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NCR राज्यों में क्षेत्राधिकार की कमियों का फायदा उठा रहे हैं हार्डकोर अपराधी: सुप्रीम कोर्ट ने उठाया मुद्दा
NCR राज्यों में क्षेत्राधिकार की कमियों का फायदा उठा रहे हैं हार्डकोर अपराधी: सुप्रीम कोर्ट ने उठाया मुद्दा

दिल्ली-NCR में क्षेत्राधिकार की कमियों पर गंभीर चिंता जताते हुए, जो संगठित अपराधियों को आपराधिक न्याय प्रणाली का फायदा उठाने की अनुमति देती हैं, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक प्रभावी कानूनी तंत्र की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया ताकि अंतर-राज्य जटिलताओं को दूर किया जा सके, जो केंद्रीय दंड कानूनों के तहत गंभीर अपराधों में अक्सर मुकदमों में बाधा डालती हैं।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ केंद्रीय दंड कानूनों के तहत मुकदमों के लिए विशेष अदालतों के गठन से...

CrPC की धारा 311 की शक्ति का इस्तेमाल कम ही किया जाना चाहिए, सिर्फ़ तभी जब सच जानने के लिए सबूत बहुत ज़रूरी हों: सुप्रीम कोर्ट
CrPC की धारा 311 की शक्ति का इस्तेमाल कम ही किया जाना चाहिए, सिर्फ़ तभी जब सच जानने के लिए सबूत बहुत ज़रूरी हों: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें प्रॉसिक्यूशन को CrPC की धारा 311 के तहत 11 साल की लड़की को दोबारा बुलाने की इजाज़त दी गई। कोर्ट ने कहा कि इस प्रावधान का इस्तेमाल कम ही किया जाना चाहिए और सिर्फ़ तभी जब सच का पता लगाने के लिए सबूत बहुत ज़रूरी हों।यह देखते हुए कि यह एप्लीकेशन 21 गवाहों की जांच के बाद और ट्रायल के आखिरी स्टेज में बिना किसी देरी की वजह बताए दायर की गई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने पाया कि प्रॉसिक्यूशन यह साबित करने में नाकाम रहा कि...

यूपी पुलिस ने धर्मांतरण मामले में FIR और चार्जशीट में यूपी कानून की जगह गलती से छत्तीसगढ़ कानून लगाया: हाईकोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए
यूपी पुलिस ने धर्मांतरण मामले में FIR और चार्जशीट में यूपी कानून की जगह गलती से छत्तीसगढ़ कानून लगाया: हाईकोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ बेंच) ने हाल ही में यूपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए, जिन्होंने गलती से यूपी गैर-कानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 की जगह छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के तहत FIR दर्ज की और उसके बाद चार्जशीट दाखिल की।जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने न सिर्फ सीतापुर के पुलिस अधीक्षक (SP) को चार्जशीट वापस कर दी, बल्कि संबंधित कोर्ट द्वारा पारित संज्ञान आदेश को भी रद्द कर दिया।संक्षेप में मामला2022 में सीतापुर के धर्मांतरण मामले में नैमिश गुप्ता की शिकायत पर...

प्रिंसिपल एम्प्लॉयर और कॉन्ट्रैक्टर के ज़रिए रखे गए मज़दूर के बीच कोई मालिक-कर्मचारी संबंध नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
प्रिंसिपल एम्प्लॉयर और कॉन्ट्रैक्टर के ज़रिए रखे गए मज़दूर के बीच कोई मालिक-कर्मचारी संबंध नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

जस्टिस रेनू भटनागर की बेंच वाली दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि कॉन्ट्रैक्टर के ज़रिए रखा गया मज़दूर प्रिंसिपल एम्प्लॉयर का कर्मचारी नहीं होता, अगर दावा करने वाला व्यक्ति विश्वसनीय सबूतों के साथ सीधा मालिक-कर्मचारी संबंध साबित करने में नाकाम रहता है।मामले के तथ्यमज़दूर 2001 से इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) में ड्राइववे सेल्स मैन (DSM) के तौर पर काम कर रहा था। उसे 2005 में नौकरी से निकाल दिया गया। उसने दावा किया कि उसकी सेवाएं इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट का पालन किए बिना गैर-कानूनी तरीके से...

पत्नी YouTube से करती है कमाई, उसे भरण-पोषण की ज़रूरत नहीं: हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द किया
पत्नी YouTube से करती है कमाई, उसे भरण-पोषण की ज़रूरत नहीं: हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द किया, जिसमें पत्नी का मेंटेनेंस का आवेदन सिर्फ़ इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि वह एक यूट्यूबर है और 'रील्स' से कमाती है।जस्टिस हरवीर सिंह की बेंच ने पाया कि फैमिली कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि पत्नी बिना किसी असल आकलन के अपना खर्च खुद उठा सकती है।कोर्ट ने आगे कहा कि जब तक पार्टियों की आय को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) या पे स्लिप जैसे दस्तावेज़ी सबूतों से तय नहीं किया जाता, तब तक भरण-पोषण की याचिका पर फैसला नहीं किया जा सकता।आगे कहा गया,"जब...

पति की मौत के बाद ससुराल वालों की मर्ज़ी पर दुल्हन के नाबालिग होने के कारण हिंदू शादी को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
पति की मौत के बाद ससुराल वालों की मर्ज़ी पर दुल्हन के नाबालिग होने के कारण हिंदू शादी को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act) के तहत एक हिंदू शादी को ससुराल वालों की मर्ज़ी पर शादी के समय दुल्हन के नाबालिग होने का दावा करके बाद में अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता।हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 का उप-खंड (iii) यह शर्त रखता है कि हिंदू शादी के लिए दूल्हे की उम्र 21 साल और दुल्हन की उम्र 18 साल होनी चाहिए। अधिनियम की धारा 11 अमान्य शादियों के बारे में बताती है, जहां धारा 5 के उप-खंड (i), (ii) और (iv) का उल्लंघन शादी को अमान्य घोषित...

फेन्सेडिल कफ सिरप की अवैध बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किए गए विभोर राणा को मिली अंतरिम जमानत
फेन्सेडिल कफ सिरप की अवैध बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किए गए विभोर राणा को मिली अंतरिम जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (18 दिसंबर) को फेन्सेडिल कफ सिरप की कथित अवैध बिक्री के आरोप में बुक किए गए विभोर राणा को इस आधार पर अंतरिम जमानत दी कि FIR में उसका नाम नहीं था, उसका नाम केवल सह-आरोपियों के कबूलनामे में सामने आया और तलाशी के दौरान उससे कोई बरामदगी नहीं हुई।आवेदक कथित तौर पर अपने कर्मचारियों की बैंक ID और पासवर्ड का इस्तेमाल करके फेन्सेडिल कफ सिरप की अवैध बिक्री में शामिल है। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आवेदक अन्य आरोपियों के साथ भारत के विभिन्न हिस्सों और यहां तक ​​कि...

नॉन-कम्पीट फीस को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 37(1) के तहत रेवेन्यू खर्च के तौर पर घटाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
नॉन-कम्पीट फीस को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 37(1) के तहत रेवेन्यू खर्च के तौर पर घटाया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नॉन-कम्पीट फीस का पेमेंट करने से किसी कैपिटल एसेट का अधिग्रहण नहीं होता या बिजनेस के प्रॉफिट कमाने के स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं होता। इसे इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (Income Tax Act) की धारा 37(1) के तहत रेवेन्यू खर्च के तौर पर अनुमति दी जा सकती है।कोर्ट ने कहा,“इस तरह नॉन-कम्पीट फीस सिर्फ बिजनेस की प्रॉफिटेबिलिटी को बचाने या बढ़ाने की कोशिश करती है, जिससे बिजनेस को ज़्यादा कुशलता से और प्रॉफिट के साथ चलाने में मदद मिलती है। ऐसे पेमेंट से न तो कोई नई एसेट बनती है और न ही...

क्या आरोपी सेशंस कोर्ट जाए बिना नए सबूतों के आधार पर सीधे हाईकोर्ट में लगातार जमानत याचिका दायर कर सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया जवाब
क्या आरोपी सेशंस कोर्ट जाए बिना नए सबूतों के आधार पर सीधे हाईकोर्ट में लगातार जमानत याचिका दायर कर सकता है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि दूसरी जमानत याचिका, या लगातार जमानत याचिकाएं, हाईकोर्ट द्वारा ट्रायल के दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों के आधार पर सुनी जा सकती हैं, भले ही ये सबूत सेशंस कोर्ट या हाईकोर्ट के पास तब उपलब्ध न हों जब पिछली जमानत याचिका खारिज की गई थी।हालांकि, जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने साफ किया कि सही मामलों में हाईकोर्ट आवेदक-आरोपी को नए सबूतों के आधार पर सेशंस कोर्ट के सामने लगातार जमानत याचिकाएं दायर करने का निर्देश दे सकता है।संक्षेप में मामलाकोर्ट ने साफ किया कि...

पटना हाईकोर्ट ने CBI बनाम मीर उस्मान मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद स्पीडी ट्रायल के लिए गाइडलाइंस जारी की
पटना हाईकोर्ट ने CBI बनाम मीर उस्मान मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद स्पीडी ट्रायल के लिए गाइडलाइंस जारी की

12 दिसंबर 2025 को जारी सर्कुलर में पटना हाईकोर्ट ने सभी ट्रायल कोर्ट को प्रशासनिक निर्देश जारी किए, जिनका मकसद सुनवाई को तेज़ी से पूरा करना है।यह सर्कुलर CBI बनाम मीर उस्मान मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन में जारी किया गया। इसमें साफ तौर पर SLP (Crl.) नंबर 969/2025 (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन बनाम मीर उस्मान @ आरा @ मीर उस्मान अली) में 22 सितंबर 2025 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 37 का ज़िक्र है, जिसमें कोर्ट ने हाईकोर्ट को ट्रायल कोर्ट्स के लिए उचित प्रशासनिक गाइडलाइंस...

[Bihar Excise Act] अगर सह-यात्री के पास शराब मिलती है तो मोटरसाइकिल मालिक के खिलाफ कोई अनुमान नहीं: पटना हाईकोर्ट
[Bihar Excise Act] अगर सह-यात्री के पास शराब मिलती है तो मोटरसाइकिल मालिक के खिलाफ कोई अनुमान नहीं: पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जहां अवैध शराब सह-आरोपी व्यक्ति से बरामद की जाती है, न कि वाहन के किसी हिस्से से, तो यह नहीं कहा जा सकता कि मोटरसाइकिल का इस्तेमाल बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम (Bihar Excise Act) के तहत अपराध करने में किया गया। नतीजतन, अधिनियम की धारा 32 के तहत वाहन के मालिक के खिलाफ कानूनी अनुमान तब तक नहीं लगाया जा सकता, जब तक अभियोजन पक्ष यह साबित न कर दे कि वाहन का इस्तेमाल कथित अपराध करने में किया गया।पटना हाईकोर्ट की जस्टिस जितेंद्र कुमार की सिंगल जज बेंच...

कोर्ट की छुट्टियों के दौरान ज़रूरी मामलों पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगी स्पेशल वेकेशन बेंच
कोर्ट की छुट्टियों के दौरान ज़रूरी मामलों पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगी स्पेशल वेकेशन बेंच

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने चल रही कोर्ट की छुट्टियों के दौरान ज़रूरी मामलों की सुनवाई के लिए एक स्पेशल वेकेशन बेंच बनाई।इस बेंच में सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची शामिल होंगे। यह बेंच सोमवार, 22 दिसंबर, 2025 को उन मामलों पर सुनवाई करेगी, जिन पर तुरंत न्यायिक विचार की ज़रूरत है।यह स्पेशल सुनवाई इसलिए तय की गई ताकि छुट्टियों के दौरान ज़रूरी मामलों को टाला न जाए और उन्हें समय पर न्यायिक ध्यान मिले।सुप्रीम कोर्ट 19 दिसंबर से 5 जनवरी तक सर्दियों की छुट्टियों पर है। शुक्रवार को जब कई...

नेटफ्लिक्स-वार्नर ब्रदर्स मर्जर भारत के OTT मार्केट को कैसे बदल सकता है?
नेटफ्लिक्स-वार्नर ब्रदर्स मर्जर भारत के OTT मार्केट को कैसे बदल सकता है?

जब एक एकल मंच सामग्री के निर्माण और वितरण दोनों पर प्रभाव डालना शुरू कर देता है, तो कानून के प्रश्न अनिवार्य रूप से अनुसरण करते हैं। "इसलिए नेटफ्लिक्स के वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी के प्रस्तावित अधिग्रहण ने न केवल व्यावसायिक प्रभावों के कारण ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि यह निर्धारित करने में एक निर्णायक क्षण का प्रतिनिधित्व करता है कि प्रतिस्पर्धा कानून डिजिटल और रचनात्मक उद्योगों में इस तरह के अधिग्रहणों के साथ कैसे व्यवहार करेगा।" एक ही छतरी के नीचे व्यापक सामग्री पुस्तकालयों, उत्पादन क्षमता और...

बकाया बिक्री राशि जमा करने में मामूली देरी से विशिष्ट निष्पादन की डिक्री निष्प्रभावी नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट
बकाया बिक्री राशि जमा करने में मामूली देरी से विशिष्ट निष्पादन की डिक्री निष्प्रभावी नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि खरीदार समझौते को पूरा करने के लिए तैयार और इच्छुक बना रहता है तो बिक्री मूल्य की शेष राशि जमा करने में तय समय-सीमा से कुछ देरी मात्र से विशिष्ट निष्पादन (स्पेसिफिक परफॉर्मेंस) की डिक्री को निष्पादित न किए जाने योग्य नहीं ठहराया जा सकता।जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने यह निर्णय देते हुए कहा कि असली कसौटी यह है कि क्या वादी का आचरण अनुबंध को पूरा करने से इनकार या उसे छोड़ने का संकेत देता है। अदालत ने अपने हालिया फैसले रामलाल बनाम जरनैल सिंह...

2007 अजमेर ब्लास्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने देरी के बावजूद पीड़ित की अपील पर मेरिट के आधार पर फैसला करने को कहा
2007 अजमेर ब्लास्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने देरी के बावजूद पीड़ित की अपील पर मेरिट के आधार पर फैसला करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के अजमेर शरीफ दरगाह ब्लास्ट मामले में अहम आदेश देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट से कहा कि वह पीड़ित द्वारा दायर अपीलों पर देरी को नजरअंदाज करते हुए मामले के गुण-दोष (मेरिट) के आधार पर फैसला करे। यह निर्देश उन अपीलों से संबंधित है, जिनमें कुछ आरोपियों को बरी किए जाने को चुनौती दी गई।जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम और मामले के शिकायतकर्ता सैयद सरवर चिश्ती की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। सुप्रीम कोर्ट ने...

पति का माता-पिता को पैसे भेजना या खर्च का हिसाब मांगना क्रूरता नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने 498A का मामला किया रद्द
पति का माता-पिता को पैसे भेजना या खर्च का हिसाब मांगना 'क्रूरता' नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने 498A का मामला किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवादों में आपराधिक कानून के दुरुपयोग पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए पति के खिलाफ दर्ज क्रूरता और दहेज उत्पीड़न का मामला रद्द किया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पति द्वारा अपने माता-पिता और भाई को पैसे भेजना या पत्नी से घरेलू खर्चों का लेखा-जोखा रखने के लिए कहना अपने आप में न तो क्रूरता है और न ही इसे दहेज की मांग के रूप में देखा जा सकता है।जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने पति की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि ऐसे आरोपों के आधार पर आपराधिक...