संपादकीय

समान रैंक के पेंशनभोगी एक समरूप वर्ग नहीं बना सकते, लाभ संभावित रूप से लागू किया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन और कट-ऑफ तिथियों के सिद्धांत संक्षेप में प्रस्तुत किए
समान रैंक के पेंशनभोगी एक समरूप वर्ग नहीं बना सकते, लाभ संभावित रूप से लागू किया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन और कट-ऑफ तिथियों के सिद्धांत संक्षेप में प्रस्तुत किए

ओआरओपी मामले ( इंडियन एक्स- सर्विसमैन मूवमेंट और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन और कट-ऑफ तिथियों से संबंधित सिद्धांतों को निम्नानुसार संक्षेप में प्रस्तुत किया है:(i) सभी पेंशनभोगी जो समान रैंक रखते हैं, सभी उद्देश्यों के लिए एक समरूप वर्ग नहीं बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, एमएसीपी और एसीपी योजनाओं के मद्देनज़र सिपाहियों के बीच मतभेद मौजूद हैं। कुछ सिपाहियों को उच्च रैंक वाले कर्मियों का वेतन मिलता है;(ii) पेंशन योजना में एक नए तत्व का लाभ संभावित रूप से लागू...

कोर्ट फीस एक्ट, 1870 - दावा की गई राशि पर यथामूल्य कोर्ट-फीस देय होगी यदि वाद मुआवजे और हर्जाने के लिए मनी सूट है : सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट फीस एक्ट, 1870 - दावा की गई राशि पर यथामूल्य कोर्ट-फीस देय होगी यदि वाद मुआवजे और हर्जाने के लिए मनी सूट है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट फीस एक्ट, 1870 की धारा 7 (i) के तहत, दावा की गई राशि पर यथामूल्य (एड वैलोरम ) कोर्ट-फीस देय होगी यदि वाद मुआवजे और हर्जाने के लिए एक मनी सूट है।जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, यह केवल अधिनियम की धारा 7 के खंड (iv) में निर्दिष्ट वादों की श्रेणी के संबंध में है कि वादी को वाद में यह बताने की स्वतंत्रता है कि वह राशि जिस पर राहत का मूल्य बनाया गया है, उक्त राशि पर कोर्ट-फीस देय होगी।इस मामले में, वादी ने क20 लाख रुपये की वसूली के लिए एक...

मजिस्ट्रेट यूएपीए मामलों में अन्वेषण पूरी करने के लिए समय नहीं बढ़ा सकते: सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की
'मजिस्ट्रेट यूएपीए मामलों में अन्वेषण पूरी करने के लिए समय नहीं बढ़ा सकते': सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश राज्य द्वारा अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका (Review Petition) खारिज की, जिसमें कहा गया था कि मजिस्ट्रेट यूएपीए मामलों में जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाने के लिए सक्षम नहीं होंगे।जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस बेलम एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका में उठाए गए आधार हस्तक्षेप को सही ठहराने के लिए रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं करते हैं।इस मामले में सीजेएम भोपाल ने जांच पूरी करने की अवधि बढ़ाने का आदेश...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
POCSO: लड़की ने कहा- आरोपी ने प्राइवेट पार्ट में उंगली डाली; सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा कि क्या 'पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट' का अपराध किया गया है

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मुद्दे की जांच करने के लिए एक याचिका पर नोटिस जारी किया है कि क्या एक नाबालिग लड़की की गवाही कि आरोपी ने उसके प्राइवेट पार्ट में उंगली डाली थी, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2021 की धारा 3 (बी) के तहत 'पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट' के अपराध किया गया है।जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर 70 वर्षीय आरोपी को नोटिस जारी किया, जिसने पॉक्सो की धारा 3 (बी) के तहत...

सीआरपीसी धारा 190 (1) (बी)- अगर सामग्री प्रथम दृष्टया संलिप्तता का खुलासा करती है तो मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को भी समन जारी कर सकता है जिसका नाम पुलिस रिपोर्ट या एफआईआर में नहीं है : सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी धारा 190 (1) (बी)- अगर सामग्री प्रथम दृष्टया संलिप्तता का खुलासा करती है तो मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को भी समन जारी कर सकता है जिसका नाम पुलिस रिपोर्ट या एफआईआर में नहीं है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 190 (1) (बी) के तहत पुलिस रिपोर्ट के आधार पर किसी अपराध का संज्ञान लेते हुए मजिस्ट्रेट किसी भी ऐसे व्यक्ति को समन जारी कर सकता है जिस पर पुलिस रिपोर्ट या एफआईआर में आरोप नहीं लगाया गया है।जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा , "यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष ऐसी सामग्री है जो अभियुक्त के रूप में आरोपित या पुलिस रिपोर्ट के कॉलम 2 में किसी अपराध के लिए नामित व्यक्तियों के अलावा अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत दिखाती है, तो उस स्तर...

धारा 34 आईपीसी -  सामान्य आशय के तहत दोषी ठहराने के लिए पूर्व तालमेल और पूर्व नियोजित योजना का अस्तित्व स्थापित किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
धारा 34 आईपीसी - ' सामान्य आशय' के तहत दोषी ठहराने के लिए पूर्व तालमेल और पूर्व नियोजित योजना का अस्तित्व स्थापित किया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 34 को लागू करके आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पूर्व तालमेल और पूर्व नियोजित योजना का अस्तित्व स्थापित किया जाना चाहिए।इस मामले में, अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 सहपठित धारा 34 के तहत एक साथ दोषी ठहराया गया था। अभियोजन का मामला यह था कि अर्जुन ने मृतक पर चाकू से वार किया था और अपीलकर्ता भी इस अपराध में शामिल था क्योंकि उसने अपना चाकू लहराया था और मृतक के साथ आए एक व्यक्ति पर हमला करने की धमकी दी थी।सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता ने...

हम देखेंगे: सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की तत्काल सुनवाई की मांग वाली याचिका पर कहा
'हम देखेंगे': सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की तत्काल सुनवाई की मांग वाली याचिका पर कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि वह होली की छुट्टियों के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध करेगा।बता दें, कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है और स्कूलों और कॉलेजों में हेडस्कार्फ़ पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने आज इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि परीक्षाएं होने वाली हैं और उच्च न्यायालय के आदेश से कई लड़कियां प्रभावित हुई हैं।बेंच ने...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
एक गलत आदेश पारित करने पर न्यायिक अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं, केवल लापरवाही को कदाचार नहीं मान सकते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायिक अधिकारी को बहाल करते हुए कहा कि केवल लापरवाही को न्यायिक अधिकारी की सेवाओं को समाप्त करने के लिए कदाचार नहीं माना जा सकता है।जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही केवल इसलिए जरूरी नहीं है क्योंकि उसके द्वारा गलत आदेश पारित किया गया है या उसके द्वारा की गई कार्रवाई अलग हो सकती थी।अदालत ने कहा कि राहत-उन्मुख न्यायिक दृष्टिकोण अपने आप में एक अधिकारी की ईमानदारी और अखंडता पर आक्षेप लगाने का आधार नहीं हो...

कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है और स्कूलों और कॉलेजों में हेडस्कार्फ़ पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखा जाता है।एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अनस तनवीर के माध्यम से निबा नाज़ नाम के एक मुस्लिम छात्र द्वारा विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है।कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने फैसला सुनाया कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक...

कर्नाटक हाईकोर्ट ने इन तीन आधारों पर कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज की
कर्नाटक हाईकोर्ट ने इन तीन आधारों पर कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज की

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के मामले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं है।बता दें, कोर्ट ने इन तीन आधारों पर कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज की;1. क्या हिजाब पहनना इस्लामिक आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा है है जो अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित है।2. क्या स्कूल यूनिफॉर्म का निर्देश अधिकारों का उल्लंघन है।3. क्या 5 फरवरी का...

हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज की
'हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं': कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों की याचिका खारिज की

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध के मामले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और इस प्रकार, संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं है।हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने आगे कहा कि राज्य द्वारा स्कूल ड्रेस का निर्धारण अनुच्छेद 25 के तहत छात्रों के अधिकारों पर एक उचित प्रतिबंध है और इस प्रकार, कर्नाटक सरकार द्वारा 5 फरवरी को जारी सरकारी आदेश उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।तदनुसार, कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर...

आदेश VII नियम 11 सीपीसी - कोर्ट को वाद पत्र को पूरा पढ़ना होगा, कुछ पंक्तियां पढ़कर इसे खारिज नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
आदेश VII नियम 11 सीपीसी - कोर्ट को वाद पत्र को पूरा पढ़ना होगा, कुछ पंक्तियां पढ़कर इसे खारिज नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आदेश VII नियम 11 सीपीसी के तहत वाद पत्र की अस्वीकृति के लिए एक आवेदन पर विचार करते समय, न्यायालय को पूरे वाद अभिकथन के माध्यम से जाना होगा और वह केवल कुछ पंक्तियों/ अंश को पढ़कर और वाद के अन्य प्रासंगिक भागों की अनदेखी करके वाद पत्र को अस्वीकार नहीं कर सकता है।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसने इस आधार पर एक वाद पत्र को खारिज कर दिया था कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 53 ए के तहत घोषणात्मक राहत के...

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
"मेरी बेंच से मामला हटाने के लिए ये तरकीबें न आजमाएं, मेरी अंतरात्मा साफ है": जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकील को चेतावनी दी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने सोमवार को एक वकील द्वारा पीठ से मामले को हटाने के लिए "तरकीबें आजमाने की कोशिश" करने पर कड़ी आपत्ति जताई और उसको चेतावनी दी।वर्तमान मामले में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ के समक्ष स्थगन की मांग करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने एक वरिष्ठ वकील के नाम का उल्लेख किया जो याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए पेश हुआ करते थे।हालांकि यह बात न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को अच्छी नहीं लगी, जिन्होंने टिप्पणी...

डीजेएसई और डीएचजेएसई, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने 2020 और 2021 में पात्र आयु-वर्जित उम्मीदवारों के लिए ऊपरी आयु सीमा छूट दी, डीजेएस के लिए न्यूनतन 35 वर्ष आयु को बरकरार रखा
डीजेएसई और डीएचजेएसई, 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने 2020 और 2021 में पात्र आयु-वर्जित उम्मीदवारों के लिए ऊपरी आयु सीमा छूट दी, डीजेएस के लिए न्यूनतन 35 वर्ष आयु को बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन उम्मीदवारों को दिल्ली न्यायिक सेवा परीक्षा (डीजेएसई) के लिए 32 साल की और 2022 की दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा (डीएचजेएसई) के लिए 45 साल की ऊपरी आयु सीमा छूट दी, जो 2020 और 2021 में पात्र थे, लेकिन इस वर्ष आयु-वर्जित हो गए हैं।कोर्ट ने 2022 भर्तियों के लिए इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए छूट दी कि संस्थागत कारणों और COVID-19 महामारी के कारण क्रमशः 2020 और 2021 में परीक्षा आयोजित नहीं की गई थी। अंतिम परीक्षा 2019 में आयोजित की गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ऐसे...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
अनुच्छेद 227 : हाईकोर्ट अपीलीय निकाय की तरह तथ्यात्मक मुद्दों में गहराई से नहीं जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 23 फरवरी को दिए एक फैसले में कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत एक पर्यवेक्षी न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट सबूतों की पुन: सराहना करने के लिए अपीलीय निकाय के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।हाईकोर्ट, अनुच्छेद 227 के तहत, किसी तथ्य-खोज मंच के निर्णयों में तभी हस्तक्षेप कर सकता है जब उसके निष्कर्ष विकृत हों, अर्थात1. सामग्री साक्ष्य पर विचार न करने के कारण त्रुटिपूर्ण, या2. निष्कर्ष होने के नाते जो सबूत के विपरीत हैं, या3. उन अनुमानों के आधार पर जो...

सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (सात मार्च, 2022 से 11 मार्च, 2022 ) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।निष्पादन में कठिनाई से बचने के लिए निर्णय में दी गई राहत पर स्पष्टता होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित एक मामले में हाल ही में कहा कि निर्णय में सटीक राहत पर स्पष्टता होनी चाहिए जो न्यायालय द्वारा दी गई है ताकि यह निष्पादन में किसी प्रकार की जटिलता या कठिनाई पैदा न कर...

हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (सात मार्च, 2022 से 11 मार्च, 2022) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को पेंशन लाभ देने में देरी के लिए अनिश्चित वित्तीय स्थिति कोई आधार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्टइलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निगम की अनिश्चित वित्तीय स्थिति सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कारण होने वाले पेंशन लाभों के भुगतान में देरी का आधार नहीं हो सकती। जस्टिस इरशाद अली की खंडपीठ ने...