राज�थान हाईकोट

सहायता प्राप्त संस्थानों का अनुदान कम करने से छात्रों की शिक्षा प्रभावित होती है, प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता: राजस्थान हाईकोर्ट
सहायता प्राप्त संस्थानों का अनुदान कम करने से छात्रों की शिक्षा प्रभावित होती है, प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने कहा है कि राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थान अधिनियम की धारा 7 (1) – जिसमें कहा गया है कि अनुदान को संस्थानों द्वारा अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है और राज्य द्वारा कभी भी रोका जा सकता है – केवल प्रारंभिक चरण में लागू होता है जब सहायता स्वीकृत हो जाती है।एक बार ऐसी सहायता प्रदान कर दिए जाने के बाद, सहायता में बाद में किसी भी कमी को राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं (मान्यता, सहायता अनुदान और सेवा शर्तों आदि) के नियम 18 के तहत प्राकृतिक न्याय के...

राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी ग्रुप के चेयरमैन के खिलाफ दर्ज 259 एफआईआर को एक साथ किया, कहा- त्वरित सुनवाई के अधिकार के उल्लंघन के कारण प्रक्रिया सजा बन गई
राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी ग्रुप के चेयरमैन के खिलाफ दर्ज 259 एफआईआर को एक साथ किया, कहा- त्वरित सुनवाई के अधिकार के उल्लंघन के कारण प्रक्रिया सजा बन गई

राजस्थान हाईकोर्ट ने धारा 482, सीआरपीसी के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष ("याचिकाकर्ता") के खिलाफ दर्ज 259 एफआईआर को इन एफआईआर के भौगोलिक स्थानों के आधार पर अलग-अलग समूहों में समेकित किया और पाया कि इन कई मामलों के मद्देनजर याचिकाकर्ता को अपने मामलों को लड़ने का कोई उचित अवसर दिए बिना एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा रहा है। कोर्ट ने कहा, "वह आपराधिक प्रक्रिया के एक दुष्चक्र में फंस गया है, जहां वास्तव में प्रक्रिया ही सजा बन गई...

विचाराधीन कैदी को 10 साल की पासपोर्ट वैधता देने से मना करना वैधानिक आधार का अभाव, निर्दोषता की धारणा को कमजोर करता है: राजस्थान हाईकोर्ट
विचाराधीन कैदी को 10 साल की पासपोर्ट वैधता देने से मना करना वैधानिक आधार का अभाव, निर्दोषता की धारणा को कमजोर करता है: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि बिना किसी ठोस कारण के विचाराधीन कैदी के पासपोर्ट की वैधता अवधि को निर्धारित 10 साल से घटाकर केवल 1 साल करना अनुच्छेद 21 के तहत निहित निर्दोषता की धारणा के सिद्धांत पर मनमाना प्रतिबंध है। यह न्याय, समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर पत्नी के साथ क्रूरता करने के लिए IPC के तहत आरोप लगाया गया। उसने अपने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया। काफी मशक्कत के बाद याचिकाकर्ता को...

पोस्टिंग की प्रतीक्षा में आदेश नियमित रूप से पारित नहीं किया जा सकता, बल्कि केवल आकस्मिकताओं को पूरा करने के लिए पारित किया जा सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट
'पोस्टिंग की प्रतीक्षा में आदेश' नियमित रूप से पारित नहीं किया जा सकता, बल्कि केवल आकस्मिकताओं को पूरा करने के लिए पारित किया जा सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा विभाग (विभाग) द्वारा सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध की अवधि के दौरान पारित 'प्रतीक्षारत पदस्थापना आदेश' (एपीओ) को चुनौती देने वाली याचिका को अनुमति दी है, जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय से किसी भी तरह की तात्कालिकता या मंजूरी के अभाव में यह आदेश पारित किया गया था। एपीओ सरकारी अधिकारियों की एक ऐसी स्थिति है, जिसके दौरान अधिकारियों को एक निश्चित अवधि के लिए कोई ड्यूटी या पोस्टिंग आवंटित नहीं की जाती है और अधिकारी पोस्टिंग दिए जाने की...

मोटर दुर्घटना | दावेदार वाहन बीमाकर्ता के जारीकर्ता कार्यालय पर अधिकार क्षेत्र रखने वाले न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट
मोटर दुर्घटना | दावेदार वाहन बीमाकर्ता के 'जारीकर्ता कार्यालय' पर अधिकार क्षेत्र रखने वाले न्यायाधिकरण से संपर्क कर सकता है: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि मोटर दुर्घटना के लिए मुआवज़ा मांगने वाला दावेदार, उस न्यायाधिकरण के पास जा सकता है, जिसका अधिकार क्षेत्र दुर्घटना के बीमाकर्ता के जारी करने वाले कार्यालय पर है। जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकल पीठ ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166(2) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि मुआवज़े के लिए आवेदन या तो उस दावा न्यायाधिकरण के पास दायर किया जा सकता है, जिसका अधिकार क्षेत्र उस क्षेत्र पर है, जहां दुर्घटना हुई है; या उस दावा न्यायाधिकरण के पास, जिसके अधिकार क्षेत्र...

बोनस अंक देने के बजाय हटाए गए प्रश्नों के अंकों को शेष प्रश्नों में समान रूप से वितरित करना भेदभावपूर्ण नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
बोनस अंक देने के बजाय हटाए गए प्रश्नों के अंकों को शेष प्रश्नों में समान रूप से वितरित करना भेदभावपूर्ण नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि हटाए गए प्रश्नों के अंकों को समानुपातिक रूप से एक ही विषय के शेष प्रश्नों में वितरित करना अभ्यर्थियों के बीच भेदभाव नहीं करता, क्योंकि यह पहले से तय नहीं किया जा सकता कि कौन सा प्रश्न हटाया जाएगा और विवादित प्रश्न सभी अभ्यर्थियों के लिए हटा दिए गए।जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ जूनियर अकाउंटेंट और तहसील रेवेन्यू अकाउंटेंट के पद के अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने परीक्षा में एक विशेष विषय के हटाए गए प्रश्नों के अंकों को समायोजित करने...

वेबसाइट पर चयन मानदंड का उल्लेख है तो पद के लिए विज्ञापन में उल्लेख न करना चयन प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता: राजस्थान हाईकोर्ट
वेबसाइट पर चयन मानदंड का उल्लेख है तो पद के लिए विज्ञापन में उल्लेख न करना चयन प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सार्वजनिक पद के लिए विज्ञापन में चयन मानदंड का उल्लेख न करना, जबकि संबंधित विभाग की वेबसाइट पर इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया, पूरी चयन प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करेगा, क्योंकि मानदंड को चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद जोड़ा नहीं गया।याद रहे कि चयन प्रक्रिया के लिए चयन के नियमों में बदलाव नहीं किया गया, क्योंकि वे आरपीएससी की वेबसाइट पर चयन की तारीख से बहुत पहले से मौजूद हैं। हालांकि, विज्ञापन में इसका उल्लेख न करने से पूरी चयन प्रक्रिया प्रभावित नहीं...

राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की निंदनीय टिप्पणियों को हटाने से किया इनकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की निंदनीय टिप्पणियों को हटाने से किया इनकार

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में सहायक उप निरीक्षक द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें आपराधिक मामले में जांच अधिकारी के रूप में कार्य करते समय ट्रायल कोर्ट द्वारा उसके बारे में की गई कुछ निंदनीय टिप्पणियों को हटाने की मांग की गई थी।जस्टिस समीर जैन की पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश ने किसी भी व्यक्ति/प्राधिकरण के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से पहले न्यायालयों को निर्धारित ट्रिपल टेस्ट को संतुष्ट किया।याचिकाकर्ता का मामला यह था कि उसे आपराधिक अतिचार के अपराध के लिए दायर FIR के संबंध में जांच...

राजस्थान हाईकोर्ट ने पत्नी की दहेज हत्या के मामले में आरोपी पति को बरी करने का फैसला बरकरार रखा
राजस्थान हाईकोर्ट ने पत्नी की दहेज हत्या के मामले में आरोपी पति को बरी करने का फैसला बरकरार रखा

राजस्थान हाईकोर्ट ने दहेज की मांग पूरी न होने के कारण हत्या के कथित मामले में 35 साल पहले पारित बरी करने के आदेश के खिलाफ आपराधिक अपील खारिज की। न्यायालय ने कहा कि आरोप लगाने वाला मृत्यु पूर्व बयान पहले मृत्यु पूर्व बयान के 16 दिन बाद दिया गया। परिणामस्वरूप रिपोर्ट भी घटना के 16 दिन बाद दर्ज की गई।जस्टिस पुष्पेन्द्र सिंह भाटी और जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ सत्र न्यायाधीश द्वारा 1989 में पारित आदेश के खिलाफ दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपियों को मृतका के खिलाफ हत्या और...

अभियुक्त के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अधिकार शामिलः राजस्थान हाईकोर्ट
अभियुक्त के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अधिकार शामिलः राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास और शस्त्र अधिनियम के तहत आरोपी को अपनी बेटी की सगाई समारोह में शामिल होने के लिए विदेश यात्रा करने की अनुमति दी।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने सत्र न्यायाधीश का आदेश खारिज किया, जिसमें अभियुक्त द्वारा इस आशय की याचिका खारिज कर दिया गई और कहा कि अभियुक्त होने के बावजूद याचिकाकर्ता के पास अभी भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है, जिसमें यात्रा करने और महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अधिकार शामिल है।न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता का न्यायिक...

मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत सभी महिला कर्मचारी 180 दिनों के मातृत्व अवकाश की हकदार: राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत सभी महिला कर्मचारी 180 दिनों के मातृत्व अवकाश की हकदार: राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि 2017 के संशोधन के बाद मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 द्वारा अनिवार्य 180 दिनों के बजाय आरएसआरटीसी कर्मचारी सेवा विनियम, 1965 के विनियम 74 के आधार पर राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम ("आरएसआरटीसी") की महिला कर्मचारियों को केवल 90 दिनों का मातृत्व अवकाश देना न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी है। जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने आरएसआरटीसी को 1965 विनियम के विनियम 74 में संशोधन करने और 90...

धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात का अपराध एक साथ नहीं हो सकता: हाईकोर्ट ने वाणिज्यिक मामलों में राजस्थान पुलिस की ओर से की गई नियमित एफआईआर पर अफसोस जताया
धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात का अपराध एक साथ नहीं हो सकता: हाईकोर्ट ने वाणिज्यिक मामलों में राजस्थान पुलिस की ओर से की गई "नियमित" एफआईआर पर अफसोस जताया

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 405 (आपराधिक विश्वासघात) (भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 318 और 316 के अनुरूप) एक दूसरे के विरोधी हैं और इन्हें एक साथ आरोपी व्यक्ति के खिलाफ नहीं लगाया जा सकता।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि धारा 405 के तहत मुख्य तत्व शिकायतकर्ता की ओर से आरोपी को संपत्ति सौंपना है और इस तरह के सौंपे जाने से पहले या उस समय आरोपी की ओर से बेईमानी का कोई तत्व मौजूद नहीं है।हालांकि, धारा 420 के तहत यह दिखाना जरूरी है कि संपत्ति की...

विकलांग व्यक्तियों को योग्य और मेधावी होने के बावजूद अति-तकनीकी आधार पर सार्वजनिक रोजगार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
विकलांग व्यक्तियों को योग्य और मेधावी होने के बावजूद अति-तकनीकी आधार पर सार्वजनिक रोजगार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 और विकलांग व्यक्ति अधिकार अधिनियम, 2016 को लागू करने के पीछे की मंशा सार्वजनिक रोजगार में विकलांग व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना था और यह सुनिश्चित करने के लिए चौतरफा प्रयासों की आवश्यकता थी कि मुख्यधारा के समाज में उनके एकीकरण के लिए कोई अवसर न छोड़ा जाए। ज‌स्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस श्री चंद्रशेखर की खंडपीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करना कल्याणकारी राज्य का...

धोखाधड़ी, शरारत, गलत बयानी के अभाव में सार्वजनिक रोजगार समाप्त नहीं किया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
धोखाधड़ी, शरारत, गलत बयानी के अभाव में सार्वजनिक रोजगार समाप्त नहीं किया जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

जस्टिस विनीत कुमार माथुर राजस्थान हाईकोर्ट ने पुष्टि की कि योग्यता के आधार पर दिए गए व्यक्तियों के सार्वजनिक रोजगार को कर्मचारी की ओर से किसी भी धोखाधड़ी, शरारत, गलत बयानी या दुर्भावना के बिना केवल कट ऑफ अंकों में संशोधन के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता है वह भी काफी विलंबित चरण में।जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए न्यायालय न्यायसंगत न्यायालय भी है और उस शक्ति का प्रयोग करते हुए न्याय के उद्देश्यों को आगे बढ़ाना और अन्याय को जड़ से...

दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड: राजस्थान हाईकोर्ट ने ह्त्या के आरोपी मोहम्मद जावेद को जमानत दी
दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड: राजस्थान हाईकोर्ट ने ह्त्या के आरोपी मोहम्मद जावेद को जमानत दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2022 में हुए दर्जी कन्हैयालाल हत्या मामले में एक आरोपी मोहम्मद जावेद को इस आधार पर जमानत दे दी कि अभियोजन पक्ष यह दिखाने के लिए कोई सबूत पेश करने में सक्षम नहीं था कि अपीलकर्ता ने प्राथमिक आरोपी के साथ साजिश रची थी।जस्टिस प्रवीर भटनागर और जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के विशेष न्यायाधीश के उस आदेश के खिलाफ अपीलकर्ता द्वारा दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। अपीलकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि...

जांच अधिकारी द्वारा अभियोजक की भूमिका निभाना और मुख्य जांच का नेतृत्व करना विभागीय जांच को दूषित करता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया
जांच अधिकारी द्वारा अभियोजक की भूमिका निभाना और मुख्य जांच का नेतृत्व करना विभागीय जांच को दूषित करता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया

राजस्थान हाईकोर्ट ने दोहराया कि विभागीय जांच में यदि जांच अधिकारी स्वयं अभियोजक की भूमिका निभाता है तो पूरी विभागीय जांच दूषित हो जाएगी।जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ सरकार द्वारा याचिकाकर्ता को CRPF में उसकी सेवा से समाप्त करने के आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।याचिकाकर्ता का मामला यह था कि जांच करते समय जांच अधिकारी ने गवाहों से कई सवाल पूछकर और फिर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करके प्रस्तुतकर्ता अधिकारी की भूमिका निभाई, जिसके कारण उसकी सेवा समाप्त हो गई।याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया...

प्रक्रियात्मक और तकनीकी बाधाएं पर्याप्त न्याय में बाधा नहीं डाल सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने आवेदन जमा करने में गलती करने वाले उम्मीदवार को नियुक्ति दी
प्रक्रियात्मक और तकनीकी बाधाएं पर्याप्त न्याय में बाधा नहीं डाल सकती: राजस्थान हाईकोर्ट ने आवेदन जमा करने में गलती करने वाले उम्मीदवार को नियुक्ति दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि नियमों का अनुप्रयोग मानवीय दृष्टिकोण के साथ होना चाहिए और यदि प्रक्रियात्मक उल्लंघन पूर्वाग्रह का कारण नहीं बनता है, तो अदालतों को प्रक्रियात्मक और तकनीकी उल्लंघन पर भरोसा करने के बजाय पर्याप्त न्याय करने की ओर झुकना चाहिए।"जब पर्याप्त और तकनीकी विचार एक-दूसरे के खिलाफ खड़े किए जाते हैं, तो पर्याप्त न्याय के कारण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पर्याप्त न्याय करते समय प्रक्रियात्मक और तकनीकी बाधाओं को अदालत के रास्ते में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जस्टिस...

आदतन अपराधियों के प्रति नरमी बरतने से कानूनी प्रतिबंधों का प्रभाव कम हो जाता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्लैकमेल और जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार की जमानत खारिज की
आदतन अपराधियों के प्रति नरमी बरतने से कानूनी प्रतिबंधों का प्रभाव कम हो जाता है: राजस्थान हाईकोर्ट ने ब्लैकमेल और जबरन वसूली के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार की जमानत खारिज की

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आदतन अपराधी को जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिस पर आरोप है कि उसने पत्रकार के रूप में अपने नाम का दुरुपयोग करके निर्दोष लोगों को बदनाम करने और उनके व्यवसाय में बाधा डालने की धमकी देकर उनसे अवैध रूप से ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठ लिए। ज‌स्टिस राजेंद्र प्रकाश सोनी की पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ित अक्सर एफआईआर दर्ज कराने के लिए आगे नहीं आते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि उनके व्यवसाय पर अवांछित ध्यान आकर्षित हो सकता है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है,...

नाबालिगों से जुड़े बलात्कार के मामलों में समझौते का कोई कानूनी महत्व नहीं, राज्य का कर्तव्य है कि वह आरोपियों पर पूरी सख्ती से मुकदमा चलाए: राजस्थान हाईकोर्ट
नाबालिगों से जुड़े बलात्कार के मामलों में समझौते का कोई कानूनी महत्व नहीं, राज्य का कर्तव्य है कि वह आरोपियों पर पूरी सख्ती से मुकदमा चलाए: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि नाबालिग लड़की से जुड़े बलात्कार के मामले में पीड़ित लड़की और उसके माता-पिता के साथ आरोपी द्वारा किए गए समझौते का कोई कानूनी महत्व नहीं है। इसे प्रभावी नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि ऐसे समझौते अक्सर जबरदस्ती अनुचित प्रभाव या यहां तक ​​कि वित्तीय प्रोत्साहन से जुड़े होते हैं।कोर्ट ने कहा,“ऐसे समझौते अक्सर वास्तविक समझौते के बजाय जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव को दर्शाते हैं। ऐसी लड़की के अभिभावक जो इस तरह के जघन्य अपराध की शिकार है, आरोपी के साथ समझौता करने के लिए क्यों सहमत...

7 साल के बच्चे को मां से अलग करना और दुबई में बसे पिता को सौंपना बच्चे के हित में नहीं, चाहे पिता की वित्तीय स्थिति कुछ भी हो: राजस्थान हाईकोर्ट
7 साल के बच्चे को मां से अलग करना और दुबई में बसे पिता को सौंपना बच्चे के हित में नहीं, चाहे पिता की वित्तीय स्थिति कुछ भी हो: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि पिता की बेहतर वित्तीय स्थिति इस बात की पुष्टि करने में निर्णायक कारक नहीं हो सकती कि यदि नाबालिग की कस्टडी पिता को सौंप दी जाए तो बच्चे का कल्याण सबसे बेहतर होगा। चीफ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और ज‌स्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ एक पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसकी पत्नी ने उसके नाबालिग बच्चे को अवैध और गलत तरीके से हिरासत में रखा है, जो बच्चे को उसके मूल देश दुबई से, जहां बच्चा पैदा हुआ था...