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Consumer Protection Act में डिस्ट्रिक्ट फोरम में कंप्लेंट कैसे की जाती है?
डिस्ट्रिक्ट फोरम में कंप्लेंट कैसे की जाए इसके बारे में इस एक्ट की धारा 35 में बताया गया-(1) विक्रय की गई किसी वस्तु या परिदत्त की गई या बिक्री की गई या परिदत्त की गई या उपलब्ध कराई गई किसी सेवा या उपलब्ध कराए जाने के लिए सहमति दी गई किसी सेवा के संबंध में परिवाद को जिला आयोग के पास फाइल किया जा सकेगा, जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रानिक ढंग भी है-(क) उपभोक्ता, जिन्हें ऐसे मालों का विक्रय किया गया है या परिदान किया गया है या विक्रय करने या परिदान करने की सहमति दी गई है या ऐसी सेवा उपलब्ध कराई गई है या...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 478: जमानत और बांड से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया
जमानत और बांड का अर्थ (Meaning of Bail and Bond)आगे बढ़ने से पहले यह समझना जरूरी है कि जमानत (Bail) और बांड (Bond) का मतलब क्या होता है। जमानत का मतलब होता है कि जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया हो, तो उसे कुछ शर्तों के साथ अस्थायी रूप से पुलिस या अदालत की हिरासत से छोड़ा जा सकता है, बशर्ते वह भविष्य में कोर्ट में पेश होने का वादा करे। यह वादा एक लिखित बांड या ज़मानती (Surety) के जरिए किया जाता है। बांड एक लिखित वादा (Written Promise) होता है कि व्यक्ति तय तारीखों पर अदालत में हाजिर होगा।...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धाराएं 103 से 110 : स्थानीय निकायों द्वारा राजस्व अधिकारियों की शक्तियों
धारा 103 – अध्याय VI के प्रयोजनों के लिए भूमि और आबादी की परिभाषाइस धारा के अंतर्गत "भूमि" और "आबादी" शब्दों की परिभाषा दी गई है जो इस अध्याय के लिए लागू होती है। भूमि में वे सभी प्रकार की जमीनें आती हैं जो राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की धारा 5(24) के अंतर्गत आती हैं, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय या किसी शैक्षणिक संस्था के अधीन अधिग्रहित भूमि, सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त भूमि जैसे रास्ते या श्मशान आदि, सरकार या स्थानीय निकाय द्वारा प्राप्त अन्य भूमि, नजूल भूमि तथा आबादी क्षेत्र में...
क्या किसी Government Employee को Annual Increment सिर्फ़ इसलिए नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि वो अगली सुबह Retire हो गया?
मुख्य कानूनी मुद्दाSupreme Court ने The Director (Admn. and HR), KPTCL & Ors. v. C.P. Mundinamani & Ors. केस में एक महत्वपूर्ण Service Law से जुड़ा सवाल तय किया: क्या कोई Government Employee जिसने Annual Increment अपने सेवा के आखिरी दिन Earn किया हो, उसे सिर्फ़ इस वजह से उस Increment से वंचित (Denied) किया जा सकता है क्योंकि उसका Retirement अगली सुबह हो गया? यह मामला सिर्फ एक Service Benefit का नहीं है, बल्कि यह Administrative Fairness, Legal Interpretation और Article 14 के तहत...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 14, 15 और 16 के अंतर्गत सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स और डिजिटल हस्ताक्षरों को वैधानिक मान्यता प्रदान करना है। इस अधिनियम के अध्याय पाँच में सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख (Secure Electronic Record) और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Secure Electronic Signature) की परिभाषा और उनकी वैधता से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान दिए गए हैं। इस अध्याय की धारा 14, 15 और 16, डिजिटल दुनिया में होने वाले लेन-देन, संविदाओं और दस्तावेजों की प्रामाणिकता को सुनिश्चित करने की दृष्टि से अत्यंत...
Consumer Protection Act में डिस्ट्रिक्ट फोरम का Jurisdiction
इस एक्ट के अंतर्गत चले एक मुक़दमे में यह दलील पेश की गयी कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के परिप्रेक्ष्य में क्षेत्राधिकार वाले न्यायालयों को जिला मंच एवं राज्य आयोग में लम्बित मुकदमों से संबंधित सुनने का अधिकार नहीं है।इस तरह की दलील की विधि तथा उसका स्पष्टीकरण इस बात पर आधारित था, कि यह अधिनियम पर्याप्त बैंक लिपिक उपचार प्रदाय करता है इसी कारण रिट दाखिल नहीं की जा सकती है। यह अभिनिर्धारित किया गया कि सुप्रीम कोर्ट के तमाम निर्णयों को पर्यात वैकल्पिक उपचार होने के कारण अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत उपचार...
Consumer Protection Act में डिस्ट्रिक्ट फोरम के संबंध में प्रावधान
इस एक्ट की धारा 34 में डिस्ट्रिक्ट फोरम के संबंध में इस प्रकार प्रावधान किये गए हैं-(1) इस अधिनियम अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए जिला आयोग को वहां परिवादों को स्वीकार करने की अधिकारिता होगी जहां वस्तुओं या सेवाओं के प्रतिफल के रूप में संदत्त मूल्य का (एक करोड़) से अधिक नहीं होता है :परंतु जहां केन्द्रीय सरकार ऐसा करना आवश्यक समझती है, तो वह ऐसा अन्य विहित कर सकेगी, जो वह ठीक समझे।(2) किसी जिला आयोग की स्थानीय सीमाओं में कोई परिवाद संस्थित किया जाएगा, जिसकी अधिकारिता में,-(क) परिवाद आरंभ करने के...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 477 : विशेष मामलों में राज्य सरकार को केंद्र सरकार की सहमति
परिचयभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 477 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह धारा विशेष रूप से उन मामलों से संबंधित है जहाँ सजा को क्षमादान (remission), निलंबन (suspension) या रूपांतरण (commutation) देने की शक्तियाँ राज्य सरकार को तो प्राप्त हैं, परंतु उन्हें कुछ मामलों में केंद्र सरकार की सहमति के बाद ही प्रयोग किया जा सकता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केंद्र सरकार...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 14, 15 और 16 के अंतर्गत सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स और डिजिटल हस्ताक्षरों को वैधानिक मान्यता प्रदान करना है। इस अधिनियम के अध्याय पाँच में सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख (Secure Electronic Record) और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Secure Electronic Signature) की परिभाषा और उनकी वैधता से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान दिए गए हैं। इस अध्याय की धारा 14, 15 और 16, डिजिटल दुनिया में होने वाले लेन-देन, संविदाओं और दस्तावेजों की प्रामाणिकता को सुनिश्चित करने की दृष्टि से अत्यंत...
हाईकोर्ट में लंबित मामलों और जजों की कमी का संकट: न्याय में देरी, अन्याय के बराबर
भारत का संविधान न्याय को मौलिक अधिकार मानता है। हर नागरिक को त्वरित, सुलभ और निष्पक्ष न्याय मिलना चाहिए। लेकिन जब हम देश की न्याय प्रणाली की वास्तविक स्थिति को देखते हैं, खासकर हाईकोर्ट की स्थिति को, तो यह स्पष्ट होता है कि न्याय केवल कागज़ों पर तेज़ी से चलता है।न्यायालयों में मामलों की अत्यधिक संख्या और न्यायाधीशों की कमी के कारण न्याय की प्रक्रिया में बहुत अधिक देरी होती है। यह देरी न केवल न्याय को निरर्थक बनाती है, बल्कि लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन भी करती है। भारत में हाईकोर्ट की...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 99 से 102-A : गांवों में भवन निर्माण को नियंत्रित करने का अधिकार
प्रस्तावनाराजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 एक ऐसा महत्वपूर्ण कानून है जो भूमि के प्रबंधन, उपयोग और आवंटन से जुड़े नियमों को नियंत्रित करता है। इस अधिनियम के तहत कई धाराएं बनाई गई हैं जो विशेष रूप से ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में भूमि के निर्माण, बिक्री, आवंटन और उपयोग के विषय में सरकार को अधिकार प्रदान करती हैं। इस लेख में हम विशेष रूप से धाराएं 99, 100, 101, 102 और 102-A की व्याख्या सरल भाषा में करेंगे और इनके अंतर्गत दिए गए प्रावधानों को उदाहरणों के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे। धारा...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 474, 475 और 476 : बिना दोषी की सहमति के सजा का परिवर्तन
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 474, 475 और 476 सजाओं में परिवर्तन, न्यूनतम कारावास अवधि और केंद्र व राज्य सरकार की शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती हैं।इन तीनों धाराओं का गहरा संबंध धारा 473 से है, जो सरकार को सजाओं के निलंबन और क्षमादान का अधिकार देती है। इन धाराओं के माध्यम से कानून यह सुनिश्चित करता है कि सजा में बदलाव मानवीय दृष्टिकोण से किया जाए, लेकिन यह भी कि अपराध की गंभीरता के आधार पर न्यूनतम न्यायिक संतुलन बना रहे। धारा...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 11, 12 और 13 : इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उद्गम, स्वीकार्यता और प्रेषण की प्रक्रिया
धारा 11: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उद्गम (Attribution of Electronic Records)इस धारा में बताया गया है कि किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को किसके द्वारा भेजा गया माना जाएगा। अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड किसी व्यक्ति (Originator) ने स्वयं भेजा हो, तो वह रिकॉर्ड उसी का माना जाएगा। अगर वह रिकॉर्ड किसी ऐसे व्यक्ति ने भेजा है जिसे उस व्यक्ति की ओर से कार्य करने का अधिकार था, तब भी वह रिकॉर्ड उसी मूल व्यक्ति का माना जाएगा। इसके अतिरिक्त, अगर कोई सूचना प्रणाली (Information System) उस व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर...
जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक की न्यायिक यात्रा: बॉम्बे हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक जस्टिस ओक का सिद्धांतवादी सफर
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Early Life and Education)जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक का जन्म 25 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने पहले विज्ञान (Bachelor of Science) में स्नातक की पढ़ाई की और फिर बॉम्बे यूनिवर्सिटी (University of Bombay) से कानून में स्नातकोत्तर (Master of Laws - LL.M.) की डिग्री प्राप्त की। यह मजबूत शैक्षणिक आधार उनके न्यायिक जीवन की नींव बना। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 28 जून 1983 को अधिवक्ता (Advocate) के रूप में पंजीकरण कराया और ठाणे जिला न्यायालय (Thane District Court) में अपने...
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 95 से 98 : आबादी भूमि की नीलामी
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 95 से 98 तक की प्रविधियां विशेष रूप से "आबादी भूमि" से संबंधित हैं। ये धाराएं इस विषय में दिशा-निर्देश देती हैं कि किस प्रकार से आबादी क्षेत्र में भूमि का विकास, अधिकारों का हस्तांतरण, नजूल भूमि का आवंटन, बोली प्रक्रिया, तथा कबाड़ और चारे के भंडारण हेतु भूमि का आवंटन किया जाएगा।धारा 95 - आबादी का विकास इस धारा में राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह आबादी क्षेत्र के विकास के लिए नियम बना सकती है। इस उद्देश्य में नजूल भूमि का आवंटन, आरक्षित भूमि...
Consumer Protection Act के अनुसार डिपॉजिट करके निवेश करने वाले ग्राहक माने जाएंगे या नहीं
इस एक्ट से जुड़े एक मामले शालिक अलाउद्दीन एवं अन्य बनाम टर्की कंस्ट्रक्शन एवं अन्य में यह निर्णीत किया गया कि वे परिवादीगण उपभोक्ता होने की हैसियत रखते है जिन्होंने विपक्षी फर्म में धन का विनियोग किया है। इसी फर्म के विपक्षीगण क्रमांक 2 से 4 तक भागीदार है तथा परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) (घ) (II) के अर्थ में उपभोक्ता है।परिपक्व धनराशि को वापस करने की असफलता ने यह सिद्ध कर दिया है कि उनकी सेवा में गम्भीर अपूर्णता विद्यमान है और इसलिए परिवादीगण इस दावा को पोषणीय रखने हेतु अधिकृत...
Consumer Protection Act में ग्राहक के संबंध में क़ानून
ग्राहक का तात्पर्य उपभोक्ता से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है, जो ऐसे किसी प्रतिफल के लिए जिसका संदाय कर दिया गया है या वचन दिया गया है या भागत संदाय किया गया है और भागत वचन दिया गया है, किसी अस्थगित संदाय पद्धति के अधीन किसी माल का क्रय करता है, इसके अन्तर्गत ऐसे किसी व्यक्ति से भिन्न ऐसे माल का कोई प्रयोग कर्त्ता भी है जो ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका संदाय किया गया है या वचन दिया गया है या भागत संदाय किया गया है या भागत वचन दिया गया है या अस्थगित मंदाय की पद्धति के अधीन माल का क्रय करता है जब ऐसा...
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 94: वनों की वृद्धि के नियंत्रण और प्रबंधन की शक्तियां
राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहाँ वनों का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से आवश्यक है, बल्कि यह स्थानीय ग्रामीण जीवन और आजीविका से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इसी उद्देश्य से राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 94 बनाई गई है, जो राज्य सरकार को वनों की वृद्धि के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए आवश्यक नियम बनाने की शक्ति प्रदान करती है। यह धारा न केवल पर्यावरण की रक्षा करती है बल्कि ग्रामों और सम्पदा (estate) के स्तर पर वन उत्पादों के संरक्षण को भी सुनिश्चित करती है।धारा 94(1): नियम बनाने की...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 10 और 10A : इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर से संबंधित नियम
धारा 10: इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Electronic Signature) से संबंधित नियम बनाने की केंद्र सरकार की शक्तिसूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 10 केंद्र सरकार को यह अधिकार देती है कि वह इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Electronic Signature) से जुड़े विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए नियम बना सके। इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर का उपयोग विधिक रूप से मान्य, सुरक्षित और प्रमाणिक हो। यह धारा अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक है, विशेषकर तब जब डिजिटल लेनदेन और...
क्या आरोपी को Default Bail मिल सकती है जब पहली Extension उसकी गैर-मौजूदगी में दी गई हो लेकिन उसने उसे चुनौती नहीं दी?
सुप्रीम कोर्ट ने क़मर ग़नी उस्मानी बनाम गुजरात राज्य [2023 LiveLaw (SC) 297] के फैसले में Code of Criminal Procedure (CrPC) की धारा 167(2) की व्याख्या करते हुए Default Bail (डिफॉल्ट ज़मानत) से जुड़ा एक महत्वपूर्ण सवाल सुलझाया। इस धारा के तहत, अगर जांच तय समय सीमा में पूरी नहीं होती और Chargesheet (चार्जशीट) दाख़िल नहीं होती, तो आरोपी को डिफॉल्ट ज़मानत का अधिकार मिल जाता है।इस मामले में कोर्ट को यह तय करना था कि क्या आरोपी को सिर्फ़ इस आधार पर डिफॉल्ट ज़मानत मिल सकती है कि जांच की अवधि बढ़ाने का...




















