हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

3 March 2024 10:00 AM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (26 फरवरी, 2024 से 01 मार्च, 2024) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    क्रूरता के शिकार को शिकायत के कारण आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि क्रूरता की पीड़ित को आरोपी की आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। जस्टिस हरकेश मनुजा ने कहा, ''यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि जब क्रूरता से पीड़ित व्यक्ति शिकायत करता है और बाद में कथित आरोपी आत्महत्या कर लेता है तो पीड़ित इस कदम के लिए जिम्मेदार हो जाता है।"

    कोर्ट एक महिला और उसके दो भाई-बहनों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिन पर महिला के पति को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था।

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    यौन उत्पीड़न, मानव तस्करी के कारण मनोवैज्ञानिक संकट के कारण नाबालिग की गवाही में देरी आरोपी की जमानत का आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि यौन उत्पीड़न और मानव तस्करी की शिकार नाबालिग की निचली अदालत में गवाही में देरी आरोपी को जमानत देने का आधार नहीं हो सकती। जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने नाबालिग पीड़िता पर यौन उत्पीड़न और मानव तस्करी के 'गहरे प्रभाव की वास्तविकताओं' पर गौर किया, जो मानसिक आघात को सहन करने वाले शारीरिक नुकसान से कहीं अधिक है।

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    जब तक सिविल कोर्ट में वसीयत की वास्तविकता साबित नहीं हो जाती, राजस्व अधिकारी लाभार्थियों के नाम में बदलाव नहीं कर सकते: मध्यप्रदेश हाइकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता नियम, 2018 से जुड़े विवाद का निपटारा करते हुए कहा कि बिना किसी औपचारिक सबूत के वसीयत पर राजस्व अधिकारियों द्वारा लाभार्थियों के नाम पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।

    जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा कि राजस्व अधिकारी स्वामित्व के प्रश्न पर निर्णय नहीं ले सकते। अदालत ने टिप्पणी की याचिकाकर्ताओं का यह तर्क कि राजस्व अधिकारी किसी अप्रमाणित वसीयत के आधार पर किसी व्यक्ति का नाम बदल सकते हैं इसमें ज्यादा दम नहीं है।

    केस टाइटल- विजय सिंह यादव एवं अन्य बनाम कृष्णा यादव एवं अन्य।

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    बिना ट्रांजिट वारंट के दूसरे राज्य के मजिस्ट्रेट के सामने आरोपी को पेश करने में देरी से गिरफ्तारी अवैध हो जाएगी: तेलंगाना हाइकोर्ट

    तेलंगाना हाइकोर्ट ने माना कि ट्रांजिट वारंट के अभाव में किसी आरोपी को दूसरे राज्य के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने में देरी से गिरफ्तारी अवैध हो जाएगी। डॉ. जस्टिस जी. राधा रानी द्वारा याचिकाकर्ता-अभियुक्त द्वारा दायर आपराधिक पुनर्विचार याचिका में पारित किया गया, जिसमें मजिस्ट्रेट द्वारा रिमांड आदेश को चुनौती दी गई, जबकि आरोपी को उसकी गिरफ्तारी के 24 घंटे बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया।

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    विवाहित मुस्लिम महिला का दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशन शरीयत के अनुसार 'हराम' और 'ज़िन्हा' है: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरक्षा याचिका खारिज की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कानूनी रूप से विवाहित मुस्लिम पत्नी विवाह से बाहर नहीं जा सकती है और किसी अन्य पुरुष के साथ उसका लिव-इन रिलेशन शरीयत कानून के अनुसार 'ज़िन्हा' (व्यभिचार) और 'हराम' (अल्लाह द्वारा निषिद्ध कार्य) होगा। जस्टिस रेनू अग्रवाल की पीठ ने विवाहित मुस्लिम महिला और उसके हिंदू लिव-इन पार्टनर द्वारा अपने पिता और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ अपनी जान को खतरा होने की आशंका से दायर सुरक्षा याचिका खारिज करते हुए यह बात कही। न्यायालय ने कहा कि महिला के 'आपराधिक कृत्य' को न्यायालय द्वारा "समर्थन और संरक्षण नहीं दिया जा सकता"।

    केस टाइटल- सालेहा और अन्य बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य 2024 लाइव लॉ (एबी) 128

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    सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी बाद की पुनर्नियुक्ति की अवधि के लिए अलग से पेंशन या ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने गुरुवार को सहायक रजिस्ट्रार, एनआईटी सिलचर के एक आदेश को बरकरार रखा, जिसके द्वारा एनआईटी सिलचर के एक पूर्व व्याख्याता को इस आधार पर दूसरी पेंशन लाभ से वंचित कर दिया गया था कि उन्हें नागालैंड सरकार द्वारा सहायक शिक्षक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का लाभ दिया गया और बाद में एनआईटी में फिर से नियुक्त किया गया।

    जस्टिस लानुसुंगकुम जमीर की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा, “16 अक्टूबर 1993 के आदेश स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, सिलचर के तहत मानविकी और सामाजिक विज्ञान में व्याख्याता के रूप में याचिकाकर्ता का रोजगार एक पुनर्रोजगार है न कि नियमित रोजगार। सीसीएस (पेंशन) नियम 1960 के नियम 7 (2) में प्रावधान है कि एक सरकारी कर्मचारी जो सेवानिवृत्ति पेंशन या सुपरएनुएशन पेंशन पर सेवानिवृत्त हुआ है, बाद में फिर से नियोजित किया गया है, वह अपनी पुनर्रोजगार की अवधि के लिए अलग पेंशन या ग्रेच्युटी का हकदार नहीं होगा।"

    केस टाइटल: डॉ. मिस जोगमाया सैकिया बनाम यूनियन ऑफ इं‌डिया और अन्य।

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    [POCSO Act] अपराध की जानकारी रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए पुलिस अधिकारियों को सूचित करना अनिवार्य: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत किसी बच्चे के खिलाफ अपराध के बारे में जानने वाले किसी भी व्यक्ति को पुलिस या विशेष किशोर पुलिस इकाई (SPJU) को सूचित करना होगा, भले ही संबंधित व्यक्ति बच्चे या दोस्त का माता-पिता हो।

    कोर्ट पीड़िता की मां की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निचली अदालत में लंबित उस अर्जी को रद्द करने की मांग की गई थी जिसमें उसे आरोपी के तौर पर शामिल करने की मांग की गई थी क्योंकि वह अपने बेटे के यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट पुलिस को करने में विफल रही थी।

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    सीआरपीसी की धारा 319 के तहत शक्ति का प्रयोग दोषसिद्धि और बरी दोनों के संयुक्त परिणाम के मामले में बरी होने के आदेश से पहले होना चाहिए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि जब ट्रायल कोर्ट को किसी अपराध में कुछ पक्षों की संलिप्तता के बारे में कोई ठोस तर्क नहीं मिला, तो ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 319 (अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही करने की शक्ति) के तहत केवल संदेह के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है।

    जस्टिस प्रेम नारायण सिंह की सिंगल जज बेंच ने यह भी टिप्पणी की कि सीआरपीसी की धारा 319 के तहत एक आदेश केवल उन लोगों को बरी करने के आदेश की घोषणा से पहले किया जा सकता है जहां मुकदमे के निष्कर्ष का परिणाम i) बरी करना या ii) एक संयुक्त परिणाम है। आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि दोषसिद्धि के मामले में धारा 319 के तहत कार्यवाही सजा सुनाए जाने से पहले शुरू की जानी चाहिए।

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    सीजीएसटी/एसजीएसटी एक्ट के अनुसार समान अवधि के संबंध में दो समानांतर कार्यवाही की अनुमति नहीं: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने माना कि सीजीएसटी/एसजीएसटी एक्ट के अनुसार एक ही अवधि के संबंध में दो समानांतर कार्यवाही की अनुमति नहीं है। जस्टिस मनीष चौधरी की पीठ ने कहा कि सीजीएसटी/एसजीएसटी एक्ट की धारा 6, विशेष रूप से धारा 6(2), इंगित करती है कि एक बार दोनों अधिनियमों में से किसी एक में कार्यवाही शुरू होने के बाद, दूसरे अधिनियम के तहत उसी अवधि के लिए एक और कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।

    केस टाइटल: श्री सुभाष अग्रवाल बनाम असम राज्य और 4 अन्य।

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    Punjab Civil Services Rules | सेवा से बर्खास्त कर्मचारी पेंशन का हकदार नहीं, अनुकंपा भत्ते का दावा कर सकता है: हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पंजाब सिविल सेवा नियमों के तहत शासित कर्मचारी, जिसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, पेंशन का हकदार नहीं है। हालांकि वह अनुकंपा भत्ते का दावा कर सकता है। आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद सेवा से बर्खास्त किए गए दो पुलिस कांस्टेबलों ने तर्क दिया कि दोषी ठहराए जाने के बावजूद, उन्हें पेंशन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

    केस टाइटल- जोगिंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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    मानव व्यवहार कॉपीराइट कानून के अंतर्गत नहीं आ सकता, निजता का अधिकार केवल 'व्यक्तित्व के आंतरिक भाग' को कवर करता है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि मानव आचरण का निर्माण करने वाले कुछ तथ्यों या मानव व्यवहार को दर्शाने वाली घटनाओं की श्रृंखला के अस्तित्व को ही कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत कॉपीराइट का विषय नहीं बनाया जा सकता। अदालत टी-सीरीज़ द्वारा ट्रायल कोर्ट के निषेधाज्ञा आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें फिल्म 'डियर जस्सी' को रिलीज करने से रोक दिया गया।

    केस टाइटल: टी-सीरीज़ (जिसे सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भी जाना जाता है), नई दिल्ली और अन्य बनाम मेसर्स. ड्रीमलाइन रियलिटी मूवीज़, मोहाली और अन्य

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    PMLA Act के तहत जेल नियम है और जमानत अपवाद: सेंथिल बालाजी की याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट

    मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को इस बात पर जोर दिया कि हालांकि आम तौर पर जमानत नियम है और जेल अपवाद है, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत इस सिद्धांत को बदल दिया गया और जेल नियम बन गया। जस्टिस आनंद वेंकटेश ने टीएन के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं। बालाजी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नौकरी के बदले नकद धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। बालाजी ने पहले मेडिकल आधार पर जमानत मांगी थी, जिसे अदालतों ने खारिज कर दिया।

    केस टाइटल: वी सेंथिल बालाजी बनाम उप निदेशक

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    धारा 125(3) सीआरपीसी | मजिस्ट्रेट एक ही आवेदन में भरण-पोषण में 12 महीने से अधिक की चूक पर कारावास का आदेश नहीं दे सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा के मामले में अपनी पत्नी और बेटी को दिए गए अंतरिम भरण-पोषण के भुगतान में चूक के लिए 47 महीने के साधारण कारावास की सजा पाए एक व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया। जस्टिस शर्मिला यू देशमुख ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125(3) के तहत डिफ़ॉल्ट के लिए कारावास की सजा देने की मजिस्ट्रेट की शक्ति 12 महीने तक सीमित है, क्योंकि प्रावधान भुगतान की नियत तारीख से 12 महीने की सीमा अवधि प्रदान करता है।

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    साक्ष्य अधिनियम की धारा 106| अपराध के कई गवाह मौजूद होने पर सबूत का बोझ आरोपी पर नहीं डाला जा सकता: गुवाहाटी हाईकोर्ट

    गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में हत्या की सजा यह कहते हुए खारिज कर दी कि आरोपी को चुप रहने का अधिकार है और जब अपराध के कई गवाह मौजूद हों तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 106 लागू करके सबूत का बोझ आरोपी पर नहीं डाला जा सकता। धारा 106 में कहा गया कि जब कोई तथ्य विशेष रूप से किसी व्यक्ति की जानकारी में हो तो उस तथ्य को साबित करने का भार उस पर होता है।

    केस टाइटल: राजेन नायक बनाम असम राज्य और अन्य।

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    मातृत्व अवकाश के उद्देश्य के लिए अनुबंधित और स्थायी कर्मचारियों के बीच अंतर करना अनुमेय है: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि मातृत्व अवकाश बढ़ाने के उद्देश्य से संविदा कर्मचारियों और स्थायी कर्मचारियों के बीच अंतर करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है। जस्टिस राजा बसु चौधरी की सिंगल जज बेंच ने कहा: बच्चे के जन्म और मातृत्व अवकाश के महिला के अधिकार के सवाल पर, प्रतिवादी नंबर 2 के नियमित और संविदात्मक कर्मचारियों के बीच कोई भेदभाव स्वीकार्य नहीं है।

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    कमर्शियल कोर्ट के समक्ष धारा 9 का आवेदन पहले से ही दायर किया गया हो तो यह हाइकोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर होगा: कलकत्ता हाइकोर्ट

    जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की कलकत्ता हाइकोर्ट की एकल पीठ ने माना कि हाईकोर्ट को उस क्षेत्राधिकार से बाहर रखा गया है, जब मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 (Arbitration and Conciliation Act, 1996) के तहत आवेदन किसी जिले में मूल क्षेत्राधिकार के किसी भी प्रमुख सिविल न्यायालय के समक्ष दायर किया गया, जहां कमर्शियल कोर्ट है।

    केस टाइटल- चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड बनाम उमा अर्थ मूवर्स एंड अन्य।

    संपत्ति पर कब्ज़ा करने के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 17 के तहत अर्जेंसी क्लॉज अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 17 के तहत कार्यवाही के तहत संपत्ति पर कब्ज़ा करना संविधान के अनुच्छेद 300-ए का उल्लंघन नहीं है।

    भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 17 उपयुक्त सरकार को सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अत्यावश्यकता के मामले में भूमि अधिग्रहण करने का अधिकार देती है। धारा 17 के तहत भूमि अधिग्रहण करते समय, अधिसूचना की तारीख से 15 दिनों के बाद भूमि बिना किसी बाधा के सरकार में निहित हो जाती है। अधिनियम के तहत पुरस्कार पारित करना आवश्यक नहीं है।

    केस टाइटलः दीपक शर्मा बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य [WRIT - C No. - 2208 of 2024]

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    वकील और वादी पक्षकारों के ज्ञापन में उनकी जाति या धर्म का उल्लेख न करें: बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में नोटिस जारी कर वकीलों और वादकारियों को अदालत के समक्ष दायर याचिकाओं, मुकदमों या कार्यवाही में किसी भी पक्ष की जाति या धर्म का उल्लेख न करने का निर्देश दिया।

    नोटिक में कहा गया, “वकील और पक्षकार बॉम्बे में प्रिंसिपल सीट (अपीलीय पक्ष और मूल पक्ष) और इसकी बेंचों नागपुर, औरंगाबाद और गोवा के समक्ष दायर किसी भी याचिका/मुकदमे/कार्यवाही में पक्षकारों के ज्ञापन में किसी भी पक्ष की जाति/धर्म का उल्लेख नहीं करेंगे।"

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