जानिए हमारा कानून

दूसरी पत्नी और उसके बच्चों को क्या कानूनी अधिकार होते हैं जानिए प्रावधान
दूसरी पत्नी और उसके बच्चों को क्या कानूनी अधिकार होते हैं जानिए प्रावधान

भारतीय कानून में दूसरे विवाह को प्रतिबंधित करने का प्रयास किया गया है। इस उद्देश्य से ही भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में पहली पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह करना दंडनीय अपराध बनाया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि कानून ने एक पत्नी सिद्धांत को अपनाया है, इसके बाद भारत में कुछ प्रथाओं के अंतर्गत दूसरी शादी को मान्यता दी गई है।कानून की मनाही के बाद भी दूसरी शादी के अनेक प्रकरण सामने आते हैं। अब यहां पर एक विवादास्पद स्थिति उत्पन्न हो जाती है की दूसरी शादी जिस महिला से की गई है उस महिला के अधिकार...

कोई पुलिस केस किसी सरकारी नौकरी के मामले में क्या प्रभाव डालता है? जानिए प्रावधान
कोई पुलिस केस किसी सरकारी नौकरी के मामले में क्या प्रभाव डालता है? जानिए प्रावधान

एक सरकारी सेवक पुलिस केस के नाम से अत्यधिक भयभीत रहता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी पुलिस केस होने पर किसी सरकारी सेवक को उसकी सेवा से हटा दिया जाता है या फिर सरकारी सेवा की तैयारी करने वाले व्यक्ति को पुलिस वेरिफिकेशन में किसी भी प्रकार का कोई पुलिस केस मिलने पर सरकारी नौकरी नहीं दी जाती है।भारत में इससे संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष निरंतर आते रहे हैं। अलग-अलग मामलों में बहुत सारी रूलिंग उच्चतम न्यायालय ने दी है, उन सभी बातों से निकलकर कुछ बातें ऐसी व्यवहार में सामने आती है,...

जानिए कब बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता? क्या हैं प्रावधान
जानिए कब बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता? क्या हैं प्रावधान

बेटियों का संपत्ति में हिस्से को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। यह भ्रामक मुद्दा भी रहा है कि किसी बेटी को संपत्ति में कितना अधिकार मिलता है। कहीं लोग कहते हैं बेटी को बेटे से कम अधिकार है, कहीं कहा जाता है बेटी को कुछ अधिकार नहीं है और कहीं कहा जाता है बेटी को समानता के अधिकार है। समाज में अलग-अलग तरह की भ्रांतियां है जो बेटियों के पिता की संपत्ति में हिस्से को लेकर चलती रहती है। इसकी प्रमुख वजह कानून की जानकारी नहीं होना है।वर्तमान भारत में बेटियों को संपत्ति में कितना अधिकार है और कब बेटियों को...

कोई नाम बदला जा सकता है? क्या है नाम बदलने से संबंधित प्रक्रिया जानिए कानून
कोई नाम बदला जा सकता है? क्या है नाम बदलने से संबंधित प्रक्रिया जानिए कानून

नाम बदलने की बहुत सारी वजह हो सकती है। कभी-कभी लोग अपने नाम के सरनेम हटाना चाहते हैं या फिर सरनेम बदलना चाहते हैं या फिर किसी अन्य कारण से पूरे नाम को ही बदला जाता है। कभी-कभी दस्तावेजों में गलत नाम अंकित हो जाने पर भी नाम को बदलना पड़ता है। एक प्रक्रिया ऐसी होती है जिसमें पूरे नाम को बदलने के लिए ही कानून बताया गया है। किसी भी आदमी के अनेक दस्तावेज होते हैं जैसे उसकी पहचान से संबंधित दस्तावेज, उसकी जमीन से संबंधित दस्तावेज, उसकी शिक्षा से संबंधित दस्तावेज, उसके व्यवहार से संबंधित दस्तावेज और भी...

मजिस्ट्रेट द्वारा लिए जाने वाले बॉण्ड क्या होते हैं और क्या है उनसे संबंधित मुकदमें जानिए प्रावधान
मजिस्ट्रेट द्वारा लिए जाने वाले बॉण्ड क्या होते हैं और क्या है उनसे संबंधित मुकदमें जानिए प्रावधान

दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के चैप्टर 8 में ऐसे बॉण्ड लेने के लिए मजिस्ट्रेट को सशक्त किया गया है जहां किसी अपराध के होने की संभावना है। कभी-कभी यह होता है कि किन्ही लोगों से हमारा विवाद हो जाता है विवाद में कोई अपराध नहीं होता है पर सामने वाले द्वारा इसकी शिकायत की जाती है। अनेक मामलों में पुलिस समझाइश देकर छोड़ देती है पर बहुत से मामले ऐसे भी होते हैं जहां पुलिस इस बात के बारे में एसडीएम को संज्ञान दे देती है या फिर पक्षकार स्वयं इसकी जानकारी एसडीएम को देता है। कार्यपालक मजिस्ट्रेट एसडीएम होता...

गाड़ी चोरी होने पर जब इंश्योरेंस कंपनी क्लेम नहीं दे तब क्या है कानून?
गाड़ी चोरी होने पर जब इंश्योरेंस कंपनी क्लेम नहीं दे तब क्या है कानून?

इंश्योरेंस अपनी आर्थिक सुरक्षा के उद्देश्य से किया जाता है। वाहन व्यक्ति की एक संपत्ति होती है जहां उसे अपनी संपत्ति से जुड़े हुए सभी अधिकार प्राप्त होते हैं। मोटर व्हीकल एक्ट किसी भी वाहन का आवश्यक इंश्योरेंस किए जाने का निर्देश देता है।हालांकि वहां पर ऐसा इंश्योरेंस थर्ड पार्टी होता है अर्थात कोई भी ऐसे वाहन का इंश्योरेंस होना चाहिए जिससे किसी दूसरे को नुकसान होने की संभावना है।मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत जिस व्यक्ति को वाहन से नुकसान होता है वह तो दावा कर सकता है इसी के साथ एक व्यवस्था और है...

क्या करें जब बीमा कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम देने इनकार कर दे? जानिए क्या है कानूनी अधिकार
क्या करें जब बीमा कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम देने इनकार कर दे? जानिए क्या है कानूनी अधिकार

हेल्थ इंश्योरेंस आज के समय की एक मूल आवश्यकता बन गई है क्योंकि अस्पताल में खर्च होने वाली राशि इतनी अधिक होती है कि किसी भी व्यक्ति के समस्त जीवन की जमा पूंजी हो सकती है। महामारी का समय चलता रहता है और लोगों का बीमार खोना एक सामान्य से बात हो गई है। इस स्थिति में अधिकांश लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर हेल्थ इंश्योरेंस करवाते हैं। आज वर्तमान में बाजार में अनेक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां है जो इससे संबंधित काम करती है।क्या है हेल्थ इंश्योरेंसहेल्थ इंश्योरेंस एक प्रकार से एक संविदा (Contract) है यह...

क्या मजिस्ट्रेट द्वारा संदर्भित मामले में लोक अदालत के अवॉर्ड को सिविल डिक्री के रूप में निष्पादित किया जा सकता है?
क्या मजिस्ट्रेट द्वारा संदर्भित मामले में लोक अदालत के अवॉर्ड को सिविल डिक्री के रूप में निष्पादित किया जा सकता है?

लोक अदालत द्वारा अवॉर्ड के निष्पादन के संदर्भ में अक्सर एक प्रश्न उठता है कि क्या किसी मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा निर्दिष्ट मामले में पारित किए गए निर्णय को इस तरह निष्पादित किया जा सकता है जैसे कि यह किसी दीवानी अदालत की डिक्री हो।यह सवाल नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत लोक अदालतों में भेजे गए मामलों में उठता है।डिक्री और आदेशों के निष्पादन संबंधित सिद्धांतों को सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 36 से 74 और आदेश 21 में दिया गया है। इस प्रश्न के लिए विधिक...