संपादकीय
COVID-19 : ईरान में फंसे 250 तीर्थयात्रियों को हालात में सुधार होने तक वापस लाने के आदेश नहीं दे सकते, सुप्रीम कोर्ट ने कहा
ईरान में फंसे 850 शिया तीर्थयात्रियों को निकालने की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि ईरान में 250 फंसे हुए भारतीय नागरिकों की स्थिति की भारतीय दूतावास द्वारा कड़ी निगरानी की जाएगी और वर्तमान में उन्हें वापस लाने का फैसला नहीं लिया जा सकता है। इन सभी को कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 850 तीर्थयात्रियों में से अधिकांश को भारत ले आया गया है और बाकी 250 के आसपास तीर्थयात्रियों को हालात में सुधार होने के बाद ही वापस...
COVID-19: प्रवासी श्रमिकों को सरकार द्वारा वेतन देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है, जिसमें मांग की गई है कि देशव्यापी लॉकडाउन के बीच सभी प्रवासी श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान सरकार द्वारा किया जाए, चाहे वह नियमित हो या अनियमित या फिर स्व-नियोजित हो। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने टेलिफोन के जरिए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव के समक्ष बुधवार को इस याचिका का उल्लेख किया गया।सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार...
निजामुद्दीन मरकज़ मामला : केंद्र सरकार के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को पत्र लिखकर मामले पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया
केंद्र सरकार के वकील गौरांग कंठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम में आलमी मरकज़, बंगले वाली मस्जिद में धार्मिक मण्डली आयोजन को सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर एक धब्बा बताया है। जो रिपोर्टें आ रही हैं, उनके अनुसार, उपरोक्त धार्मिक मण्डली आयोजन में 2000 से अधिक लोग शामिल थे (जिसमें चीन, इंग्लैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, उज्बेकिस्तान, दुबई और सऊदी अरब सहित विभिन्न देशों के विदेशी नागरिक शामिल...
COVID- 19 : फर्जी बाबाओं के आश्रमों को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें फर्जी 'बाबाओं' द्वारा चलाए जा रहे 'आश्रमों' और आध्यात्मिक केंद्रों को बंद करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इन आश्रमों में सैकड़ों महिलाओं को अस्वच्छ परिस्थितियों में रखा गया है, जिससे COVID- 19 फैलने का भारी खतरा है।सिकंदराबाद निवासी याचिकाकर्ता डम्पला रामरेड्डी ने भी देश में आध्यात्मिक संस्थाओं 'आश्रमों' की स्थापना के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग भी की है।वकील श्रवण कुमार...
COVID- 19: निजी प्रयोगशालाओं में टेस्ट के 4500 रुपये तय करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें नागरिकों के सरकारी और निजी सभी प्रयोगशालाओं में COVID- 19 टेस्ट की नि: शुल्क सुविधा प्रदान करने के लिए भारत सरकार को दिशा-निर्देश मांगे गए हैं। यह याचिका वकील शशांक देव सुधी ने शीर्ष अदालत के समक्ष दायर की है और उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। याचिकाकर्ता ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा जारी किए गए 17 मार्च की एडवाइजरी को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के लिए मनमानी और असंवैधानिक उल्लंघन के रूप में घोषित करने की...
वृद्धावस्था में COVID-19 के संक्रमण की आशंका के आधार पर आसाराम ने मांगी ज़मानत, गुजरात हाईकोर्ट ने अर्ज़ी खारिज की
गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। आसाराम ने ज़मानत याचिका में दलील दी थी कि वृद्धावस्था के कारण वह आसानी से घातक COVID-19 कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ सकता है और इसी आधार पर न्यायालय से ज़मानत मांगी गई थी। 84 वर्षीय आसाराम वर्तमान में जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद है, जिसे जोधपुर की अदालत ने बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया है। आसाराम को गांधीनगर की एक अदालत के समक्ष एक अन्य यौन उत्पीड़न मामले में मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। ...
COVID19 : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को प्रवासी श्रमिकों के कल्याण, प्रकोप के प्रति जागरूकता और नकली खबरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राष्ट्रव्यापी बंद के मद्देनज़र प्रवासी श्रमिकों के लिए बुनियादी आवश्यकताओं और चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एलएन राव की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए कि नागरिकों के बीच COVID19 की जागरूकता व्यापक और तथ्यात्मक हो और एक पोर्टल के जरिए सवालों के जवाब दिए जाएं। पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि जैसे-जैसे...
कार्लिल बनाम कार्बोलिक स्मोक बॉल कंपनी: महामारी के दौर का एक ऐतिहासिक फैसला
नदीम कोट्टालाथ जब भी महामारियों फैलती हैं, ऐसी प्लेसिबो और नकली दवाएं की बाढ़ आ जाती है, जिनका दावा होता है कि वो बीमारी का इलाज कर सकती हैं। कई ऐसे लोग होते हैं, जिनकी कोशिश रहती है कि ऐसी बीमारियों के इलाज में स्थापित औषधीय प्रणाली की विफलता का फायदा उठाकर समाज के सीधे-सादे लोगों को जादुई इलाज का लालच देकर तुरंत पैसे कमा लें। इंग्लैंड में फैली इन्फ्लूएंजा महामारी के दिनों में एक कंपनी ने ऐसी ही कोशिश की थी, जिसके बाद अनुबंध कानून और उपभोक्ता अधिकारों के मामले में एक ऐतिहासिक...
कोरोनावायरस और संविधान: घरेलू कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा दया नहीं दायित्व है
उदित भाटिया कॉविड-19 का प्रकोप रोकने के लिए देश भर में लागू किए लॉक डाउन के बाद अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की स्थिति और प्रतिबंध के बाद उन पड़ने वालों प्रभावित को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है? राष्ट्र के नाम दिए अपने संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों से अनुरोध किया था कि वे अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देना जारी रखें, लॉकडाउन की अवधि में जिन्हें ज्यादा नुकसान हो सकता था। गौतम भाटिया ने हाल ही में संवैधानिक ढांचे (विशेष रूप से, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23) के तहत...
COVID -19 : सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के पलायन पर केंद्र सरकार से पूछा क्या कदम उठाए, स्टेटस रिपोर्ट मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के बारे में उठाए गए कदमों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें शहरों से प्रवासी कामगारों के भारी पलायन के मद्देनज़र अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई हैं क्योंकि वो कोरोनावायरस लॉकडाउन में बुनियादी आवश्यकताओं के बिना छोड़ दिए गए थे। केंद्र को जवाब दाखिल करने की अनुमति देते हुए मामले को अगली...
शाहीन बाग : दिल्ली की अदालत ने आरोपियों को ज़मानत दी कहा, CAA-NRC-NPR पर सोशल मीडिया में कोई पोस्ट न करें
दिल्ली की एक अदालत ने रविवार को कोरोनावायरस के प्रकोप के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के निर्देशों की अवहेलना करने के आरोपी तीन लोगों को जमानत दे दी। आरोप लगाया गया था कि COVID -19 महामारी के मद्देनजर कर्फ्यू मानदंडों का उल्लंघन करते हुए आरोपी शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थे। ड्यूटी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, साकेत कोर्ट दिल्ली ने गए 11 जमानत शर्तें लगाईं, उनमें एक एक शर्त इस इस प्रकार हैं। "आवेदक किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नागरिकता...
'किसी वकील को किराए के अभाव में निकाला न जाए' : BCD ने दिल्ली हाईकोर्ट को लिखा पत्र, निर्देश मांगे
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते एक ओर जहां कई वकीलों के पास काम नहीं है, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को एक पत्र लिखा है, जिसमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है कि COIDID19 महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान किसी भी वकील को बेघर न किया जाए। परिषद ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को निर्देश जारी करने के लिए कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी वकील मासिक किराए का भुगतान करने में विफल रहने पर अपने किराए के आवास से बाहर...
COVID19 : आपदा रोकने में सरकार की अनुभवहीनता और अक्षमता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
COVID19 महामारी से निपटने के लिए सरकार के उपायों को अपर्याप्त बताने हुए चल रहे संकट में तत्काल हस्तक्षेप के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि "एक तरफ ये महामारी आशंंका से भी आगे निकल रही है" और दूसरी तरफ वित्तीय और सामाजिक परिणामों को रोकने के लिए दी गई सहायता अपर्याप्त हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, केंद्र और संबंधित प्राधिकरण भारतीय नागरिकों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए असंबद्ध और अक्षम हैं क्योंकि कार्यान्वयन से पहले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के...
COVID-19 : उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य को दिया निर्देश, प्रवासी मज़दूरों की मेडिकल स्क्रीनिंग के साथ उनके भोजन और आश्रय की व्यवस्था करें
प्रवासी मज़दूर COVID-19 महामारी के कारण देश भर में हुए लॉकडाउन के बाद अपने गांव लौटने के लिए पैदल चलते हुए राज्यों की सीमाओं को पार कर रहे हैं। इन प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर आवाजाही के मद्देनजर उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे प्रवासी मज़दूरों की मेडिकल स्क्रीनिंग सुनिश्चित करने के साथ साथ उनके लिए भोजन और आश्रय देने की उचित व्यवस्था करें। स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजू पांडा और न्यायमूर्ति बी रथ...
COVID-19 के दौर में न्यायः सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई का अनुभव
निधि मोहन पाराशर10 से ज्यादा दिनों तक खुद को क्वारंटाइन रखने के बाद सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर कारण सूची में अपने केस की तारीख देखना रोमांचक था। मेरा केस 27 मार्च 2020 को 3 बजे सूचीबद्ध किया गया था। ज्यादा काबिल-ए-तारीफ यह है कि COVID-19 के कारण जारी लॉकडाउन के दौर में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही जरूरी मामलों को सूचिबद्घ करने और सुनवाई सुनिश्चित करने की एक असाधारण प्रक्रिया विकसित की है। मामले को सूचीबद्ध कराने का तरीका सरल है और मेरा अनुभव यह है कि सामान्य दिनों की मामले को सूचीबद्ध करने के...
जस्टिस एपी शाह के खिलाफ रंजन गोगोई के आरोपः सच्चाई क्या है?
प्रशांत भूषणजस्टिस रंजन गोगोई ने, कई पूर्व न्यायाधीशों की आलोचना का सामना, जिनमें कई उनके पूर्व सहयोगी जैसे जस्टिस एके पटनायक, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस एम लोकुर, जस्टिस के जोसेफ और जस्टिस एपी शाह आदि थे, सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद राज्यसभा की सदस्यता के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने और आयोध्या, सबरीमाला, राफेल जैसे मामलों केंद्र सरकार के पक्ष में फैसले देने के बाद, अपना बचाव अपने पुराने सहकर्मियों, जजों और जिन्हें वह वकीलों की 'लॉबी' कहते हैं, जिनमें उन्होंने मुझे और श्री कपिल...
औचित्यहीन हैं लॉकडाउन में पुलिस की ज्यादतियां
राधिका रॉयप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनोवायरस (COVID-19) का प्रसार रोकने के लिए 24 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन की घोषणा की। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अनुशंसा की थी कि कोरोनावायरस का प्रभाव रोकने के लिए 25 मार्च 2020 से राष्ट्रीय स्तर पर 21 दिनों की अवधि के लिए सख्त कर्फ्यू लागू किया जाए, जिसके बाद लॉकडाउन की घोषणा की गई। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद गृह मंत्रालय ने लॉक डाउन की अवधि में आवागमन को नियंत्रित करने के लिए उपायों के दिशा-निर्देश जारी किए, जिनमें स्पष्ट रूप से...
COVID 19: समझिये क्या है IPC की धारा 271, जानिए Quarantine नियम के बारे में महत्वपूर्ण बातें
हम सभी अबतक यह जान ही चुके हैं कि कैसे कोरोना-वायरस पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है, और अब यह भारत में भी अपने पाँव तेज़ी पसार रहा है।इसी के मद्देनजर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार (24 मार्च) रात 12 बजे से अगले 21 दिनों के लिए तीन सप्ताह के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी। पीएम ने कहा था कि COVID-19 वायरस को फैलने से रोकने के लिए यह उपाय नितांत आवश्यक था।दरअसल, COVID-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए...