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सीआरपीसी की धारा 482 : जानिए उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्ति (Inherent Power) का अर्थ और उससे संबंधित कुछ विशेष प्रकरण
सीआरपीसी की धारा 482 : जानिए उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्ति (Inherent Power) का अर्थ और उससे संबंधित कुछ विशेष प्रकरण

दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (CrPC) के अंतर्गत धारा 482 के अधीन उच्च न्यायालय को अंतर्निहित शक्ति (Inherent Power) प्रदान की गई है। इस धारा के अधीन उच्च न्यायालय को एक विशेष शक्ति दी गई है। यह शक्ति दिए जाने का उद्देश्य न्यायालय की कार्यवाही को दुरुपयोग से बचाना है तथा न्याय के उद्देश्यों को बनाए रखना है।कोई भी संहिता, अधिनियम, नियम, अपने आप में पूर्ण नहीं होते हैं क्योंकि समय, परिस्थितियां, क्षेत्र, काल के अनुरूप सब कुछ बदलता रहता है तथा अधिनियम नियमों एवं सहिंता को बनाने वाली विधायिका में इतनी...

हिंदू विधि भाग 19 : कोई हिंदू व्यक्ति अपनी साहदायिकी संपत्ति सहित कोई भी संपत्ति कहीं भी वसीयत कर सकता है
हिंदू विधि भाग 19 : कोई हिंदू व्यक्ति अपनी साहदायिकी संपत्ति सहित कोई भी संपत्ति कहीं भी वसीयत कर सकता है

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 किसी निर्वसीयती मरने वाले हिंदुओं की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में वारिसान की व्यवस्था करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत हिंदू पुरुष और हिंदू नारी दोनों की संपत्ति के उत्तराधिकार की व्यवस्था की गई है पर यह अधिनियम केवल तब ही लागू होता है जब कोई हिंदू व्यक्ति अपने उत्तराधिकार के संबंध में कोई वसीयत कर कर नहीं मृत हुआ है।इस अधिनियम की धारा 30 महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है। इस धारा के अंतर्गत किसी हिंदू व्यक्ति को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपनी संपत्ति को...

हिंदू विधि भाग 18 : उत्तराधिकार से संबंधित संपत्ति में हिस्सेदारों को अग्रक्रयाधिकार (Peferential Right) प्राप्त होता है
हिंदू विधि भाग 18 : उत्तराधिकार से संबंधित संपत्ति में हिस्सेदारों को अग्रक्रयाधिकार (Peferential Right) प्राप्त होता है

हिंदू विधि के अधीन किसी निर्वसीयती मरने वाले हिंदू व्यक्ति की संपत्ति के सभी वारिसों को संपत्ति में अग्रक्रयाधिकार प्राप्त होता है अर्थात उत्तराधिकार के किसी हिस्से को खरीदने का पहला अधिकार उस संपत्ति के हिस्सेदारों को ही प्राप्त होता है।जहां निर्वसीयती मृत व्यक्ति की अचल संपत्ति अनुसूची के वर्ग -1 ही के दो या दो से अधिक वारिसों पर न्यागत होती है और उनमें से कोई वारिस उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति या व्यवसाय में अपने हित को अंतरित करना चाहता है, तो अन्य वारिस या वारिसगण को यह अधिमानी विधिक...

हिंदू विधि भाग- 17 : कोई हिंदू वारिस उत्तराधिकार से कब बेदखल होता है
हिंदू विधि भाग- 17 : कोई हिंदू वारिस उत्तराधिकार से कब बेदखल होता है

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 किसी बगैर वसीयत के स्वर्गीय होने वाले हिंदू पुरुष और स्त्री की संपत्ति के उत्तराधिकार के संबंध में नियमों को प्रस्तुत करता है। इस अधिनियम के अंतर्गत वारिसों का निर्धारण किया गया है। कौन से वारिस किस समय संपत्ति में उत्तराधिकार का हित रखते हैं।इस अधिनियम के अंतर्गत किसी संपत्ति में उत्तराधिकार रखने वाले वारिसों के बेदखल के संबंध में भी प्रावधान किए गए। कुछ परिस्थितियां ऐसी है जिनके आधार पर विधि वारिसों को उत्तराधिकार के हित से अयोग्य कर देती है। उत्तराधिकार के संबंध...

हिंदू विधि भाग 16 : बगैर वसीयत के स्वर्गवासी होने वाली हिंदू नारी की संपत्ति का उत्तराधिकार (Succession) कैसे तय होता है
हिंदू विधि भाग 16 : बगैर वसीयत के स्वर्गवासी होने वाली हिंदू नारी की संपत्ति का उत्तराधिकार (Succession) कैसे तय होता है

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 ( Hindu Succession Act, 1956) हिंदू पुरुष और हिंदू स्त्रियों में किसी प्रकार का उत्तराधिकार के संबंध में कोई भेदभाव नहीं करता है। यह विधि प्राकृतिक स्नेह और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। भारत की संसद द्वारा इसका निर्माण सामाजिक समरसता और समानता के आधार पर किया है।इस अधिनियम के अंतर्गत हिंदू पुरुष की संपत्ति को उत्तराधिकार में बांटने का अलग वैज्ञानिक तरीका है जिसका वर्णन इस अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत किया गया है। लेखक द्वारा इस अधिनियम की धारा 8 पर सारगर्भित...

हिंदी विधि भाग-15: बगैर वसीयत के स्वर्गवासी होने वाले हिंदू पुरुष के उत्तराधिकारियों में संपत्ति के बंटवारे का क्रम क्या होता है?
हिंदी विधि भाग-15: बगैर वसीयत के स्वर्गवासी होने वाले हिंदू पुरुष के उत्तराधिकारियों में संपत्ति के बंटवारे का क्रम क्या होता है?

इससे पूर्व के आलेख में किसी बगैर वसीयत के मरने वाले हिंदू पुरुष की संपत्ति के उत्तराधिकार के निर्धारण के संबंध में उल्लेख किया गया था तथा उन वारिसों को बताया गया था जिन्हें इस प्रकार बगैर वसीयत के मरने वाले हिंदू पुरुष की संपत्ति हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 8 के अंतर्गत उत्तराधिकार में प्राप्त होती है। इस आलेख में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार संपत्ति जब उत्तराधिकारियों को प्राप्त होती है तो वह किस क्रम में प्राप्त होगी! इस संबंध में चर्चा की जा रही है।हिंदू उत्तराधिकार...

हिंदू विधि भाग 14 : जानिए बगैर वसीयत के स्वर्गवासी होने वाले हिंदू पुरुष की संपत्ति का उत्तराधिकार (Succession) कैसे तय होता है
हिंदू विधि भाग 14 : जानिए बगैर वसीयत के स्वर्गवासी होने वाले हिंदू पुरुष की संपत्ति का उत्तराधिकार (Succession) कैसे तय होता है

हिंदू विधि (Hindu Law) किसी भी हिंदू पुरुष को यह अधिकार देती है कि वह अपनी कोई भी अर्जित संपत्ति को कहीं पर भी वसीयत कर सकता है। हिंदू विधि के अंतर्गत किसी भी हिंदू पुरुष को इस बात की बाध्यता नहीं है कि वह अपनी संपत्ति अपने परिवारजनों को ही वसीयत करे या उन्हें ही उत्तराधिकार में दे, स्वतंत्रतापूर्वक हिंदू पुरुष को यह अधिकार दिया गया है कि वह उसकी कमाई हुई संपत्ति को अपनी इच्छा के अनुरूप कहीं भी उत्तराधिकार में दे सकता है या उसे दान कर सकता है, उसे अपना उत्तराधिकार चुनने की स्वतंत्रता है।मुस्लिम...