जानिए हमारा कानून
क्या Certified Copy मिलने में लगे समय को Appeal की Limitation में जोड़ा जा सकता है? Limitation Act और E-Filing से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
Supreme Court ने Sanket Kumar Agarwal बनाम APG Logistics Pvt. Ltd. (2023) के फैसले में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया संबंधी सवाल का समाधान किया कि Insolvency and Bankruptcy Code, 2016 (IBC) के तहत National Company Law Tribunal (NCLT) के आदेश के खिलाफ Appeal दायर करने की समय सीमा (Limitation) कैसे गिनी जानी चाहिए, खासकर जब Certified Copy मिलने में देरी हो जाती है।Court ने यह भी जांचा कि क्या E-Filing के साथ-साथ Physical Filing की अनिवार्यता आज के Digital युग में तार्किक है या नहीं। इस फैसले में Section...
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 130 से 135: उत्तराधिकार और कब्जे के परिवर्तन की सूचना देना
भूमि की सीमा, उसके स्वामित्व, अधिकार, हस्तांतरण और उससे संबंधित दस्तावेजों का सुरक्षित और अद्यतन रिकॉर्ड किसी भी राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ होती है। राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 को इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु लागू किया गया है।इस अधिनियम की धारा 130 से 135 तक में भूमि सीमाचिन्हों को नुकसान पहुँचाने पर दंड, फील्ड बुक और नक्शों का रखरखाव, वार्षिक रजिस्टरों का निर्माण, उत्तराधिकार या कब्जा परिवर्तन की रिपोर्टिंग तथा रिपोर्ट न करने पर दंड और तहसीलदार की प्रक्रिया को बहुत ही व्यवस्थित...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 30 से 34 : प्रमाणीकृत प्राधिकरण को पालन करने वाली प्रक्रियाएं
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में 'प्रमाणीकृत प्राधिकरण' (Certifying Authority) को इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (Electronic Signature Certificates) जारी करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई जिम्मेदारियां और कर्तव्य सौंपे गए हैं।धारा 30 – प्रमाणीकृत प्राधिकरण को पालन करने वाली प्रक्रियाएं इस धारा के तहत प्रत्येक प्रमाणीकृत प्राधिकरण को कुछ विशिष्ट प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य किया गया है ताकि वह सुरक्षित, विश्वसनीय और पारदर्शी सेवाएं प्रदान कर सके। यह धारा धारा 25 से सीधे...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 25 से 29 : किन परिस्थितियों में लाइसेंस रद्द किया जा सकता है?
इस लेख में हम सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 25 से 29 तक की सभी महत्वपूर्ण धाराओं का सरल हिंदी में विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं। यह धाराएं "प्रमाणीकृत प्राधिकरण" (Certifying Authority) के लाइसेंस को निलंबित, रद्द करने, जांच करने और कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंच जैसी शक्तियों से संबंधित हैं। इनका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्रों की सुरक्षा और वैधता को सुनिश्चित करना है।धारा 25 – लाइसेंस का निलंबन इस धारा के अंतर्गत नियंत्रक (Controller) को यह शक्ति दी गई है कि वह एक...
क्या Magistrate की अनुमति के बिना Police आगे की जांच कर सकती है? – Section 173(8) और Section 482 CrPC पर Supreme Court का निर्णय
Peethambaran बनाम State of Kerala (2023) के फैसले में Supreme Court ने दो अहम कानूनी मुद्दों पर चर्चा की – पहला, क्या Police को Code of Criminal Procedure, 1973 की धारा 173(8) (Section 173(8) CrPC) के तहत Magistrate की अनुमति के बिना Further Investigation (आगे की जांच) करने का अधिकार है? और दूसरा, क्या High Court अपनी Inherent Powers (निहित शक्तियों) का इस्तेमाल Section 482 CrPC के तहत कैसे और कब कर सकती है?इस फैसले में Supreme Court ने यह भी स्पष्ट किया कि IPC की धारा 420 (Section 420 IPC) के...
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 124 से 129 : सीमाओं से जुड़े विवादों का समाधान तथा सीमाचिन्हों के रखरखाव की जिम्मेदारी
धारा 124: किराए या लगान को लेकर विवाद की स्थिति में प्रक्रियाराजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 124 के अनुसार, यदि किसी भूमि का किराया या लगान कितना देना है, इसको लेकर कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो ऐसे मामलों में भूमि अभिलेख अधिकारी उस विवाद का निपटारा स्वयं नहीं करेगा।इसके स्थान पर, वह उस वर्ष के लिए, जिसमें अधिकार अभिलेख तैयार किया जा रहा हो, पिछले वर्ष की दर पर किराया या लगान दर्ज करेगा। यदि किसी न्यायिक आदेश, निर्णय, या वैध समझौते के तहत किराया या लगान घटाया या बढ़ाया गया हो, तो उस...
Consumer Protection Act में Compensation award
इस एक्ट के एक केस रोसम्मा यामत बनाम बी० भास्करन नैप्पर, 1997 के मामले में जिला फोरम ने यह अभिनिर्धारित किया कि सेकेण्ड्स के बाबत केता को भत्ता देने के लिए इसलिए निर्देश दिया गया क्योंकि उच्च गुणात्मकता के लिए निर्धारित मूल्य का संग्रह करने के विरोधी पक्षकार के आचरण को अनुचित व्यवसाय वृत्ति का अभिप्राय रखने वाला माना जाना उचित है। इसके अलावा जिला फोरम ने 1,000 रुपये का प्रतिकर का भी संदाय करने के लिए विरोधी पक्षकार को निर्देश दिया। इस निर्णय के विरुद्ध जब अपील दायर की गयी, तब यह अभिनिर्धारित किया...
Consumer Protection Act में स्टेट फोरम की व्यवस्था
इस एक्ट की धारा 47 में स्टेट फोरम के प्रावधान किये गए हैं जो एक अपील फोरम तो है ही साथ ही ट्रायल फोरम भी है जो बड़ी धनराशि की कंप्लेंट भी सुनती है।इस एक्ट की स्टेट फोरम से संबंधित धारा 47 इस प्रकार हैराज्य आयोग की अधिकारिता-(1) इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य आयोग को निम्नलिखित की अधिकारिता होगी(क) (i) उन परिवादों को ग्रहण करना जिनमें प्रतिफल के रूप में संदत्त माल या सेवाओं का मूल्य एक करोड़ रु से अधिक है किन्तु दस करोड़ रु से अधिक नहीं हो: परंतु जहां केन्द्रीय सरकार ऐसा करना...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 482: अग्रिम जमानत की अवधारणा
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 482 उस स्थिति को संबोधित करती है जब किसी व्यक्ति को यह आशंका हो कि उसे किसी गैर-जमानती अपराध (Non-Bailable Offence) के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है।इस स्थिति में, व्यक्ति अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) की मांग कर सकता है। यह धारा पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 438 से प्रेरित है, जिसे अग्रिम जमानत की धारा के रूप में जाना जाता था। धारा 482 में इस प्रकार की जमानत प्राप्त करने की प्रक्रिया,...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 21 से 24 : इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लाइसेंस
धारा 21: इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लाइसेंसधारा 21 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जिसे इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाण पत्र जारी करने की अनुमति चाहिए, वह नियंत्रक (Controller) के समक्ष आवेदन कर सकता है। लेकिन यह लाइसेंस तभी मिलेगा जब वह व्यक्ति केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कुछ आवश्यक योग्यताओं, विशेषज्ञता, मानव संसाधन, वित्तीय संसाधनों और आधारभूत सुविधाओं की शर्तों को पूरा करता हो। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि कोई कंपनी "डिजिटसर्ट इंडिया लिमिटेड" नाम से एक नया डिजिटल प्रमाणन...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 480: गैर-जमानती अपराधों में जमानत कब ली जा सकती है?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 480 गैर-जमानती अपराधों (Non-Bailable Offences) में जमानत (Bail) से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करती है। यह धारा न्यायालयों को यह निर्धारित करने का अधिकार देती है कि किन परिस्थितियों में ऐसे अपराधों के आरोपियों को जमानत दी जा सकती है।धारा 480(1): गैर-जमानती अपराधों में जमानत का प्रावधान (Section 480(1): Provision for Bail in Non-Bailable Offences) यदि कोई व्यक्ति, जिसे किसी गैर-जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार...
बिना तलाक लिए दूसरी शादी: हिन्दू विवाह अधिनियम, भारतीय न्याय संहिता और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार क्या है कानून?
भारत में विवाह (Marriage) केवल एक सामाजिक संस्था नहीं बल्कि एक कानूनी संबंध (Legal Relationship) है, जिसे अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानूनों के तहत नियंत्रित किया गया है। हिन्दू कानून (Hindu Law) के तहत एक व्यक्ति एक समय में केवल एक विवाह कर सकता है, यानी एक पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी करना कानूनन मना है। लेकिन आज भी कई लोग बिना पहले विवाह को खत्म किए (Divorce लिए बिना) दूसरी शादी कर लेते हैं।यह न सिर्फ कानून के खिलाफ है बल्कि इससे पहली पत्नी या पति के अधिकारों का उल्लंघन (Violation) होता...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 116 से 121 : ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के अभिलेखन, सीमांकन और स्वामित्व निर्धारण की प्रक्रिया
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएँ 116 से 121 तक ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के अभिलेखन, सीमांकन और स्वामित्व निर्धारण की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से वर्णित करती हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रामों की आम जरूरतों, निवास, कृषि कार्यों और स्वामित्व से जुड़ी सभी जानकारियाँ विधिसम्मत रूप से दर्ज और सुरक्षित की जाएँ। यह लेख इन धाराओं की सरल भाषा में व्याख्या प्रस्तुत करता है।धारा 116 - सामान्य प्रयोजनों के लिए उपयोग की जा रही बेनाम भूमि के संबंध में प्रक्रिया जब...
Consumer Protection Act में डिस्ट्रिक्ट फोरम के ऑर्डर के विरुद्ध अपील
इस एक्ट की धारा-41 डिस्ट्रिक्ट फोरम के आर्डर के विरुद्ध अपील का अधिकार देती है।जिला आयोग द्वारा किए गए किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति ऐसे आदेश की तारीख से 45 दिन की अवधि के भीतर ऐसे प्ररूप और रीति में जो विहित किया जाए, तथ्यों या विधि के आधारों पर राज्य आयोग को ऐसे आदेश के विरुद्ध अपील कर सकेगापरंतु राज्य आयोग पैंतालीस दिन की उक्त अवधि की समाप्ति के पश्चात् अपील ग्रहण कर सकेगा यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि उक्त अवधि के भीतर अपील फाइल न करने के लिए पर्याप्त हेतुक थापरंतु यह और कि किसी ऐसे...
Consumer Protection Act के अंतर्गत रेलवे के विरुद्ध कंप्लेंट
इस एक्ट से जुड़े एक मामले फिरोज अमरोली बनाम भारतीय रेलवे में रेलवे द्वारा कुछ गाड़ियों को मनमाने ढंग से सुपर गाड़ियों के रूप में वर्गीकृत करने तथा यात्रियों से अतिरिक्त चार्ज वसूलने के संबंध में परिवाद संस्थित किया गया। सुपर फास्ट गाड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के लिए जो मापदण्ड था वह अधिकारियों द्वारा अनुसरित निर्देशांक के रूप में बहुत अल्प सुसंगत अपवा सहायतार्थ पाया गया। रेलवे बोर्ड ने मामले के प्रति अपना ध्यानाकर्षण करने के लिए नवीन निर्देशांको (guidelines) को प्रतिपादित किया।मामले का परिशीलन...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 479: विचाराधीन बंदियों की अधिकतम निरुद्ध
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 479, विचाराधीन बंदियों (Undertrial Prisoners) की अधिकतम निरुद्ध अवधि (Maximum Detention Period) को निर्धारित करती है।यह प्रावधान पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) की धारा 436A के स्थान पर लागू हुआ है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में देरी के कारण विचाराधीन बंदियों की अनावश्यक लंबी निरुद्धता को रोकना और जेलों में भीड़भाड़ को कम करना है। धारा 479(1): सामान्य प्रावधान...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 17, 18 और 19 : प्रमाणन प्राधिकरणों का विनियमन
अध्याय VI – प्रमाणन प्राधिकरणों का विनियमनसूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का अध्याय VI, भारत में डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणन तंत्र को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए बनाए गए प्रमाणन प्राधिकरणों (Certifying Authorities) के नियमन (regulation) से संबंधित है। यह अध्याय विशेष रूप से यह सुनिश्चित करता है कि डिजिटल प्रमाणन प्रणाली में पारदर्शिता, विश्वसनीयता और सरकारी निगरानी बनी रहे। इस अध्याय में कुल तीन धाराएं शामिल हैं—धारा 17, 18 और 19, जो नियंत्रक (Controller) की नियुक्ति, उनके कार्यों और विदेशी...
जस्टिस यशवंत वर्मा मामला: जजों को हटाने की प्रक्रिया, कानून और मौजूदा स्थिति
न्यायाधीशों को हटाने की संवैधानिक प्रक्रिया (Constitutional Process of Removing Judges)भारत के संविधान में यह प्रावधान है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीश (Judges) तब तक अपने पद पर बने रहेंगे जब तक उनके खिलाफ "दुर्व्यवहार (Misbehaviour)" या "असमर्थता (Incapacity)" साबित न हो जाए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 124(4) और (5) और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए अनुच्छेद 217(1)(b) और 218 लागू होते हैं। हटाने की प्रक्रिया संसद (Parliament) में शुरू होती...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 111 से 115 : सीमाओं से संबंधित विवादों का निवारण
धारा 111: सीमाओं से संबंधित विवादों का निवारणइस धारा के अनुसार, यदि किसी भूमि की सीमा को लेकर विवाद उत्पन्न होता है, तो उसे निपटाने की जिम्मेदारी भूमि अभिलेख अधिकारी (Land Records Officer) की होगी। सबसे पहले अधिकारी यह प्रयास करेगा कि वह विवाद का निपटारा पहले से उपलब्ध सर्वेक्षण मानचित्रों के आधार पर करे। यदि ऐसा मानचित्र उपलब्ध नहीं है, या किसी कारण से उसका उपयोग संभव नहीं है, तो वह वर्तमान भौतिक कब्जे (actual possession) के आधार पर निर्णय करेगा। यदि अधिकारी यह निश्चित नहीं कर पाता कि कौन-सा...
Consumer Protection Act की धारा 39 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 39 इस प्रकार हैजिला आयोग के निष्कर्ष-(1) जिला आयोग का यह समाधान हो जाता है कि जिन मालों के विरुद्ध परिवाद किया गया है वह परिवाद में विनिर्दिष्ट त्रुटियों में से किसी त्रुटि से ग्रस्त है या परिवाद में सेवाओं के अधीन प्रतिकर का कोई दावा साबित हो गया है तो वह विरोधी पक्षकार को निम्नलिखित में से एक या अधिक बातें करने का निर्देश देने वाला आदेश जारी कर सकेगा, अर्थात्(क) प्रश्नगत माल में से समुचित प्रयोगशाला द्वारा प्रकट की गई त्रुटि को दूर करना;(ख) माल को उसी वर्णन के नए और त्रुटिहीन...




















