साइबर अपराध क्या है एवं इसे किसके विरूद्ध अंजाम दिया जाता है?: 'साइबर कानून श्रृंखला' (भाग 1)

SPARSH UPADHYAY

18 Nov 2019 11:59 AM IST

  • साइबर अपराध क्या है एवं इसे किसके विरूद्ध अंजाम दिया जाता है?: साइबर कानून श्रृंखला (भाग 1)

    जिस गति से तकनीक ने उन्नति की है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है। एक ही जगह पर बैठकर, इंटरनेट के जरिये मनुष्य की पहुँच, विश्व के हर कोने तक आसान हुई है। आज के समय में हर वो चीज़ जिसके विषय में इंसान सोच सकता है, उस तक उसकी पहुँच इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है, जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब इत्यादि। आज के समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है। इंटरनेट के विकास और इसके संबंधित लाभों के साथ साइबर अपराधों की अवधारणा भी विकसित हुई है।

    साइबर अपराध क्या है?

    साइबर अपराध विभिन्न रूपों में किए जाते हैं। कुछ साल पहले, इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों के बारे में जागरूकता का अभाव था। साइबर अपराधों के मामलों में भारत भी उन देशों से पीछे नहीं है, जहां साइबर अपराधों की घटनाओं की दर भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। साइबर अपराध के मामलों में एक साइबर क्रिमिनल, किसी उपकरण का उपयोग, उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी, गोपनीय व्यावसायिक जानकारी, सरकारी जानकारी या किसी डिवाइस को अक्षम करने के लिए कर सकता है। उपरोक्त सूचनाओं को ऑनलाइन बेचना या खरीदना भी एक साइबर अपराध है।

    इसमें कोई संशय नहीं है कि साइबर अपराध एक आपराधिक गतिविधि है, जिसे कंप्यूटर और इंटरनेट के उपयोग द्वारा अंजाम दिया जाता है। साइबर अपराध, जिसे 'इलेक्ट्रॉनिक अपराध' के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी भी अपराध को करने के लिए, कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क का उपयोग, एक वस्तु या उपकरण के रूप में किया जाता है. जहाँ इनके (कंप्यूटर, नेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क) जरिये ऐसे अपराधों को अंजाम दिया जाता है वहीँ इन्हें लक्ष्य बनाते हुए इनके विरुद्ध अपराध भी किया जाता है।

    ऐसे अपराध में साइबर जबरन वसूली, पहचान की चोरी, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, कंप्यूटर से व्यक्तिगत डेटा हैक करना, फ़िशिंग, अवैध डाउनलोडिंग, साइबर स्टॉकिंग, वायरस प्रसार, सहित कई प्रकार की गतिविधियाँ शामिल हैं। गौरतलब है कि सॉफ्टवेयर चोरी भी साइबर अपराध का ही एक रूप है, जिसमें यह जरूरी नहीं है कि साइबर अपराधी, ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही अपराध करे।

    जैसा कि हमने समझा, साइबर अपराध को दो तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है:

    1. वे अपराध जिनमें कंप्यूटर पर हमला किया जाता है। इस तरह के अपराधों के उदाहरण हैकिंग, वायरस हमले, डॉस हमले आदि हैं।

    2. वे अपराध जिनमे कंप्यूटर को एक हथियार/उपकरण/ के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के अपराधों में साइबर आतंकवाद, आईपीआर उल्लंघन, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, ईएफटी धोखाधड़ी, पोर्नोग्राफी आदि शामिल हैं।

    साइबर कानून क्या है?

    साइबर कानून (Cyberlaw) वह एक शब्द है जिसका उपयोग संचार प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से "साइबरस्पेस", यानी इंटरनेट के उपयोग से संबंधित कानूनी मुद्दों के विषय में बात करने के लिए किया जाता है। इसे कानून के एक अलग क्षेत्र के रूप में नहीं कहा जा सकता है, जैसा संपत्ति या अनुबंध के मामले में होता है, क्योंकि साइबर कानून में, कई कानून सम्बन्धी क्षेत्रों का समागम होता है. इसके अंतर्गत बौद्धिक संपदा, गोपनीयता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकार जैसे कानूनी मामले/मुद्दे शामिल हैं।

    साइबर कानून के विभिन्न प्रकार के उद्देश्य होते हैं। कुछ कानून इस बात को लेकर नियम बनाते हैं कि व्यक्ति और कंपनियां, कंप्यूटर और इंटरनेट का उपयोग कैसे कर सकती हैं, जबकि कुछ कानून इंटरनेट पर अवैध गतिविधियों के माध्यम से लोगों को अपराध का शिकार बनने से बचाते हैं। संक्षेप में, साइबर कानून वह प्रयास है जिसके जरिये भौतिक दुनिया के लिए लागू कानून की प्रणाली का उपयोग, इंटरनेट पर मानव गतिविधि द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों से निपटने के लिए किया जाता है।

    भारत में सूचना प्रौद्योगिकी कानून (आईटी कानून) 2000, आईटी (संशोधन) अधिनियम 2008 द्वारा संशोधित साइबर कानून के रूप में जाना जाता है। इस कानून में "अपराध" के रूप में एक अलग अध्याय मौजूद है। हालांकि इसमें कई कमियां भी हैं और यह साइबर युद्ध की निगरानी के लिए एक बहुत प्रभावी कानून नहीं है, इसके अलावा विभिन्न साइबर अपराधों का उल्लेख, अपराध के उक्त अध्याय में दंड के साथ दंडनीय अपराध के रूप में किया गया है।

    साइबर अपराध की श्रेणियां

    साइबर अपराध के अंतर्गत 3 प्रमुख श्रेणियां आती हैं: व्यक्तिगत, संपत्ति और सरकार। दूसरे शब्दों में, प्रमुख रूप से किसी व्यक्ति/निकाय, संपत्ति एवं सरकार के खिलाफ साइबर अपराध किये जाते हैं.

    संपत्ति विशेष के विरुद्ध साइबर अपराध: कुछ ऑनलाइन अपराध संपत्ति के खिलाफ होते हैं, जैसे कि कंप्यूटर या सर्वर के खिलाफ या उसे जरिया बनाकर। इन अपराधों में डीडीओएस हमले, हैकिंग, वायरस ट्रांसमिशन, साइबर और टाइपो स्क्वाटिंग, कॉपीराइट उल्लंघन, आईपीआर उल्लंघन आदि शामिल हैं। मान लीजिये कोई आपको एक वेब-लिंक भेजे, जिसपर क्लिक करने के पश्च्यात एक वेबपेज खुले जहाँ आपसे आपके बैंक खाते/गोपनीय दस्तावेज संबंधित सारी जानकारी मांगी जाए और ऐसा कहा जाए कि यह जानकारी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया या सरकार की ओर से मांगी जा रही है, आप वहां सारी जानकारी दे दें और फिर उस जानकारी के इस्तेमाल से आपके दस्तावेज एवं बैंक खाते के साथ छेड़छाड़ की जाये, तो यह संपत्ति के विरूद्ध साइबर हमला कहा जायेगा।

    व्यक्ति विशेष के विरूद्ध साइबर अपराध: ऐसे अपराध, यद्यपि ऑनलाइन होते हैं, परन्तु वे वास्तविक लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। इनमें से कुछ अपराधों में साइबर उत्पीड़न और साइबरस्टॉकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी का वितरण, विभिन्न प्रकार के स्पूफिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, मानव तस्करी, पहचान की चोरी और ऑनलाइन बदनाम किया जाना शामिल हैं। साइबर अपराध की इस श्रेणी में किसी व्यक्ति या समूह के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण या अवैध जानकारी को ऑनलाइन वितरित किया जाता है।

    सरकार विशेष के विरुद्ध साइबर अपराध: यह सबसे गंभीर साइबर अपराध माना जाता है। सरकार के खिलाफ किये गए ऐसे अपराध को साइबर आतंकवाद के रूप में भी जाना जाता है। सरकारी साइबर अपराध में सरकारी वेबसाइट या सैन्य वेबसाइट को हैक किया जाना शामिल हैं। गौरतलब है कि जब सरकार के खिलाफ एक साइबर अपराध किया जाता है, तो इसे उस राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला और युद्ध की कार्रवाई माना जाता है। ये अपराधी आमतौर पर आतंकवादी या अन्य देशों की दुश्मन सरकारें होती हैं।

    साइबर अपराध और हम

    यह सच है कि अधिकांश इंटरनेट उपयोगकर्ता इस तथ्य पर ध्यान नहीं देते हैं कि उनकी जानकारी को हैक किया जा सकता है और ऐसे लोग शायद ही कभी अपने पासवर्ड को बदलते/दस्तावेज की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। वे सतर्क होकर इन्टरनेट का उपयोग करने के विषय में जागरूकता नहीं रखते हैं और अपनी जानकारी पर साइबर हमले को लेकर सचेत नहीं रहते हैं और इसी के चलते तमाम लोग, अनजाने में साइबर अपराध की चपेट में आ जाते हैं। हमे अपने आप को और दूसरों को इसके निवारक उपायों को लेकर शिक्षित करना चाहिए, ताकि हम और आप एक व्यक्ति या व्यवसाय के रूप में खुद के बचाव के लिए सतर्कता बरत सकें।

    इसके अलावा साइबर अपराधों के मुद्दे से निपटने के लिए, विभिन्न शहरों के CID (आपराधिक जांच विभाग) ने विभिन्न शहरों में साइबर क्राइम सेल खोले हैं। भारत का सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) स्पष्ट रूप से यह कहता है कि जब साइबर अपराध किया जाता है, तो इसका एक वैश्विक अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) है और इसलिए किसी भी साइबर सेल में इसको लेकर शिकायत दर्ज की जा सकती है।

    गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता फैलाने, अलर्ट/सलाह जारी करने, कानून प्रवर्तन कर्मियों/अभियोजन/न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण/प्रशिक्षण के लिए एवं ऐसे अपराधों को रोकने और जांच में तेजी लाने के लिए साइबर फोरेंसिक सुविधाओं में सुधार आदि के लिए कदम उठाए हैं।

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