हाईकोर्ट

बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन खाते से एकतरफा राशि नहीं काट सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट
बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन खाते से एकतरफा राशि नहीं काट सकता: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी बैंक को यह अधिकार नहीं है कि वह सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन खाते से एकतरफा पैसा काट ले सिर्फ इसलिए कि उसने किसी ऋण के लिए गारंटी दी थी।जस्टिस संजीब कुमार पाणिग्रही ने कहा कि पेंशन खाते से बिना नोटिस या सुनवाई के पैसा काटना प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। बैंक को कम से कम कारण बताने का अवसर देना चाहिए था। मामला एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी से जुड़ा था, जिसने अपनी पत्नी के वाहन और कार ऋणों में गारंटर के रूप में हस्ताक्षर किए थे। फरवरी 2024 में बैंक ने उनके और...

गृहिणी मकानमालकिन पति के कल्याण और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किराए की संपत्ति मांग सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट
गृहिणी मकानमालकिन पति के कल्याण और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किराए की संपत्ति मांग सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर मकानमालकिन गृहिणी है, तो वह अपने पति के कल्याण और पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए किराए पर दी गई संपत्ति वापस मांग सकती है। यह “सद्भावनापूर्ण आवश्यकता” (bona fide requirement) मानी जाएगी।जस्टिस सौरभ बनर्जी ने कहा कि मकानमालकिन का पति उम्र में बड़ा और उस पर निर्भर है, यह जरूरत साबित करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि यह मानना गलत है कि गृहिणी को ऐसी कोई जरूरत नहीं हो सकती। कानून में मकानमालिक के परिवार के सदस्य भी “अपने उपयोग” की परिभाषा में शामिल हैं। अदालत...

फैसले के बाद भी मदद मांग सकते हैं जज, फैसला सुनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
फैसले के बाद भी मदद मांग सकते हैं जज, फैसला सुनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी को किसी मुद्दे पर पर्याप्त स्पष्टता या आवश्यक सहायता के बिना फैसला सुनाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।जस्टिस अरुण मोंगा ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर ज़ोर देते हुए कहा कि यदि कोई जज महसूस करता है कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर फैसला सुनाया जाना संभव नहीं है और कुछ स्पष्टीकरणों के लिए आगे मदद की आवश्यकता है तो यह मामला सुनवाई के लिए फिर से खोलने का बन जाता है।कोर्ट ने कहा,"केवल इसलिए कि पीठासीन अधिकारी ने पहले फैसला सुरक्षित रख लिया था,...

व्हाट्सएप मैसेज में अनकहे शब्द भी बढ़ा सकते हैं दुश्मनी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
व्हाट्सएप मैसेज में अनकहे शब्द भी बढ़ा सकते हैं दुश्मनी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि भले ही कोई व्हाट्सएप मैसेज सीधे तौर पर धर्म का उल्लेख न करता हो लेकिन उसके 'अनकहे शब्दों' और सूक्ष्म संदेश के माध्यम से भी समुदायों के बीच शत्रुता, नफरत या वैमनस्य को बढ़ावा मिल सकता है।जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अफक अहमद नामक याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता पर कथित तौर पर कई लोगों को भड़काऊ व्हाट्सएप मैसेज भेजने का आरोप था।आरोप है कि कथित मैसेज में याचिकाकर्ता ने एक...

दोस्ती रेप का लाइसेंस नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने POCSO आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
दोस्ती रेप का लाइसेंस नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने POCSO आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि दोस्ती किसी आरोपी को पीड़ित के साथ बार-बार दुष्कर्म करने और उसे बेरहमी से पीटने का लाइसेंस नहीं देती।जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने POCSO Act से जुड़े मामले में एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी ने दलील दी थी कि वह और पीड़िता दोस्त थे। यह मामला सहमति से बने संबंध का हो सकता है।न्यायालय ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा,“आवेदक की ओर से यह दलील कि आवेदक और शिकायतकर्ता दोस्त थे, इसलिए यह सहमति से बने संबंध...

केवल FIR दर्ज होने से कदाचार नहीं होता, इस आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि रोकना गलत: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
केवल FIR दर्ज होने से कदाचार नहीं होता, इस आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि रोकना गलत: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी कर्मचारी के खिलाफ केवल FIR दर्ज होना कदाचार नहीं माना जा सकता। इसलिए यह वार्षिक वेतन वृद्धि को रोकने का वैध आधार नहीं हो सकता।जस्टिस हरप्रीत सिंह बरार ने इस सिद्धांत पर जोर दिया कि वेतन वृद्धि कर्मचारी द्वारा पिछले वर्ष में सफलतापूर्वक दी गई सेवाओं की एक स्वीकृति है।उन्होंने कहा,"कर्मचारी द्वारा अर्जित वेतन वृद्धि पिछली अवधि के दौरान उचित रूप से दी गई सेवाओं की स्वीकृति के रूप में है। यह प्रदर्शन के दौरान अर्जित एक निहित...

मोटर वाहन दुर्घटना मामले में पंजीकृत मालिक ही जिम्मेदार, कानूनी हस्तांतरण पूरा होने तक दायित्व बरकरार: हिमाचल हाईकोर्ट
मोटर वाहन दुर्घटना मामले में पंजीकृत मालिक ही जिम्मेदार, कानूनी हस्तांतरण पूरा होने तक दायित्व बरकरार: हिमाचल हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि वाहन के स्वामित्व का औपचारिक हस्तांतरण मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 50 के तहत पूरा होने तक पंजीकृत वाहन मालिक ही दुर्घटना के मामलों में कानूनी रूप से उत्तरदायी बना रहेगा। भले ही दुर्घटना से पहले बिक्री समझौता निष्पादित किया जा चुका हो।जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर की एकल पीठ ने इस सिद्धांत को दोहराया,"मोटर वाहन अधिनियम की धारा 50 यह प्रावधान करती है कि जहां MV अधिनियम के तहत पंजीकृत किसी मोटर वाहन का स्वामित्व हस्तांतरित किया जाता है, वहां...

दिल्ली हाईकोर्ट ने अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाने वाली महिला पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, कहा ब्लैकमेल की कोई छूट नहीं
दिल्ली हाईकोर्ट ने अनधिकृत निर्माण का आरोप लगाने वाली महिला पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, कहा ब्लैकमेल की कोई छूट नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने करोल बाग क्षेत्र में एक संपत्ति पर अनधिकृत निर्माण के आरोप वाली याचिका में न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग और सामग्री तथ्यों को छिपाने के लिए एक महिला पर 1 लाख रुपये का खर्च लगाया है।जस्टिस मिनी पुष्करना ने कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका में यह खुलासा नहीं किया कि उसी कारण से पहले एक दीवानी मुकदमा ट्रायल कोर्ट में दायर किया गया था और वह संबंधित संपत्ति में नहीं रहती थी, जो पिछले बीस साल से खाली पड़ी थी। कोर्ट ने कहा कि कोई भी पक्ष जो गलत बयान देता है या कोई महत्वपूर्ण तथ्य छिपाता...

हाईकोर्ट ने CNN-News18 एंकर अकांक्षा स्वरूप के खिलाफ कामाख्या मंदिर पर विवादित बयान पर FIR खारिज की
हाईकोर्ट ने CNN-News18 एंकर अकांक्षा स्वरूप के खिलाफ कामाख्या मंदिर पर विवादित बयान पर FIR खारिज की

गौहाटी हाईकोर्ट ने CNN-News18 की एंकर अकाशा स्वरूप के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया। यह मामला उस टीवी शो से जुड़ा था जिसमें उन्होंने कहा था कि मां कामाख्या मंदिर में नरबलि की प्रथा होती है।कोर्ट ने कहा कि अकाशा का यह बयान लापरवाही में दिया गया था, लेकिन इसमें धार्मिक भावनाएं आहत करने की कोई जानबूझकर मंशा नहीं थी। यह टिप्पणी उन्होंने मेघालय में एक व्यक्ति की मौत पर चर्चा के दौरान की थी। चैनल ने बाद में माफी मांग ली थी और बयान को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया था। जस्टिस शमीमा जहां ने कहा कि यह...

दृष्टि केवल दृश्य नहीं, दृष्टिबाधित उम्मीदवार को भर्ती से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता यदि वह समझने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम: दिल्ली हाईकोर्ट
दृष्टि केवल दृश्य नहीं, दृष्टिबाधित उम्मीदवार को भर्ती से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता यदि वह समझने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि कोई दृष्टिबाधित उम्मीदवार आवश्यक कर्तव्यों का निर्वहन करने और समझने में सक्षम है तो उसे किसी नौकरी के लिए भर्ती से बाहर नहीं किया जा सकता।इसके अलावा, जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने यह फैसला तब सुनाया, जब दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत गठित समिति ने उक्त पद को ऐसे पद के रूप में पहचाना, जिसे दृष्टिबाधित/कम दृष्टि वाले उम्मीदवार द्वारा भरा जा सकता है।यह ऐतिहासिक फैसला भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के खिलाफ जूनियर एग्जीक्यूटिव...

देश में नौकरियों की कमी, प्रक्रियागत चूक के आधार पर उम्मीदवार को नियुक्ति से वंचित करना अन्यायपूर्ण: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
देश में नौकरियों की कमी, प्रक्रियागत चूक के आधार पर उम्मीदवार को नियुक्ति से वंचित करना अन्यायपूर्ण: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

देश में रोज़गार के अवसरों की मौजूदा कमी पर प्रकाश डालते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि केवल प्रक्रियागत चूक के आधार पर योग्य उम्मीदवार को नियुक्ति से वंचित करना अन्यायपूर्ण और अनुचित है।अदालत ने ऐसे उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया, जो कांस्टेबल पद पर चयन के 30 दिनों के भीतर कार्यभार ग्रहण नहीं कर सका था, क्योंकि वह पारिवारिक रंजिश के कारण दर्ज FIR के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में था। बाद में दोनों पक्षकारों के बीच समझौते के बाद हाईकोर्ट ने FIR रद्द कर दी।जस्टिस...

IBC की धारा 238 गैर-बाधक खंड, जो विद्युत अधिनियम के प्रावधानों को रद्द करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
IBC की धारा 238 गैर-बाधक खंड, जो विद्युत अधिनियम के प्रावधानों को रद्द करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016, विद्युत आपूर्ति संहिता, 2005 के साथ विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रावधानों को रद्द करता है।जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा,“दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 238 एक गैर-बाधक खंड है, जिसका अर्थ है कि यह दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता को वर्तमान में लागू अन्य कानूनों या उससे असंगत किसी भी दस्तावेज़ पर अधिरोहण प्रभाव की शक्ति प्रदान करती है। यह एक विशेष धारा है, जो यह सुनिश्चित करती है कि दिवाला...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने झुग्गी पुनर्वास योजनाओं की सत्यापन प्रक्रिया में व्यापक बदलाव का आह्वान किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने झुग्गी पुनर्वास योजनाओं की सत्यापन प्रक्रिया में व्यापक बदलाव का आह्वान किया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने झुग्गी पुनर्वास योजनाओं में दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया में व्यापक बदलाव का आह्वान किया। साथ ही लाभों का दावा करने के लिए झूठे और मनगढ़ंत दस्तावेजों के इस्तेमाल में आसानी पर चिंता व्यक्त की। अदालत ने तथ्यों को छिपाने और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए याचिकाकर्ता पर ₹5,00,000 का जुर्माना भी लगाया।जस्टिस ए.एस. गडकरी और जस्टिस कमल खता की खंडपीठ झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) योजना के तहत पुनर्वास आवास आवंटन के लिए याचिकाकर्ता का दावा खारिज करने वाले पहले के आदेश पर...

पैरोल पर निर्णय लेने में प्रशासनिक देरी से दोषी के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ सकता: दिल्ली हाईकोर्ट
पैरोल पर निर्णय लेने में प्रशासनिक देरी से दोषी के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पैरोल आवेदन पर निर्णय लेने में अधिकारियों द्वारा की गई प्रशासनिक देरी से दोषी के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला जा सकता।जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा कि पैरोल रियायत तो है ही, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत एक सुधारात्मक उपाय भी है, जो कारावास के दौरान भी सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।अदालत ने आगे कहा कि पैरोल पारिवारिक संबंधों को बनाए रखकर और पुनर्वास में सहायता करके एक सुधारात्मक और मानवीय उद्देश्य पूरा करता है।जज आजीवन कारावास...

परिवार के मुखियाओं द्वारा निष्पादित सहमति निर्णय से गैर-हस्ताक्षरकर्ता परिवार के सदस्य भी बाध्य: गुजरात हाईकोर्ट
परिवार के मुखियाओं द्वारा निष्पादित सहमति निर्णय से गैर-हस्ताक्षरकर्ता परिवार के सदस्य भी बाध्य: गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार जब दो परिवारों के मुखिया संयुक्त पारिवारिक व्यवस्था और सहमति मध्यस्थता निर्णय के माध्यम से सौहार्दपूर्ण ढंग से विवादों का समाधान कर लेते हैं तो परिवार के व्यक्तिगत सदस्य बाद में निर्णय की हस्ताक्षरित प्रति न मिलने या व्यक्तिगत सहमति के अभाव के आधार पर निर्णय को चुनौती नहीं दे सकते, भले ही वे हस्ताक्षरकर्ता न हों।चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस डी.एन. रे की खंडपीठ ने कहा कि यदि पारिवारिक व्यवस्थाएं सद्भावपूर्वक और स्वेच्छा से निष्पादित की जाती हैं तो वे...

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुस्लिम लॉ पर लागू, गोद लिया बच्चा जैविक बच्चे के बराबर का अधिकारी: मद्रास हाईकोर्ट
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुस्लिम लॉ पर लागू, गोद लिया बच्चा जैविक बच्चे के बराबर का अधिकारी: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (JJ Act) की धारा मुस्लिम पर्सनल लॉ पर प्राथमिक होगी और गोद लिया बच्चा जैविक बच्चे के समान दर्जा रखेगा। जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने कहा कि कोई भी बच्चा 'दूसरे दर्जे' का नहीं होगा।अदालत ने गोद लेने की प्रक्रिया में प्रशासनिक देरी पर चिंता जताई। कई बच्चे अपने शुरुआती साल संस्थागत देखभाल में बिताते हैं, जिससे उनका विकास और जीवन प्रभावित होता है। अधिकारियों को गोद लेने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया गया। मामला एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका...

शिक्षकों की अनुपस्थिति गरीब स्टूडेंट्स के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट
शिक्षकों की अनुपस्थिति गरीब स्टूडेंट्स के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट

शिक्षक के कर्तव्य की पवित्रता और प्रत्येक बच्चे के शिक्षा के संवैधानिक अधिकार को रेखांकित करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में ग्रामीण प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की पूरे स्कूल समय में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाने का आह्वान किया।जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की पीठ ने कहा कि प्राथमिक संस्थानों में शिक्षकों की अनुपस्थिति निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के मूल उद्देश्य को विफल करती है। इस प्रकार गरीब ग्रामीण बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती...

मंदिर के दान का सरकारी योजनाओं में उपयोग भक्तों के विश्वास से धोखा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
मंदिर के दान का सरकारी योजनाओं में उपयोग भक्तों के विश्वास से धोखा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि मंदिरों में श्रद्धालु जो धन दान करते हैं, वह केवल देवी-देवताओं की देखभाल मंदिर के रखरखाव और धार्मिक कार्यों के लिए ही इस्तेमाल होना चाहिए।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मंदिर के दान को राज्य के सामान्य राजस्व या सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में खर्च करना भक्तों के अटूट विश्वास को धोखा देना है।जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस राकेश कैंथला की खंडपीठ ने टिप्पणी की,"मंदिर के कोष का हर रुपया मंदिर के धार्मिक उद्देश्य या धर्मार्थ कार्यों के लिए ही उपयोग...