मजिस्ट्रेट CrPC की धारा 200 के तहत शिकायत की जांच शुरू करने के बाद धारा 156 के तहत पूर्व-संज्ञान चरण में वापस नहीं जा सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

Shahadat

13 March 2025 3:59 AM

  • मजिस्ट्रेट CrPC की धारा 200 के तहत शिकायत की जांच शुरू करने के बाद धारा 156 के तहत पूर्व-संज्ञान चरण में वापस नहीं जा सकते: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

    Jammu and Kashmir and Ladakh High Court

    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि एक बार जब मजिस्ट्रेट शिकायतकर्ता का प्रारंभिक बयान दर्ज कर लेता है और मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए जांच का निर्देश देता है, तो मजिस्ट्रेट के लिए पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देना खुला नहीं है।

    जस्टिस संजय धर ने कहा कि एक बार जब मजिस्ट्रेट शिकायतकर्ता का CrPC की धारा 200 के तहत शपथ पर प्रारंभिक बयान लेकर शिकायत मामले की प्रक्रिया का विकल्प चुनता है तो वह CrPC की धारा 156 के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश देकर पूर्व-संज्ञान चरण में वापस नहीं जा सकता। अदालत ने कहा कि CrPC की धारा 156 पूर्व-संज्ञान चरण से संबंधित है, जबकि CrPC की धारा 200 संज्ञान के बाद के चरण से संबंधित है।

    अदालत ने कहा कि शिकायत प्रक्रिया का सहारा लेने के बाद ट्रायल मजिस्ट्रेट के लिए पुलिस से जांच की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश देना उचित नहीं था। अदालत ने FIR दर्ज करने का निर्देश देने वाले ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया।

    अदालत ने मोहम्मद एजाज बनाम सज्जाद अहमद डार (2021) पर भरोसा करते हुए कहा कि शिकायत जांच शुरू करने के बाद मजिस्ट्रेट पूर्व-संज्ञान प्रक्रियाओं पर वापस नहीं जा सकता।

    केस-टाइटल: रेणु शर्मा और अन्य बनाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और अन्य, 2025, लाइव लॉ (जेकेएल)

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