सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति के गठन के निर्देश में संशोधन किया

LiveLaw News Network

28 Jan 2021 4:39 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति के गठन के निर्देश में संशोधन किया

     सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति के गठन के मामले में इसके द्वारा जारी एक निर्देश को संशोधित किया है।

    जिसमें जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट ने मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ [दिनांक 27 नवंबर 2020] में खोज-सह-चयन समिति के सदस्य के तौर पर कानून और न्याय मंत्रालय सचिव को सचिव, भारत सरकार, जिसे मूल विभाग या प्रायोजक विभाग के अलावा किसी अन्य विभाग के कैबिनेट सचिव द्वारा नामित किया गया हो, प्रतिस्थापित करने के केंद्र के अनुरोध को संशोधित करने की अनुमति दी।

    सोमवार [25 जनवरी 2021] को पारित नए आदेश के अनुसार, खोज-सह-चयन समिति का गठन निम्नानुसार होगा:

    (क) भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके नामित-अध्यक्ष (एक वोट के साथ)।

    (ख) ट्रिब्यूनल के चेयरमैन या चेयरपर्सन या प्रेसिडेंट की नियुक्ति के मामले में जा रहे चेयरमैन या चेयरपर्सन या प्रेसिडेंट या अन्य सदस्यों की नियुक्ति के मामले में ट्रिब्यूनल के वर्तमान चेयरमैन या चेयरपर्सन या प्रेसिडेंट (या) ट्रिब्यूनल के चेयरमैन या चेयरपर्सन या प्रेसिडेंट की नियुक्ति के मामले में जो एक न्यायिक सदस्य नहीं हैं तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या फिर यदि ट्रिब्यूनल के चेयरमैन या चेयरपर्सन या प्रेसिडेंट की पुनर्नियुक्ति होनी है - सदस्य

    (ग) दो सचिव, भारत सरकार, जिन्हें मूल विभाग या प्रायोजक विभाग के अलावा किसी अन्य विभाग के कैबिनेट सचिव द्वारा नामित किया गया हो - सदस्य

    (घ) प्रायोजक या मूल मंत्रालय या विभाग के सचिव-सदस्य सचिव / संयोजक (बिना वोट के)।

    अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 19 ट्रिब्यूनल हैं और कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव के लिए प्रत्येक खोज-सह-चयन समिति के सदस्य के रूप में कार्य करना मुश्किल होगा जिससेउनके अन्य कर्तव्यों में बाधा हो सकती है। चूंकि एमिकस क्यूरी ने उपरोक्त सुझाव पर कोई आपत्ति नहीं जताई, इसलिए न्यायालय ने इस प्रार्थना की अनुमति दी।

    "हकदार" शब्द की बजाय, "पात्र" शब्द को प्रतिस्थापित किया जा सकता है निर्णय के पैरा 53 (vi) में, यह निम्नानुसार देखा गया था:

    "वे ट्रिब्यूनल के लिए उनके द्वारा प्रदान की गई सेवा को वरीयता देकर कम से कम एक कार्यकाल के लिए पुन: नियुक्ति के हकदार होंगे।"

    न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल के सुझाव को स्वीकार किया कि " हकदार" शब्द की बजाय, "पात्र" शब्द को प्रतिस्थापित किया जा सकता है क्योंकि यह खोज-सह-चयन समिति के लिए अधिक स्पष्टता प्रदान करेगा।

    सदस्यों का कार्यकाल

    12.02.2020 से पहले नियुक्त ट्रिब्यूनल के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और सदस्यों के कार्यकाल को ठीक करने के सुझाव के बारे में, पीठ ने एमिकस क्यूरी को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अटॉर्नी जनरल ने प्रस्तुत किया कि वित्त अधिनियम, 2017 की धारा 184 के अनुसार 12.02.2020 से पहले नियुक्त सदस्यों का कार्यकाल जो कि रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड (2020) 6 SCC 1 में बरकरार रखा गया है, एक सदस्य पांच साल की अवधि से आगे नहीं बढ़ सकता है।

    पीठ ने 7 सदस्यों को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण और केंद्रीय बिक्री कर अपीलीय न्यायाधिकरण के सदस्यों के रूप में नियुक्त करने के लिए नोटिस जारी किया, जिनके पास मूल क़ानून और नियमों के अनुसार 8 वर्ष से 15 वर्ष के बीच कार्यकाल होगा।

    मानक आवास भत्ता का निर्धारण

    केंद्र ने चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन को आवास भत्ता के रूप में 1.5 लाख रुपये और ट्रिब्यूनल के सदस्यों को प्रति माह 1.25 लाख रुपये रुपये की राशि का भुगतान करने के लिए दिशानिर्देश में संशोधन की मांग की।

    अटॉर्नी जनरल ने प्रस्तुत किया कि सभी सदस्यों के लिए मानक आवास भत्ता का निर्धारण उचित नहीं है क्योंकि इससे मुद्रास्फीति के कारण कुछ वर्षों के बाद एचआरए अपर्याप्त हो सकता है।

    " भारत संघ को को एक्स, वाई, जेड शहरों / कस्बों में काम करने वाले ट्रिब्यूनल के सदस्यों के विवरण और आवास भत्ता के रूप में उन्हें भुगतान की जाने वाली राशि के रिकॉर्ड पर रखने के लिए निर्देशित किया जाता है। ट्रिब्यूनल के सदस्यों को प्रदान किए गए आवास का विवरण भी देना होगा। पीठ ने कहा कि भारत संघ इस बात के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा कि ट्रिब्यूनल के सदस्यों को आवास प्रदान नहीं किया जाता है तो आवास भत्ता के लिए कौन सी राशि उचित होगी।

    मामला : मद्रास बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ [ रिट याचिका (सिविल) संख्या 804/2020 में विविध आवेदन संख्या 111/2021]

    पीठ : जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवींद्र भट

    उद्धरण : LL 2021 SCC 43

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