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राजस्व न्यायालयों की गवाही, दस्तावेज़ और समन से जुड़ी शक्तियाँ: राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 57 से 59
राजस्व न्यायालयों की गवाही, दस्तावेज़ और समन से जुड़ी शक्तियाँ: राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 57 से 59

राजस्व अधिकारी और राजस्व न्यायालय न केवल भूमि संबंधी विवादों का निपटारा करते हैं, बल्कि उन्हें इस कार्य के दौरान कई बार व्यक्तियों को बुलाने, उनसे गवाही लेने या दस्तावेज़ प्रस्तुत कराने की आवश्यकता होती है।राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 57, 58 और 59 इन अधिकारों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से निर्धारित करती हैं। इन धाराओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राजस्व संबंधी मामलों में न्यायिक प्रक्रिया प्रभावी और निष्पक्ष ढंग से पूरी की जा सके। धारा 57: व्यक्तियों की उपस्थिति और...

न्यायिक और कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की स्थानांतरण और वापसी की शक्तियाँ: BNSS 2023 की धारा 450, 451 और 452
न्यायिक और कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की स्थानांतरण और वापसी की शक्तियाँ: BNSS 2023 की धारा 450, 451 और 452

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 ने भारत में दंड प्रक्रिया से संबंधित पुराने कानून, यानी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की जगह ली है। नई संहिता में प्रक्रिया को अधिक व्यावहारिक, तर्कसंगत और न्यायोचित बनाने की दिशा में अनेक बदलाव किए गए हैं।अध्याय XXXIII इस संहिता में स्थानांतरण (transfer) से संबंधित प्रावधानों को समाहित करता है। इस अध्याय की धारा 446 से लेकर 452 तक विभिन्न स्तरों के न्यायालयों को शक्तियाँ प्रदान की गई हैं ताकि न्यायिक और कार्यपालक मजिस्ट्रेट अपने अधीनस्थ न्यायालयों को सौंपे...

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 53 से 56 : अधिकारियों को मामलों को स्थानांतरित करने की शक्ति
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 53 से 56 : अधिकारियों को मामलों को स्थानांतरित करने की शक्ति

राजस्व प्रशासन में न्याय और कार्यप्रणाली की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रकरणों के स्थानांतरण, समेकन (consolidation), उपस्थितियों और कार्यवाही की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से तय की गई है। राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 53 से 56 तक इन्हीं पहलुओं से संबंधित हैं। ये धाराएं यह सुनिश्चित करती हैं कि एक ही प्रकृति के प्रकरण एक ही अधिकारी द्वारा देखे जाएं, पक्षकारों को सुनवाई का पूरा अवसर मिले और न्यायिक प्रक्रिया सरल और व्यवस्थित हो।धारा 53 – सरकार और अन्य अधिकारियों को मामलों को स्थानांतरित...

राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम 1961 की धारा 56 के अंतर्गत कम शुल्क चुकाने की स्थिति में विधिक प्रक्रिया
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम 1961 की धारा 56 के अंतर्गत कम शुल्क चुकाने की स्थिति में विधिक प्रक्रिया

राजस्थान न्यायालय शुल्क और वादों के मूल्य निर्धारण अधिनियम, 1961 की धारा 56 (Section 56) उन परिस्थितियों को संबोधित करती है जहाँ वसीयत (Probate) या उत्तराधिकार पत्र (Letters of Administration) के लिए कम शुल्क का भुगतान किया गया हो।यह धारा सुनिश्चित करती है कि यदि किसी त्रुटि या अज्ञानता के कारण कम शुल्क का भुगतान हुआ है, तो उसे कैसे सुधारा जा सकता है और यदि जानबूझकर ऐसा किया गया है, तो क्या दंड निर्धारित है। धारा 56(1): त्रुटि के कारण कम शुल्क का भुगतान यदि किसी वसीयत या उत्तराधिकार पत्र पर कम...

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 49 से 52 : ग्राम सेवकों की सजा, नियंत्रण, न्यायिक प्रक्रिया और भूमि निरीक्षण संबंधी अधिकार
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 49 से 52 : ग्राम सेवकों की सजा, नियंत्रण, न्यायिक प्रक्रिया और भूमि निरीक्षण संबंधी अधिकार

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 ग्रामीण प्रशासन की आधारभूत संरचना को कानूनी रूप से व्यवस्थित करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सेवकों, पटवारियों, लम्बरदारों और अन्य भू-राजस्व अधिकारियों के अधिकार, कर्तव्य, दायित्व और दंड का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।विशेष रूप से धारा 49 से 52 में ग्राम सेवकों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई, चौकीदारों के नियंत्रण, न्यायिक कार्यवाही के स्थान और भूमि में प्रवेश व सर्वेक्षण से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इस लेख में हम इन चार धाराओं की व्याख्या सरल...

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 45 से 48 तक : ग्राम सेवकों के वेतन की सुरक्षा, कर्तव्य, नियुक्ति की प्रक्रिया और अयोग्यता
राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 45 से 48 तक : ग्राम सेवकों के वेतन की सुरक्षा, कर्तव्य, नियुक्ति की प्रक्रिया और अयोग्यता

राजस्थान भू राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएं 45 से 48 तक ग्राम सेवकों की सेवा शर्तों को सुरक्षित और व्यवस्थित करने हेतु बनाई गई हैं। इन धाराओं में ग्राम सेवकों के वेतन पर कानूनी सुरक्षा, उनके कर्तव्य, नियुक्ति की विधि तथा किन व्यक्तियों को नियुक्त नहीं किया जा सकता – इन सभी विषयों को स्पष्ट किया गया है। इस लेख में हम इन चारों धाराओं की सरल हिंदी में व्याख्या करेंगे ताकि आमजन और ग्राम प्रशासन से जुड़े सभी व्यक्ति इसे सहजता से समझ सकें।धारा 45 : वेतन की कुर्की से संरक्षण धारा 45 के अनुसार, ग्राम...