संपादकीय

जन्मपूर्व लिंग निर्धारण एक गंभीर अपराध है, इससे लैंगिग समानता और गरिमा को नुकसान पहुंचता है : सुप्रीम कोर्ट
जन्मपूर्व लिंग निर्धारण एक गंभीर अपराध है, इससे लैंगिग समानता और गरिमा को नुकसान पहुंचता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जन्मपूर्व लिंग निर्धारण समाज के लिए गंभीर परिणाम के साथ गंभीर अपराध है।न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतानागौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कोर्ट ने आरोपी द्वारा दायर अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "हमें अपने समाज से कन्या भ्रूण हत्या और बालिकाओं के प्रति अमानवीयता को खत्म करने के लिए सख्त दृष्टिकोण अपनाना होगा।"आरोपी पर भारतीय दंड संहिता, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 और प्री...

ईपीएफ - सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखने का फैसला वापस लिया जिसमें कहा गया था कि वेतन के अनुपात में ही पेंशन हो
ईपीएफ - सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखने का फैसला वापस लिया जिसमें कहा गया था कि वेतन के अनुपात में ही पेंशन हो

सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज करने के अपने आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को रद्द किया गया था जिसमें अधिकतम पेंशन योग्य वेतन प्रतिमाह 15, 000 प्रति माह था।जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस हेमंत गुप्ता और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने भारत संघ और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर एसएलपी को 25.02.2021 को प्रारंभिक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।केंद्र सरकार का तर्क है...

National Uniform Public Holiday Policy
सीपीसी 96 के तहत अपीलीय अदालत के अधिकार क्षेत्र में कानून के सवालों के साथ-साथ तथ्य की अपील पर फिर से सुनवाई करना शामिल : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पाया है कि सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 96 के तहत एक अपीलीय अदालत के अधिकार क्षेत्र में कानून के सवालों के साथ-साथ तथ्य की अपील पर फिर से सुनवाई करना शामिल है।न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस तरह से कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश को रद्द करते हुए अवलोकन किया जिसने एक ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया था।ट्रायल कोर्ट के आदेश में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 278 के तहत एक श्रीनिवास गंभीर द्वारा निष्पादित...

धारा 377 आईपीसी और पोक्सो अधिनियम के तहत बच्चों के ‌खिलाफ ‌हुए अपराधों के मामले को पक्ष आपस में समझौता करके खत्म नहीं कर सकतेःदिल्ली उच्च न्यायालय
धारा 377 आईपीसी और पोक्सो अधिनियम के तहत बच्चों के ‌खिलाफ ‌हुए अपराधों के मामले को पक्ष आपस में समझौता करके खत्म नहीं कर सकतेःदिल्ली उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अदालत केवल इस आधार पर एफआईआर को रद्द करने की अनुमति नहीं दे सकती है कि पक्षों ने आपस में समझौता कर लिया है, जबकि एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 377 और पोक्सो अधिनियम के तहत बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों से संबंधित है।जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद ने पटेल नगर थाने में आईपीसी की धारा 377, पोक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत दर्ज एफआईआर, जिसे धारा 482 सीआरपीसी के तहत रद्द करने की प्रार्थना की गई थी, को रद्द करने से इनकार कर दिया।आईपीसी की धारा 377 के तहत...

सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह

25 जनवरी 2021 से 29 जनवरी 2021 तक सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़रसुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि उस लॉ स्टूडेंट के 5 वें सेमेस्टर का परिणाम घोषित करे, जिसकी अटेंडेंस प्रेग्नेंसी के कारण कम थीसुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह उस विधि छात्रा के 5 वें सेमेस्टर का परिणाम घोषित करे, जो अपनी गर्भावस्था के कारण अपेक्षित 70% उपस्थिति मानदंडों को पूरा नहीं कर सकी। अंकिता मीणा अपनी गर्भावस्था के कारण 4 वें सेमेस्टर के दौरान कई कक्षाएं छूटने के...

जहां न्यूनतम सजा का प्रावधान नहीं है और अधिकतम सजा दस साल से अधिक है तो डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार कहां होगा ? सुप्रीम कोर्ट करेगा परीक्षण
जहां न्यूनतम सजा का प्रावधान नहीं है और अधिकतम सजा दस साल से अधिक है तो डिफ़ॉल्ट जमानत का अधिकार कहां होगा ? सुप्रीम कोर्ट करेगा परीक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत के प्रयोजनों के लिए चार्जशीट दाखिल करने के लिए आवश्यक अवधि के संबंध में कानूनी स्थिति की जांच करने का निर्णय लिया है, जब अपराध में न्यूनतम सजा का प्रावधान नहीं है लेकिन अधिकतम सजा के लिए निर्धारित कारावास की अवधि दस वर्ष से अधिक है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में कानून के इस सवाल पर नोटिस जारी किया (राज्य दिल्ली एनसीटी बनाम राजीव शर्मा)।यह एक विशेष अनुमति याचिका थी, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय...

नियुक्ति को उचित समय में चुनौती नहीं दी गई : सुप्रीम कोर्ट ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश को रद्द किया
नियुक्ति को उचित समय में चुनौती नहीं दी गई : सुप्रीम कोर्ट ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश को रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया जिसमें सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को यह देखते हुए रद्द कर दिया गया था कि नियुक्ति को लागू अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उचित समय में चुनौती नहीं दी गई थी।इस मामले में, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद ने 08.08.2005 को चयन समिति की सिफारिशों पर सहायक प्रोफेसर और डॉ जितेंद्र कुमार राव को लेक्चरर के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी। 13.02.2009 को, राव ने कुलपति के सामने पूरन चंद की नियुक्ति को चुनौती देते हुए एक...

सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ की जांच के लिए आयोग को 6 महीने का समय और दिया
सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ की जांच के लिए आयोग को 6 महीने का समय और दिया

सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम ने हैदराबाद में 6 दिसंबर, 2019 को पशु चिकित्सक से बलात्कार करने के चार अभियुक्तों की कथित मुठभेड़ की जांच और अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जांच आयोग को छह महीने का समय और दे दिया।यह दूसरा अवसर है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आयोग को छह महीने का समय दिया है। इससे पहले जुलाई 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद में 6 दिसंबर, 2019 को चार अभियुक्तों की...

क्या किराए का गैर-भुगतान IBC कोड के अर्थ के भीतर एक परिचालन ऋण के रूप में योग्य होगा? सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
क्या किराए का गैर-भुगतान IBC कोड के अर्थ के भीतर एक परिचालन ऋण के रूप में योग्य होगा? सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

क्या किराए का गैर-भुगतान इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 की धारा 5 (21) के अर्थ के भीतर एक परिचालन ऋण के रूप में योग्य होगा? सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ दायर अपील में नोटिस जारी किया।इस मामले में, मकान मालिक ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 की धारा 9 के तहत अर्जी दाखिल की, जिसे इस आधार पर फैसला करने वाले प्राधिकरण द्वारा खारिज कर दिया गया था कि IBC की धारा 5 (21) के तहत अचल संपत्ति के किराए की प्रकृति में बकाया परिचालन ऋण के रूप में...

इन महिलाओं ने राष्ट्र की सेवा की, क्यों उन्हें फिर से मुकदमेबाजी के चक्र में धकेल दिया: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से परमानेंट कमीशन के मामले में मतभेदों को हल करने का आग्रह किया
"इन महिलाओं ने राष्ट्र की सेवा की, क्यों उन्हें फिर से मुकदमेबाजी के चक्र में धकेल दिया": सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से परमानेंट कमीशन के मामले में मतभेदों को हल करने का आग्रह किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एक बार अंतिम निर्णय और आदेश के माध्यम से कार्यवाही का निपटारा कर दिया गया है, इसके कार्यान्वयन के लिए एक विविध आवेदन कायम नहीं है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एनी नागराज के मामले में 17 मार्च, 2020 के फैसले के अनुसार, दिशा निर्देशों के लिए एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया था कि भारतीय नौसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन में सेवा दे रही महिला अधिकारी, उनके पुरुष समकक्षों के समान परमानेंट सर्विस कमीशन की हकदार थी।महिला उम्मीदवारों की...

अदालत की नींव बहुत मजबूत, आलोचना करना अवमानना नहीं है  : मुकुल रोहतगी ने रचिता तनेजा के लिए कहा
'अदालत की नींव बहुत मजबूत, आलोचना करना अवमानना नहीं है ' : मुकुल रोहतगी ने रचिता तनेजा के लिए कहा

न्यायपालिका के खिलाफ अपने ट्वीट के लिए कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ शुरू की गई अवमानना ​​कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि ' अदालत की आलोचना करना अवमानना ​​नहीं है।'रोहतगी ने तनेजा की ओर से शुक्रवार को कहा, "मुझे नहीं पता कि कोर्ट ने नोटिस क्यों जारी किया है। कोर्ट की नींव काफी मजबूत है।"उनके जवाबों पर प्रतिक्रिया देते हुए, न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने टिप्पणी की, "हम सहमत हैं। लेकिन इन दिनों हर किसी के साथ चीजें बहुत दूर जा रही हैं."उन्होंने कहा, "यहां 25...

सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई टाली
सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई टाली

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ न्यायपालिका की आलोचना करने वाले उनके ट्वीट पर शुरू किए गए आपराधिक अवमानना ​​मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।जस्टिस अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के अनुरोध पर मामले को स्थगित करने की अनुमति दी, ताकि उसे कामरा के जवाबी हलफनामे का जवाब देने में सक्षम बनाया जा सके।याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें शुक्रवार सुबह ही कामरा का हलफनामा मिला था। इसलिए उन्होंने जवाब देने के लिए...

व्हाट्सएप पे द्वारा निजता दिशा- निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
व्हाट्सएप पे' द्वारा निजता दिशा- निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) प्लेटफॉर्म पर डेटा सुरक्षा से संबंधित एक याचिका में एक हस्तक्षेप आवेदन पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि व्हाट्सएप पे मामले के न्यायालय के समक्ष लंबित होने के बावजूद भारत में पूर्ण पैमाने पर परिचालन शुरू करने के लिए तैयार है।भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की दलीलें सुनीं, जो आवेदक की ओर से पेश हुए और आईए में नोटिस जारी करने के लिए आगे बढ़ीं।मामला अब सोमवार, 1 फरवरी तक के...

UPI प्लेटफॉर्म नियमों का पालन करें, ये सुनिश्चित करने का काम NPCI का है: रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा
UPI प्लेटफॉर्म नियमों का पालन करें, ये सुनिश्चित करने का काम NPCI का है: रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम की याचिका पर दायर एक हलफनामे में, आरबीआई ने प्रस्तुत किया है कि अमेजन, गूगल और व्हाट्सएप जैसी कंपनियों ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को नियंत्रित करने वाले कानूनों के अनुपालन में काम किया है, ये यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की है,आरबीआई की नहीं।तत्काल मामले में याचिका में आरबीआई और एनपीसीआई को निर्देश देने की मांग की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्हाट्सएप, गूगल, अमेजन और...

भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 : एक बार राज्य ने कब्जा ले लिया तो भूस्वामी का टाइटल समाप्त हो जाता है : सुप्रीम कोर्ट
भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 : एक बार राज्य ने कब्जा ले लिया तो भूस्वामी का टाइटल समाप्त हो जाता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि एक बार राज्य द्वारा कब्जा कर लिए जाने के बाद, भूमि राज्य के साथ पूरी तरह से निहित हो जाती है और भूस्वामी का टाइटल समाप्त हो जाता है।जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ असम औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड द्वारा दायर याचिका को अनुमति दी जिसमें भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत पारित किए गए फैसले को शून्य करार दिया गया था।यह अवार्ड गिलापुकरी चाय कंपनी लिमिटेड से संबंधित भूमि के संबंध में जारी किए गए भूमि अधिग्रहण अधिसूचना...

हम उस प्रसारण से चिंतित हैं, जो हिंसा भड़काते हैं  : सुप्रीम कोर्ट ने केबल टीवी एक्ट के तहत शक्तियों पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा
'हम उस प्रसारण से चिंतित हैं, जो हिंसा भड़काते हैं ' : सुप्रीम कोर्ट ने केबल टीवी एक्ट के तहत शक्तियों पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1994 के तहत उस सामग्री के प्रसारण (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा) को नियंत्रित करने के लिए कहा, जिसमें हिंसा भड़काने की प्रवृत्ति है।सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा, "हम लोगों के बारे में इतना चिंतित नहीं हैं, लोग इन दिनों कुछ भी कह रहे हैं। हम उन स्थितियों से चिंतित हैं जो हिंसा पैदा कर सकती हैं और संपत्ति और जीवन को नुकसान पहुंचा सकती हैं।"याचिकाओं में उन खबरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है,...

सदन के विशेषाधिकार विधायी कार्यों से अलग गतिविधियों पर लागू नहीं : फेसबुक उपाध्यक्ष के लिए साल्वे की दलील
सदन के विशेषाधिकार विधायी कार्यों से अलग गतिविधियों पर लागू नहीं : फेसबुक उपाध्यक्ष के लिए साल्वे की दलील

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष, अजीत मोहन को दिल्ली विधानसभा की समिति " शांति और सद्भाव " द्वारा जारी किए गए दो समन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की जिसमें उन्हें फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे फर्जी समाचारों पर विचार करने के लिए बुलाया गया था।सितंबर 2020 में दो समन जारी किए गए थे जिसमें मोहन को दिल्ली के दंगों में फेसबुक के अधिकारियों की भूमिका या मिलीभगत की जांच के लिए समिति के समक्ष उपस्थित होने की मांग की गई थी। 23 सितंबर को, अदालत ने विधानसभा पैनल के...

PWD एक्ट के तहत आरक्षण, विशिष्ट व्यक्तियों के लिए विशिष्ट लाभ है: केंद्र ने बेंचमार्क दिव्यांगता की दहलीज को कम करने पर सुप्रीम कोर्ट में कहा
PWD एक्ट के तहत आरक्षण, विशिष्ट व्यक्तियों के लिए विशिष्ट लाभ है: केंद्र ने बेंचमार्क दिव्यांगता की दहलीज को कम करने पर सुप्रीम कोर्ट में कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा कि क्या अखिल भारतीय सेवाओं में परीक्षा में लेखक की सुविधा का विस्तार उन व्यक्तियों के लिए किया जा सकता है, जो हालांकि दिव्यांग हैं, लेकिन 'बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्ति' नहीं हैं।दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 2 (आर) "बेंचमार्क दिव्यांग वाले व्यक्ति" को एक निर्दिष्ट दिव्यांगता के चालीस प्रतिशत से कम ना होने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित करती है। अधिनियम की धारा 34 में प्रावधान है कि प्रत्येक उपयुक्त सरकार हर सरकारी...

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति के गठन के निर्देश में संशोधन किया
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति के गठन के निर्देश में संशोधन किया

 सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति के गठन के मामले में इसके द्वारा जारी एक निर्देश को संशोधित किया है।जिसमें जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट ने मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ [दिनांक 27 नवंबर 2020] में खोज-सह-चयन समिति के सदस्य के तौर पर कानून और न्याय मंत्रालय सचिव को सचिव, भारत सरकार, जिसे मूल विभाग या प्रायोजक विभाग के अलावा किसी अन्य विभाग के कैबिनेट सचिव द्वारा नामित किया गया हो, प्रतिस्थापित करने के केंद्र...

आप इस तरह धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट ने कई FIR पर तांडव के निर्माताओं को अंतरिम संरक्षण देने से इनकार किया
'आप इस तरह धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं कर सकते ': सुप्रीम कोर्ट ने कई FIR पर तांडव के निर्माताओं को अंतरिम संरक्षण देने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वेब श्रृंखला तांडव के निदेशक, निर्माता, लेखक और अभिनेता द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए विभिन्न शहरों में उनके खिलाफ कार्रवाई को एक साथ जोड़ने और आपराधिक कार्यवाही को स्थानांतरित करने की मांग की थी।न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने छह राज्यों के पुलिस विभागों से गिरफ्तारी से आरोपी व्यक्तियों को कोई भी अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया।पीठ ने कहा कि हम धारा...