जानिए हमारा कानून

क्या है साइबर स्टॉकिंग पर कानून, साइबर क्राइम एवं महिलाओं के विरुद्ध हिंसा- भाग-1
क्या है साइबर स्टॉकिंग पर कानून, साइबर क्राइम एवं महिलाओं के विरुद्ध हिंसा- भाग-1

-चित्रांगदा शर्मा और सुरभि करवा इंटरनेट की शुरुआत एक लोकतान्त्रिक और समानता के सिद्धांत आधरित प्लेटफार्म के वादे के साथ हुई थी और कुछ हद तक यह उद्देश्य हमारा समाज पा भी चुका है। आज इंटरनेट ने देश के कई कोनों में पहुँचकर हाशिये पर धकेली हुई आवाजों को मुख्य धारा में आने का मौका दिया है, लेकिन जाति, धर्म, लिंग आदि के भेदभावों से इंटरनेट भी अछूता नहीं रहा है। इस सन्दर्भ में यदि पितृसत्ता और लैंगिक भेदभाव की बात करें तो कई शोध कहते हैं कि वास्तविक दुनिया की पुरुष प्रधानता इंटरनेट में भी पहुँच...

आखिर क्यों आपराधिक मामले वापस लेने का फैसला अकेले सरकार नहीं कर सकती? जानिए अभियोजन वापसी के ये महत्वपूर्ण बिंदु
आखिर क्यों आपराधिक मामले वापस लेने का फैसला अकेले सरकार नहीं कर सकती? जानिए अभियोजन वापसी के ये महत्वपूर्ण बिंदु

स्पर्श उपाध्याय अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तब चर्चा में आये, जब उन्होंने यह कहा की यदि उनकी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश राज्य में दुबारा सत्ता में आती है (2022 के चुनाव में) तो वो आजम खान (वर्तमान सांसद, रामपुर एवं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता) के खिलाफ दायर सभी मुक़दमे वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा, "यदि समाजवादी पार्टी, उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापस आ जाती है, तो सपा के वरिष्ठ नेता और रामपुर के सांसद आज़म खान के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस ले लिए...

किसी अपराध में जुर्माना कैसे तय किया जाता है, अर्थदंड पर क्या कहती है भारतीय दंड संहिता
किसी अपराध में जुर्माना कैसे तय किया जाता है, अर्थदंड पर क्या कहती है भारतीय दंड संहिता

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि अपराधी को सज़ा के तौर पर अर्थदंड भी लगाया जाता है। यह प्रश्न स्वाभाविक है कि आखिर एक ही प्रकृति के जुर्म में अर्थदंड कम या अधिक कैसे हो सकता है? आखिर जुर्माने की राशि का निर्धारण कैसे किया जाता है? विधि द्वारा जुर्माने की राशि आखिर कैसे तय होती है? अपराध साबित होने पर भारतीय दंड संहिता 1860 में किसी अपराध के लिए सज़ा के साथ साथ अर्थदड या जुर्माने का भी प्रावधान है। अर्थदंड की राशि किसी कानून की धारा में उल्लेखित राशि द्वारा निर्धारित की जाती है। अगर किसी कानून में...

चिकित्सा में लापरवाही : योग्यता नहीं होने के लिए कब डॉक्टर को ठहराया जा सकता है ज़िम्मेदार?
चिकित्सा में लापरवाही : योग्यता नहीं होने के लिए कब डॉक्टर को ठहराया जा सकता है ज़िम्मेदार?

विश्वजीत आनंद दार्शनिक अन्दाज़ में कहें तो ग़लतियों को जीवन का एक अभिन्न हिस्सा कह सकते हैं। अपनी विफलताओं से हम कुछ नया समझते हैं पर जब कोई पेशेवर, ख़ासकर मेडिकल क्षेत्र में काम करने वाला, कोई ग़लती करता है तो बात कुछ और होती है। अगर डॉक्टर कोई ग़लती करता है जिससे मरीज़ को कुछ नुक़सान पहुँचता है तो डॉक्टरों की लापरवाही का मुद्दा उछल जाता है। प्रसिद्ध न्यायविदों और अदालतों के फ़ैसलों में इस लापरवाही को कई बार बहुत ही अच्छी तरह परिभाषित किया जा चुका है। कुछ लोगों का यह कहना है कि...

शाह बानो से लेकर शबाना बानो तक: तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं और धारा 125 CrPC के तहत रखरखाव का दावा करने का अधिकार
शाह बानो से लेकर शबाना बानो तक: तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं और धारा 125 CrPC के तहत रखरखाव का दावा करने का अधिकार

"जब उसने संहिता के तहत अदालत में आना चुना है, तब यह नहीं कहा जा सकता है कि चूँकि वह एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला है इसलिए इस आधार पर उसे कानून के अंतर्गत ऐसी इजाजत नहीं है।" वर्ष 2009 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि, भले ही एक मुस्लिम महिला को तलाक दिया गया हो, फिर भी वह अपने पति से आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत, इद्दत की अवधि समाप्त होने के बाद भी, जब तक कि वह पुनर्विवाह नहीं करती है, भरण-पोषण की मांग कर सकती है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस कानून को साफ़ किए...