खाता फ्रीज़ होने से चेक बाउंस हुआ तो नहीं होगा केस: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

18 Jun 2025 12:33 PM IST

  • खाता फ्रीज़ होने से चेक बाउंस हुआ तो नहीं होगा केस: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक इकाई को राहत प्रदान की, जिस पर परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act ) 1881 की धारा 138 के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है, क्योंकि उसके द्वारा जारी किए गए चेक का अनादर किया गया था, उसके बैंक खाते को फ्रीज करने के कारण।

    जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कहा कि NI Act की धारा 138 के तहत अपराध तब होता है, जब चेक को आहरणकर्ता द्वारा बनाए गए खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण बिना भुगतान के वापस कर दिया जाता है।

    जब बैंक खाता फ्रीज कर दिया जाता है तो यह नहीं कहा जा सकता है कि आहरणकर्ता उस खाते को बनाए रख रहा था और इसलिए NI Act की धारा 138 की पूर्व शर्त पूरी नहीं होती है।

    मामले के तथ्यों के आधार पर पीठ ने कहा,

    “भले ही चेक रिटर्न मेमो में अनादर का कारण अपर्याप्त धनराशि बताया गया हो लेकिन तथ्य यह है कि याचिकाकर्ताओं का खाता CGST विभाग द्वारा फ्रीज कर दिया गया। इस प्रकार इसे प्रासंगिक समय पर उनके द्वारा संचालित नहीं कहा जा सकता। चूंकि याचिकाकर्ता खाता संचालित करने या कुर्की के कारण बैंक को वैध निर्देश जारी करने में असमर्थ थे, इसलिए धारा 138 के आवश्यक तत्व पूरे नहीं हुए।”

    न्यायालय ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को पता नहीं था कि जब उसने प्रतिवादी को चेक दिए थे तो उसका बैंक खाता फ्रीज कर दिया जाएगा।

    हालांकि जैसे ही उसे CGST विभाग द्वारा खाते को कुर्क किए जाने की जानकारी मिली, उसने प्रतिवादी को सूचित कर दिया, ताकि किसी भी पक्ष को परेशानी न हो।

    न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ता को तलब करने में निचली अदालत ने गलती की।

    अदालत ने कहा,

    "यदि चेक प्रस्तुत करने के समय खाते में धनराशि अपर्याप्त थी तो भी खाते को CGST द्वारा फ्रीज कर दिया गया था। इसलिए याचिकाकर्ता के लिए चेक को सम्मानित करने के लिए अपने खाते में पर्याप्त धनराशि बनाए रखना संभव नहीं था और याचिकाकर्ता को जारी समन आदेश को रद्द कर दिया।”

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