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केंद्रीय सरकार के विभाग में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले राज्य सरकार के कर्मचारी को CCS नियमों के अनुसार पेंशन का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट
केंद्रीय सरकार के विभाग में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले राज्य सरकार के कर्मचारी को CCS नियमों के अनुसार पेंशन का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि केंद्र सरकार के विभाग में प्रतिनियुक्ति के आधार पर राज्य सरकार के कर्मचारी द्वारा की गई सेवा उसे केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 (CCS Pension Rules) के अनुसार पेंशन का अधिकार नहीं देगी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए भारत संघ की अपील स्वीकार की, जिसने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) का आदेश बरकरार रखा, जिसमें निर्देश दिया गया कि प्रतिवादी कर्मचारी की पेंशन की गणना केंद्रीय...

राजस्थान के स्कूलों में शिक्षा के माध्यम के रूप में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
राजस्थान के स्कूलों में शिक्षा के माध्यम के रूप में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

पिछले सप्ताह (10 जनवरी) सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए राजस्थानी भाषा को भाषा के रूप में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा के पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा को शामिल करने के निर्देश भी मांगे।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने राजस्थान राज्य, शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और REET के समन्वयक को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया।राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ...

हरियाणा गोहत्या विरोधी कानून का उद्देश्य गोमांस की खपत पर अंकुश लगाना, मुकदमेबाजी में वृद्धि से पता चलता है कि राज्य इसे ठीक से लागू नहीं कर रहा: हाईकोर्ट
हरियाणा गोहत्या विरोधी कानून का उद्देश्य गोमांस की खपत पर अंकुश लगाना, मुकदमेबाजी में वृद्धि से पता चलता है कि राज्य इसे ठीक से लागू नहीं कर रहा: हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा गोवंश संरक्षण एवं गोसंवर्धन अधिनियम के तहत मुकदमेबाजी में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। कहा कि इस अधिनियम का उद्देश्य शक्तिशाली मांस लॉबी द्वारा गोमांस का उपभोग एवं बिक्री करने से उत्पन्न गोमांस की खपत को कम करना था लेकिन राज्य इसे ठीक से लागू नहीं कर रहा है।न्यायालय ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, जो कथित तौर पर वध के लिए गायों को ले जाने के लिए इस्तेमाल किए गए पिकअप वाहन का मालिक होने के कारण गिरफ्तारी की आशंका जता रहा था।जस्टिस संदीप मौदगिल ने...

साझा घर में एक साथ रहना विवाह की प्रकृति का रिश्ता भी घरेलू संबंध, जो DV Act के अंतर्गत आता है: दिल्ली हाईकोर्ट
साझा घर में एक साथ रहना 'विवाह की प्रकृति' का रिश्ता भी घरेलू संबंध, जो DV Act के अंतर्गत आता है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस अमित महाजन ने कहा, "अन्यथा भी, अधिनियम की धारा 2 (एफ) के अनुसार, "विवाह की प्रकृति" वाले रिश्ते के माध्यम से एक साथ रहने वाले पक्षों का संबंध भी घरेलू संबंध की परिभाषा के अंतर्गत आएगा।"न्यायालय ने पति की अपील को स्वीकार करने वाले सेनश कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया और पत्नी का आवेदन खारिज करने वाले सेशन कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया, जिसमें घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act (DV Act))की धारा 12 के तहत शिकायत की स्थिरता पर सवाल उठाया गया। पत्नी ने शिकायत दर्ज कराई कि...

दिल्ली हाईकोर्ट ने ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया को 2025 के राष्ट्रीय खेलों के लिए नए सिरे से ओपन चयन ट्रायल आयोजित करने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया को 2025 के राष्ट्रीय खेलों के लिए नए सिरे से ओपन चयन ट्रायल आयोजित करने का निर्देश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) को 28 जनवरी से उत्तराखंड में होने वाले आगामी राष्ट्रीय खेलों के लिए पुरुष और महिला दोनों के लिए प्रत्येक भार वर्ग में दो खिलाड़ियों का चयन करने के लिए नए सिरे से ओपन चयन ट्रायल आयोजित करने का निर्देश दिया।जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि ट्रायल के बाद प्रत्येक भार वर्ग में दो खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा, जिन्हें 38वें राष्ट्रीय खेलों, 2025 में भाग लेने के लिए वाइल्ड कार्ड एंट्री दी जाएगी।न्यायालय ने कहा,"वाइल्ड कार्ड प्रवेशकों के साथ प्रतिस्पर्धा...

प्रतिवादी प्रासंगिक दलीलों के बिना अतिरिक्त साक्ष्य के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र पेश नहीं कर सकते: झारखंड हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद में नियम बनाए
प्रतिवादी प्रासंगिक दलीलों के बिना अतिरिक्त साक्ष्य के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र पेश नहीं कर सकते: झारखंड हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद में नियम बनाए

L विवाद में साक्ष्य के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र पेश करने की अनुमति देने वाला जिला न्यायालय का आदेश रद्द करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि मृत्यु के वर्षों बाद जारी किया गया मृत्यु प्रमाण पत्र जो केवल हलफनामे पर आधारित है। अतिरिक्त साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, यदि इसमें साक्ष्य का अभाव है और दलीलों के साथ असंगत है।मामले की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस सुभाष चंद ने कहा,"भले ही यह दस्तावेज जो मूल मुकदमे में पारित निर्णय और डिक्री के बाद आवेदक/प्रतिवादी की व्यक्तिगत जानकारी पर जारी...

गुजारा भत्ता पति-पत्नी की हैसियत के अनुरूप होना चाहिए: कलकत्ता हाईकोर्ट
गुजारा भत्ता पति-पत्नी की हैसियत के अनुरूप होना चाहिए: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि पति-पत्नी को मांगा गया और दिया गया गुजारा भत्ता पति-पत्नी की वास्तविक हैसियत और आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए। केवल इसलिए कि पत्नी के पास अल्प वित्तीय साधन हैं, दी गई राशि को सीमित करने का औचित्य नहीं होगा।जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य और उदय कुमार की खंडपीठ ने कहा:वर्तमान मामले में यदि हम पति द्वारा स्वयं बताई गई मासिक आय के अनुसार चलें तो पत्नी द्वारा दावा की गई राशि ऐसे वेतन के पांचवें हिस्से से भी कम है। प्रश्न यह नहीं है कि पत्नी की वास्तविक दैनिक आवश्यकताएं क्या...

जिन व्यक्तियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया, उन्हें भी मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया जा सकता है: पटना हाईकोर्ट
जिन व्यक्तियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया, उन्हें भी मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया जा सकता है: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने माना कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस ने आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया, उन्हें भी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 319 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया जा सकता है, यदि मुकदमे के दौरान उनके खिलाफ मजबूत और ठोस सबूत सामने आते हैं।जस्टिस जितेंद्र कुमार ने द्रौपदी कुंवर और अन्य द्वारा दायर आपराधिक पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा,"यदि न्यायालय को चल रहे मुकदमे के दौरान प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि उसने अपराध किया है तो न्यायालय को...

Delhi Riots: कोर्ट ने FIR एक साथ जोड़ने और छेड़छाड़ किए गए वीडियो के आधार पर आरोपियों को फंसाने पर पुलिस की खिंचाई की
Delhi Riots: कोर्ट ने FIR एक साथ जोड़ने और 'छेड़छाड़ किए गए वीडियो' के आधार पर आरोपियों को फंसाने पर पुलिस की खिंचाई की

दिल्ली कोर्ट ने हाल ही में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में छह FIR एक साथ जोड़ने पर दिल्ली पुलिस की खिंचाई की, जिसमें कहा गया कि संबंधित आईओ ने 6 शिकायतों की उचित जांच करने के अपने कर्तव्य से "अनदेखा" किया। इसने पुलिस को "छेड़छाड़ किए गए वीडियो" के आधार पर एक आरोपी को फंसाने के लिए भी फटकार लगाई।कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज पुलस्त्य प्रमाचला ने आईओ के आचरण का आकलन करने और उचित कदम उठाने के लिए मामले को पुलिस आयुक्त को भेज दिया।न्यायाधीश ने करावल नगर थाने में दर्ज FIR...

किन शर्तों के तहत हाईकोर्ट की इमारत को UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया?: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ से पूछा
किन शर्तों के तहत हाईकोर्ट की इमारत को UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया?: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ से पूछा

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से पूछा कि पेरिस स्थित ली कोर्बुसिए फाउंडेशन की कानूनी स्थिति क्या है किन शर्तों और नियमों के तहत हाई कोर्ट की मूल इमारत को UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।गौरतलब है कि चंडीगढ़ की योजना प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कोर्बुसिए ने बनाई, जिन्होंने हाईकोर्ट की इमारत भी डिजाइन की थी, जिसे 2016 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को 29 नवंबर, 2024 के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें चंडीगढ़...

NDPS Act | ट्रायल में अनावश्यक देरी के कारण कमर्शियल मात्रा के मामले में जमानत देना धारा 37 के प्रतिबंध से बाधित नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
NDPS Act | ट्रायल में अनावश्यक देरी के कारण कमर्शियल मात्रा के मामले में जमानत देना धारा 37 के प्रतिबंध से बाधित नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रायल में अनावश्यक देरी के आधार पर कमर्शियल मात्रा से संबंधित मामले में जमानत देना NDPS Act 1985 की धारा 37 के प्रतिबंध से बाधित नहीं कहा जा सकता।NDPS Act की धारा 37 के अनुसार न्यायालय सरकारी वकील की सुनवाई के बाद ही कमर्शियल मात्रा के मामले में अभियुक्त को जमानत दे सकता है। यदि अभियोजक जमानत का विरोध करता है, तो अभियुक्त को न्यायालय को यह संतुष्ट करना होगा कि (क) यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि वह ऐसे अपराध का दोषी नहीं है और (ख) जेल से रिहा होने...

NDPS Act |टैक्सी चालक से यात्रियों की जानकारी देने की अपेक्षा नहीं की गई: सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित सामान ले जाने वाला टैक्सी चालक बरी किया
NDPS Act |'टैक्सी चालक से यात्रियों की जानकारी देने की अपेक्षा नहीं की गई': सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित सामान ले जाने वाला टैक्सी चालक बरी किया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक टैक्सी चालक को बरी कर दिया, जिसे नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत फंसाया गया, केवल इसलिए कि वह अपनी टैक्सी में प्रतिबंधित सामान ले जाने वाले यात्रियों की जानकारी देने में विफल रहा था।कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंधित सामान ले जाने वाले यात्रियों की जानकारी देने में टैक्सी चालक की असमर्थता NDPS Act के तहत उसे फंसाने या दोषी ठहराने का औचित्य नहीं दे सकती, क्योंकि ड्राइवरों से ऐसी जानकारी जानने की अपेक्षा करना अनुचित है।न्यायालय ने...

S.498A IPC | पत्नी के लंबित क्रूरता मामले के कारण पति को सरकारी नौकरी लेने से रोकने वाला सर्कुलर अनुच्छेद 14, 21 का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट
S.498A IPC | पत्नी के लंबित क्रूरता मामले के कारण पति को सरकारी नौकरी लेने से रोकने वाला सर्कुलर अनुच्छेद 14, 21 का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने धारा 498ए आईपीसी के तहत लंबित क्रूरता मामले के आधार पर याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी खारिज करने का आदेश रद्द किया, यह फैसला सुनाते हुए कि याचिकाकर्ता "केवल विचाराधीन व्यक्ति" है और मुकदमे के परिणाम के आधार पर उसका भाग्य अभी तय होना बाकी है।इसके अलावा, अदालत ने कहा कि विवाह के टूटने मात्र को इस तरह नहीं माना जा सकता कि पति "एकमात्र दोषी पक्ष" है, क्योंकि उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए हैं, जो अभी साबित होने बाकी हैं।याचिकाकर्ता की उम्मीदवारी खारिज करने...

पक्षपातपूर्ण जांच, निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया: डॉ. एस. मुरलीधर ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष 7/11 मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट के दोषियों के लिए दलील दी
'पक्षपातपूर्ण जांच, निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया': डॉ. एस. मुरलीधर ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष 7/11 मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट के दोषियों के लिए दलील दी

मुंबई 7/11 ट्रेन ब्लास्ट मामले में अपनी सजा को चुनौती देने वाले दो आजीवन दोषियों की ओर से पेश होते हुए उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और अब सीनियर एडवोकेट डॉ. एस. मुरलीधर ने सोमवार (13 जनवरी) को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि मामले की जांच पक्षपातपूर्ण रही है।जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ के समक्ष यह दलील दी गई, जो पिछले पांच महीने से अधिक समय से दोषियों की अपील पर सुनवाई कर रही है।सोमवार को मुरलीधर ने पांच घंटे से अधिक समय तक दलीलें दीं और जांच और मुकदमे में खामियों,...

अधिकारी लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना आचरण प्रदर्शित करे तो सजा अनुपातहीन नहीं होती: दिल्ली हाईकोर्ट
'अधिकारी लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना आचरण प्रदर्शित करे तो सजा अनुपातहीन नहीं होती': दिल्ली हाईकोर्ट

जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को सौंपे गए क्षेत्र की निगरानी करते समय गैरजिम्मेदार होने के लिए दी गई सजा के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। न्यायालय ने माना कि सजा अनुपातहीन नहीं थी, क्योंकि याचिकाकर्ता ने पहले भी इसी तरह की घटना में लापरवाही बरती थी और सुधार के कोई संकेत नहीं दिखाए, जिसके कारण एक और ऐसी घटना हुई, जिसमें अपराधी याचिकाकर्ता की निगरानी और निगरानी में चोरी कर सकते थे।मामले की पृष्ठभूमियाचिकाकर्ता पिलखुआ-डासना के बीच...

आपराधिक मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्य का मूल्यांकन करने के सिद्धांत: सुप्रीम कोर्ट ने समझाया
आपराधिक मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्य का मूल्यांकन करने के सिद्धांत: सुप्रीम कोर्ट ने समझाया

हाल ही में एक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने उन सिद्धांतों को प्रतिपादित किया है जिनका न्यायालयों को परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर मामलों में साक्ष्य की सराहना और मूल्यांकन करते समय पालन करना चाहिए।बलात्कार-हत्या के एक मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सिद्धांतों को इस प्रकार संक्षेप में प्रस्तुत किया:(i) प्रत्येक अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाह की गवाही पर सावधानीपूर्वक चर्चा और विश्लेषण किया जाना चाहिए।...

Know The Law | सासंद/ विधायकों, लोक सेवकों, न्यायाधीशों, पेशेवरों आदि को सार्वजनिक भूमि के अधिमान्य आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों नाराज़गी जताई
Know The Law | सासंद/ विधायकों, लोक सेवकों, न्यायाधीशों, पेशेवरों आदि को सार्वजनिक भूमि के अधिमान्य आवंटन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों नाराज़गी जताई

आंध्र प्रदेश राज्य बनाम डॉ राव वीबीजे चेलिकानी के अपने हालिया फैसले में, सांसदों, विधायकों, लोक सेवकों, न्यायाधीशों, रक्षा कर्मियों, पत्रकारों आदि की आवासीय समितियों को भूमि के अधिमान्य आवंटन को रद्द करते हुए, अनुच्छेद 14 के तहत कानूनी चुनौतियों में मनमानी का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण मापदंडों का विश्लेषण किया।यहां सीजेआई संजीव खन्ना के विश्लेषण का विश्लेषण है (1) उचित वर्गीकरण के दोहरे परीक्षण पर अत्यधिक निर्भरता में दोष; (2) चुनौती दिए गए कानून या नीति के विधायी इरादे की जांच करने का तत्व...