जानिए हमारा कानून
राजस्व विवादों का मध्यस्थता द्वारा निपटारा: राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 68 से 71
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956) के अंतर्गत न केवल भूमि संबंधी अधिकारों और प्रक्रियाओं को व्यवस्थित किया गया है, बल्कि विवादों के वैकल्पिक समाधान (Alternative Dispute Resolution) के साधनों को भी मान्यता दी गई है। इस अधिनियम की धाराएं 68 से 71 मध्यस्थता (Arbitration) के माध्यम से राजस्व विवादों को सुलझाने की प्रक्रिया को स्पष्ट करती हैं। मध्यस्थता का उद्देश्य यह होता है कि अदालतों में लंबित मामलों को कम किया जाए और पक्षकारों को शीघ्र और सुलभ न्याय मिले।यह लेख...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 458, 459 और 460: कारावास की सज़ा के निष्पादन की प्रक्रियाएँ
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के अध्याय XXXIV में दंड निष्पादन (Execution of Sentences) से संबंधित विस्तृत प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इस अध्याय के अंतर्गत धारा 458, 459 और 460 विशेष रूप से कारावास की सजा के निष्पादन (Execution of Sentence of Imprisonment) से जुड़ी हुई हैं।इन धाराओं में यह स्पष्ट किया गया है कि जब किसी अभियुक्त को आजीवन कारावास या किसी निश्चित अवधि के कारावास की सजा दी जाती है, तो उसे जेल भेजने की प्रक्रिया क्या होगी, संबंधित...
SC/ST Act की धारा 20 के प्रावधान
इस अधिनियम की धारा 20 अन्य सभी अधिनियम को इस अधिनियम पर प्रभावहीन कर देती है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय न्याय संहिता और अन्य आपराधिक अधिनियम इस अधिनियम पर प्रभावहीन हो जाते हैं। इस अधिनियम की कोई भी बात यदि अन्य आपराधिक अधिनियम से टकराती है तब ऐसी स्थिति में इस अधिनियम को महत्व दिया जाएगा तथा उन अधिनियम को प्रभावित कर दिया जाएगा। यह इस अधिनियम की धारा 20 में उल्लेखित किया गया है।धारा 20 का मूल स्वरूप इस प्रकार है:-धारा 20 अधिनियम का अन्य विधियों पर अध्यारोही होना इस अधिनियम में जैसा...
SC/ST Act से संबंधित क्राइम में FIR के पहले किसी जांच की ज़रूरत और Probation
इस अधिनियम की धारा 18(क) के अंतर्गत एक पुलिस अधिकारी को प्रथम इत्तिला रिपोर्ट दर्ज करने हेतु किसी अन्वेषण या पूर्व अनुमोदन की कोई आवश्यकता नहीं होगी। एक पुलिस अधिकारी अपने समक्ष उपस्थित हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य की मौखिक शिकायत पर आवेदन को लिखेगा तथा उसे पढ़कर सुनाएगा और उस पर उस पीड़ित के हस्ताक्षर करवाएगा। यह प्रक्रिया इस अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत की गई है तथा धारा 18(क) में स्पष्ट रूप से उल्लेख कर दिया गया है कि कहीं भी कोई पुलिस अधिकारी किसी जांच के संबंध में कोई...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 457: कारावास से संबंधित प्रावधान
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के अध्याय XXXIV (धारा 453 से 462) में दंडों के निष्पादन (Execution), स्थगन (Suspension), क्षमादान (Remission), और रूपांतरण (Commutation) से संबंधित विभिन्न प्रावधान शामिल किए गए हैं।इसी क्रम में धारा 457 'कारावास' (Imprisonment) से संबंधित प्रावधानों को निर्धारित करती है। यह धारा बताती है कि किस स्थान पर किसी दोषी व्यक्ति को बंदी बनाकर रखा जाएगा, और नागरिक कारागार (Civil Jail) से आपराधिक कारागार (Criminal Jail) में...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएं 64 से 67
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956) एक महत्वपूर्ण कानून है जो राजस्थान राज्य में भूमि (Land) और उससे संबंधित राजस्व (Revenue) मामलों को नियंत्रित करता है।इस अधिनियम की धारा 64 से 67 कुछ जरूरी प्रक्रिया संबंधी प्रावधानों को स्पष्ट करती हैं जो Revenue Courts और Officers की कार्यप्रणाली को प्रभावी और न्यायसंगत (Fair) बनाते हैं। आइए, इन धाराओं को आसान हिंदी में उदाहरणों (Illustrations) के साथ समझते हैं। धारा 64: सुनवाई को स्थगित करना (Adjournment of Hearing) यह धारा...
क्या होता है "Doxxing" अपराध और IT Act के तहत इसकी सजा?
डॉक्सिंग (Doxxing) का शाब्दिक अर्थ “दस्तावेज़ लीक करना” है, जहां किसी व्यक्ति की निजी जानकारी बिना अनुमति के सार्वजनिक रूप से उजागर की जाती है। इस तरह की गैरकानूनी गतिविधि से मानहानि, मानसिक परेशानियाँ और शारीरिक भय का सामना करना पड़ सकता है। भारत में, विशेषकर BNS, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) तथा IT Act, 2000 (Information Technology Act, 2000) की विभिन्न धाराएँ इस व्यवहार को अपराध (Offence) मानकर दंडायोग्य (Punishable) ठहराती हैं।डॉक्सिंग का अर्थ और दुष्प्रभाव (Defining Doxxing) ...
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 की धारा 61 और 62 : अध्याय VII - शुल्क वापसी और रियायतें
राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961) के अध्याय VII में न्यायालय शुल्क की वापसी और रियायतों से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।यह अध्याय विशेष रूप से उन परिस्थितियों को स्पष्ट करता है जब वादी (Plaintiff) या अपीलकर्ता (Appellant) को न्यायालय शुल्क की वापसी का अधिकार प्राप्त होता है। इस लेख में हम अध्याय VII के धारा 61 और 62 का सरल हिंदी में विस्तृत विश्लेषण करेंगे। धारा 61: वादपत्र या अपील की अस्वीकृति के मामलों में...
SC/ST Act की धारा 18 के प्रावधान
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 एंटीसेप्टरी बेल के संबंध में उल्लेख करती है। किसी व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी का भय है तथा उस व्यक्ति को अनावश्यक रूप से गिरफ्तार किया जा रहा है या किसी प्रकरण में झूठा फंसाया जा रहा है तो वह व्यक्ति गिरफ्तार होने के पूर्व ही सत्र या हाईकोर्ट से एंटीसेप्टरी बेल मांग सकता है। यह कोर्ट का विवेकाधिकार है कि उसे एंटीसेप्टरी बेल प्रदान करें या न करें परंतु इस अधिनियम के अंतर्गत जिसे अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के नाम से जाना जाता...
SC/ST Act के अंतर्गत आने वाले क्राइम में एंटीसिपेटरी बेल एप्लीकेशन
इस एक्ट में एंटीसेप्टरी बेल निषेध है लेकिन इस पर जोर दिया गया है कि एंटीसेप्टरी बेल के लिए आवेदन पर विचार करते समय कोर्ट इसके बारे में मात्र जांच में न्यायसंगत होंगे कि क्या किसी व्यक्ति के विरुद्ध अधिनियम, 1989 की धारा 3 के अधीन मामले को पंजीकृत करने के लिए कोई अभिकथन है और जब एक बार प्रथम सूचना रिपोर्ट में अपराध के आवश्यक तत्व उपलब्ध हों, तब कोर्ट वाद डायरी अथवा कोई अन्य सामग्री मंगा करके इसके बारे में पुनः जांच करने में न्यायसंगत नहीं होंगे कि क्या अभिकथन सत्य अथवा मिथ्या है अथवा क्या ऐसा...
SC/ST Act में Special Public Prosecutor की नियुक्ति
Special Public Prosecutor की नियुक्ति या तो केन्द्र सरकार या राज्य सरकार सम्बन्धित कोर्ट में मामलों के संचालन के प्रयोजन से Special Public Prosecutor की नियुक्ति कर सकती है।लोक अभियोजक की नियुक्ति स्वत: परिवादी के आवेदन पर नहीं हो सकती है। ऐसे विशेष कारण होते है जो इसके बारे में अभिलिखित किये जाने चाहिए कि Special Public Prosecutor को नियुक्त करते समय सामान्य नियम से विचलन क्यों किया गया है, आवेदन की प्राधिकारी के द्वारा उचित रूप से जाँच की जानी है और अभिलेख पर सामग्री के आधार पर समाधान हो जाने...
SC/ST Act के अंतर्गत पैरवी के लिए Special Public Prosecutor
किसी भी आपराधिक प्रकरण में पीड़ित के न्याय हेतु लोक अभियोजक जिसे सामान्य भाषा में सरकारी वकील कहा जाता है की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही वह व्यक्ति होता है जो सरकार की ओर से किसी प्रकरण में दोषियों को दंडित करवाने हेतु अपराध को साबित करता है। एक लोक अभियोजक पीड़ित के न्याय के लिए कार्य करता है। पीड़ित को न्याय दिया जाना राज्य की जिम्मेदारी होती है तथा इस उद्देश्य से ही राज्य द्वारा लोक अभियोजक की व्यवस्था की गई है।अनेक मामलों में हम यह देखते हैं कि लोक अभियोजकों पर अदालतों में मुकदमों...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 60 से 63 : नोटिस या उद्घोषणा की सेवा का तरीका
राजस्व प्रक्रिया में न्याय और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केवल न्यायालय के आदेश ही पर्याप्त नहीं होते, बल्कि यह भी आवश्यक होता है कि संबंधित पक्षों को सभी नोटिस समय से और सही तरीके से मिले हों, घोषणाएं विधिसम्मत रूप से की गई हों, और यदि कोई पक्षकार अनुपस्थित हो, तो उसके लिए भी एक न्यायसंगत प्रक्रिया अपनाई गई हो।राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 60 से 63 तक के प्रावधान इन सभी पहलुओं को नियंत्रित करते हैं। ये प्रावधान राजस्व मामलों में सूचना, उद्घोषणा और एकपक्षीय कार्यवाही की वैधता...
राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम 1961 की धारा 59 और 60 के अंतर्गत दंड और शुल्क की वसूली तथा राजस्व बोर्ड की भूमिका
राजस्थान न्यायालय शुल्क एवं वाद मूल्यांकन अधिनियम, 1961 में यह सुनिश्चित किया गया है कि मृतक व्यक्ति की संपत्ति पर जब उत्तराधिकारी को प्रॉबेट या प्रशासन-पत्र (Letters of Administration) दिया जाता है, तो उस पर उचित न्यायालय शुल्क लगे। अगर किसी कारणवश कम शुल्क अदा किया गया हो, जानबूझकर या गलती से, तो इस अधिनियम में ऐसे मामलों से निपटने के लिए सुस्पष्ट प्रावधान दिए गए हैं। धारा 59 और 60 इसी विषय से संबंधित हैं।धारा 59 – दंड व अन्य राशि की वसूली का प्रावधान यह धारा इस बात को सुनिश्चित करती है कि...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 453 से 456 : हाईकोर्ट द्वारा पुष्टि के बाद मृत्युदंड की सजा
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS), जो अब दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की जगह लागू हो चुकी है, उसमें मृत्युदंड (Death Sentence) से जुड़ी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति को मृत्युदंड देने से पहले सभी कानूनी प्रक्रियाएं (Legal Procedures) पूरी की जाएं और उसे संविधान द्वारा प्राप्त सभी अधिकार (Rights under Constitution) मिलें।इस अध्याय (Chapter XXXIV) का भाग-A (Part A) विशेष रूप से मृत्युदंड से संबंधित है और इसमें धारा 453 से...
क्या UAPA मामलों में मंजूरी में देरी के कारण चार्जशीट को अमान्य मानकर डिफॉल्ट दी जा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने जजबीर सिंह उर्फ जसबीर सिंह बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के मामले में यह अहम सवाल सुलझाया कि क्या Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 (UAPA) के तहत मुकदमा दर्ज होने पर यदि सरकार से अभियोजन की मंजूरी (Sanction) समय पर नहीं मिलती, तो क्या चार्जशीट अधूरी मानी जाएगी और आरोपी को डिफॉल्ट बेल (Default Bail) का हक मिलेगा?कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि जांच एजेंसी निर्धारित समय में चार्जशीट दाखिल कर देती है, तो मंजूरी बाद में आने से आरोपी को डिफॉल्ट बेल नहीं मिल सकती। धारा...
SC/ST Act में स्पेशल कोर्ट से Exclusive Court
इस एक्ट में स्पेशल कोर्ट से Exclusive Court के भी प्रावधान हैं। जिसके अनुसार-शीघ्र विचारण का उपबन्ध करने के प्रयोजन के लिए राज्य सरकार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक जिलों के लिए एक अनन्य स्पेशल कोर्ट स्थापित करेगी :परन्तु ऐसे जिलों में जहाँ अधिनियम के अधीन कम मामले अभिलिखित किये गये हैं, वहाँ राज्य सरकार, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति की सहमति से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे जिलों के लिए सेशन न्यायालयों को, इस अधिनियम के अधीन अपराधों का...
SC/ST Act के अंतर्गत केस की सुनवाई हेतु स्पेशल कोर्ट
इस अधिनियम को अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति पर होने वाले अत्याचारों के निवारण के उद्देश्य से बनाया गया है। इस अधिनियम में वे सभी व्यवस्थाएं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को उपलब्ध कराने के प्रयास किए गए हैं जिन के अभाव में इन जातियों के लोगों को संपूर्ण न्याय प्राप्त नहीं हो पाता है।किसी मामले का विचारण किसी स्पेशल कोर्ट द्वारा किया जाता है तब विचारण में कोर्ट को सुविधा रहती है तथा कोर्ट के समक्ष कार्यभार भी कम होता है।भारतीय कोर्ट की सबसे दुखद स्थिति यह है कि वहां मुकदमों की...
कैश रिकवरी मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा ने जिस इन-हाउस-इंक्वारी का किया सामना, उसकी प्रक्रिया को समझिए
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना ने गुरुवार को तीन न्यायाधीशों के पैनल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया, जिसने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ उनके आधिकारिक आवास पर कथित रूप से अनधिकृत करेंसी नोटों की खोज के संबंध में इन-हाउस जांच की थी।हालांकि रिपोर्ट के निष्कर्षों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन सीजेआई द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजे जाने का यह तथ्य निश्चित रूप से कुछ बातों का संकेत देता है:1. तीन न्यायाधीशों के पैनल ने...
SC/ST Act के अंतर्गत Unlawful assembly से चोट कारित करने का अपराध
जब कभी Unlawful assembly मतलब कोई गैर कानूनी भीड़ किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के साथ कोई मारपीट कारित करके चोट पहुँचाती है तब अलग अपराध बनता है। रफीकभाई एस० डीडिया बनाम स्टेट आफ गुजरात, 2008 क्रि० लॉ ज० 1197 (गुज०) के मामले में यह अभिकथन किया गया था कि अपीलार्थीगण परिवादी को केवल इस कारण से अपमानित किये कि वह अनुसूचित जाति का सदस्य है। ग्रामीणों के लिए लगाये गये नल पर अपीलार्थीगण तथा परिवादी के बीच कुछ गर्मागर्म कहा सुनी हुई, परन्तु यह दर्शाने के लिए कोई वैध, सशक्त साक्ष्य नहीं...




















