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हिन्दू विधि भाग- 3 : जानिए हिन्दू मैरिज एक्ट के अंतर्गत हिन्दू विवाह की शर्तें
हिंदू शास्त्रीय विवाह के अधीन विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार को पूरा करने के लिए प्राचीन विधि में भी शर्ते अधिरोपित की गई थी। वर्तमान हिंदू विवाह अधिनियम 1955 ( The Hindu Marriage Act, 1955) आधुनिक हिंदू विधि है, जिसे प्राचीन शास्त्रीय विधि तथा आधुनिक परिक्षेप को ध्यान में रखते हुए भारत की संसद द्वारा बनाया गया है।इस अधिनियम के अंतर्गत हिंदू विवाह किए जाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तों का समावेश किया गया है। हिंदू विवाह के अधीन इन शर्तों की पूर्ति की जाना अति आवश्यक है। अधिनियम की...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (18 सितंबर 2023 से 22 सितंबर 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।'प्रत्येक मध्यस्थ को कानूनी रूप से प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है, कुछ निर्णय समानता पर आधारित होते हैं': सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ अवॉर्डों में न्यायिक हस्तक्षेप के दायरे के बारे में बताया सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 28(3) का उल्लंघन करने के लिए एक मध्यस्थ...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (11 सितंबर 2023 से 15 सितंबर 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।[हिंदू विवाह अधिनियम] अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे संयुक्त परिवार की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकते: तेलंगाना हाईकोर्ट संपादक का नोट: एक सितंबर को रेवनसिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्ति में अपने माता-पिता के हिस्से में अमान्य विवाह से...
पीसी एक्ट - एक बार जब यह साबित हो जाए कि लोक सेवक को कानूनी रूप से मिले मेहनताना से अलग कोई लाभ मिला है तो अदालत आरोपी के खिलाफ अनुमान लगा सकती है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार यह साबित हो जाए कि किसी लोक सेवक आरोपी ने निर्धारित कानूनी पारिश्रमिक ( Legal Remuneration) के अलावा कोई भी संतुष्टि (Gratification) स्वीकार की है तो अदालत भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 की धारा 20 (धारणा जहां लोक सेवक कोई अनुचित लाभ स्वीकार करता है) के तहत आरोपी के खिलाफ वैधानिक अनुमान लगा सकती है कि अधिनियम की धारा 7 के तहत उन्होंने सार्वजनिक कर्तव्य को अनुचित या बेईमानी से करने के लिए मकसद या इनाम के रूप में संतुष्टि को स्वीकार किया। हालांकि, ऐसी धारणा का खंडन...
[हिंदू विवाह अधिनियम] अवैध विवाह से पैदा हुए बच्चे संयुक्त परिवार की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा नहीं कर सकते: तेलंगाना हाईकोर्ट
संपादक का नोट: एक सितंबर को रेवनसिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्ति में अपने माता-पिता के हिस्से में अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के अधिकारों को मान्यता दी। यह माना गया कि अमान्य/शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने मृत माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं, जो उन्हें हिंदू सहदायिक संपत्ति के एक काल्पनिक विभाजन पर आवंटित किया गया होगा। हालांकि, ऐसे बच्चे अपने माता-पिता के अलावा किसी अन्य सहदायिक की संपत्ति के हकदार नहीं...
'प्रत्येक मध्यस्थ को कानूनी रूप से प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है, कुछ निर्णय समानता पर आधारित होते हैं': सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ अवॉर्डों में न्यायिक हस्तक्षेप के दायरे के बारे में बताया
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 28(3) का उल्लंघन करने के लिए एक मध्यस्थ अवॉर्ड को रद्द करते समय, यह माना जाना चाहिए कि मध्यस्थ को अनुबंध की शर्तों की उचित व्याख्या करने का अधिकार है। मध्यस्थ की व्याख्या अवॉर्ड को रद्द करने का आधार नहीं हो सकती, क्योंकि अनुबंध की शर्तों का निर्माण अंततः मध्यस्थ को तय करना है। धारा 28(3) के तहत, अवॉर्ड को केवल तभी रद्द किया जा सकता है यदि मध्यस्थ इसकी व्याख्या उस तरीके से करता है जैसा कोई निष्पक्ष सोच वाला उचित व्यक्ति नहीं...
वकील की अवैध फीस कोई कानूनी दावा नहीं: मद्रास हाइकोर्ट ने वकील को भुगतान किए गए चेक के अनादरण के लिए ग्राहक के खिलाफ कार्यवाही रद्द की
मद्रास हाईकोर्ट हाल ही में एक ग्राहक की सहायता की, जिस पर एक वकील द्वारा चेक के अनादरण की शिकायत के आधार पर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। कोर्ट ने कहा कि शुल्क, जो लीगल प्रैक्टिशनर्स रूल्स के अनुसार अवैध है, यह कोई कानूनी दावा नहीं होगा और इसका भुगतान करने के लिए ग्राहक पर कोई कानूनी दायित्व नहीं डाला जा सकता है। मदुरै पीठ के जस्टिस जी इलंगोवन ने यह देखते हुए मदुरै में फास्ट ट्रैक कोर्ट के समक्ष कार्यवाही को रद्द कर दिया कि ग्राहक के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखना...
सुप्रीम कोर्ट ने मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने वाले जज बनने के इच्छुक उम्मीदवारों को राहत दी कहा, मूल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य शर्त नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को बिहार के तीन न्यायिक सेवा उम्मीदवारों को राहत दी, जिनकी उम्मीदवारी साक्षात्कार के समय मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने के कारण बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने खारिज कर दी थी। न्यायालय ने यह मानते हुए कि मूल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य शर्त नहीं है, निर्देश दिया कि उक्त उम्मीदवारों को सेवा में समायोजित किया जाए। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने आरव जैन बनाम बिहार लोक सेवा आयोग 2022 लाइवलॉ (एससी) 521 में दिए गए फैसले पर...
सीआरपीसी की धारा 313| यदि कोई पूर्वाग्रह नहीं है तो अभियुक्तों पर दोषारोपण की परिस्थितियां डालने में विफलता से मुकदमा निष्प्रभावी नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर फैसला सुनाया कि अगर आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 313 (आरोपी से पूछताछ करने की शक्ति) के तहत बयान दर्ज करते समय आरोपी व्यक्तियों पर आपत्तिजनक स्थिति नहीं डाली जाती है तो भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) की सहायता से उनकी दोषसिद्धी निष्प्रभावी हो जाती है।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा,“… अन्य बातों के साथ-साथ जो कानूनी स्थिति उभर कर सामने आती है, वह...
सेवा से बर्खास्तगी से पहले कदाचार की गंभीरता, पिछला आचरण और पिछला दंड आवश्यक कारक: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि सेवा से बर्खास्तगी की बड़ी सजा देते समय अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा पिछले रिकॉर्ड के साथ-साथ आसपास के कारकों पर भी विचार किया जाना चाहिए।कोर्ट ने कहा,"कदाचार की गंभीरता पिछला आचरण, कर्तव्यों की प्रकृति, संगठन में स्थिति, पिछला जुर्माना, यदि कोई हो और लागू किए जाने वाले अनुशासन की आवश्यकता, प्रतिवादी को सजा देने से पहले अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा विचार करने के लिए प्रासंगिक है।"करीब 10 महीने तक बिना छुट्टी के अनुपस्थित रहने के कारण कर्मचारी को सेवा से बर्खास्त...
उन्नाव बलात्कार मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के दोषी यूपी के पूर्व पुलिस अधिकारियों को जमानत दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों को जमानत दे दी, जिन्हें उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में दोषी ठहराया गया था।अशोक सिंह भदौरिया और कामता प्रसाद सिंह (अपीलकर्ता) को 04.03.2020 को ट्रायल कोर्ट द्वारा सह-अभियुक्त कुलदीप सिंह सेंगर और 3 अन्य के साथ आपराधिक साजिश और गैर- इरादतन हत्या सहित कई अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया और 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई थी।दोषसिद्धि और सजा आदेश के खिलाफ उनकी अपील अदालत के समक्ष लंबित है।जस्टिस...
चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश स्किल डेवेलपमेंट घोटाला मामले में एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने स्किल डेवेलपमेंट घोटाला मामले में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा शुक्रवार को दिए गए फैसले को चुनौती दी।आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। याचिका खारिज होने के बाद, विजयवाड़ा की एक अदालत ने आंध्र प्रदेश अपराध जांच विभाग (सीआईडी)...
पटाखों में बेरियम नाइट्रेट को केवल इस आधार पर अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि नया फॉर्मूलेशन 30% कम प्रदूषणकारी है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22.09.2023) को पटाखों में बेरियम नाइट्रेट की कम मात्रा शामिल करने के लिए पटाखा निर्माताओं के एक संगठन (TANFAMA) द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया । 2019 में शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि पटाखों में बेरियम साल्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस बैन को दोहराया था। TANFAMA ने सीएसआईआर-एनईईआरआई (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) द्वारा सुझाए गए और पीईएसओ (पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन) और एमओईएफ (पर्यावरण, वन और...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'एशियन रिसर्फेसिंग' में सुप्रीम कोर्ट के स्वत: स्थगन अवकाश निर्देश को जांच, पूछताछ सहित सभी चरणों में लागू किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एशियन रिसर्फेसिंग ऑफ रोड एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्वत: रोक का आदेश कार्यवाही के "चरण" के बावजूद सभी नागरिक और आपराधिक मामलों पर लागू होता है।जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की पीठ ने कहा,"मेरी राय में, हालांकि निर्णय के पैरा-36 में "लंबित परीक्षण" शब्द का उपयोग किया गया है, लेकिन शीर्ष अदालत का इरादा कार्यवाही के "चरण" के बावजूद सभी नागरिक और आपराधिक मामलों में इस तरह के निर्देश को लागू करना था। अदालत का इरादा था कि...
हिन्दू विधि भाग 2 : जानिए हिंदू विवाह अधिनियम का विस्तार, यह अधिनियम कहां तक लागू होता है
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (The Hindu Marriage Act, 1955) के प्रारंभ होते ही सबसे पहले प्रश्न यह आते हैं कि इस अधिनियम का विस्तार कहां तक होगा अर्थात यह अधिनियम कहां तक लागू होगा और कौन से लोगों पर यह लागू होगा और इस अधिनियम के अंतर्गत दी गई विशेष परिभाषाओं का क्या अर्थ है?इस लेख के माध्यम से हिंदू विवाह अधिनियम का विस्तार उसकी परिभाषाएं तथा अधिनियम किन लोगों पर लागू होगा इस संबंध में सारगर्भित चर्चा की जा रही है।हिंदू विवाह अधिनियम का विस्तारहिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 1 इस अधिनियम के नाम और...
पुलिस के लिए जांच संहिता बनाने का समय आ गया है, ताकि दोषी तकनीकी खामियों का सहारा लेकर बाहर आज़ाद न घूम सकें : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पुलिस जांच में गंभीर खामियों के कारण हत्या और अपहरण के मामले में तीन आरोपियों को बरी करने पर नाराजगी व्यक्त की। दो आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया।कोर्ट ने टिप्पणी की कि "पुलिस ने जिस तरह से अपनी जांच की, उसने आरोपियों के खिलाफ आगे बढ़ने और सबूत इकट्ठा करने में आवश्यक मानदंडों के प्रति पूरी उदासीनता बरती; महत्वपूर्ण सुरागों को अनियंत्रित छोड़ दिया और अन्य सुरागों पर पर्दा डाल दिया, जो कहानी के अनुरूप नहीं थे।" कल्पना की थी; और अंततः...
कानूनी भाषा को सरल बनाया जाना चाहिए; आम आदमी को महसूस होना चाहिए कि कानून उसका अपना है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 के उद्घाटन पर भाषण दिया। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन समारोह ज्ञान साझा करने के उद्देश्य से दस तकनीकी सत्र और समापन सत्र शामिल है। सम्मेलन का विषय 'न्याय वितरण प्रणाली में उभरती चुनौतियां' हैं।अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कानूनी भाषा को सरल बनाने और आम आदमी के लिए न्याय तक पहुंच बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। कानून में भाषा और सरलता के अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले पहलू पर प्रकाश डालते हुए...
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा, घोषित अपराधियों पर आईपीसी की धारा 174ए को सीआरपीसी की धारा 195 के तहत शामिल किया गया है, अपनी राय के पक्ष में "भारतीय न्याय संहिता" का हवाला दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि भले ही धारा 195 सीआरपीसी को अपने दायरे में धारा 174 ए आईपीसी को शामिल करने के लिए संशोधित नहीं किया गया था, जिसे 2005 में निर्दिष्ट स्थान और समय पर घोषित अपराधियों की गैर-उपस्थिति को अपराध बनाने के लिए पेश किया गया था, प्रावधान को धारा 174ए सहित पढ़ा जाना चाहिए।इसका तात्पर्य यह है कि कोई भी अदालत सीआरपीसी की धारा 195 के तहत लोक सेवक (न्यायाधीश सहित) की लिखित शिकायत को छोड़कर, धारा 174ए आईपीसी के तहत दंडनीय किसी भी अपराध का संज्ञान नहीं लेगी।न्यायालय ने...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपसी तलाक के लिए कूलिंग ऑफ पीयरेड माफ किया कहा, अदालतों को रूढ़िवादी दृष्टिकोण से हटना चाहिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगभग आठ साल तक अलग रहने के बाद कूलिंग ऑफ पीयरेड को माफ करने के बजाय पक्षकारों को मध्यस्थता करने का निर्देश देने वाले फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि बदलते समय के साथ न्यायालय को वास्तविकताओं के प्रति सचेत रहना चाहिए और वैवाहिक विवादों में अप्रचलित और रूढ़िवादी दृष्टिकोण से हटना चाहिए। जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा,“वर्तमान समय में उत्पन्न होने वाले वैवाहिक विवादों के संदर्भ में अदालतों को जीवन की वास्तविकताओं के...
दिल्ली हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में व्यापक षड्यंत्रों के मामले यूएपीए के तहत आरोपित व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुहैल अहमद ठोकर नामक कश्मीरी नागरिक को जमानत देने से इनकार कर दिया। अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर में आतंक गतिविधियों में शामिल होने के मामले में सुहैल को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आरोपित किया गया था। इसके खिलाफ उसने ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की, जहां हाईकोर्ट ने भी जमानत याचिका पर ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार...