BNSS, 2023 और BNS, 2023 के अंतर्गत वैवाहिक अपराधों के लिए कानूनी प्रक्रिया

Himanshu Mishra

8 Oct 2024 5:28 PM IST

  • BNSS, 2023 और BNS, 2023 के अंतर्गत वैवाहिक अपराधों के लिए कानूनी प्रक्रिया

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (जिसने Criminal Procedure Code को बदल दिया) और भारतीय न्याय संहिता, 2023 (जिसने Indian Penal Code को बदल दिया), दोनों में कुछ वैवाहिक अपराधों के लिए कानूनी प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। ये धाराएं महिलाओं को विवाह में क्रूरता (Cruelty) और बिना सहमति के यौन संबंधों (Non-Consensual Sexual Intercourse) से सुरक्षा प्रदान करती हैं, और यह भी तय करती हैं कि कौन इन मामलों में शिकायत दर्ज कर सकता है।

    धारा 220: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 85 के तहत क्रूरता के मामलों में कार्रवाई

    धारा 220 के अनुसार, न्यायालय केवल तभी धारा 85 के तहत अपराध का संज्ञान (Cognizance) लेगा जब:

    1. एक पुलिस रिपोर्ट दी जाए जिसमें ऐसे तथ्य हों जो अपराध को स्थापित करते हों।

    2. पीड़ित महिला या उसके पिता, माता, भाई या बहन की ओर से शिकायत दर्ज हो। इसके अतिरिक्त, अन्य रिश्तेदार भी, न्यायालय की अनुमति से, शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

    धारा 85 में यह बताया गया है कि यदि पति या उसके रिश्तेदार महिला के प्रति क्रूरता दिखाते हैं, तो इसे अपराध माना जाएगा। इस क्रूरता में मानसिक या शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाना या महिला को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करना शामिल है। इस अपराध के लिए तीन साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

    उदाहरण: एक महिला को उसके ससुराल में दहेज (Dowry) के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। महिला पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करती है, और जाँच के बाद पुलिस रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय धारा 85 के तहत मामला दर्ज करता है। यदि महिला किसी कारणवश शिकायत नहीं कर सकती है, तो उसके माता-पिता शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

    धारा 221: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 67 के तहत वैवाहिक यौन उत्पीड़न (Sexual Assault) के मामलों में कार्रवाई

    धारा 221 बताती है कि न्यायालय तभी धारा 67 के तहत यौन उत्पीड़न के मामलों में संज्ञान लेगा जब पत्नी अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करे, और न्यायालय प्राथमिक दृष्टि में (Prima Facie) यह मान ले कि अपराध के तथ्य सही हैं।

    धारा 67 में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि पति अपनी अलग रह रही पत्नी (Separated Wife) के साथ उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाता है, तो यह अपराध है। इस अपराध के लिए कम से कम दो साल की सजा और अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

    उदाहरण: एक दंपति अलग रह रहा है, और पति अपनी पत्नी से मिलने उसके घर आता है। बिना उसकी सहमति के, वह जबरन उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है। पत्नी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करती है, और सबूतों के आधार पर न्यायालय धारा 67 के तहत मामला दर्ज करता है।

    धारा 85: पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (Bhartiya Nyaya Sanhita, 2023)

    धारा 85 पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला के साथ क्रूरता की व्याख्या करती है। इसमें मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना, दहेज की माँग, और ऐसे किसी भी व्यवहार को अपराध माना जाता है जो महिला के जीवन को कष्टकारी बनाता है।

    इस अपराध के लिए तीन साल तक की जेल और जुर्माना लगाया जा सकता है।

    उदाहरण: एक पति अपनी पत्नी को लगातार अपमानित करता है, उसे परिवार से अलग रखता है, और उसके माता-पिता से धन या उपहार की माँग करता है। इस स्थिति में, यदि पत्नी शिकायत दर्ज करती है या पुलिस की रिपोर्ट से यह साबित होता है, तो न्यायालय धारा 85 के तहत कार्रवाई कर सकता है।

    धारा 67: अलग रह रही पत्नी के साथ बिना सहमति के यौन संबंध (Bhartiya Nyaya Sanhita, 2023)

    धारा 67 में बताया गया है कि यदि पति अपनी पत्नी के साथ, जो अलग रह रही है, उसकी सहमति के बिना यौन संबंध बनाता है, तो यह अपराध माना जाएगा। पत्नी को या तो न्यायालय के आदेश से या किसी अन्य कारण से अलग रहना चाहिए।

    इस अपराध के लिए दो से सात साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है।

    उदाहरण: एक पत्नी अपने पति से अलग रह रही है और अपने माता-पिता के घर में रह रही है। एक दिन उसका पति आता है और उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है। वह पुलिस में शिकायत दर्ज करती है, और न्यायालय इस पर कार्रवाई कर सकता है यदि सबूत पर्याप्त हों।

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के माध्यम से महिलाओं को वैवाहिक जीवन में क्रूरता और बिना सहमति के यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए स्पष्ट कानूनी ढांचा प्रदान किया गया है।

    धारा 220 और धारा 221 यह सुनिश्चित करती हैं कि इन अपराधों को केवल सही प्रक्रिया का पालन करने पर ही न्यायालय में लाया जाए। चाहे वह पुलिस रिपोर्ट हो या पीड़िता की ओर से दर्ज शिकायत, इन धाराओं के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाती है और उन्हें न्याय पाने का अवसर मिलता है।

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