'डांडिया, गरबा के लिए लाउडस्पीकर, डीजे बजाने की जरूरत नहीं': बॉम्बे हाईकोर्ट ने शांति पूर्ण ढंग से नवरात्र उत्सव मनाने की अनुमति दी

Brij Nandan

30 Sep 2022 5:25 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर बेंच ने रामदासपेठ प्लॉट ओनर्स एंड रेजिडेंस एसोसिएशन (एसोसिएशन) को शांति पूर्ण ढंग से नवरात्र उत्सव मनाने की अनुमति दी।

    कोर्ट ने कहा कि डांडिया, गरबा के लिए लाउडस्पीकर, डीजे बजाने की जरूरत नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "डांडिया और गरबा, धार्मिक उत्सव का आंतरिक हिस्सा होने के कारण अभी भी पूरी तरह से पारंपरिक और धार्मिक तरीके से किया जा सकता है, जिसमें लाउडस्पीकर, डीजे बजाने की जरूरत नहीं है।"

    जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस गोविंद सनप की खंडपीठ ने नवरात्र महोत्सव में डीजे बजाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में कहा गया है कि उत्सव में डीजे न बजाया जाए। तेज आवाज इंसानों के लिए हानिकारक है।

    अदालत ने कहा कि नवरात्रि समारोह में पीठासीन देवता के अलग-अलग नाम हो सकते हैं लेकिन ये 'शक्ति' नामक मौलिक ऊर्जा की बाहरी अभिव्यक्ति हैं। नवरात्रि में 'शक्ति' के एक रूप की पूजा की जाती है।

    अदालत ने कहा कि शक्ति की देवी की पूजा तभी प्रभावी होती है जब वह बिना किसी शोर के ध्यान के साथ की जाती है।

    कोर्ट ने कहा कि जब तक मन की पूर्ण एकाग्रता नहीं होगी, तब तक पूजा और भक्ति संभव नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "नवरात्र उत्सव के पीठासीन देवता की पूजा और भक्ति को बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए और एक भक्त को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके कार्यों से त्योहार के अनुशासन और पवित्रता का त्याग न हो।"

    एसोसिएशन नवरात्र उत्सव का आयोजन कर रही है, जिसमें मोर हिंदी उच्च प्राथमिक विद्यालय के खेल के मैदान में डांडिया और गरबा प्रदर्शन शामिल हैं। स्कूल एक अस्पताल के नजदीक है।

    अदालत ने कहा कि स्थल एक साइलेंट जोन है और इसलिए नियम 3(5) ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 में सभी प्रतिबंध इस मामले के तथ्यों पर लागू होंगे। इसलिए, डांडिया और गरबा प्रदर्शन की अनुमति इस नियम में निहित निषेध को लागू किए बिना नहीं दी जा सकती है कि साइलेंट जोन में कोई लाउडस्पीकर, डीजे नहीं बजाया जा सकता है।

    अदालत ने उल्लेख किया कि 2019 में याचिकाकर्ताओं और उत्सव के आयोजकों के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे और नवरात्रि उत्सव के दौरान लाउडस्पीकर, साउंड सिस्टम आदि के उपयोग को सीमित किया गया था।

    कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को इस एमओयू का सम्मान करना चाहिए।

    कोर्ट ने कहा कि इस एमओयू का मतलब यह नहीं है कि पूरी तरह से कोई उत्सव नहीं हो सकता है और आयोजकों को किसी भी लाउड साउंड सिस्टम या डीजे का उपयोग किए बिना पारंपरिक और धार्मिक तरीके से डांडिया और गरबा खेलना चाहिए।

    केस टाइटल- पवन शमसुंदर सारदा एंड अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य एंड अन्य।

    मामला संख्या: रिट याचिका संख्या 5935 ऑफ 2022


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