सेशन कोर्ट में मुकदमे की प्रारंभिक प्रक्रिया : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत सेक्शन 248 – 250
Himanshu Mishra
9 Nov 2024 5:23 PM IST
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को बदलते हुए एक नई कानूनी प्रक्रिया स्थापित की है। इसके Chapter XIX में सेशन न्यायालय (Court of Session) में मुकदमों की प्रक्रिया को समझाया गया है।
इसमें अभियोजन (Prosecution) की भूमिका, आरोपों (Charges) की जानकारी, और आरोपी (Accused) को डिस्चार्ज (Discharge) करने की संभावना पर विशेष जोर दिया गया है। इस लेख में हम BNSS के सेक्शन 248, 249 और 250 को सरल भाषा में समझाएंगे, जो कि सेशन न्यायालय में मुकदमे की प्रारंभिक प्रक्रिया से संबंधित है। आगे के लेखों में हम सेशन न्यायालय में मुकदमे की बाकी प्रक्रिया को विस्तार से समझाएंगे।
अभियोजन का संचालन (Conduct of the Prosecution) - सेक्शन 248
सेक्शन 248 के अनुसार, हर सेशन न्यायालय में अभियोजन प्रक्रिया (Prosecution Process) एक पब्लिक प्रोसिक्यूटर (Public Prosecutor) द्वारा की जानी चाहिए। इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गंभीर आरोपों से संबंधित मुकदमों में न्यायालय के सामने किसी अनुभवी सरकारी वकील (Government Lawyer) द्वारा तथ्यों को प्रस्तुत किया जाए।
सेशन न्यायालय में गंभीर अपराधों के मामले आने के कारण, Public Prosecutor की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह व्यक्ति सार्वजनिक हित (Public Interest) का प्रतिनिधित्व करता है और न्याय प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने में मदद करता है।
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि किसी व्यक्ति पर सशस्त्र डकैती (Armed Robbery) का आरोप है। ऐसे में Public Prosecutor का काम यह होता है कि वह साक्ष्य (Evidence) और गवाहों (Witnesses) के बयान प्रस्तुत करे ताकि आरोपी की संलिप्तता (Involvement) साबित हो सके। इस प्रावधान से यह सुनिश्चित होता है कि निष्पक्ष और न्यायसंगत प्रक्रिया बनी रहे।
अभियोजन द्वारा केस का उद्घाटन (Opening of the Case by the Prosecution) - सेक्शन 249
सेक्शन 249 के अनुसार, Public Prosecutor केस का उद्घाटन (Opening Statement) करता है जब आरोपी कोर्ट में पेश होता है या किसी अन्य कानून के तहत न्यायालय के समक्ष लाया जाता है। केस का उद्घाटन अभियोजक (Prosecutor) द्वारा आरोपों (Charges) का संक्षेप में वर्णन करके और यह बताते हुए किया जाता है कि आरोपी का दोष (Guilt) कैसे साक्ष्यों से साबित होगा।
उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति पर गंभीर चोट (Grievous Bodily Harm) का आरोप है, तो Public Prosecutor केस का उद्घाटन इस तरह करेगा कि वह घटना का विवरण देगा और यह बताएगा कि मेडिकल रिपोर्ट (Medical Report) और गवाहों के बयान किस तरह से यह दर्शाते हैं कि आरोपी ने अपराध (Crime) किया है।
यह प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि न्यायालय और आरोपी दोनों को प्रारंभ में ही यह पता चल जाए कि उनके खिलाफ क्या आरोप हैं और उन्हें किन साक्ष्यों के माध्यम से साबित किया जाएगा। इससे आरोपी को अपनी सफाई तैयार करने में सहायता मिलती है और अभियोजन पक्ष के केस की रणनीति और दृष्टिकोण में पारदर्शिता (Transparency) आती है।
डिस्चार्ज के लिए आवेदन (Application for Discharge) - सेक्शन 250
सेक्शन 250 के तहत आरोपी को इस बात का अधिकार दिया गया है कि वह मुकदमे के प्रारंभ में ही डिस्चार्ज (Discharge) के लिए आवेदन कर सकता है। इस प्रकार का आवेदन केस की प्रतिज्ञा (Commitment) की तारीख से साठ दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जा सकता है। इस प्रावधान का उद्देश्य आरोपी को यह अवसर देना है कि अगर आरोपों को लेकर पर्याप्त आधार (Sufficient Grounds) न हो, तो अदालत से केस समाप्त करने की अपील कर सके।
अगर आरोपी द्वारा डिस्चार्ज के लिए आवेदन किया जाता है, तो न्यायालय केस के रिकॉर्ड और दस्तावेजों (Documents) की जांच करता है। अगर न्यायाधीश को यह लगता है कि मामले में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त साक्ष्य (Evidence) नहीं हैं, तो वह आरोपी को डिस्चार्ज कर सकता है और अपने इस निर्णय के कारणों को लिखित में दर्ज करेगा।
उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति पर चोरी (Theft) का आरोप है लेकिन उपलब्ध साक्ष्य जैसे कि गवाहों के बयान (Witness Testimonies) या CCTV फुटेज (Footage) अप्रमाणिक या अविश्वसनीय हों, तो आरोपी डिस्चार्ज के लिए आवेदन कर सकता है।
यदि न्यायालय को लगता है कि आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, तो वह आरोपी को डिस्चार्ज का आदेश दे सकता है और मुकदमे की प्रक्रिया यहीं पर समाप्त हो सकती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के Chapter XIX के यह प्रारंभिक सेक्शन सेशन न्यायालय में मुकदमे की एक संरचित (Structured) प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हैं।
इन प्रावधानों के अनुसार, अभियोजन पक्ष को स्पष्ट आरोप लगाने होते हैं, साक्ष्यों को पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत करना होता है और आरोपी को यह अधिकार दिया जाता है कि अगर साक्ष्य अपर्याप्त हों तो वह प्रारंभिक डिस्चार्ज के लिए अपील कर सके।
आगे के लेखों में हम BNSS के अंतर्गत सेशन न्यायालय में मुकदमे की अगली प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे, जो इस नई कानूनी प्रणाली के माध्यम से एक निष्पक्ष और सुव्यवस्थित प्रक्रिया की स्थापना करता है।