संपादकीय
ब्रेंकिग: दिल्ली हाईकोर्ट ने एंटीलिया बम मामले में यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी को चुनौती देने सचिन वाजे की याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एंटीलिया बम विस्फोट मामले ( Antilia Bomb Scare Case) में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी को चुनौती देने वाली मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की याचिका खारिज की।जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल के एक खंड ने आदेश सुनाया और कहा कि अधिकार क्षेत्र की कमी के कारण याचिका खारिज की जाती है।याचिका में यूएपीए की धारा 15 (1) को हटाने की मांग की गई थी, जो कानून के तहत 'आतंकवादी कृत्य' को परिभाषित करती है। याचिका में...
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में चुनाव प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की। इसके साथ ही याचिकाकर्ता पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया को खारिज कर दिया।मध्य प्रदेश जन प्रकाश पार्टी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा,"ऐसा प्रतीत होता है कि जिस पार्टी को मतदाताओं से ज्यादा मान्यता नहीं मिली, वह अब याचिका दायर करके मान्यता चाहती है!"जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने आदेश में कहा,"लोक प्रतिनिधित्व...
जमानत के बावजूद पत्रकार सिद्दीकी कप्पन क्यों है जेल में?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाथरस मामले (Hathras Case) में हिंसा भड़काने की साज़िश रचने के आरोप में 6 अक्टूबर, 2020 को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन (Siddique Kappan) को ज़मानत दी थी।हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले के कारण कप्पन अभी भी जेल में बंद है।कप्पन को रिहा क्यों नहीं किया गया?सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें जमानत देने के बाद लखनऊ की एक अदालत ने यूपी पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामले के संबंध में कप्पन के रिहाई...
ब्रेकिंग- पीएफआई बैन: केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को यूएपीए ट्रिब्यूनल का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) ट्रिब्यूनल (UAPA) का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है।ट्रिब्यूनल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे संबंधित संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध की समीक्षा करेगा।दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा से पदोन्नत होने के बाद जस्टिस शर्मा को 28 फरवरी, 2022 को दिल्ली उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त किया गया था।28 सितंबर को गृह मंत्रालय ने यूएपीए की धारा 3 (1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीएफआई और उससे संबंधित...
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम, बुजुर्गों के लिए पेंशन के बारे में जानकारी मांगी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को (i) बुजुर्गों के लिए पेंशन, (ii) प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम और (iii) बुजुर्गों के कल्याण के लिए मौजूदा योजनाओं के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है।पीठ ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को माता-पिता और सीनियर नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में वर्तमान स्थिति दर्ज करने के लिए कहा और उन्हें भारत सरकार के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा। उसके बाद एक महीने के भीतर...
बीसीआई ने "एक बार, एक वोट" नीति को लागू करने की मांग पर राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जयपुर) के चुनाव पर रोक लगाई
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने राजस्थान राज्य में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आगामी चुनावों में "एक बार, एक वोट" के सिद्धांत को लागू करने की मांग पर हुए सचिव, बार काउंसिल ऑफ राजस्थान, सचिव, राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को नोटिस जारी किया है। बार काउंसिल ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जयपुर बेंच के हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के आगामी चुनावों और किसी भी अन्य बार एसोसिएशन के चुनावों पर भी रोक लगाने का निर्देश दिया।बार काउंसिल ने देखा कि, "चुनाव के दौरान अनियंत्रित, अभद्र...
अनुकंपा नियुक्ति के लिए विवाहित बेटी को उसकी मृत मां पर निर्भर नहीं कहा जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि विवाहित बेटी को उसकी मृत मां पर निर्भर नहीं कहा जा सकता है और इसलिए वह अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा, "प्रतिवादी को मृत कर्मचारी, यानी उसकी मां पर निर्भर नहीं कहा जा सकता है।"न्यायालय ने कहा कि अन्यथा भी, प्रतिवादी अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का हकदार नहीं होगी क्योंकि मृतका कर्मचारी की मृत्यु को कई वर्ष बीत चुके हैं। अदालत ने महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के साथ-साथ बॉम्बे हाईकोर्ट के दो...
कर्मचारी की मृत्यु के कई साल बाद अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं किया जा सकता, इसका उद्देश्य परिवार को अचानक संकट से उबरने में सक्षम बनाना है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस बात पर चर्चा की कि सार्वजनिक सेवाओं में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति कैसे नियुक्तियों के सामान्य नियम का अपवाद है और कैसे यह शुद्ध मानवीय विचार से निकलती है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य परिवार को अचानक संकट से उबरने में सक्षम बनाना है, यानी एकमात्र कमाने वाले की मृत्यु के बाद।बेंच ने कहा कि"इस प्रकार, पूर्वोक्त निर्णयों में इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के अनुसार, अनुकंपा नियुक्ति सार्वजनिक सेवाओं में...
ब्रेकिंग: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल देशमुख को जमानत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री 73 वर्षीय अनिल देशमुख को जमानत दे दी।जस्टिस एनजे जमादार ने देशमुख की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट विक्रम चौधरी और एडवोकेट अनिकेत निकम और ईडी के लिए एएसजी अनिल सिंह की लंबी बहस के बाद 28 सितंबर, 2022 को आदेश सुरक्षित रखा लिया था।देशमुख द्वारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले को उठाया और शीर्ष अदालत ने लगभग आठ महीने से लंबित जमानत याचिका पर आपत्ति...
औद्योगिक ट्रिब्यूनल द्वारा अनुमोदित बर्खास्तगी का आदेश पक्षकारों के लिए बाध्यकारी, श्रम न्यायालय इसके खिलाफ विपरीत दृष्टिकोण नहीं ले सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि एक औद्योगिक ट्रिब्यूनल द्वारा अनुमोदित बर्खास्तगी का आदेश पक्षकारों के लिए बाध्यकारी है और कोई श्रम न्यायालय इसके खिलाफ एक विपरीत दृष्टिकोण नहीं ले सकता है।इस पर प्रकाश डालते हुए, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा,"एक बार बर्खास्तगी के आदेश को औद्योगिक ट्रिब्यूनल द्वारा उसके सामने पेश किए गए सबूतों की सराहना पर अनुमोदित कर दिया गया, उसके बाद औद्योगिक ट्रिब्यूनल द्वारा दर्ज निष्कर्ष पक्षकारों के बीच बाध्यकारी है। औद्योगिक ट्रिब्यूनल द्वारा...
मोटर दुर्घटना मुआवजा- आश्रित भी आय के नुकसान के लिए मुआवजे के हकदार हैं, भले ही व्यवसाय और संपत्ति उन्हें उत्तराधिकार में मिले हों: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मोटर दुर्घटना मुआवजे को केवल इस कारण से कम करने की आवश्यकता नहीं है कि मृतक के व्यावसायिक उपक्रम और संपत्ति दावेदारों को दे दी गई थी।इस मामले में, मृतक विविध क्षेत्रों में एक व्यवसायी था और अपनी कृषि भूमि से भी आय प्राप्त करता था और अचल संपत्ति को पट्टे पर देता था। अपने निधन के बाद, वह अपने पीछे एक विधवा, दो नाबालिग बच्चों और माता-पिता को छोड़ गया था, जिन्हें उन पर निर्भर बताया गया था।हाईकोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए मुआवजे को कम कर दिया था कि आयकर रिटर्न और...
सीपीसी का आदेश XIV नियम 2 (2) (बी) - लिमिटेशन के मुद्दे को एक प्रारंभिक मुद्दे के रूप में निर्धारित किया जा सकता है यदि यह स्वीकृत तथ्यों पर तय किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैसे मामले में लिमिटेशन के मुद्दे को सीपीसी के आदेश XIV नियम 2 (2) (बी) के तहत प्रारंभिक मुद्दे के रूप में तैयार और निर्धारित किया जा सकता है, जहां इसे स्वीकृत तथ्यों पर तय किया जा सकता है।न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि हालांकि, लिमिटेशन, कानून और तथ्यों का एक मिश्रित प्रश्न है, यह उक्त चरित्र को छोड़ देगा तथा कानून के एक प्रश्न तक ही सीमित हो जाएगा, यदि लिमिटेशन के प्रारंभिक बिंदु को निर्धारित करने वाले मूलभूत तथ्य सुस्पष्ट रूप...
कॉलेजियम के कामकाज को लेकर उठाई गई चिंताओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता; प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना अनिवार्य : पूर्व सीजेआई एनवी रमना
भारत के पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना (Justice NV Ramana) ने कहा कि भारत में कॉलेजियम प्रणाली के कामकाज को लेकर विभिन्न तबकों द्वारा उठाई गई चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।रमना ने कहा,"भारत में कॉलेजियम प्रणाली के कामकाज के संबंध में सरकार, वकीलों के समूहों और नागरिक समाज सहित विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न चिंताओं को उठाया गया है। इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, और निश्चित रूप से इस पर विचार किया जाना चाहिए है।"रमना एशियन ऑस्ट्रेलियन लॉयर्स एसोसिएशन इंक के राष्ट्रीय सांस्कृतिक...
न्यायाधीशों को अवमानना याचिकाओं के जरिये धमकाने का प्रयास अस्वीकार्य: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'दुस्साहस' के खिलाफ वादियों को चेतावनी दी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित "हर गलत आदेश" को अवमानना अधिकार के तहत लाने की प्रथा को खारिज करते हुए कहा है कि अवमानना याचिकाओं के जरिये न्यायाधीशों को धमकाने की कोशिश को स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने एक ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ 'लापरवाह आरोप' लगाने के लिए चार वादियों की खिंचाई करते हुए कहा:"...हम इस तरह के रवैये की निंदा करते हैं। हम इस बात की सराहना नहीं करते हैं कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित हर गलत आदेश को...
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (25 सितंबर, 2022 से 30 सितंबर, 2022 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।विशिष्ट अदायगी की अनुमति देते समय समझौते में निर्दिष्ट समय सीमा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि कोर्ट विशिष्ट अदायगी का निर्णय देने में अपने विवेक का प्रयोग करते हुए समझौते में निर्दिष्ट समय सीमा को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं कर सकता है। मामले में...
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (26 सितंबर, 2022 से 30 सितंबर, 2022) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।राज्य अपने नागरिकों की भूमि पर प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत का सहारा लेकर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता: कलकत्ता हाईकोर्टकलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कल्याणकारी राज्य होने का दावा करने वाला राज्य, अपने ही नागरिकों की संपत्ति हड़पने के लिए प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत को लागू करके भूमि के एक...
सुप्रीम कोर्ट ने जयंतीलाल मिस्त्री मामले में 2015 के फैसले पर प्रथम दृष्टया संदेह जताया जिसमें आरबीआई को डिफॉल्टरों का खुलासा करने को कहा था, कहा ये उपभोक्ताओं की निजता को प्रभावित कर सकता है
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक बनाम जयंतीलाल एन मिस्त्री मामले में 2015 के अपने फैसले के बारे में प्रथम दृष्टया संदेह व्यक्त किया, जिसमें कहा गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत बैंकों संबंधित डिफॉल्टरों की सूची, निरीक्षण रिपोर्ट, वार्षिक विवरण आदि का खुलासा करने के लिए बाध्य है।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने प्रथम दृष्टया पाया कि जयंतीलाल मिस्त्री मामले में सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार को संतुलित करने के पहलू पर...
अपरिवर्तनीय टूटने के आधार पर विवाह भंग करने के लिए अनुच्छेद 142 का आह्वान नहीं किया जा सकता: सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने गुरुवार (29 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ को बताया कि अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का प्रयोग विवाह को भंग करने के लिए बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि तलाक के लिए स्पष्ट वैधानिक प्रावधान पहले ही संसद द्वारा अपने विवेक से प्रदान किए गए हैं। परिवार की संस्था के कमजोर होने पर दुख जताते हुए दवे ने तर्क दिया कि के लिए वैधानिक प्रावधानों को दरकिनार करना सही नहीं है, जैसे कि कूलिंग पीरियड की आवश्यकता, और शीघ्र तलाक की डिक्री देने की अनुमति देना। उन्होंने...
'अनुच्छेद 32 के माध्यम से हर समस्या का समाधान नहीं हो सकता': सुप्रीम कोर्ट ने टू चाइल्ड पॉलिसी लागू करने की मांग वाली याचिका पर कहा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने शुक्रवार को बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर राज्यों को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया, जिसमें भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए नीति बनाने की मांग की गई थी।पीठ ने देश भर में 'टू चाइल्ड पॉलिसी' पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की कि वह याचिका से संतुष्ट होने के बाद ही राज्यों को नोटिस जारी करेगी। अब यह मामला 11 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध है।शुरुआत में, याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जनसंख्या...
"निजी जानकारी को इंटरनेट सर्च से हटाने का अधिकार को 'हिस्ट्री को मिटाने' के उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता": गूगल ने केरल हाईकोर्ट में कहा
केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने निजी जानकारी को इंटरनेट सर्च से हटाने का अधिकार को लागू करने और विभिन्न ऑनलाइन पोर्टलों और हाईकोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित निर्णयों या आदेशों से पहचान योग्य जानकारी को हटाने की मांग वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई जारी रखी।जस्टिस ए. मोहम्मद मुस्ताक और जस्टिस शोबा अन्नम्मा ईपेन की खंडपीठ ने एक डेंटिस्ट के मामले की सुनवाई की, जो गूगल सर्च इंजन पर अपने नाम की उपस्थिति से व्यथित है।यह आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता की दूसरी शादी, उसकी बहन की शादी और उसके...



















