हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

22 Jun 2025 4:30 AM

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (16 जून, 2025 से 20 जून, 2025) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के लिए पत्नी को पति की अनुमति की आवश्यकता नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय पत्नी के लिए अपने पति की अनुमति और उसके हस्ताक्षर लेना जरूरी नहीं है। अदालत ने कहा कि इस तरह की प्रथा एक ऐसे समाज के लिए अच्छी नहीं है जो महिलाओं की मुक्ति की ओर बढ़ रहा है और एक प्रकार का पुरुष वर्चस्ववाद है। अदालत ने कहा कि पति से पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की अनुमति मांगने पर जोर देना उस समाज के लिए अच्छा नहीं है जो महिला मुक्ति की ओर बढ़ रहा है। यह प्रथा पुरुष वर्चस्ववाद से कम नहीं है।

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    बीमा पॉलिसी तैयार होने के तुरंत बाद रद्द कर दी गई हो तो पॉलिसी रद्द करने की सूचना देने की कोई आवश्यकता नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि यदि पॉलिसी तैयार होने के तुरंत बाद ही उसे रद्द कर दिया गया था और यदि बीमाधारक को पॉलिसी रद्द होने के तथ्य की जानकारी थी, तो बीमा कंपनी को पॉलिसी रद्द करने का अलग से नोटिस भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है।

    वर्तमान मामले में, प्रीमियम का भुगतान न करने के कारण बीमा पॉलिसी तैयार होने के तुरंत बाद ही रद्द कर दी गई थी और पॉलिसी की ग्राहक प्रति बीमा कंपनी के पास रह गई थी। ऐसे मामले में, न्यायालय ने माना कि यह कहा जा सकता है कि पॉलिसी रद्द होने के तथ्य की जानकारी बीमाधारक को बहुत अच्छी तरह से थी।

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    संविधान के अनुच्छेद 285 के तहत रेलवे संपत्ति पर नहीं लगेगा कोई भी टैक्स: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि संघ की संपत्ति संविधान के अनुच्छेद 285(1) के अनुसार राज्य द्वारा लगाए गए किसी भी टैक्स से मुक्त होगी, भले ही उसका उपयोग वाणिज्यिक उद्देश्य से किया जाए।

    न्यायालय ने टिप्पणी की, “केवल इसलिए कि संबंधित संपत्ति का वाणिज्यिक उपयोग किया गया, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। भारत के संविधान के अनुच्छेद 285(1) की स्पष्ट भाषा यह संकेत देती है कि संघ की संपत्ति राज्य या राज्य के भीतर किसी भी प्राधिकरण द्वारा लगाए गए सभी करों से मुक्त होगी।”

    Case Title: Madurai Multi Functional Complex Private Limited v. the Madurai Corporation

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    तमिलनाडु सर्विस नियमों के तहत वैवाहिक विवाद कदाचार, सरकारी विभाग कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकता है: मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि तमिलनाडु सरकारी कर्मचारी आचरण नियम, 1973 के तहत वैवाहिक विवाद को कदाचार माना जाता है और सरकारी विभागों को ऐसे कदाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का अधिकार है।

    जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस एडी मारिया क्लेटे की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी कर्मचारी से न केवल कार्यालय के अंदर बल्कि बाहर भी ईमानदारी, निष्ठा और अच्छे आचरण की अपेक्षा की जाती है। इस प्रकार, खंडपीठ ने कहा कि भले ही वैवाहिक संबंध में कोई कदाचार किया गया हो, विभाग अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर सकता है।

    Case Title: The Executive Secretary of District and Others v. K.S Subha Karuthukhan

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    "झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को मुंबई के बाहरी इलाकों में नहीं धकेला जा सकता": हाईकोर्ट ने 'आरक्षित' खुली जगहों पर बनी झुग्गियों के पुनर्वास की योजना बरकरार रखी

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को विकास नियंत्रण और संवर्धन विनियमन, (DCPR) 2034 के विनियमन 17(3)(डी)(2) रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे शहर में जहां जगह और सेवाओं के वितरण में असमानता दिखाई देती है, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को शहर के बाहरी इलाकों में नहीं बल्कि शहर के भीतर औपचारिक आवास उपलब्ध कराना वास्तविक समानता की ओर एक कदम है। यह विनियमन DCPR 2034 के तहत 'खुली जगहों' के रूप में आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण किए गए झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के पुनर्वास का प्रावधान करता है।

    Case Title: NGO Alliance for Governance and Renewal (NAGAR) vs State of Maharashtra (Writ Petition 1152 of 2002)

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    MV Act | मृतक की विवाहित बेटियां कंसोर्टियम लॉस के लिए मुआवजे की हकदार, वित्तीय निर्भरता की हानि के लिए नहींः HP हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत, आय के नुकसान के लिए मुआवजा केवल परिवार के उन सदस्यों को दिया जाता है जो मृतक पर आर्थिक रूप से निर्भर थे। हालांकि, विवाहित बेटियां अपने पिता पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं हैं, फिर भी कंसोर्टियम लॉस के मद में मुआवजे की हकदार हैं।

    जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर ने कहा, "आश्रित कानूनी उत्तराधिकारी, अन्य मदों के तहत मुआवजे के अलावा कंसोर्टियम लॉस के भी हकदार होंगे, जबकि अन्य परिवार के सदस्य जो मृतक के आश्रित-कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हैं, हालांकि, मुआवजे के हकदार नहीं होंगे, लेकिन कंसोर्टियम के नुकसान के हकदार होंगे जो प्यार और स्नेह, मार्गदर्शन और मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक नुकसान आदि के लिए दिया जाता है।"

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    स्थानीय आयुक्त अंतरिम निषेधाज्ञा आवेदन पर निर्णय के लिए भूमि की भौतिक विशेषताओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं: जेएंडके हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय द्वारा नियुक्त स्थानीय आयुक्तों को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश 39 के नियम 1 और 2 के तहत दायर आवेदन पर निर्णय लेने के उद्देश्य से भूमि के मौके पर मौजूद भौतिक विशेषताओं के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का पूरा अधिकार है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अंतरिम निषेधाज्ञा के आवेदन को खारिज करने के अपीलकर्ता न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त टिप्पणी की।

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    यदि कोई अंतिम रिपोर्ट या न्यायालय का संज्ञान नहीं है तो पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6(2)(एफ) के तहत कोई आपराधिक कार्यवाही लंबित नहीं रहेगी: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि अंतिम रिपोर्ट दाखिल किए बिना या न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए बिना केवल अपराध का पंजीकरण या जांच लंबित होना, पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6(2)(एफ) के तहत “आपराधिक कार्यवाही लंबित” नहीं मानी जाती है। जस्टिस ए बदरुद्दीन ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चल रही सतर्कता जांच के बीच याचिकाकर्ता के पासपोर्ट को नवीनीकृत करने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

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    खाता फ्रीज़ होने से चेक बाउंस हुआ तो नहीं होगा केस: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक इकाई को राहत प्रदान की, जिस पर परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act ) 1881 की धारा 138 के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है, क्योंकि उसके द्वारा जारी किए गए चेक का अनादर किया गया था, उसके बैंक खाते को फ्रीज करने के कारण। जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा कि NI Act की धारा 138 के तहत अपराध तब होता है, जब चेक को आहरणकर्ता द्वारा बनाए गए खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण बिना भुगतान के वापस कर दिया जाता है।

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    पत्नी की बिना सहमति ली गई व्हाट्सएप चैट साक्ष्य के रूप में मंजूर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक वैवाहिक विवाद की सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि व्हाट्सएप जैसे निजी चैट भी परिवार न्यायालय अधिनियम की धारा 14 के तहत साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य हो सकते हैं, भले ही उन्हें बिना सहमति प्राप्त किया गया हो या वे भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के तहत स्वीकार्य न हों।

    जस्टिस आशीष श्रोटी ने अपने आदेश में कहा, "चूंकि हमारे संविधान के तहत कोई भी मौलिक अधिकार पूर्ण नहीं है, इसलिए जब दो मौलिक अधिकारों में टकराव हो—जैसे कि इस मामले में निजता का अधिकार और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, जो दोनों अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आते हैं—तो निजता का अधिकार निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के सामने झुक सकता है।"

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    मूल्यांकन अधिकारी एक ही समय में अभियोजक, न्यायाधीश और निष्पादक के रूप में कार्य नहीं कर सकता: HP हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि मूल्यांकन अधिकारी को विश्वविद्यालय को अपना मामला प्रस्तुत करने का उचित अवसर प्रदान करना चाहिए तथा वह एक ही समय में अभियोजक, न्यायाधीश तथा निष्पादक की भूमिका निभाते हुए कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुशील कुकरेजा ने कहा, “मूल्यांकन अधिकारी ने कानून को अपने हाथ में लिया तथा एक ही समय में अभियोजक, न्यायाधीश तथा निष्पादक की भूमिका निभाई।”

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    आश्रित भाई-बहनों और उनके बच्चों को दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना 2018 के तहत लाभ लेने से वंचित नहीं किया जाएगा: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवाहित या अविवाहित भाई-बहन या ऐसे भाई-बहनों के बच्चे, दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2018 (डीवीसीएस) के तहत मुआवजे का दावा करने से स्वतः ही वंचित नहीं हैं। ज‌स्टिस हरिश वैद्यनाथन शंकर ने कहा कि हालांकि डीवीसीएस के खंड 2(बी) के तहत “आश्रित” की परिभाषा में “भाई-बहन” शामिल नहीं हैं, लेकिन परिभाषा में नियोजित समावेशी शब्दावली को देखते हुए, “भाई-बहन” शब्द को शामिल न करने से उन्हें योजना के लाभों से स्वतः ही वंचित नहीं किया जा सकता है।

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    प्रयोग से वक़्फ़ के रूप में मानी जाने वाली ज़ियारत को वक़्फ़ घोषित करने के लिए औपचारिक अधिसूचना की आवश्यकता नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कोई ज़ियारत (दरगाह), दरगाह या अन्य धार्मिक संपत्ति जो जम्मू और कश्मीर वक़्फ़ अधिनियम, 1978 की धारा 3(ड)(i) के तहत प्रयोग से वक़्फ़ (Wakaf by user) के रूप में योग्य हो, उसे वक़्फ़ के रूप में मान्यता देने के लिए किसी औपचारिक घोषणा या अधिसूचना की आवश्यकता नहीं है।

    जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की खंडपीठ ने ज़ियारत को लेकर जम्मू-कश्मीर वक़्फ़ बोर्ड द्वारा किए गए अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। अदालत ने कहा कि प्रयोग आधारित वक़्फ़” कानून द्वारा संरक्षित हैं भले ही उनके लिए कोई राजपत्र अधिसूचना जारी न हुई हो।

    टाइटल: Intizamia Committee बनाम जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश

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    स्वेच्छा से सेवा छोड़ना छंटनी नहीं है: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल एल पानसरे की एकल पीठ ने औद्योगिक न्यायालय के कई आदेशों को खारिज कर दिया, जिसमें कई कर्मचारियों को बहाल करने और उनका पिछला वेतन देने का निर्देश दिया गया था। ये कर्मचारी बिना सूचना के ड्यूटी से अनुपस्थित थे। न्यायालय ने माना कि बार-बार बुलाने के बावजूद लंबे समय तक अनुपस्थित रहना स्वैच्छिक सेवा त्यागने के बराबर है, न कि बर्खास्तगी के बराबर। इस प्रकार, न्यायालय ने माना कि औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत छंटनी की प्रक्रिया लागू नहीं होती।

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