धारा 228: भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत झूठे साक्ष्य गढ़ने के कानूनी परिणाम और उदाहरण
Himanshu Mishra
3 Oct 2024 6:39 PM IST
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) ने 1 जुलाई, 2024 से भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित किया है। इस नए कानून में धारा 228 के अंतर्गत झूठे साक्ष्य (False Evidence) गढ़ने से संबंधित अपराधों को परिभाषित किया गया है।
यह धारा उन स्थितियों पर केंद्रित है जहां कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठी परिस्थितियाँ (False Circumstances), झूठी प्रविष्टियाँ (False Entries) या झूठे दस्तावेज़ (False Documents) तैयार करता है ताकि इन्हें न्यायिक कार्यवाही (Judicial Proceedings) में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
ध्यान दें कि इस विषय को पूरी तरह समझने के लिए, धारा 227 पर आधारित हमारे पहले लेख को देखें, जो Live Law Hindi पर प्रकाशित किया गया था। उस लेख में हमने झूठे साक्ष्य देने (Giving False Evidence) की अवधारणा को विस्तृत रूप से समझाया था।
यह लेख विशेष रूप से धारा 228 पर ध्यान केंद्रित करेगा और यह बताएगा कि कैसे झूठे साक्ष्य गढ़े जाते हैं और इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को भ्रमित करना होता है।
धारा 228: झूठे साक्ष्य गढ़ने की परिभाषा (Section 228: Definition of Fabricating False Evidence)
धारा 228 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसी परिस्थिति बनाता है, कोई झूठी प्रविष्टि (False Entry) करता है, या कोई दस्तावेज़ (Document) या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (Electronic Record) बनाता है, जिसमें झूठी जानकारी हो, और उसका इरादा होता है कि इसे न्यायिक कार्यवाही (Judicial Proceedings) में या किसी सार्वजनिक सेवक (Public Servant) के सामने साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाए, तो उसे "झूठे साक्ष्य गढ़ना" (Fabricating False Evidence) कहा जाता है।
इस धारा का मुख्य बिंदु "इरादा" (Intent) है। यदि किसी व्यक्ति का इरादा झूठी जानकारी को न्यायिक प्रक्रिया में प्रस्तुत करके न्यायिक अधिकारी को गुमराह करना है और इसका परिणाम किसी महत्वपूर्ण मुद्दे (Material Point) पर गलत निर्णय हो, तो यह झूठे साक्ष्य गढ़ने का अपराध है।
उदाहरणों का स्पष्टीकरण (Explanation of Illustrations)
झूठे साक्ष्य गढ़ने की अवधारणा को और स्पष्ट करने के लिए, धारा 228 में कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि झूठे साक्ष्य किस प्रकार तैयार किए जा सकते हैं।
उदाहरण (a)
स्थिति (Scenario): एक व्यक्ति A, Z के बॉक्स में आभूषण रख देता है ताकि जब ये आभूषण बॉक्स में पाए जाएं, तो Z पर चोरी का आरोप लगे और उसे दोषी ठहराया जा सके।
व्याख्या (Explanation): इस मामले में, A ने जानबूझकर एक झूठी परिस्थिति (False Circumstance) बनाई है, ताकि Z पर झूठा आरोप लगे। यह झूठे साक्ष्य गढ़ने का स्पष्ट उदाहरण है, क्योंकि A का इरादा Z को चोरी के झूठे आरोप में फंसाने का था।
व्यावहारिक उदाहरण (Example in Practice): मान लें कि कोई व्यक्ति चोरी के सामान को किसी निर्दोष व्यक्ति की कार में रखकर पुलिस को बुला देता है, ताकि उस निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सके। यह स्थिति भी झूठे साक्ष्य गढ़ने के अंतर्गत आएगी।
उदाहरण (b)
स्थिति (Scenario): एक व्यक्ति A अपने दुकान के रिकॉर्ड में जानबूझकर झूठी प्रविष्टि करता है, ताकि इसे अदालत में प्रमाणिक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
व्याख्या (Explanation): यहाँ A ने अपने दुकान के रिकॉर्ड में झूठी प्रविष्टि करके झूठे साक्ष्य गढ़े हैं। उसका उद्देश्य उस झूठी जानकारी का उपयोग करके अदालत को गुमराह करना है। यह झूठे दस्तावेज़ (False Document) तैयार करने का एक स्पष्ट उदाहरण है।
व्यावहारिक उदाहरण (Example in Practice): मान लें कि एक दुकानदार अपने ग्राहक को अधिक राशि देने के लिए अपने रिकॉर्ड में झूठी प्रविष्टि करता है, और फिर उसे अदालत में प्रस्तुत करता है। यह झूठे साक्ष्य गढ़ने का मामला होगा।
उदाहरण (c)
स्थिति (Scenario): एक व्यक्ति A, Z को एक आपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy) में फंसाने के इरादे से, Z की लिखावट की नकल करके एक पत्र लिखता है और उसे उस स्थान पर रख देता है जहां पुलिस के आने की संभावना होती है।
व्याख्या (Explanation): इस मामले में, A ने Z की लिखावट की नकल करके और पत्र को जानबूझकर रखकर झूठे साक्ष्य गढ़े हैं। उसका इरादा पुलिस को गुमराह करने और Z को झूठे आरोप में फंसाने का था। यह झूठे दस्तावेज़ गढ़ने का स्पष्ट उदाहरण है।
व्यावहारिक उदाहरण (Example in Practice): कल्पना करें कि कोई व्यक्ति किसी निर्दोष व्यक्ति के नाम से ईमेल लिखकर उसे पुलिस के पास भेजता है ताकि उसे किसी अपराध में फंसाया जा सके। यह भी झूठे साक्ष्य गढ़ने का एक आधुनिक उदाहरण है।
धारा 227 से संबंध: झूठे साक्ष्य की व्यापक समझ (Connection to Section 227: A Broader Understanding of False Evidence)
धारा 228 का सीधा संबंध धारा 227 से है, जो झूठे साक्ष्य देने (Giving False Evidence) की बात करती है। जबकि धारा 227 मुख्य रूप से उन स्थितियों पर केंद्रित है जहां व्यक्ति जानबूझकर झूठी गवाही (False Testimony) या झूठे बयान (False Statement) देता है, धारा 228 झूठी परिस्थितियाँ (False Circumstances), दस्तावेज़ (Documents) या रिकॉर्ड (Records) बनाने पर ध्यान देती है।
दोनों धाराएँ न्यायिक प्रक्रिया में सच्चाई (Truthfulness) की महत्ता पर जोर देती हैं और झूठी जानकारी के आधार पर फैसले को प्रभावित करने की किसी भी कोशिश को रोकने का प्रयास करती हैं।
पूरी तरह से समझने के लिए, धारा 227 पर हमारे पहले लेख को Live Law Hindi पर देखें।
धारा 228 के मुख्य बिंदु (Key Takeaways from Section 228)
धारा 228 का सार यह है कि झूठे साक्ष्य गढ़ना (Fabricating False Evidence) एक गंभीर अपराध है। इस अपराध में व्यक्ति जानबूझकर झूठी परिस्थितियाँ बनाता है, झूठी प्रविष्टियाँ करता है, या झूठे दस्तावेज़ तैयार करता है, जिनका इरादा न्यायिक कार्यवाही में प्रस्तुत करके न्यायिक अधिकारी को गुमराह करना होता है।
चाहे चोरी के सामान को कहीं रखकर झूठी परिस्थिति बनाना हो, झूठी प्रविष्टियाँ करके दस्तावेज़ बनाना हो, या किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने के लिए नकली पत्र लिखना हो, इन सबका उद्देश्य एक झूठी कहानी गढ़कर न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करना होता है। भारतीय न्याय संहिता, 2023 इन अपराधों के खिलाफ कड़े नियम बनाकर न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने की कोशिश करती है।