जानिए हमारा कानून

राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 130 से 135: उत्तराधिकार और कब्जे के परिवर्तन की सूचना देना
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 130 से 135: उत्तराधिकार और कब्जे के परिवर्तन की सूचना देना

भूमि की सीमा, उसके स्वामित्व, अधिकार, हस्तांतरण और उससे संबंधित दस्तावेजों का सुरक्षित और अद्यतन रिकॉर्ड किसी भी राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ होती है। राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 को इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु लागू किया गया है।इस अधिनियम की धारा 130 से 135 तक में भूमि सीमाचिन्हों को नुकसान पहुँचाने पर दंड, फील्ड बुक और नक्शों का रखरखाव, वार्षिक रजिस्टरों का निर्माण, उत्तराधिकार या कब्जा परिवर्तन की रिपोर्टिंग तथा रिपोर्ट न करने पर दंड और तहसीलदार की प्रक्रिया को बहुत ही व्यवस्थित...

राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 124 से 129 : सीमाओं से जुड़े विवादों का समाधान तथा सीमाचिन्हों के रखरखाव की जिम्मेदारी
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 124 से 129 : सीमाओं से जुड़े विवादों का समाधान तथा सीमाचिन्हों के रखरखाव की जिम्मेदारी

धारा 124: किराए या लगान को लेकर विवाद की स्थिति में प्रक्रियाराजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 124 के अनुसार, यदि किसी भूमि का किराया या लगान कितना देना है, इसको लेकर कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो ऐसे मामलों में भूमि अभिलेख अधिकारी उस विवाद का निपटारा स्वयं नहीं करेगा।इसके स्थान पर, वह उस वर्ष के लिए, जिसमें अधिकार अभिलेख तैयार किया जा रहा हो, पिछले वर्ष की दर पर किराया या लगान दर्ज करेगा। यदि किसी न्यायिक आदेश, निर्णय, या वैध समझौते के तहत किराया या लगान घटाया या बढ़ाया गया हो, तो उस...

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 21 से 24 : इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लाइसेंस
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 21 से 24 : इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लाइसेंस

धारा 21: इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लाइसेंसधारा 21 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जिसे इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने की अनुमति चाहिए, वह नियंत्रक (Controller) के समक्ष आवेदन कर सकता है। लेकिन यह लाइसेंस तभी मिलेगा जब वह व्यक्ति केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कुछ आवश्यक योग्यताओं, विशेषज्ञता, मानव संसाधन, वित्तीय संसाधनों और आधारभूत सुविधाओं की शर्तों को पूरा करता हो। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि कोई कंपनी "डिजिटसर्ट इंडिया लिमिटेड" नाम से एक नया डिजिटल प्रमाणन...

बिना तलाक लिए दूसरी शादी: हिन्दू विवाह अधिनियम, भारतीय न्याय संहिता और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार क्या है कानून?
बिना तलाक लिए दूसरी शादी: हिन्दू विवाह अधिनियम, भारतीय न्याय संहिता और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार क्या है कानून?

भारत में विवाह (Marriage) केवल एक सामाजिक संस्था नहीं बल्कि एक कानूनी संबंध (Legal Relationship) है, जिसे अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानूनों के तहत नियंत्रित किया गया है। हिन्दू कानून (Hindu Law) के तहत एक व्यक्ति एक समय में केवल एक विवाह कर सकता है, यानी एक पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी करना कानूनन मना है। लेकिन आज भी कई लोग बिना पहले विवाह को खत्म किए (Divorce लिए बिना) दूसरी शादी कर लेते हैं।यह न सिर्फ कानून के खिलाफ है बल्कि इससे पहली पत्नी या पति के अधिकारों का उल्लंघन (Violation) होता...

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 116 से 121 : ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के अभिलेखन, सीमांकन और स्वामित्व निर्धारण की प्रक्रिया
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 116 से 121 : ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के अभिलेखन, सीमांकन और स्वामित्व निर्धारण की प्रक्रिया

राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएँ 116 से 121 तक ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के अभिलेखन, सीमांकन और स्वामित्व निर्धारण की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से वर्णित करती हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रामों की आम जरूरतों, निवास, कृषि कार्यों और स्वामित्व से जुड़ी सभी जानकारियाँ विधिसम्मत रूप से दर्ज और सुरक्षित की जाएँ। यह लेख इन धाराओं की सरल भाषा में व्याख्या प्रस्तुत करता है।धारा 116 - सामान्य प्रयोजनों के लिए उपयोग की जा रही बेनाम भूमि के संबंध में प्रक्रिया जब...