क्या पंचायती चुनाव में उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता और व्यक्तिगत आवश्यकताएं होनी चाहिए?

Himanshu Mishra

9 Nov 2024 5:30 PM IST

  • क्या पंचायती चुनाव में उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता और व्यक्तिगत आवश्यकताएं होनी चाहिए?

    राजबाला व अन्य बनाम हरियाणा राज्य के महत्वपूर्ण फैसले में हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 में किए गए संशोधन, विशेषकर शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualifications) और कुछ व्यक्तिगत आवश्यकताओं (Personal Requirements) को चुनाव में खड़े होने के लिए जरूरी बनाने की संवैधानिकता पर सवाल उठाया गया था।

    याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि ये संशोधन भारतीय संविधान (Constitution of India) के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन करते हैं, खासकर कमजोर वर्ग के लोगों को चुनाव में हिस्सा लेने से रोकते हैं।

    इस फैसले ने स्पष्ट किया कि चुनाव में भाग लेने के लिए संविधान में निर्धारित अधिकारों की सीमा क्या है और कानून द्वारा उम्मीदवारों के लिए आवश्यक योग्यताओं को तय करने की शक्ति किस हद तक दी गई है।

    चुनाव लड़ने का संवैधानिक अधिकार (Right to Contest Elections as a Constitutional Right)

    मामले का प्रमुख मुद्दा यह था कि क्या पंचायती चुनावों में खड़े होने का अधिकार मौलिक अधिकार या संवैधानिक अधिकार (Constitutional Right) है।

    पिछले फैसलों, जैसे PUCL बनाम भारत संघ और DMDK बनाम भारत निर्वाचन आयोग में यह कहा गया था कि वोट देने का अधिकार (Right to Vote) एक संवैधानिक अधिकार है, जबकि चुनाव लड़ने का अधिकार सामान्यतः वैधानिक (Statutory) होता है।

    संविधान में अनुच्छेद 243F के तहत राज्य सरकार को स्थानीय चुनावों के लिए अयोग्यता या योग्यता (Qualifications) तय करने की शक्ति दी गई है, बशर्ते यह मौलिक अधिकारों के विरुद्ध न हो।

    73वां संशोधन और पंचायत की स्वायत्तता (The 73rd Amendment and Panchayat Autonomy)

    73वें संशोधन, जिसने संविधान में भाग IX को जोड़ा, ने पंचायती राज को स्वायत्त (Autonomous) इकाई के रूप में मान्यता दी। अनुच्छेद 243 से 243O में पंचायतों की संरचना, शक्ति और कार्यों का उल्लेख किया गया है, जिनमें चुनावी योग्यताओं (Electoral Qualifications) का विवरण अनुच्छेद 243F में दिया गया है।

    यह संशोधन पंचायतों की लोकतांत्रिक ढांचे में भूमिका को मजबूत बनाने के लिए किया गया था ताकि इन संस्थाओं में ऐसे प्रतिनिधि हों जो अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।

    अनुच्छेद 243F के तहत योग्यताएँ और अयोग्यताएँ (Qualifications and Disqualifications under Article 243F)

    न्यायालय ने माना कि हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम में निर्दिष्ट योग्यताएँ संविधान के अनुच्छेद 243F के तहत दी गई सीमाओं के भीतर हैं और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती हैं।

    इनमें शैक्षणिक योग्यता, बिजली और ऋण का भुगतान (Debt-Free) और घर में शौचालय (Functional Toilet) होना जैसे व्यक्तिगत मानदंड शामिल हैं।

    न्यायालय ने इस फैसले में जावेद बनाम हरियाणा राज्य जैसे पूर्व निर्णयों का भी उल्लेख किया, जहाँ यह स्पष्ट किया गया था कि जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से योग्यताओं को सीमित करना संविधान की सीमा में है। इसी प्रकार, पंचायत में चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता जैसी योग्यताएँ भी शासन के उद्देश्यों को सुधारने के लिए उपयुक्त मानी गईं।

    अनुच्छेद 14 और उचित वर्गीकरण का उपयोग (Role of Article 14 and Reasonable Classification)

    अनुच्छेद 14 के अनुसार, कानून में नागरिकों के बीच अनुचित भेदभाव (Discrimination) नहीं होना चाहिए। हालाँकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उचित वर्गीकरण (Reasonable Classification) तब स्वीकार्य है जब यह किसी स्पष्ट और वैध उद्देश्य को पूरा करता है।

    यहाँ शिक्षा, वित्तीय उत्तरदायित्व (Financial Accountability), और स्वच्छता के मानकों का उद्देश्य 73वें संशोधन में उल्लेखित "आदर्श प्रतिनिधि" तैयार करना था। अदालत ने कहा कि ये आवश्यकताएँ शासन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं और इसका स्पष्ट उद्देश्य है।

    चुनावी योग्यताओं पर विधायी अधिकार में न्यायालय के फैसले (Past Judgments Supporting Legislative Discretion in Setting Qualifications)

    सुब्रमण्यम स्वामी बनाम सीबीआई जैसे मामलों का हवाला देते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि विधायिका (Legislature) को चुनावों में योग्यताओं (Qualifications) को तय करने का अधिकार है और यह अधिकार किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।

    इसी तरह, के. कृष्णमूर्ति बनाम भारत संघ में संविधान पीठ ने स्वीकार किया कि चुनावी योग्यताओं को सरकार की गुणवत्ता को सुधारने के उद्देश्य से लगाया जा सकता है।

    न्यायालय ने यह भी बताया कि जब चुनावी प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत हो, तो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) का उल्लंघन नहीं होता है।

    अनुच्छेद 14 के तहत समानता और विवेकपूर्ण वर्गीकरण पर चर्चा (Addressing Claims of Arbitrariness and Equality under Article 14)

    न्यायालय ने इस मामले में अनुच्छेद 14 के अंतर्गत यह तर्क दिया कि यह संशोधन मनमाने नहीं हैं और आंध्र प्रदेश राज्य बनाम मैकडॉवेल एंड कंपनी में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी कानून को केवल मनमाने आधार पर असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता।

    इस मामले में यह फैसला किया गया कि पंचायती चुनाव में योग्यताओं को सुनिश्चित करने का उद्देश्य प्रशासनिक क्षमता को सुधारना है।

    चुनाव में भागीदारी के अधिकार और शासन के मानकों का संतुलन (Conclusion: Balancing Electoral Access with Governance Standards)

    राजबाला व अन्य बनाम हरियाणा राज्य के फैसले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनाव लड़ने का अधिकार (Right to Contest Elections) संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त है, लेकिन यह योग्यताओं के साथ जुड़ा है जो पंचायत में प्रभावी और जिम्मेदार प्रतिनिधित्व (Responsible Representation) सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं।

    न्यायालय ने हरियाणा संशोधन को यह मानते हुए सही ठहराया कि इसका उद्देश्य कमजोर वर्गों को रोकना नहीं बल्कि पंचायत स्तर पर योग्यता (Competency) और जिम्मेदारी (Accountability) सुनिश्चित करना है।

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