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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का अध्याय IX: डेटा सुरक्षा में चूक के लिए मुआवजा
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) भारत में कंप्यूटर, इंटरनेट और साइबर अपराधों को नियंत्रित करने वाला एक प्रमुख कानून है। इसका अध्याय IX, विशेष रूप से धाराओं 43 और 43A के अंतर्गत, कंप्यूटर संसाधनों को बिना अनुमति एक्सेस करने, डाटा चोरी करने, वायरस डालने, नुकसान पहुँचाने आदि से संबंधित दंड और मुआवजे की व्यवस्था करता है। यह लेख इन धाराओं की सरल और विस्तृत व्याख्या करता है, ताकि आम व्यक्ति भी इसे समझ सके।धारा 43: कंप्यूटर, कंप्यूटर सिस्टम आदि को क्षति पहुँचाने पर...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 491: बांड की ज़ब्ती की स्थिति में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 491 एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो उस स्थिति से संबंधित है जब कोई व्यक्ति अपने द्वारा दिए गए बांड (Bond) की शर्तों का उल्लंघन करता है और न्यायालय द्वारा उसे ज़ब्त (forfeit) घोषित कर दिया जाता है।यह धारा यह भी निर्धारित करती है कि ऐसी स्थिति में न्यायालय क्या प्रक्रिया अपनाएगा, क्या अधिकार रखेगा, और जमानतदार (Surety) या अभियुक्त को क्या परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। धारा 491(1): जब बांड ज़ब्त हो जाए, तो...
डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले व्यक्ति की कानूनी जिम्मेदारियाँ: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 40 से 42
धारा 40 – कुंजी युग्म का निर्माणइस धारा के अनुसार, जब कोई व्यक्ति एक डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (Digital Signature Certificate) स्वीकार करता है, जिसमें एक सार्वजनिक कुंजी (public key) दी जाती है, तो उसका यह दायित्व बनता है कि वह उसी के अनुसार एक निजी कुंजी (private key) उत्पन्न करे। यह कुंजी युग्म यानी public और private key एक साथ और एक विशेष 'सुरक्षा प्रक्रिया' (Security Procedure) द्वारा उत्पन्न किया जाना चाहिए। यह प्रक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि डिजिटल हस्ताक्षर की गोपनीयता और प्रमाणिकता...
क्या सीनियर एडवोकेट बनने की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और समावेशी होनी चाहिए?
भारत में सीनियर एडवोकेट (Senior Advocate) की उपाधि वकालत पेशे में एक विशेष सम्मान (Prestigious Honour) मानी जाती है, जो उन वकीलों को दी जाती है जिन्होंने असाधारण योग्यता (Exceptional Ability), ईमानदारी (Integrity), और कानून के विकास में महत्वपूर्ण योगदान (Significant Contribution) दिया हो।लेकिन लंबे समय से इस प्रक्रिया में पारदर्शिता (Transparency) और निष्पक्षता (Fairness) की कमी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया (2023) केस में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 141 से 141-एफ : अधिसूचित आबादी क्षेत्र का सर्वेक्षण
भारत में राजस्व कानून व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भूमि संबंधी विवादों, स्वामित्व के अधिकारों और रिकॉर्ड की स्पष्टता को सुनिश्चित किया जाए। इसी उद्देश्य से अनेक प्रावधान बनाए गए हैं जिनके अंतर्गत "आबादी क्षेत्र" (Abadi Area) का सर्वेक्षण (Survey) किया जाता है।सर्वेक्षण से यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक भूमि या भवन के स्वामी, उसका सीमांकन और अन्य विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज हों, जिससे आगे कोई विवाद न उत्पन्न हो। यहां हम सरल भाषा में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धाराओं 141 से 141-एफ तक...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 141 से 141-एफ : अधिसूचित आबादी क्षेत्र का सर्वेक्षण
भारत में राजस्व कानून व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भूमि संबंधी विवादों, स्वामित्व के अधिकारों और रिकॉर्ड की स्पष्टता को सुनिश्चित किया जाए। इसी उद्देश्य से अनेक प्रावधान बनाए गए हैं जिनके अंतर्गत "आबादी क्षेत्र" (Abadi Area) का सर्वेक्षण (Survey) किया जाता है।सर्वेक्षण से यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक भूमि या भवन के स्वामी, उसका सीमांकन और अन्य विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज हों, जिससे आगे कोई विवाद न उत्पन्न हो। यहां हम सरल भाषा में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धाराओं 141 से 141-एफ तक...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 487 से 490 तक: जमानत और जमानतदारों से संबंधित प्रावधान
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 487 से 490 तक उन परिस्थितियों से संबंधित हैं, जब अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है, और उसे जेल से छोड़ा जाता है, या जब जमानतदार अपर्याप्त पाए जाते हैं, या वे स्वयं बंधपत्र समाप्त करना चाहते हैं। ये धाराएं न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता, सुरक्षा और संतुलन सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में हम इन चारों धाराओं की सरल व्याख्या और उनके व्यावहारिक उदाहरणों सहित विस्तृत चर्चा करेंगे।धारा 487: हिरासत से रिहाई (Discharge from...
दिल्ली में 'Services' पर असली अधिकार किसका है: केंद्र सरकार या चुनी हुई सरकार?
सुप्रीम कोर्ट ने Government of NCT of Delhi v. Union of India (2023) के फैसले में एक अहम संवैधानिक (Constitutional) सवाल का हल किया—क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (National Capital Territory of Delhi - NCTD) में 'services' (सेवाओं) पर नियंत्रण चुनी हुई दिल्ली सरकार का होगा या केंद्र सरकार का?अनुच्छेद 239AA की समझ (Understanding Article 239AA: The Constitutional Foundation) अनुच्छेद 239AA को 1991 में संविधान के 69वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था। यह दिल्ली को अन्य केंद्र शासित प्रदेशों...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 37 और 38 : डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र का निलंबन और निरस्तीकरण
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) भारत में इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस, डिजिटल संचार और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस अधिनियम के अध्याय VII में डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (Digital Signature Certificate) से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।धारा 35 और 36 में यह बताया गया है कि डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र कैसे जारी किया जाता है और उसकी क्या वैधता होती है, वहीं धारा 37 और 38 में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी डिजिटल हस्ताक्षर...
Consumer Protection Act में किसी भी कंप्लेंट के लिए Limitation
सभी सिविल मामलों की तरह इस एक्ट में भी Limitation से संबंधित प्रावधान है जो यह तय करते हैं कि किसी भी कप्लेंट को किस समय सीमा के भीतर फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा इस एक्ट की सेक्शन 69 Limitation के संबंध में प्रावधान करती है जो इस प्रकार है-(1) जिला आयोग, राज्य आयोग या राष्ट्रीय योग कोई परिवाद स्वीकार नहीं करेगा, यदि यह तारीख से जिसको बाद हेतुक उद्भूत हुआ है, दो वर्ष की अवधि के भीतर फाइल नहीं किया जाता है।(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के पश्चात्...
Consumer Protection Act में नेशनल फोरम के ऑर्डर के विरुद्ध अपील
इस एक्ट में नेशनल फोरम सुप्रीम पॉवर नहीं है बल्कि उसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट भी है जहां नेशनल फोरम के आर्डर के खिलाफ भी अपील हो सकती है। इसके प्रावधान इस एक्ट की धारा 67 में दिए गए हैं जिसके अनुसारधारा 58 की उपधारा (1) के खंड (क) के उपखंड (i) या (ii) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रीय आयोग द्वारा किए गए आदेशों से व्यथति कोई व्यक्ति, आदेश की तारीख से तीस दिन की अवधि के भीतर ऐसे आदेशों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट को अपील कर सकेगा :परंतु सुप्रीम कोर्ट उक्त तीस दिन की अवधि के अवसान के...
Consumer Protection Act में नेशनल फोरम का अपील पॉवर
नेशनल फोरम से जुड़े एक मामले में राज्य आयोग द्वारा विनिर्णीत क्षतिपूर्ति आदेश के विरुद्ध अपील के इस मामले में नद अदायगी के आधार पर एम आई जी मकान प्रत्यर्थी ने अपीलार्थी को देना निश्चित किया या निर्माण कार्य अधूरा होने के कारण प्रत्यर्थी अपीलार्थी को मकान का कब्जा नहीं दे सका। प्रत्यर्थी के प्रबंध में समस्याओं के कारण मकान का निर्माण नहीं हो सका। अपीलार्थी का कोई दोष नहीं था। परिवादी 12% वार्षिक ब्याज पाने का हकदार था। किन्तु किस्त जमा करने की चूक पर 16% वार्षिक व्याज देना था। इस प्रकार 16%...
Consumer Protection Act में नेशनल फोरम की शक्ति
इस एक्ट में नेशनल फोरम को पॉवर्स दिए गए है जो सभी फोरम की एकमात्र सुप्रीम फोरम है। इस एक्ट की धारा 58 के अनुसार,(1) इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, नेशनल फोरम को निम्नलिखित की अधिकारिता होगी(क) (i) उन परिवादों को ग्रहण करना जिनमें प्रतिफल के रूप में संदत्त माल या सेवाओं का मूल्य दस करोड़ रु० से अधिक है : परंतु जहां केन्द्रीय सरकार ऐसा करना आवश्यक समझती है वहां वहऐसा अन्य मूल्य विहित कर सकेगी जो वह ठीक समझे।(ii) अनुचित संविदाओं के विरुद्ध परिवाद जहां प्रतिफल के रूप में संदत्त माल या...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 481 से 486 : अभियुक्त और जमानतदारों का बांड
धारा 481: अभियुक्त को अगले अपीलीय न्यायालय में उपस्थित होने के लिए जमानत (Bail to Require Accused to Appear Before Next Appellate Court)स्पष्टीकरण: इस धारा के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का मुकदमा किसी न्यायालय में चल रहा हो और उस पर निर्णय आने से पहले या अपील के निपटारे से पूर्व, न्यायालय अभियुक्त से यह सुनिश्चित करने के लिए एक बांड या जमानत बांड भरवाएगा कि यदि हाईकोर्ट या अपीलीय न्यायालय में उस निर्णय के विरुद्ध कोई अपील या याचिका दायर की जाती है, तो अभियुक्त उस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा। यह...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 35 और 36 : इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्र जारी करना
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अध्याय VII में इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्र (Electronic Signature Certificates) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं। विशेष रूप से धारा 35 और 36 में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई व्यक्ति किस प्रकार प्रमाणीकृत प्राधिकरण से इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है, और प्रमाणीकृत प्राधिकरण की क्या-क्या जिम्मेदारियां होती हैं जब वह ऐसा प्रमाणपत्र जारी करता है।धारा 35 – इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्र जारी करना यह धारा इस बात से शुरू होती है...
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम के अध्याय से संबंधित धारा 136 से 140-A : संपत्ति के उत्तराधिकार का नियम
धारा 136: त्रुटियों का सुधारधारा 136 भूमि रिकॉर्ड अधिकारी को यह अधिकार देती है कि वह कभी भी रिकॉर्ड ऑफ राइट्स या किसी भी रजिस्टर में की गई लिपिकीय त्रुटियों या उन त्रुटियों को, जिन्हें संबंधित पक्ष स्वीकार करते हैं, ठीक कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि कोई राजस्व अधिकारी निरीक्षण के दौरान किसी रजिस्टर में कोई त्रुटि पाता है, तो वह भी उस त्रुटि को सही करने का अधिकार रखता है। हालाँकि, इसमें एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि यदि कोई राजस्व अधिकारी निरीक्षण के दौरान रिकॉर्ड ऑफ राइट्स में कोई त्रुटि पाता...
पशुओं के साथ यौन संबंध से जुड़े अपराध के बारे में क्या कहता है भारतीय कानून?
भारत में पशु संबंध (Bestiality) न केवल एक नैतिक (Morality) अपराध माना जाता है, बल्कि पशु कल्याण (Welfare) और सामाजिक मूल्यों के प्रतिकूल (Contrary) भी है। 1 जुलाई 2024 तक यह अपराध मुख्यतः भारतीय दंड संहिता, 1860 (Indian Penal Code) की Section 377 के तहत दंडनीय (Punishable) था, परंतु Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 (BNS) के लागू होने के साथ इस व्यवस्था में मौलिक परिवर्तन आए हैं।इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि IPC के तहत bestiality को कैसे अपराध माना गया, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के...
Consumer Protection Act में धारा 51 के प्रावधान
जैसा की किसी सिविल वाद में सुप्रीम कोर्ट में भी अपील होती है इस ही तरह इस एक्ट में नेशनल फोरम में भी अपील होती है। इस एक्ट की धारा 51 में नेशनल फोरम में अपील की व्यवस्था है-(1) राज्य आयोग द्वारा किए गए किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति धारा 47 की उपधारा (1) के खंड (क) के उपखंड (3) या (14) द्वारा प्रदत्त अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, आदेश की तारीख से तीस दिन की अवधि के भीतर ऐसे प्ररूप और रीति में, जो विहित की जाए, अपील कर सकेगा : परंतु यह कि राष्ट्रीय आयोग तीस दिन की उक्त अवधि के अवसान के...
Consumer Protection Act में स्टेट फोरम के समक्ष कंप्लेंट केस
यह अधिनियम उपचारात्मक मंचों को व्यवहार प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत व्यवहार कोर्ट के अधिकारों से सुसति करती है जैसे गवाहों को सम्मन हाजिर होने को बाध्य तथा उनकी परीक्षा शपथ दिलाकर करना, दस्तावेजों को तलब तथा जाँच और अन्य समानो में शपथपत्र पर साक्ष्य लेना, कमीशन जारी करना गवाह भी परीक्षा आदि। अमुक अधिनियम इस प्रकार से अभिप्रेत करता है कि उपचार मंच जो अधिनियम के अन्तर्गत गठित हुआ है अपने सम्मुख आये हुये परिवादों को मौखिक या अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा जैसी भी परिस्थितियाँ हों निर्णय करे। यह बहुत...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 483: हाईकोर्ट या सत्र न्यायालय की जमानत पर रिहा करने की शक्ति
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 483 हाईकोर्ट (High Court) और सत्र न्यायालय (Court of Session) को यह अधिकार प्रदान करती है कि वे अभियुक्तों को जमानत पर रिहा करने, मजिस्ट्रेट द्वारा लगाई गई जमानत की शर्तों को संशोधित करने या किसी अभियुक्त को पुनः हिरासत में लेने का निर्देश दे सकते हैं।यह धारा विशेष रूप से गंभीर अपराधों और विशेष न्यायालयों में विचारणीय मामलों में न्यायालयों को अधिक विवेकपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देती है। धारा 483(1):...




















