जानिए हमारा कानून
SC/ST Act के अंतर्गत धारा 8 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 8 में उपधारणा के संबंध में उल्लेख है। उपधारणा का अर्थ कोर्ट द्वारा किसी आरोप को सत्य मानकर चलने की विचारधारा है। यह कुछ इस प्रकार से है कि सबूत का भार अभियुक्त पर डाल दिया जाता है। पीड़ित पक्षकार पर सबूत का भार नहीं होता है। अभियोजन पक्ष को उन अवधारणाओं को साबित करने का भार नहीं झेलना पड़ता है जिनके संबंध में कोर्ट कोई विचार बना लेता है। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 8 ऐसे ही उदाहरणों को प्रस्तुत करती है।कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें इस अधिनियम के...
क्या पूरी तरह से टूट चुके विवाह को हिंदू विवाह कानून के तहत क्रूरता माना जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने राकेश रमन बनाम कविता (Rakesh Raman v. Kavita) के निर्णय में एक महत्वपूर्ण सवाल का उत्तर दिया — क्या ऐसा विवाह जो पूरी तरह से टूट चुका हो और जिसमें पुनर्मिलन की कोई संभावना न बची हो, उसे 'क्रूरता' (Cruelty) के रूप में देखा जा सकता है, भले ही 'Irretrievable Breakdown of Marriage' (अवापसी योग्य विवाह विच्छेद) हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में एक स्वतंत्र आधार नहीं है?कोर्ट ने कहा कि जब कोई विवाह केवल नाम मात्र का रह जाए और उसका जारी रहना दोनों पक्षों के लिए मानसिक पीड़ा का कारण बने, तो...
राजस्व न्यायालयों की गवाही, दस्तावेज़ और समन से जुड़ी शक्तियाँ: राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 57 से 59
राजस्व अधिकारी और राजस्व न्यायालय न केवल भूमि संबंधी विवादों का निपटारा करते हैं, बल्कि उन्हें इस कार्य के दौरान कई बार व्यक्तियों को बुलाने, उनसे गवाही लेने या दस्तावेज़ प्रस्तुत कराने की आवश्यकता होती है।राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 57, 58 और 59 इन अधिकारों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से निर्धारित करती हैं। इन धाराओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राजस्व संबंधी मामलों में न्यायिक प्रक्रिया प्रभावी और निष्पक्ष ढंग से पूरी की जा सके। धारा 57: व्यक्तियों की उपस्थिति और...
राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम, 1961 की धारा 57 और 58 : कम शुल्क भुगतान की स्थिति
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 की धारा 57 और 58 उन परिस्थितियों को संबोधित करती हैं जहाँ वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) पर कम या अधिक शुल्क का भुगतान किया गया हो।ये धाराएँ सुनिश्चित करती हैं कि यदि किसी त्रुटि या अज्ञानता के कारण शुल्क का भुगतान अनुचित रूप से हुआ है, तो उसे कैसे सुधारा जा सकता है और यदि जानबूझकर ऐसा किया गया है, तो क्या दंड निर्धारित है। धारा 57: कम शुल्क भुगतान की स्थिति में प्रशासक द्वारा सुरक्षा प्रदान करना ...
न्यायिक और कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की स्थानांतरण और वापसी की शक्तियाँ: BNSS 2023 की धारा 450, 451 और 452
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 ने भारत में दंड प्रक्रिया से संबंधित पुराने कानून, यानी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की जगह ली है। नई संहिता में प्रक्रिया को अधिक व्यावहारिक, तर्कसंगत और न्यायोचित बनाने की दिशा में अनेक बदलाव किए गए हैं।अध्याय XXXIII इस संहिता में स्थानांतरण (transfer) से संबंधित प्रावधानों को समाहित करता है। इस अध्याय की धारा 446 से लेकर 452 तक विभिन्न स्तरों के न्यायालयों को शक्तियाँ प्रदान की गई हैं ताकि न्यायिक और कार्यपालक मजिस्ट्रेट अपने अधीनस्थ न्यायालयों को सौंपे...
SC/ST Act के अंतर्गत कास्ट सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने पर प्रावधान
इस एक्ट से संबंधित एक मामले पोन्नियाम्मल बनाम दि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, वेल्लौर, ए० आई० आर० 2014 मद्रास 141 में याची ने हिन्दू 'आदियन' समुदाय, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (संशोधन) अधिनियम, 1976 की क्रम संख्या 001 के अनुसार मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति समुदाय है, से सम्बन्धित होने का दावा किया।उसने जाति प्रमाणपत्र जारी करने की माँग करते हुए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया राजस्व मण्डलीय अधिकारी ने कार्यवाही में तहसीलदार को जाँच करने तथा रिपोर्ट देने के लिए परिपत्र भेजा उच्च...
SC/ST Act की धारा 4 के प्रावधान
इस एक्ट के अंतर्गत अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों से संबंधित ऐसे अपराध जो इन जातियों पर अत्याचार से संबंधित हैं जिनका उल्लेख इस अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत किया गया है होने पर इन अपराधों से संबंधित प्रक्रिया हेतु पीड़ित पक्षकार किसी लोक सेवक के समक्ष उपस्थित होता है तब यदि उस लोक सेवक द्वारा उपेक्षा की जाती है तो उस उपेक्षा हेतु भी इस अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत दंड का प्रावधान किया गया है।यह अधिनियम केवल अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों पर होने वाले अत्याचारों को ही अपराध नहीं बनाता...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 53 से 56 : अधिकारियों को मामलों को स्थानांतरित करने की शक्ति
राजस्व प्रशासन में न्याय और कार्यप्रणाली की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रकरणों के स्थानांतरण, समेकन (consolidation), उपस्थितियों और कार्यवाही की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से तय की गई है। राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 53 से 56 तक इन्हीं पहलुओं से संबंधित हैं। ये धाराएं यह सुनिश्चित करती हैं कि एक ही प्रकृति के प्रकरण एक ही अधिकारी द्वारा देखे जाएं, पक्षकारों को सुनवाई का पूरा अवसर मिले और न्यायिक प्रक्रिया सरल और व्यवस्थित हो।धारा 53 – सरकार और अन्य अधिकारियों को मामलों को स्थानांतरित...
क्या Allopathy और Ayurveda Doctors को समान वेतन मिलना चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय State of Gujarat v. Dr. P.A. Bhatt (2023) में यह अहम मुद्दा उठाया गया कि क्या Indian Systems of Medicine (जैसे Ayurveda) के डॉक्टर, MBBS (Allopathy) डॉक्टरों के समान वेतन (Equal Pay) के हकदार हैं? यह मामला Service Law और संविधान के Equality सिद्धांत (Equality under Constitution) के बीच के संबंध को उजागर करता है, खासकर Article 14 और Article 16 के संदर्भ में।अदालत ने यह स्पष्ट किया कि क्या केवल पदनाम "Medical Officer" होने के कारण दोनों को समान वेतन मिलना चाहिए या उनके...
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम 1961 की धारा 56 के अंतर्गत कम शुल्क चुकाने की स्थिति में विधिक प्रक्रिया
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 की धारा 56 (Section 56) उन परिस्थितियों को संबोधित करती है जहाँ वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) के लिए कम शुल्क का भुगतान किया गया हो।यह धारा सुनिश्चित करती है कि यदि किसी त्रुटि या अज्ञानता के कारण कम शुल्क का भुगतान हुआ है, तो उसे कैसे सुधारा जा सकता है और यदि जानबूझकर ऐसा किया गया है, तो क्या दंड निर्धारित है। धारा 56(1): त्रुटि के कारण कम शुल्क का भुगतान यदि किसी वसीयत या उत्तराधिकार पत्र पर कम...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 447 के अंतर्गत हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक मामलों का स्थानांतरण
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 447 हाईकोर्ट (High Court) को यह शक्ति देती है कि वह न्याय के हित में, या किसी विशिष्ट परिस्थिति में, किसी आपराधिक मामले को एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में स्थानांतरित (Transfer) कर सके। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि हाईकोर्ट कब, क्यों और किस प्रक्रिया से ऐसा कर सकता है, और इससे संबंधित कौन-कौन सी परिस्थितियाँ हैं जिनमें यह शक्ति प्रयोग की जाती है।उचित और निष्पक्ष सुनवाई की संभावना न होने की स्थिति में हस्तक्षेपधारा 447(1)(a) के अनुसार, यदि...
ST/SC Act के अंतर्गत जातिसूचक शब्दों द्वारा क्राइम
यदि अनुसूचित जाति समुदाय के सदस्य को लोक स्थान पर अपमानित या शर्मिन्दा करने के आशय से "चमार" कहा गया था, तो यह सचमुच अधिनियम की धारा 3 (1) (x) के अन्तर्गत अपराध है। क्या शब्द " चमार" अपमानित करने या शर्मिन्दा करने के आशय से प्रयुक्त किया गया था, उस सन्दर्भ में अर्थान्वयित किया जायेगा जिसमें यह प्रयुक्त हुआ था। यह बात स्वरन सिंह बनाम स्टेट धू स्टैंडिंग काउंसिल, 2008 के मामले में कही गई है।सुदामा गिरि एवं अन्य बनाम झारखण्ड राज्य 2009 के मामले में अपीलार्थी ने अभिकथित रूप से सूचनादाता को "चमार" कहा...
SC/ST Act में धमकी से संबंधित क्राइम
निरसित हो चुकी भारतीय दण्ड संहिता की धारा 504 के अधीन आरोप का सम्बन्ध था, पीड़िता को इस आशय/जानकारी के साथ प्रकोपित करना, जिससे कि वह शान्ति भंग कर सके अथवा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 504 में यथा इंगित कोई अन्य अपराध कारित कर सके, का साक्ष्य में अभाव है। जहाँ तक भारतीय दण्ड संहिता की धारा 506 के अधीन आरोप का सम्बन्ध है, कोर्ट ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 506 के भाग 1 और भाग 2 के बीच अन्तर को विस्तारपूर्वक स्पष्ट किया है।संक्षिप्त रूप में कथित भारतीय दण्ड संहिता की धारा 506 के अधीन अपराध बनाने...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 447 के अंतर्गत हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक मामलों का स्थानांतरण
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 447 हाईकोर्ट (High Court) को यह शक्ति देती है कि वह न्याय के हित में, या किसी विशिष्ट परिस्थिति में, किसी आपराधिक मामले को एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में स्थानांतरित (Transfer) कर सके। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि हाईकोर्ट कब, क्यों और किस प्रक्रिया से ऐसा कर सकता है, और इससे संबंधित कौन-कौन सी परिस्थितियाँ हैं जिनमें यह शक्ति प्रयोग की जाती है।उचित और निष्पक्ष सुनवाई की संभावना न होने की स्थिति में हस्तक्षेपधारा 447(1)(a) के अनुसार, यदि...
राजस्थान न्यायालय शुल्क मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 की धारा 55 : वसीयत या उत्तराधिकार पत्र के लिए प्रस्तुत संपत्ति का मूल्यांकन
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) की धारा 55 (Section 55) न्यायालय को कलेक्टर द्वारा प्रस्तुत संपत्ति के मूल्यांकन पर जांच करने का अधिकार प्रदान करती है।यह धारा सुनिश्चित करती है कि वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) के लिए प्रस्तुत संपत्ति का मूल्यांकन सही और निष्पक्ष हो, ताकि न्यायालय द्वारा उचित शुल्क निर्धारित किया जा सके। धारा 50 और 54 का संदर्भ धारा 50 (Section 50) के अनुसार,...
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 49 से 52 : ग्राम सेवकों की सजा, नियंत्रण, न्यायिक प्रक्रिया और भूमि निरीक्षण संबंधी अधिकार
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 ग्रामीण प्रशासन की आधारभूत संरचना को कानूनी रूप से व्यवस्थित करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सेवकों, पटवारियों, लम्बरदारों और अन्य भू-राजस्व अधिकारियों के अधिकार, कर्तव्य, दायित्व और दंड का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।विशेष रूप से धारा 49 से 52 में ग्राम सेवकों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई, चौकीदारों के नियंत्रण, न्यायिक कार्यवाही के स्थान और भूमि में प्रवेश व सर्वेक्षण से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इस लेख में हम इन चार धाराओं की व्याख्या सरल...
क्या व्यावसायिक संस्था भी उपभोक्ता हो सकती है उपभोक्ता संरक्षण के तहत?
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की समझ (Understanding the Consumer Protection Act, 1986)उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 एक ऐसा कानून है जिसे उपभोक्ताओं (Consumers) के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम (Act) का मुख्य उद्देश्य यह है कि आम आदमी को धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार (Unfair Trade Practices) से बचाया जाए और उन्हें न्याय की आसान पहुँच (Access to Justice) मिले। यह अधिनियम एक सामाजिक कल्याण कानून (Social-Welfare Legislation) माना जाता है, इसलिए अदालतें इसके प्रावधानों...
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 45 से 48 तक : ग्राम सेवकों के वेतन की सुरक्षा, कर्तव्य, नियुक्ति की प्रक्रिया और अयोग्यता
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएं 45 से 48 तक ग्राम सेवकों की सेवा शर्तों को सुरक्षित और व्यवस्थित करने हेतु बनाई गई हैं। इन धाराओं में ग्राम सेवकों के वेतन पर कानूनी सुरक्षा, उनके कर्तव्य, नियुक्ति की विधि तथा किन व्यक्तियों को नियुक्त नहीं किया जा सकता – इन सभी विषयों को स्पष्ट किया गया है। इस लेख में हम इन चारों धाराओं की सरल हिंदी में व्याख्या करेंगे ताकि आमजन और ग्राम प्रशासन से जुड़े सभी व्यक्ति इसे सहजता से समझ सकें।धारा 45 : वेतन की कुर्की से संरक्षण धारा 45 के अनुसार, ग्राम...
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम 1961 की धारा 54 के अंतर्गत कलेक्टर द्वारा संपत्ति के मूल्यांकन की जांच
राजस्थान कोर्ट फीस और मुकदमों का मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) में वसीयत (Probate) और उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) से संबंधित प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।इस अधिनियम की धारा 54 (Section 54) कलेक्टर द्वारा संपत्ति के मूल्यांकन की जांच की प्रक्रिया को निर्धारित करती है। यह धारा सुनिश्चित करती है कि संपत्ति का मूल्यांकन सही और निष्पक्ष हो, ताकि न्यायालय द्वारा उचित शुल्क निर्धारित किया जा सके। धारा 50 और 51 का...
न्याय के हित में सुप्रीम कोर्ट द्वारा केस ट्रांसफर करने की शक्ति और प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 446
धारा 446 का संबंध ऐसे मामलों से है जिनमें Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट) को यह लगता है कि किसी आपराधिक केस (Criminal Case) या अपील (Appeal) को एक High Court (हाई कोर्ट) से दूसरी High Court या एक Criminal Court (आपराधिक न्यायालय) से दूसरे राज्य उसी स्तर की या उच्च स्तर की Criminal Court में ट्रांसफर (Transfer) करना न्याय के हित में (In the interest of justice) होगा।यह प्रावधान (Provision) यह सुनिश्चित करता है कि न केवल न्याय किया जाए बल्कि ऐसा होता हुआ भी दिखे। यदि किसी भी पक्ष को यह डर हो कि उसे...


















