गवाही दर्ज करने के लिए कमीशन प्रक्रिया और पक्षकार के अधिकार: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 321 और 322
Himanshu Mishra
27 Dec 2024 12:21 PM

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) का उद्देश्य न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाना है। इस संहिता की धारा 319 से 322 गवाहों की गवाही (Testimony) दर्ज करने के लिए कमीशन (Commission) की प्रक्रिया को समझाती हैं। धारा 319 और 320 इस प्रक्रिया की नींव रखते हैं, जबकि धारा 321 और 322 इसे विस्तार और व्यावहारिकता प्रदान करती हैं।
यह लेख धारा 321 और 322 का सरल भाषा में विश्लेषण करेगा, साथ ही पहले की धाराओं का संदर्भ भी देगा ताकि इस प्रक्रिया की गहराई को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
गवाहों के लिए कमीशन जारी करने की नींव: धारा 319 और 320
धारा 319 न्यायालय को यह अधिकार देती है कि यदि किसी गवाह की गवाही न्याय के लिए आवश्यक है और उनकी उपस्थिति में अत्यधिक देरी, खर्च, या असुविधा हो सकती है, तो कमीशन जारी किया जाए। यह प्रावधान गवाही को जल्द और प्रभावी तरीके से दर्ज करने की अनुमति देता है।
धारा 320 यह बताती है कि कमीशन किसे जारी किया जाएगा। यदि गवाह संहिता के क्षेत्राधिकार (Jurisdiction) के भीतर है, तो उसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) को निर्देशित किया जाएगा। यदि गवाह विदेश में है, तो केंद्रीय सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिकारी को कमीशन जारी किया जाएगा।
ये दोनों धाराएं गवाही दर्ज करने के लिए स्पष्ट और व्यवस्थित प्रक्रिया का आधार प्रदान करती हैं।
धारा 321: कमीशन की प्रक्रिया और मजिस्ट्रेट का कर्तव्य
धारा 321 यह बताती है कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या उनके द्वारा नियुक्त कोई अन्य मजिस्ट्रेट कमीशन मिलने पर क्या करेंगे। यह सुनिश्चित करता है कि गवाह की गवाही संहिता में वर्णित वारंट मामलों (Warrant Cases) के समान तरीके से दर्ज की जाए।
धारा 321 के अंतर्गत प्रक्रिया
जब मजिस्ट्रेट को कमीशन मिलता है, तो उन्हें गवाह को सम्मन (Summon) जारी करना होता है। यदि गवाह मजिस्ट्रेट के कार्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता, तो मजिस्ट्रेट को उसके स्थान पर जाना पड़ता है।
इस प्रक्रिया के दौरान, गवाह की गवाही उसी विधि से दर्ज की जाती है जैसे वारंट मामलों में होती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई गवाह दूरस्थ गांव में रहता है और यात्रा करने में असमर्थ है, तो मजिस्ट्रेट गांव जाकर गवाही दर्ज कर सकते हैं।
गवाही दर्ज करते समय मजिस्ट्रेट को वही शक्तियां प्राप्त होती हैं, जो सामान्य ट्रायल (Trial) के दौरान होती हैं, जैसे गवाहों को बुलाना, शपथ दिलाना, और रिकॉर्डिंग करना।
धारा 322: पक्षकार के अधिकार और गवाही में भागीदारी
धारा 322 इस बात पर जोर देती है कि न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए पक्षकारों (Parties) को गवाही प्रक्रिया में भाग लेने का पूरा अधिकार है।
प्रश्न पूछने का अधिकार (Interrogatories)
धारा 322(1) के अनुसार, दोनों पक्ष लिखित प्रश्न (Interrogatories) मजिस्ट्रेट को भेज सकते हैं। ये प्रश्न केवल उन्हीं मुद्दों से संबंधित होने चाहिए जो मामले के लिए प्रासंगिक हों।
उदाहरण के लिए, धोखाधड़ी (Fraud) के मामले में, बचाव पक्ष गवाह से वित्तीय लेनदेन पर स्पष्टीकरण मांग सकता है। मजिस्ट्रेट केवल प्रासंगिक प्रश्नों की अनुमति देकर प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
गवाह का परीक्षण (Examination)
धारा 322(2) के अंतर्गत, दोनों पक्ष मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित होकर गवाह से सीधे प्रश्न पूछ सकते हैं। यह उपस्थिति व्यक्तिगत रूप से (यदि पक्षकार हिरासत में नहीं है) या उनके वकील के माध्यम से हो सकती है।
उदाहरण के लिए, हत्या के मामले में, बचाव पक्ष गवाह की गवाही में विरोधाभासों को उजागर करने के लिए उनसे प्रश्न पूछ सकता है। अभियोजन पक्ष (Prosecution) इसके बाद गवाह की विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए पुनः प्रश्न पूछ सकता है।
इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि गवाह की गवाही पर उचित परीक्षण हो और किसी भी पक्ष को पूर्वाग्रह का सामना न करना पड़े।
धारा 321 और 322 के बीच संबंध
धारा 321 कमीशन को लागू करने की प्रक्रिया को निर्धारित करती है, जबकि धारा 322 यह सुनिश्चित करती है कि पक्षकार गवाह के परीक्षण में पूरी तरह से भाग ले सकें। दोनों धाराएं मिलकर यह सुनिश्चित करती हैं कि गवाह की गवाही कानूनी रूप से वैध और निष्पक्ष हो।
व्यावहारिक उदाहरण
1. दूरस्थ स्थान पर कमीशन का कार्यान्वयन
एक भ्रष्टाचार के मामले में, गवाह एक सुदूर गांव में रहता है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गांव जाकर गवाही दर्ज करते हैं। इस दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों उपस्थित रहते हैं और गवाह से प्रश्न पूछते हैं।
2. विदेश में गवाह की गवाही
एक नशीली दवाओं के मामले में गवाह अमेरिका में रहता है। केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी गवाही दर्ज करते हैं। वकील वर्चुअल माध्यम से गवाह से प्रश्न पूछते हैं।
3. जटिल मामलों में पक्षकारों की भागीदारी
एक वित्तीय घोटाले के मामले में, आरोपी जमानत पर है और मजिस्ट्रेट के सामने गवाह से प्रश्न पूछता है। अभियोजन पक्ष बाद में गवाह की गवाही को मजबूत करने के लिए पुनः प्रश्न करता है।
धारा 321 और 322 गवाही दर्ज करने की प्रक्रिया को व्यवस्थित और निष्पक्ष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये धाराएं यह सुनिश्चित करती हैं कि गवाहों की गवाही प्रभावी ढंग से दर्ज की जाए और इसमें शामिल सभी पक्षों को न्यायपूर्ण भागीदारी का अवसर मिले।
इन प्रावधानों के माध्यम से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता न्याय प्रणाली को अधिक मजबूत और कुशल बनाती है। यह प्रक्रिया न केवल न्याय को तेजी से सुनिश्चित करती है, बल्कि पक्षकारों के अधिकारों की भी रक्षा करती है।