संपादकीय

एनडीपीएस एक्ट | एमपी हाईकोर्ट ने एफएसएल रिपोर्ट चार्जशीट के साथ जमा नहीं होने के बावजूद डिफॉल्ट जमानत से इनकार किया, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की राय से असहमति प्रकट की
एनडीपीएस एक्ट | एमपी हाईकोर्ट ने एफएसएल रिपोर्ट चार्जशीट के साथ जमा नहीं होने के बावजूद डिफॉल्ट जमानत से इनकार किया, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की राय से असहमति प्रकट की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की राय से यह कहते हुए अपनी अलग राय प्रकट कि एनडीपीएस मामले में यदि अभियोजन पक्ष चालान (चार्जशीट) के साथ एफएसएल रिपोर्ट जमा करने में विफल रहा हो तो भी एक आरोपी डिफॉल्ट जमानत पाने का हकदार नहीं है।जस्टिस सुजॉय पॉल की खंडपीठ ने तदनुसार कहा-इस न्यायालय की सुविचारित राय में, सीआरपीसी की धारा 173 (5) में प्रयुक्त शब्द 'होगा' नरेंद्र के अमीन (सुप्रा) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रकृति में निर्देशिका मात्र है।पूर्वोक्त प्रावधानों...

सुप्रीम कोर्ट ने BCCI मामले को जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच को भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने BCCI मामले को जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच को भेजा

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगी।बीसीसीआई ने अब अपने संविधान में संशोधन की अनुमति के लिए आवेदन दिया है।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने जब मामला बुधवार को आया तो सीजेआई एनवी रमना ने बताया कि BCCI मामले में पिछला आदेश अगस्त, 2018 में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ द्वारा पारित किया गया था।पिछली बेंच के सदस्यों में से सुप्रीम कोर्ट में...

मुफ्त में चीजें बांटने का मुद्दा: केंद्र सरकार चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रही है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा
मुफ्त में चीजें बांटने का मुद्दा: केंद्र सरकार चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुला रही है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह चुनावी फ्रीबीज से संबंधित मुद्दों को निर्धारित करने के लिए "सर्वदलीय बैठक" क्यों नहीं बुली रही है।अपनी पिछली सुनवाई में, अदालत ने इस मुद्दे की जटिल प्रकृति को स्वीकार करते हुए कहा था कि अदालत का इरादा इस मुद्दे पर व्यापक सार्वजनिक बहस शुरू करना है और इसी उद्देश्य के लिए एक विशेषज्ञ निकाय का गठन किया गया।आज कोर्ट में क्या हुआ?शुरू में याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि उनके अनुसार उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जैसे...

यौन उत्तेजक कपड़े- केरल हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में लेखक-कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को जमानत देने के सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई
'यौन उत्तेजक कपड़े'- केरल हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में लेखक-कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को जमानत देने के सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने राज्य सरकार द्वारा यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment Case) के एक मामले में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन (Civic Chandran) को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली याचिका में सेशन कोर्ट के जमानत देने के आदेश पर रोक लगा दी है।जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने टिप्पणी की कि अगर महिला ने 'यौन उत्तेजक कपड़े' पहन रखी है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए के तहत अपराध प्रथम दृष्टया आकर्षित नहीं होगा, इसे जस्टिफाई नहीं किया जा सकता है।कोझीकोड सत्र न्यायालय के आदेश,...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
धारा 96-100 सीपीसी - कोई व्यक्ति जो किसी निर्णय/ डिक्री से प्रभावित है लेकिन वाद का पक्षकार नहीं है, अदालत की अनुमति से अपील कर सकता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति जो किसी फैसले से प्रभावित है, लेकिन वादका पक्ष नहीं है, वह अदालत की अनुमति से अपील कर सकता है।सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि तीसरे पक्ष द्वारा अपील दायर करने के लिए अनिवार्य शर्त यह है कि वह फैसले और डिक्री के कारण प्रभावित हुआ हो, जिसे लागू करने की मांग की गई है।इस मामले में वर्ष 1953 में वाद दायर करने वाले वादी ने 'असमान जाही पैगाह' नाम की नवाब की संपत्तियों के बंटवारे की मांग की थी। यह मुकदमा अंततः आंध्र...

धारा 151 सीपीसी के तहत अंतर्निहित शक्ति केवल उन परिस्थितियों में लागू की जा सकती है जहां वैकल्पिक उपाय मौजूद नहीं हैं : सुप्रीम कोर्ट
धारा 151 सीपीसी के तहत अंतर्निहित शक्ति केवल उन परिस्थितियों में लागू की जा सकती है जहां वैकल्पिक उपाय मौजूद नहीं हैं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत अंतर्निहित शक्ति केवल उन परिस्थितियों में लागू की जा सकती है जहां वैकल्पिक उपाय मौजूद नहीं हैं।सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली पीठ ने कहा, "इस तरह की अंतर्निहित शक्ति वैधानिक प्रतिबंधों को खत्म नहीं कर सकती है या ऐसे उपाय नहीं कर सकती है, जिन पर संहिता के तहत विचार नहीं किया गया है। धारा 151 को नए वाद, अपील, संशोधन या पुनर्विचार दाखिल करने के विकल्प के रूप में लागू नहीं किया जा सकता है।"इस मामले में...

गर्भपात कराने के लिए एमटीपी नियमों के लाभ को अविवाहित महिलाओं तक पहुंचाने के तरीके तलाश रहा है सुप्रीम कोर्ट, फैसला सुरक्षित
गर्भपात कराने के लिए एमटीपी नियमों के लाभ को अविवाहित महिलाओं तक पहुंचाने के तरीके तलाश रहा है सुप्रीम कोर्ट, फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 (अधिनियम) की धारा 3 (2) (बी) के लाभ को अविवाहित महिलाओं तक पहुंचाने के तरीके तलाश रहा है, ताकि वे भी गर्भपात की मांग कर सकें जो कि गर्भावस्था की 20 सप्ताह की अवधि से अधिक है लेकिन 24 सप्ताह से कम हैं।अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, ऐश्वर्या भाटी ने मंगलवार को अधिनियम के बजाय मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी नियमों में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। उनका विचार था कि नियमों की व्याख्या करना अधिक प्रभावी हो सकता है क्योंकि विवाहित और अविवाहित महिलाओं...

क्या अपराधियों ने वास्तव में पश्चाताप किया है? : बिलकिस बानो मामले में सजा सुनाने वाले जज ने दोषियों की रिहाई की आलोचना की
'क्या अपराधियों ने वास्तव में पश्चाताप किया है? : बिलकिस बानो मामले में सजा सुनाने वाले जज ने दोषियों की रिहाई की आलोचना की

जस्टिस (सेवानिवृत्त) यूडी साल्वी, जिन्होंने 2008 में बिलकिस बानो (Bilkis Bano Case) के सामूहिक बलात्कार (Rape) और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के आरोप में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, का कहना है कि दोषियों को छूट पर रिहा करने से पहले उनसे कभी सलाह नहीं ली गई।जस्टिस साल्वी ने कहा कि राज्य सरकार को छूट पर रिहा करने का अधिकार है। हालांकि, कानून यह भी कहता है कि उन शक्तियों का उपयोग कैसे किया जाए और किन पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। यह भी इरादा है कि सरकार मामले का फैसला देने...

बिलकिस बानो केस : ऐसे बर्बर अपराध के दोषियों को हम कैसे खड़ा कर सकते हैं? -जस्टिस अभय थिप्से
बिलकिस बानो केस : ऐसे बर्बर अपराध के दोषियों को हम कैसे खड़ा कर सकते हैं? -जस्टिस अभय थिप्से

बॉम्बे हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अभय थिप्से ने मंगलवार को सज़ा से छूट की अवधारणा (concept of remission) पर चर्चा की और 2002 में गुजरात के दाहोद जिले में बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और सात लोगों की हत्या के दोषी 11 लोगों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले की आलोचना की।जस्टिस थिप्से ने बानो के समर्थन में यूनाइटेड अगेंस्ट इनजस्टिस एंड डिस्क्रिमिनेशन द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,"छोटे अपराध भी अपराधियों के लिए बड़ा कलंक है। हम एक व्यक्ति को कैसे खड़ा कर सकते हैं जब उसे इस...

सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त उपहार वादे संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए डीएमके से कहा, आप यह न सोचें कि आप ही एकमात्र बुद्धिमान पार्टी हैं
सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त उपहार वादे संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए डीएमके से कहा, "आप यह न सोचें कि आप ही एकमात्र बुद्धिमान पार्टी हैं"

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजनीतिक दलों द्वारा "मुफ्त उपहार" के वादे से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी द्वारा दिए गए कुछ बयानों पर विचार किया।डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक याचिका में कहा कि हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान के लिए कल्याणकारी उपायों को "मुफ्त उपहार" नहीं कहा जा सकता।द्रमुक ने यह भी कहा कि अदालत को इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या केंद्र सरकार द्वारा बड़े कॉरपोरेट घरानों को दी गई टैक्स हॉलिडे और कर्जमाफी की रकम 'मुफ्त' होगी।जब...

नबाम रेबिया फैसले में कारण प्रथम दृष्ट्या विरोधाभाषी  : शिवसेना विवाद में सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ भेजे गए मुद्दों पर कहा गया
'नबाम रेबिया फैसले में कारण प्रथम दृष्ट्या विरोधाभाषी ' : शिवसेना विवाद में सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ भेजे गए मुद्दों पर कहा गया

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने उद्धव ठाकरे और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुटों के बीच विवाद को एक संविधान पीठ द्वारा तय करने के लिए संदर्भित किया है।मामले को एक बड़ी पीठ को संदर्भित करते हुए, पीठ के नेतृत्व कर रहे सीजेआई रमना ने कहा कि अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने के लिए स्पीकर / उपसभापति की शक्ति से संबंधित मुद्दे को सुलझाना महत्वपूर्ण है जब उनके खिलाफ ऐसी कार्यवाही शुरू की गई थी। इस संदर्भ में, पीठ ने नबाम रेबिया मामले में 2016 के...

शिवसेना में उद्धव-शिंदे विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ को याचिकाएं भेजीं; 25 अगस्त को सुनवाई होगी
शिवसेना में उद्धव-शिंदे विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ को याचिकाएं भेजीं; 25 अगस्त को सुनवाई होगी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम के संबंध में शिवसेना (Shiv Sena) के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेज दिया।भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन-जजों की पीठ ने याचिकाओं को 5-जजों की पीठ को भेजते हुए कहा कि संवैधानिक मुद्दे के महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं।उद्धव गुट की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने प्रार्थना की कि भारत के चुनाव आयोग को आधिकारिक शिवसेना पार्टी के रूप में एकनाथ शिंदे...

बाबा रामदेव को अन्य चिकित्सा प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा
बाबा रामदेव को अन्य चिकित्सा प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ बयान देने के लिए बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की खिंचाई की।भारत के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से रामदेव की आलोचना की, जिसमें "स्मियर अभियान" और टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ नकारात्मक विज्ञापनों को नियंत्रित करने की मांग की गई थी।सीजेआई रमना ने यह देखते हुए कि बाबा रामदेव द्वारा लोकप्रिय प्रणालियां हमेशा काम नहीं कर...

मुस्लिम कानून के तहत प्यूबर्टी की उम्र प्राप्त कर चुकी नाबालिग लड़की माता-पिता की सहमति के बिना शादी कर सकती है, 18 साल से कम उम्र में भी पति के साथ रहने का अधिकार: दिल्ली हाईकोर्ट
मुस्लिम कानून के तहत प्यूबर्टी की उम्र प्राप्त कर चुकी नाबालिग लड़की माता-पिता की सहमति के बिना शादी कर सकती है, 18 साल से कम उम्र में भी पति के साथ रहने का अधिकार: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि मुस्लिम कानून (Muslim Law) के तहत प्यूबर्टी की उम्र प्राप्त कर चुकी नाबालिग लड़की माता-पिता की सहमति के बिना शादी कर सकती है और उसे अपने पति के साथ रहने का अधिकार है, भले ही उसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो।जस्टिस जसमीत सिंह ने इस साल मार्च में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार शादी करने वाले एक मुस्लिम जोड़े को सुरक्षा प्रदान करते हुए यह टिप्पणी की। दंपति ने याचिका दायर कर यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की थी कि कोई उन्हें अलग न करें।लड़की के...

बैंक से सेवा का लाभ उठाने वाला उपभोक्ता है : एफडी नकदीकरण पर विवाद के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत सुनवाई योग्य : सुप्रीम कोर्ट
बैंक से सेवा का लाभ उठाने वाला 'उपभोक्ता' है : एफडी नकदीकरण पर विवाद के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत सुनवाई योग्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बैंक द्वारा संयुक्त सावधि जमा के समय से पहले नियम और शर्तों के उल्लंघन में नकदीकरण के विवाद में उपभोक्ता की शिकायत सुनवाई योग्य है।एक व्यक्ति जो बैंक से किसी भी सेवा का लाभ उठाता है, वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अर्थ में 'उपभोक्ता' की परिभाषा के दायरे में आता है।जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा,"एक व्यक्ति जो किसी बैंक से किसी भी सेवा का लाभ उठाता है, वह 'उपभोक्ता' की परिभाषा के दायरे में आता है और ऐसे उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता संरक्षण...

इलाहाबाद हाईकोर्ट
'आरएसएस की सिफारिशों के आधार पर नियुक्ति': इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्टेट लॉ ऑफिसर की हालिया नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका दायर

स्टेट लॉ ऑफिसर्स की हालिया नियुक्तियों को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के समक्ष जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सिफारिशों के आधार पर नियुक्त किया गया था।एडवोकेट आलोक कीर्ति मिश्रा और एडवोकेट डी.के. त्रिपाठी के माध्यम से एडवोकेट रमा शंकर तिवारी, एडवोकेट शशांक कुमार शुक्ला और एडवोकेट अरविंद कुमार ने याचिका दायर कर आरोप लगाया कि हाल ही में नियुक्त 220 अधिकारियों में से कई राज्य के प्रमुख...