'किसी वकील को किराए के अभाव में निकाला न जाए' : BCD ने दिल्ली हाईकोर्ट को लिखा पत्र, निर्देश मांगे
LiveLaw News Network
30 March 2020 11:19 AM IST
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते एक ओर जहां कई वकीलों के पास काम नहीं है, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को एक पत्र लिखा है, जिसमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है कि COIDID19 महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान किसी भी वकील को बेघर न किया जाए।
परिषद ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को निर्देश जारी करने के लिए कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी वकील मासिक किराए का भुगतान करने में विफल रहने पर अपने किराए के आवास से बाहर ना निकाला जाए।
आगे यह मांग की गई है कि अदालत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए निर्देशों के समान दिशा निर्देश जारी करे, जिसमें सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों को ऐसे नियमों और शर्तों पर सामान्य हालात की बहाली तक सभी बकाया को स्थगित करने का निर्देश दिया गया है या ऐसे निर्देश जिन्हें उपयुक्त माना जा सकता है।
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने बैंकों को गृह ऋण के लिए EMI के भुगतान को स्थगित करने के निर्देश भी जारी किए हैं।
अदालत को सूचित किया गया कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली अपने स्तर पर, जरूरतमंद वकीलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना लेकर आई है।
यह वित्तीय सहायता उन वकीलों को भोजन और चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है जो अदालतों के कामकाज में प्रतिबंध के कारण काम की अनुपलब्धता के चलते अपनी आवश्यकता को वहन नहीं कर सकते।
यह दावा किया गया है कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण काम न होने से कई वकीलों को किराए का भुगतान करने में असमर्थ बना दिया है।
आनंद विहार बस टर्मिनल पर इकट्ठे होने वाले प्रवासी कामगारों की बड़ी भीड़ के खतरनाक प्रदर्शन को उजागर करते हुए, परिषद ने कहा कि:
'सरकारों का यह कर्तव्य और दायित्व है कि वे लोगों को वहीं रखें, जहां वे हों और उन्हें बुनियादी ज़रूरतें प्रदान करें, भले ही वे अपनी नौकरी खो चुके हों या चाहे वे किराए का भुगतान करने में सक्षम न हों, या भले ही वे बेरोजगार हों।'
अदालत को नोएडा के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए निर्णय के बारे में भी बताया गया है, जिसमें मकान मालिकों को एक महीने के लिए किराए के भुगतान को स्थगित करने की सलाह दी गई है।
परिषद ने अदालत से कहा है कि वह वकीलों को इस राहत को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए, क्योंकि आज देश बेहतर स्थिति में है और जरूरत के समय में सामाजिक कल्याण के ऐसे उपायों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं।
यह कहा गया है कि कोरोनोवायरस के प्रसार के कारण बनी स्थिति पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार का ऐसा कदम और दिशा-निर्देश आवश्यक हैं।