हाईकोर्ट

जाति-आधारित भेदभाव: राजस्थान हाईकोर्ट ने मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की
जाति-आधारित भेदभाव: राजस्थान हाईकोर्ट ने मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की

राजस्थान हाईकोर्ट ने महाकालेश्वर महादेव जी सिद्ध धाम मंदिर में जबरन मंदिर का ताला तोड़कर प्रवेश करने का प्रयास करके अराजकता पैदा करने के कथित अपराध के लिए हाशिए के समुदाय की महिला के खिलाफ़ दर्ज की गई FIR खारिज की।जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ ने कहा कि कथित अपराध के लिए याचिकाकर्ता की ओर से आपराधिक इरादे को दर्शाने वाले किसी भी सबूत की पृष्ठभूमि में FIR गलत इरादों से शुरू की गई कानून का दुरुपयोग है। खासकर याचिकाकर्ता की एससी/एसटी पृष्ठभूमि के मद्देनजर जिससे मंदिर के ट्रस्टियों के बीच कुछ असहजता पैदा...

POCSO | यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए वीर्य का स्खलन आवश्यक नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
POCSO | यौन उत्पीड़न को साबित करने के लिए वीर्य का स्खलन आवश्यक नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO Act) के तहत नाबालिग के खिलाफ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के लिए दोषसिद्धि बरकरार रखी। कोर्ट ने यह देखते हुए दोषसिद्धि बरकरार रखी कि यौन उत्पीड़न के लिए वीर्य की उपस्थिति को साबित करने की आवश्यकता नहीं है।जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस कुलदीप तिवारी की खंडपीठ ने कहा,"जब नाबालिग पीड़िता पर यौन उत्पीड़न किया जाता है तो नाबालिग पीड़िता की योनि में वीर्य स्खलन की आवश्यकता नहीं होती। नतीजतन नाबालिग पीड़िता के योनि स्वैब...

एक ही घटना के लिए दूसरी FIR की अनुमति, बशर्ते साक्ष्य का संस्करण अलग हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एक ही घटना के लिए दूसरी FIR की अनुमति, बशर्ते साक्ष्य का संस्करण अलग हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एक ही घटना के लिए दूसरी FIR की अनुमति है बशर्ते साक्ष्य का संस्करण अलग हो और तथ्यात्मक आधार पर खोज की गई हो।जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने निर्मल सिंह कहलों बनाम पंजाब राज्य 2008 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए यह टिप्पणी की। निर्मल सिंह मामले (सुप्रा) में राम लाल नारंग बनाम राज्य (दिल्ली प्रशासन) 1979 में पहले के फैसले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दूसरी FIR तब भी कायम रहेगी, जब किसी बड़ी साजिश के बारे में तथ्यात्मक आधार पर नई खोज की गई...

धारा 143(2) के तहत जांच मूल्यांकन के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति केवल मूल्यांकन अधिकारी या NaFAC के अधिकारियों तक सीमित नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
धारा 143(2) के तहत जांच मूल्यांकन के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति केवल मूल्यांकन अधिकारी या NaFAC के अधिकारियों तक सीमित नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (Income Tax Act) की धारा 143(2) के तहत जांच मूल्यांकन के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति केवल मूल्यांकन अधिकारी या राष्ट्रीय फेसलेस मूल्यांकन केंद्र (NaFAC) के अधिकारियों तक सीमित नहीं है।क़ानून के अनुसार, अधिनियम की धारा 143(2) के तहत जांच मूल्यांकन के लिए नोटिस “मूल्यांकन अधिकारी या निर्धारित आयकर प्राधिकरण, जैसा भी मामला हो” द्वारा जारी किया जा सकता है।इस मामले में अधिनियम की धारा 143(2) के तहत नोटिस सहायक आयकर आयुक्त/आयकर उपायुक्त (अंतर्राष्ट्रीय...

आंगनवाड़ी कार्य से मिलने वाला पारिश्रमिक बहुत कम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अन्य स्रोतों से कमा सकते हैं: दिल्ली हाईकोर्ट
आंगनवाड़ी कार्य से मिलने वाला पारिश्रमिक बहुत कम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अन्य स्रोतों से कमा सकते हैं: दिल्ली हाईकोर्ट

जस्टिस हरि शंकर और जस्टिस सुधीर कुमार जैन की दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने माना कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास आंगनवाड़ी कार्य के अलावा अतिरिक्त आय का स्रोत हो सकता है। खंडपीठ ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में अर्जित वेतन से खुद का या अपने परिवार का भरण-पोषण करना संभव नहीं है और आय के अधिक स्रोत होना अस्वाभाविक नहीं होगा।मामले की पृष्ठभूमिप्रतिवादी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (याचिकाकर्ता) द्वारा आयोजित महिला एवं बाल विकास विभाग...

कलकत्ता हाईकोर्ट निविदा प्राधिकरण के विवेक की पुष्टि की, निविदा योग्यता पर न्यायिक हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया
कलकत्ता हाईकोर्ट निविदा प्राधिकरण के विवेक की पुष्टि की, निविदा योग्यता पर न्यायिक हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया

जस्टिस शम्पा सरकार की अध्यक्षता वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने निविदा प्राधिकरण दामोदर घाटी निगम द्वारा तकनीकी मूल्यांकन दौर में अपनी अस्वीकृति को चुनौती देने वाली एक बोलीदाता द्वारा दायर एक रिट याचिका को खारिज कर दिया।दिनांक 6.03.2024 की विषय निविदा डीवीसी के मेजिया थर्मल पावर स्टेशन में राख तालाबों से 40 एलएमटी राख की निकासी के लिए परिवहन एजेंसियों के पैनल के लिए थी, जब याचिकाकर्ता को डीवीसी के रघुनाथपुर थर्मल पावर स्टेशन में खराब प्रदर्शन के कारण खारिज कर दिया गया था, जिसमें याचिकाकर्ता...

याचिका का प्रचार क्यों? पत्रकार महेश लंगा ने GST धोखाधड़ी मामले में रिमांड को चुनौती वापस लेने के बाद गुजरात हाईकोर्ट से पूछा
याचिका का प्रचार क्यों? पत्रकार महेश लंगा ने GST 'धोखाधड़ी' मामले में रिमांड को चुनौती वापस लेने के बाद गुजरात हाईकोर्ट से पूछा

पत्रकार और 'द हिंदू' अखबार के वरिष्ठ सहायक संपादक महेश लंगा ने सोमवार को गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका वापस लेने की मांग की, जिसमें कथित जीएसटी "धोखाधड़ी" मामले में उनकी 10 दिन की पुलिस हिरासत को चुनौती दी गई थी। हालांकि अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया, लेकिन मौखिक रूप से सवाल किया कि मामले को इतना प्रचारित क्यों किया गया।मामले की सुनवाई होने पर लंगा के वकील ने जस्टिस संदीप भट्ट की एकल पीठ के समक्ष कहा कि उनके पास याचिका वापस लेने के निर्देश हैं, जिसे अदालत ने अनुमति दे दी। ...

ट्रायल शुरू होने के बाद याचिका में संशोधन की अनुमति केवल इसलिए नहीं दी जा सकती, आवेदक अनपढ़ था, कोई उचित परिश्रम नहीं दिखाया गया: बॉम्बे हाईकोर्ट
ट्रायल शुरू होने के बाद याचिका में संशोधन की अनुमति केवल इसलिए नहीं दी जा सकती, आवेदक अनपढ़ था, कोई उचित परिश्रम नहीं दिखाया गया: बॉम्बे हाईकोर्ट

सुनवाई शुरू होने के बाद वाद में संशोधन की अनुमति देने वाले एक आदेश को रद्द करते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि बिक्री विलेखों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने वाली एक अनपढ़ महिला को 'उचित परिश्रम' का प्रयोग करने के लिए नहीं कहा जा सकता है, जबकि उसे मुकदमा दायर करने से पहले बिक्री डीड के बारे में पता था। जस्टिस एसएम मोदक की सिंगल जज बेंच ट्रायल कोर्ट के आदेश के लिए याचिकाकर्ताओं की चुनौती पर विचार कर रही थी, जिसने ट्रायल शुरू होने के बाद वाद में संशोधन के लिए प्रतिवादी नंबर 1 के आवेदन की...

दिल्ली हाईकोर्ट ने ANI द्वारा लंबित मानहानि के मुकदमे पर विकिपीडिया पेज पर आपत्ति जताई, कहा- अदालत का महामहिम किसी से भी ऊपर
दिल्ली हाईकोर्ट ने ANI द्वारा लंबित मानहानि के मुकदमे पर विकिपीडिया पेज पर आपत्ति जताई, कहा- अदालत का महामहिम किसी से भी ऊपर

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे के बारे में लंबित कार्यवाही पर विकिपीडिया पर एक समर्पित पृष्ठ पर आपत्ति जताई।चीफ़ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेदेला की खंडपीठ विकीमीडिया फाउंडेशन द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जो विकिपीडिया को होस्ट करता है, जिसमें एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ इसे ANI विकिपीडिया पेज को संपादित करने वाले तीन व्यक्तियों के ग्राहक विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था। विचाराधीन विकिपीडिया...

जीएसटी धोखाधड़ी | धारा 437 सीआरपीसी का लाभ उन महिलाओं को नहीं दिया जा सकता जो शक्तिशाली हैं और अपराध से आम जनता प्रभावित हो रही है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
जीएसटी धोखाधड़ी | धारा 437 सीआरपीसी का लाभ उन महिलाओं को नहीं दिया जा सकता जो 'शक्तिशाली' हैं और अपराध से आम जनता प्रभावित हो रही है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मां-बेटे की जोड़ी को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिन पर कई फ़र्जी कंपनियां बनाने (नागरिकों के पैन और आधार कार्ड विवरण एकत्र करके) का आरोप है, ताकि धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा किया जा सके और इस तरह सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया जा सके। जस्टिस मंजू रानी चौहान की पीठ ने कहा कि आर्थिक अपराधों से संबंधित मामलों में जमानत देने से इनकार किया जा सकता है, जो समाज के आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करते हैं, खासकर अगर आरोपी प्रभावशाली या शक्तिशाली पद...

जब मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 और 37 के तहत उपचार उपलब्ध हों तो न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ अनुच्छेद 227 के तहत याचिका कायम नहीं रखी जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट
जब मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 और 37 के तहत उपचार उपलब्ध हों तो न्यायाधिकरण के आदेशों के खिलाफ अनुच्छेद 227 के तहत याचिका कायम नहीं रखी जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत दायर याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है, जिसमें याचिकाकर्ताओं को पक्षों के बीच अनुबंध की एक प्रति और दावेदार को अंतिम बिल प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। वर्तमान मामले में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने निर्णय में एसबीपी एंड कंपनी बनाम पटेल...

न्यायिक गैर-हस्तक्षेप का सिद्धांत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता कार्यवाही दोनों के लिए मौलिक: दिल्ली हाईकोर्ट
न्यायिक गैर-हस्तक्षेप का सिद्धांत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता कार्यवाही दोनों के लिए मौलिक: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि यह अच्छी तरह से स्थापित है कि मध्यस्थता कार्यवाही में न्यायिक हस्तक्षेप न करने का सिद्धांत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता दोनों के लिए मौलिक है और मध्यस्थता अधिनियम एक स्व-निहित संहिता है। इस मामले में, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम (अधिनियम) की धारा 11(5) के तहत एक याचिका दायर की गई थी जिसमें एकमात्र मध्यस्थ की नियुक्ति की मांग की गई थी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया एक मध्यस्थता समझौता था जो विवाद को मध्यस्थता के माध्यम से हल...

लंबे समय तक सहमति से बनाए गए व्यभिचारी शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं माने जाएंगे: इलाहाबाद हाईकोर्ट
लंबे समय तक सहमति से बनाए गए व्यभिचारी शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं माने जाएंगे: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि लंबे समय से सहमति से बना व्यभिचारी शारीरिक संबंध धारा 375 आईपीसी के अर्थ में बलात्कार नहीं माना जाएगा।जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने एक व्यक्ति के खिलाफ पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिस पर शादी करने के वादे के बहाने एक महिला के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था।न्यायालय ने कहा कि आरोपी और कथित पीड़िता दोनों के बीच लंबे समय से लगातार सहमति से शारीरिक संबंध थे, और शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई तत्व नहीं था, और इस प्रकार, ऐसा...

NDPS Act  की धारा 50 के तहत तलाशी के लिए नोटिस आवश्यक नहीं, बैग आरोपी के शरीर से अलग था: दिल्ली हाईकोर्ट
NDPS Act की धारा 50 के तहत तलाशी के लिए नोटिस आवश्यक नहीं, बैग आरोपी के शरीर से अलग था: दिल्ली हाईकोर्ट

NDPS एक्ट के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में आरोपी द्वारा फेंके गए बैग की तलाशी के संबंध में NDPS Act के तहत धारा 50 के तहत नोटिस की आवश्यकता आवश्यक नहीं होगी, क्योंकि बैग आरोपी के शरीर से अलग था।हाईकोर्ट ने नोट किया कि जब आरोपी की व्यक्तिगत तलाशी ली गई थी, तब धारा 50 के प्रावधानों का अनुपालन किया गया था।संदर्भ के लिए NDPS Act की धारा 50 में उन शर्तों का उल्लेख है, जिनके तहत व्यक्तियों की तलाशी ली जाएगी।न्यायालय ...

DV Act के तहत साझा घर का अधिकार सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करता: दिल्ली हाईकोर्ट
DV Act के तहत साझा घर का अधिकार सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी सीनियर सिटीजन के साथ घोर दुर्व्यवहार का सबूत होता है तो घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम 2005 (Domestic Violence Act (DV Act)) के तहत साझा घर में रहने का महिला का अधिकार सीनियर सिटीजन के शांतिपूर्वक रहने के अधिकार का अतिक्रमण नहीं करता।न्यायालय ने कहा कि संबंधित प्राधिकारी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मौजूदा संरक्षण आदेश के बावजूद सीनियर सिटीजन की बहू के खिलाफ बेदखली आदेश जारी कर सकता है।मामले की पृष्ठभूमिजस्टिस संजीव नरूला की एकल पीठ जिला मजिस्ट्रेट...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बार-बार कदाचार के लिए कंडक्टर को बर्खास्त करने के एमएसआरटीसी के अधिकार को बरकरार रखा; कहा- घरेलू जांच के लिए न्यायिक कार्यवाही के समान प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बार-बार कदाचार के लिए कंडक्टर को बर्खास्त करने के एमएसआरटीसी के अधिकार को बरकरार रखा; कहा- घरेलू जांच के लिए न्यायिक कार्यवाही के समान प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती

बॉम्बे हाईकोर्ट की एक एकल पीठ ने हाल ही में एक मामले में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) के पक्ष में फैसला सुनाया। पीठ ने औद्योगिक न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया और एक कंडक्टर, रघु देउ मोंगल को गंभीर कदाचार के लिए बर्खास्त करने के MSRTC के अधिकार को बहाल कर दिया। जस्टिस संदीप वी मार्ने की पीठ ने माना कि घरेलू जांच निष्पक्ष रूप से की गई थी और सजा उचित थी।न्यायालय ने फैसले में हरियाणा राज्य बनाम रतन सिंह (1977 (2) एससीसी 492) की पुष्टि की, जिसमें कहा गया था कि न्यायिक कार्यवाही पर...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने श्रम न्यायालय के टाइपिस्ट की बहाली के फैसले को पलटा, राज्य के उपक्रमों में संविदा कर्मियों के लिए नियमितीकरण के मानदंडों को स्पष्ट किया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने श्रम न्यायालय के टाइपिस्ट की बहाली के फैसले को पलटा, राज्य के उपक्रमों में संविदा कर्मियों के लिए नियमितीकरण के मानदंडों को स्पष्ट किया

बॉम्बे हाईकोर्ट की एक एकल पीठ ने महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड (MSEB) के पक्ष में फैसला सुनाया और श्रम न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें MSEB को सुचिता विजय सुर्वे को 50% बकाया वेतन के साथ स्थायी कर्मचारी के रूप में बहाल करने का निर्देश दिया गया था। सुर्वे ने बोर्ड के लिए अनुबंध के आधार पर टाइपिस्ट के रूप में काम किया था और छह साल की सेवा के बाद स्थायीकरण की मांग की थी। जस्टिस संदीप वी मार्ने की पीठ ने फैसला सुनाया कि मामले में कोई रोजगार संबंध नहीं था, क्योंकि सुर्वे को कभी औपचारिक...