिया।यह स्वत: संज्ञान मामला हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजबीर सहरावत द्वारा 17 जुलाई को पारित आदेश पर था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह मानने की प्रवृत्ति थी कि वह "अधिक सुप्रीम" है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव...

परिसीमन आयोग के आदेश न्यायिक पुनर्विचार से मुक्त नहीं : सुप्रीम कोर्ट
परिसीमन आयोग के आदेश न्यायिक पुनर्विचार से मुक्त नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आदेश स्पष्ट रूप से मनमाना और संवैधानिक मूल्यों के साथ असंगत पाया जाता है तो संवैधानिक न्यायालयों को संविधान की कसौटी पर परिसीमन आयोग द्वारा पारित आदेशों की वैधता की जांच करने से कोई नहीं रोक सकता।कोर्ट ने कहा,“इसलिए जबकि न्यायालयों को हमेशा परिसीमन मामलों में न्यायिक पुनर्विचार के प्रयोग पर दायरे, दायरे और सीमाओं के बारे में स्थापित सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होना चाहिए, ऐसा कुछ भी नहीं है, जो उन्हें संविधान की कसौटी पर परिसीमन आयोग द्वारा पारित आदेशों की वैधता...

रिडेजिनेशन नियमित नियुक्ति नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने लेक्चरर के रूप में नामित शोध सहायकों को CAS राहत देने से इनकार किया
'रिडेजिनेशन नियमित नियुक्ति नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने लेक्चरर के रूप में नामित शोध सहायकों को CAS राहत देने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि शोध सहायक से लेक्चरर और बाद में सहायक प्रोफेसर के रूप में रिडेजिनेशन किए गए लोगों को 'करियर एडवांसमेंट स्कीम' (सीएएस) के लाभों का विस्तार करने के लिए नियमित नियुक्तियां नहीं माना जा सकता।जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा: "..."नियमित नियुक्ति" शब्द/वाक्यांश के उपयोग को उचित व्याख्या दी जानी चाहिए और इसे निरर्थक या अनावश्यक नहीं माना जा सकता। यहां रिडेजिनेशन और नियमित नियुक्ति के बीच अंतर है। रिडेजिनेशन को नियमित नियुक्ति नहीं कहा जा...