जानिए हमारा कानून
जानिए आर्टिकल 21 के तहत प्राप्त स्वतंत्रता
भारत के संविधान के भाग 3 मूल अधिकार के अंतर्गत आर्टिकल 21 सर्वाधिक महत्वपूर्ण आर्टिकल है। यदि महत्ता के दृष्टिकोण से इस आर्टिकल को देखा जाए तो समस्त मूल अधिकारों का निचोड़ हमें इस आर्टिकल के अंतर्गत प्राप्त होता है। शब्दों के आधार पर तो यह आर्टिकल छोटा सा है परंतु भारत के न्यायालयों ने इस आर्टिकल की बहुत अधिक विस्तृत विवेचना समय-समय पर प्रस्तुत की है। प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार सभी अधिकारों में श्रेष्ठ है और आर्टिकल 21 इस ही अधिकार को संरक्षण प्रदान करता है। कुछ इसलिए भी इस आर्टिकल का...
क्या कानून दिव्यांगजनों को पदोन्नति में आरक्षण देता है?
दिव्यांगजनों के लिए कानूनी ढांचे का विकास (Evolution of Legal Framework for Persons with Disabilities)भारत ने दिव्यांगजनों (PwD - Persons with Disabilities) के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतों का अनुसरण किया। 1992 में बीजिंग में हुए "प्रोक्लेमेशन ऑन फुल पार्टिसिपेशन एंड इक्वलिटी ऑफ पीपल विद डिसेबिलिटीज" को अपनाया और 2007 में "संयुक्त राष्ट्र दिव्यांग अधिकार समझौते (UNCRPD - United Nations Convention on the Rights of Persons with Disabilities)" की पुष्टि की। इन पहल के आधार...
संपत्ति का आपराधिक दुरुपयोग : धारा 314, BNS 2023 के स्पष्टीकरण और उदाहरण
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 314 संपत्ति का आपराधिक दुरुपयोग (Criminal Misappropriation) को विस्तार से समझाने के लिए दो महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण (Explanations) और कई उदाहरण (Illustrations) प्रस्तुत करती है।यह प्रावधान उन मामलों को स्पष्ट करता है जहां किसी संपत्ति (Property) को अस्थायी रूप से या किसी के स्वामित्व (Ownership) के बिना भी अनुचित तरीके से उपयोग करना अपराध बन सकता है। स्पष्टीकरण 1: अस्थायी बेईमानी से उपयोग (Temporary Dishonest Misappropriation)पहला स्पष्टीकरण यह बताता है कि यदि कोई...
समरी ट्रायल : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अनुभाग 284, 285, और 286 का विश्लेषण
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने 1 जुलाई, 2024 से लागू होकर आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित किया। इसका अध्याय XXII छोटे-मोटे अपराधों (Minor Offenses) के निपटारे के लिए समरी ट्रायल (Summary Trial) की व्यवस्था करता है।यह लेख अनुभाग 284, 285 और 286 की विस्तार से व्याख्या करता है और इनका व्यावहारिक उपयोग बताता है। साथ ही, इसमें अनुभाग 283 के प्रावधानों का संदर्भ भी दिया गया है, जो पहले चर्चा की गई थी। समरी ट्रायल के...
क्षेत्र विशेष में गैर-आग्नेय आर्म्स के लिए लाइसेंस का प्रावधान : धारा 4 आर्म्स एक्ट, 1959
आर्म्स एक्ट, 1959 (Arms Act, 1959) भारत में अस्त्रों (Arms) की प्राप्ति, स्वामित्व और उपयोग को नियंत्रित करता है, जिसमें व्यक्तियों के अधिकार और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया गया है।एक्ट की धारा 4 (Section 4) विशेष रूप से गैर-आग्नेय आर्म्स (Non-Firearm Arms) के नियमन पर केंद्रित है और इसे विशिष्ट क्षेत्रों व परिस्थितियों में लागू किया जाता है। यह धारा धारा 3 (Section 3) के प्रावधानों का पूरक (Complementary) है, जो मुख्यतः आग्नेय अस्त्रों (Firearms) और उनकी लाइसेंस...
Constitution में राइट टू इक्वलिटी किसे कहा गया है?
भारत का संविधान आर्टिकल 14 से लेकर आर्टिकल 18 तक समता के अधिकार के संबंध में उल्लेख कर रहा है। आर्टिकल 14 समता के अधिकार की एक साधारण परिभाषा दी गई है तथा एक परिकल्पना निर्धारित की गई है। आर्टिकल 14 अत्यंत विशेष आर्टिकल है जिसके अंतर्गत सभी व्यक्तियों से भारत के भू भाग पर जन्म जाति, मूलवंश, धर्म, लिंग के आधारों पर विभक्त करने को प्रतिषेध किया गया है। आर्टिकल 15 इस बात का उल्लेख करता है कि किसी भी व्यक्ति से इनमे से किसी भी आधार पर कोई विभेद नहीं किया जाएगा। भारत राज्य द्वारा यदि इन आधारों पर...
Constitution में फंडामेंटल राइट्स का कॉन्सेप्ट
संविधान में जनता को फंडामेंटल राइट्स दिए हैं मतलब ऐसे अधिकार जो जनता को किसी भी सूरत में मिलेंगे। इन फंडामेंटल राइट्सों को मनुष्य के नैसर्गिक अधिकार भी कहे जाते हैं। ऐसे अधिकार जो किसी मनुष्य को जन्मजात प्राप्त होते हैं, कोई भी स्वतंत्रता किसी भी मनुष्य को दी नहीं जाती अपितु वह स्वतंत्रता उस मनुष्य को जन्मजात ही प्राप्त होती है, जैसे कि किसी मनुष्य को जीवन का अधिकार उसके जन्म के साथ प्रारंभ हो जाता है परंतु इस जीवन के अधिकार में मृत्यु का अधिकार नहीं है। ऐसे नैसर्गिक अधिकार जिनकी लड़ाइयां सदियों...
दहेज हत्या के मामलों में "सून बिफोर" का क्या मतलब है?
दहेज हत्या से संबंधित कानूनी ढांचा (Legal Framework for Dowry Deaths)दहेज से जुड़ी मौतों को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code, IPC) की धारा 304-बी (Section 304-B) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 113-बी (Section 113-B) के तहत कवर किया गया है। धारा 304-बी (Section 304-B) IPC में दहेज मृत्यु (Dowry Death) की परिभाषा दी गई है। यदि किसी महिला की मौत शादी के सात साल के भीतर अस्वाभाविक परिस्थितियों (Unnatural Circumstances) में होती है और यह साबित होता है कि उसकी मौत से पहले...
समरी ट्रायल के प्रावधानों का सरल विश्लेषण : धारा 283, भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता, 2023
भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023), जिसे 1 जुलाई 2024 से लागू किया गया, ने पुराने दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इसके अध्याय XXII में समरी ट्रायल (Summary Trials) की प्रक्रिया पर चर्चा की गई है।समरी ट्रायल एक ऐसा त्वरित प्रक्रिया (Fast-track Procedure) है जिसका उद्देश्य छोटे अपराधों (Minor Offenses) के मामलों को शीघ्रता से सुलझाना है। इससे न्यायपालिका पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ता और मामूली अपराधों को जल्दी निपटाने...
शेष परिस्थितियों में शस्त्र जमा करने का प्रावधान: धारा 3 शस्त्र अधिनियम, 1959
शस्त्र अधिनियम, 1959 भारत में शस्त्र (Arms) और गोला-बारूद (Ammunition) की खरीद, स्वामित्व, और उपयोग को नियंत्रित करता है। धारा 3 विशेष रूप से लाइसेंस प्राप्त करने, शस्त्र रखने, और उनके उपयोग से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करती है। यह लेख धारा 3 की सभी उपधाराओं (Sub-sections) को सरल भाषा में समझाता है और संबंधित उदाहरण देता है।धारा 3(1): शस्त्र रखने के लिए लाइसेंस अनिवार्यधारा 3(1) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति बिना वैध लाइसेंस के शस्त्र या गोला-बारूद न तो खरीद सकता है, न रख सकता है और न ही ले जा...
संपत्ति का आपराधिक दुरुपयोग : भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 314
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 314 संपत्ति की संपत्ति का आपराधिक दुरुपयोग (Misappropriation) से संबंधित है। यह प्रावधान उन व्यक्तियों को दंडित करता है, जो किसी चल संपत्ति (Movable Property) को बेईमानी (Dishonesty) से अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग करते हैं या उसे अनुचित तरीके से अपने अधिकार में ले लेते हैं।इसके लिए न्यूनतम छह महीने की सजा और अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है, साथ ही जुर्माने (Fine) का भी प्रावधान है। इस लेख में हम इस धारा की प्रमुख बातों और दिए गए उदाहरणों (Illustrations) का...
जानिए हाईकोर्ट का Inherent Power
BNSS के अंतर्गत धारा 528 के अधीन हाई कोर्ट को अंतर्निहित शक्ति (इन्हेरेंट पॉवर) प्रदान किया गया है। पहले यह प्रावधान Crpc की धारा 482 में थे। इस धारा के अधीन हाई कोर्ट को एक विशेष शक्ति दी गई है। यह शक्ति दिए जाने का उद्देश्य न्यायालय की कार्यवाही को दुरुपयोग से बचाना है तथा न्याय के उद्देश्यों को बनाए रखना है।कोई भी संहिता, अधिनियम, नियम, अपने आप में पूर्ण नहीं होते हैं क्योंकि समय, परिस्थितियां, क्षेत्र, काल के अनुरूप सब कुछ बदलता रहता है तथा अधिनियम नियमों एवं सहिंता को बनाने वाले विधायकगणों...
डकैती, रॉबरी और संगठित अपराध : धारा 311-313, भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में रॉबरी (Robbery), डकैती (Dacoity), और संगठित अपराधों को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं। धारा 311 से 313 में उन अपराधों और अपराधियों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है, जो घातक हथियारों (Deadly Weapons) का उपयोग करके या संगठित गिरोहों का हिस्सा बनकर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। ये प्रावधान समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने और संगठित अपराधों पर रोक लगाने के लिए हैं।रॉबरी या डकैती के दौरान मौत या गंभीर चोट पहुँचाने का प्रयास (धारा 311)धारा 311...
हथियार रखने और प्राप्त करने का लाइसेंस: आर्म्स एक्ट, 1959 की धारा 3
आर्म्स एक्ट, 1959 (Arms Act, 1959) भारत में हथियारों और गोला-बारूद (Ammunition) के अधिग्रहण, स्वामित्व और उपयोग को नियंत्रित करता है। इसकी धारा 3 (Section 3) एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो यह स्पष्ट करती है कि कोई व्यक्ति हथियारों या गोला-बारूद को प्राप्त करने और रखने के लिए किन कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करेगा। यह कानून जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है।सामान्य नियम: लाइसेंस होना अनिवार्य (General Rule: License is Mandatory)धारा 3(1) यह बताती है कि कोई भी व्यक्ति बिना वैध...
क्या मीडिया की स्वतंत्रता और न्यायिक उत्तरदायित्व साथ-साथ चल सकती है
मुख्य चुनाव आयुक्त बनाम एम.आर. विजयभास्कर एवं अन्य के महत्वपूर्ण मामले ने भारतीय संवैधानिक कानून में एक अहम सवाल खड़ा किया। यह सवाल था कि क्या मीडिया को अदालत की कार्यवाही की रिपोर्टिंग का असीम अधिकार होना चाहिए और न्यायपालिका के मौखिक (oral) टिप्पणियों की सीमा क्या होनी चाहिए।इस लेख में सुप्रीम कोर्ट के तर्क को समझाया गया है, जिसमें खुले न्यायालय (Open Courts), मीडिया की स्वतंत्रता (Media Freedom), और न्यायिक उत्तरदायित्व (Judicial Accountability) के मूल सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया गया...
शिकायत वापस लेने, कार्यवाही रोकने और समन-प्रकरण को वारंट-प्रकरण में बदलने की शक्ति : धारा 280 - धारा 282 BNSS 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) समन-प्रकरण (Summons-Cases) के संचालन के लिए स्पष्ट नियम प्रदान करती है। इसमें न्याय प्रक्रिया को प्रभावी और न्यायपूर्ण बनाए रखने के लिए कई लचीले प्रावधान हैं। विशेष रूप से धारा 280, धारा 281, और धारा 282 शिकायत वापस लेने, कार्यवाही रोकने, और समन-प्रकरण को वारंट-प्रकरण (Warrant-Case) में बदलने की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती हैं।शिकायत वापस लेने का अधिकार: धारा 280 धारा 280 के तहत, शिकायतकर्ता (Complainant) अंतिम आदेश...
क्रिमिनल कोर्ट की इर्रेगुलर प्रोसिडिंग क्या है?
क्रिमिनल कोर्ट में इर्रेगुलर प्रोसिडिंग जैसी व्यवस्था है। यह प्रावधान BNSS में किये गए हैं। साधारण अर्थों में ऐसी कार्यवाही जिसे करने के लिए कोई दंड न्यायालय सशक्त नहीं है उसके बाद भी उन कार्यवाहियों को कर देता है।यह अनियमित कार्यवाहियां कब शून्य होती हैं तथा कब इन अनियमित कार्यवाहियों को अनदेखा किया जा सकता है अर्थात वह कौन सी परिस्थितियां है जिनमें कोई अनियमित कार्यवाही होने के बाद भी दंड प्रक्रिया अवैध नहीं होती है तथा वह कौन सी परिस्थितियां हैं जिनमें अनियमित कार्यवाही के परिणामस्वरूप न्याय...
क्रिमिनल केस में जमानत कितनी तरह की होती हैं?
क्रिमिनल केस में अदालत आरोपी पर ट्रायल चलती है ऐसे ट्रायल के बीच आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है क्योंकि किसी भी क्रिमिनल केस में ट्रायल लंबे समय तक चलता है और किसी आरोपी को इतने समय तक जेल में रखा जाना ठीक नहीं माना जाता है। जब भी किसी अभियुक्त को जेल में रखा जाता है तब उस पर अन्वेषण, जांच और विचारण या अपील की कार्यवाही लंबित रहती है ऐसी स्थिति में यह तय नहीं होता है कि किसी प्रकरण में यदि किसी व्यक्ति को अभियुक्त बनाया है तो वह अभियुक्त दोषमुक्त होगा या दोषसिद्ध होगा। यदि अभियुक्त किसी...
क्या निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस का नियमन होना चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट ने Indian School, Jodhpur & Anr. बनाम State of Rajasthan & Ors. (2021) के मामले में राजस्थान स्कूल (फीस का नियमन) अधिनियम, 2016 की संवैधानिकता पर विचार किया। इस कानून का उद्देश्य निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस को नियंत्रित करना था।इस मामले का मुख्य सवाल था कि क्या यह नियमन (Regulation) संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत व्यवसाय करने के मौलिक अधिकार (Fundamental Right) का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने यह विचार किया कि राज्य (State) निजी शैक्षणिक...
शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति या मृत्यु: BNSS, 2023 का सेक्शन 279
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के सेक्शन 279 में यह प्रावधान किया गया है कि समन मामले (Summons-Case) में अगर शिकायतकर्ता (Complainant) अदालत में उपस्थित नहीं होता है या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा।यह प्रावधान न्याय प्रक्रिया में देरी रोकने के लिए बनाया गया है और इसे समन मामले के पहले के प्रावधानों (274-278) से जोड़ा गया है। शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति में आरोपी की बरी (Acquittal in Absence of...