हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : महत्वपूर्ण आदेश और निर्णय पर एक नज़र

LiveLaw News Network

15 Aug 2021 9:15 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : महत्वपूर्ण आदेश और निर्णय पर एक नज़र

    देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में 9 अगस्त 2021 से 13 अगस्त 2021 के बीच क्या कुछ हुआ, जानने के लिए हाईकोर्ट वीकली राउंड अप पर एक नज़र....।

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कोर्ट जज के खिलाफ किए ट्वीट की जांच के करने का आदेश दिया

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में अदालत के खिलाफ कथित तौर पर किए गए ट्वीट्स की एक सीरीज की जांच का आदेश दिया।

    न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की खंडपीठ ने अपने रजिस्ट्रार-विजिलेंस के लिए किए गए ट्वीट्स की जांच के लिए तीन सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    झारखंड के एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट जज को मामले से अलग करने की मांग की; कहा- याचिकाकर्ता के वकील को यह कहते हुए सुना कि मामले को 200% अनुमति दी जाएगी

    झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामला (उनके द्वारा सुनवाई की जा रही) रखने का निर्देश दिया।

    दरअसल, झारखंड के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने जज को मामले से अलग करने की मांग करते हुए कोर्ट को बताया कि उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील को यह कहते हुए सुना कि इस मामले को 200% अनुमति दी जाएगी।

    न्यायमूर्ति द्विवेदी ने कहा कि केवल महाधिवक्ता के इस तरह प्रस्तुत करने पर न्यायालय को मामले से अलग होने की आवश्यकता नहीं है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    "ट्रायल कोर्ट रेप पीड़िता को दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना के लिए संदर्भित करने में विफल रहा": दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएसएलएसए को मुआवजा देने के निर्देश दिए

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार और पीछा करने के अपराधों में शामिल व्यक्ति की सजा के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही ने न केवल आत्मविश्वास को प्रेरित किया बल्कि विश्वसनीय, सुसंगत और स्वीकार्य है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट पीड़िता को दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2018 में संदर्भित करने के लिए अपने कर्तव्य में विफल रहा, जहां बलात्कार पीड़िता के लिए 4 लाख रूपये का न्यूनतम मुआवजा और अधिकतम मुआवजा 7 लाख रुपये निर्दिष्ट है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    लॉकडाउन का उल्लंघन: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 188 के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने से इनकार किया

    जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि सीआरपीसी की धारा 195 केवल मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेने पर रोक लगाती है न कि पुलिस जांच पर। न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल ने कहा, "सीआरपीसी की धारा 195 द्वारा निर्धारित प्रतिबंध केवल संज्ञान लेने के संबंध में है।

    यह एफआईआर दर्ज करने और उसकी जांच करने के लिए पुलिस की वैधानिक शक्ति को प्रतिबंधित नहीं करता है।" न्यायाधीश ने समझाया कि प्रतिबंध केवल मजिस्ट्रेट पर सीआरपीसी की धारा 195 में उल्लिखित अपराधों यानी सिवाय लोक सेवक द्वारा लिखित में की गई शिकायत के आईपीसी की धारा 172 सपठित 188 के तहत दंडनीय अपराधों का संज्ञान लेने पर है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'दवाओं की कमी के कारण किसी मरीज को परेशानी न हो': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन बी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि राज्य में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के रोगियों के लिए एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B) इंजेक्शन और अन्य दवाएं सुनिश्चित करें और आगे कहा कि दवाओं की कमी के कारण किसी मरीज को परेशानी न हो।

    मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को ब्लैक और सफेद फंगस या राज्य में इसी तरह की अन्य बीमारी के रोगियों की संख्या के संबंध में सटीक स्टेटस रिपोर्ट दर्ज करने का भी निर्देश दिया।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    "स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बेटी आश्रित के रूप में पेंशन योजना का लाभ पाने की हकदार": दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक विकलांग, मानसिक रूप से अशक्त और बिस्तर पर पड़ी महिला को राहत देते हुए कहा है कि कहा है कि एक स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बेटी एक आश्रित के रूप में पेंशन योजना यानी स्वतंत्र सैनिक सम्मान पेंशन योजना का लाभ पाने की हकदार है।

    जस्टिस वी कामेश्वर राव की एकल पीठ ने 12 फरवरी 2020 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गृह मंत्रालय ने संशोधित नीति दिशानिर्देशों के पैरा 5.2.5 के संदर्भ में, जिसमें कहा गया है कि विधवा / तलाकशुदा बेटी पेंशन के लिए पात्र नहीं है, याचिकाकर्ता महिला के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओलम्पिक में भारत के 'असाधारण' प्रदर्शन का हवाला देकर विश्वविद्यालय से एलएलएम पाठ्यक्रम के लिए खेल कोटा प्रदान करने को कहा

    ओलंपिक 2020 में भारतीय टीम के असाधारण प्रदर्शन का जिक्र करते हुए, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को रजिस्ट्रार, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर को एलएलएम कोर्स के लिए खेल कोटा उपलब्ध कराने पर विचार करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ विश्वविद्यालय और राज्य स्तरीय क्रिकेटर जूही दुबे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें एलएलएम, यानी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए खेल कोटा का लाभ इस आधार पर नहीं दिया गया था कि ऐसा कोई कोटा मौजूद नहीं है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    "सिस्टम हम पर हंस रहा है": गुजरात हाईकोर्ट ने बलात्कार के दोषी, जिसके साथ 'पीड़िता' ने स्वेच्छा से शादी की और बच्चों को जन्म दिया, उसे रिहा करने का आदेश दिया

    गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह यह देखते बलात्कार के एक दोषी की सजा को निलंबित कर उसे रिहा करने का आदेश दिया कि कथित पीड़िता ने स्वीकार किया है कि वह दोषी के साथ विवाह कर चुकी है, उसके साथ रहना शुरू कर दिया, और यहां तक कि उसके दो बच्चों को जन्म दिया है।

    दोषसिद्धि के फैसले और उस व्यक्ति के खिलाफ पारित आदेश पर टिप्पणी करते हुए, जस्टिस परेश उपाध्याय की खंडपीठ ने मौखिक रूप से गुजराती में कहा: "बिना विवेक का प्रयोग किया कानून का कार्यान्वयन ... हमें ऐसे मामलों पर सामूहिक रूप से सोचना होगा। मुझे ट्रायल कोर्ट का दोष नहीं दिखता क्योंकि यह कानून को लागू करने के लिए बाध्य था, यहां तक ​​​​कि अभियोजन पक्ष को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'धर्मांतरण रैकेट' मामले में जिस महिला से हुई थी पूछताछ, उसने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा, स्वयंभू निगरानी समूह उस पर हिंदू धर्म में वापस लौटने का दबाव बना रहे

    एक महिला, जिसने 2018 में इस्लाम धर्म अपना लिया था और हाल ही में उत्तर प्रदेश के आतंकवाद विरोधी दस्ते ने कथित 'धर्मांतरण रैकेट' मामले के संबंध में उससे फोन पर पूछताछ की थी, उसने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर कर आरोप लगाया है कि स्वयंभू निगरानी समूह उस पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहे हैं और उसे हिंदुत्व की ओर लौटने के लिए कह रहे हैं।

    ज‌‌स्ट‌िस मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए 6 अगस्त को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह महिला को जामिया नगर और शाहीन बाग पुलिस स्टेशनों के बीट स्टाफ और एसएचओ के फोन नंबर उपलब्ध कराए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में वह उनसे संपर्क कर सके।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    गरीबी, बेरोजगारी या भूख के कारण गोपनीयता में बीफ काटना 'सार्वजनिक व्यवस्था' का मुद्दा नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएसए के तहत हिरासत रद्द की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में तीन लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980 के तहत पारित हिरासत आदेश को रद्द कर दिया, जिन पर एक घर में गुप्त रूप से बेचने के उद्देश्य से बीफ के छोटे टुकड़े काटने का आरोप लगाया गया है।

    न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं / बंदियों के अपने ही घर में गोपनीयता से गोमांस के टुकड़े करने के मामले को कानून और व्यवस्था को प्रभावित करने वाले मामले के रूप में वर्णित तो किया जा सकता है, लेकिन सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित करने वाले मामले के रूप में नहीं।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'यह बस एक गलतफहमी से हुआ': केरल हाईकोर्ट में फर्जी वकील मामले में आरोपी ने अग्रिम जमानत याचिका में कहा

    केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को सेसी जेवियर की गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका पर सुनवाई की। जेवियर पर गर्मियों की छुट्टियों के कोर्ट के खुलने पर एलएलबी की डिग्री पूरी किए बिना दो साल तक वकील के रूप में अभ्यास करने का आरोप लगाया गया था।

    न्यायमूर्ति के. हरिपाल ने कार्यवाही के दौरान पाया कि मामले में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। इसलिए मामले को 31 अगस्त के लिए पोस्ट कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने मामले में अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    वायु सेना अधिकारी का COVID-19 वैक्सीन लेने से इनकार: गुजरात हाईकोर्ट ने भारतीय वायु सेना को मामले पर नए सिरे से विचार करने के निर्देश दिए, अस्थायी राहत बढ़ाई गई

    गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय वायु सेना को एक भारतीय वायुसेना के अधिकारी के मामले में रिकॉर्ड पर रखी गई सभी संबंधित सामग्रियों को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया, जिसने COVID-19 वैक्सीन लेने से इनकार किया है।

    न्यायमूर्ति ए जे देसाई और न्यायमूर्ति एपी ठाकर की पीठ वायु सेना अधिकारी योगेंद्र कुमार (वर्तमान में गुजरात के जामनगर में तैनात) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया है और स्पष्टीकरण मांगा गया है कि COVID19 वैक्सीन लेने से इनकार करने पर क्यों न उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएं।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- बेगुर झील में शिव की प्रतिमा का अनावरण करके कोर्ट के स्टे ऑर्डर का उल्लंघन किया गया; पुलिस कमिश्नर को जांच के आदेश दिए

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को आयुक्त को निर्देश दिया कि बेगुर झील के अंदर कृत्रिम द्वीप पर कथित रूप से दक्षिणपंथी समूहों द्वारा निर्मित शिव की प्रतिमा के अनावरण के संबंध में बेंगलुरु पुलिस व्यक्तिगत रूप से मामले की जांच करें, जिसके निर्माण पर अदालत ने रोक लगा दी है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि, "खुले तौर पर अदालत के आदेशों की अवहेलना की जाती है, यह सरासर अराजकता है, राज्य सरकार इसमें पक्षकार नहीं हो सकती है और इसमें तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक

    अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर गई पत्नी को वापस लाने के लिए पति द्वारा हेबियस कॉर्पस याचिका दायर नहीं की जा सकती: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर गई पत्नी को वापस लाने के लिए पति द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण (हेबियस कॉर्पस) याचिका दायर नहीं की जा सकती है।

    न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ नेअपनी पत्नी को पेश करने की मांग वाली पति की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि, "आपराधिक और दीवानी कानून के तहत इस उद्देश्य के लिए अपनी मर्जी से पति का घर छोड़कर गई पत्नी को वापस लाने के लिए पति द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण (हेबियस कॉर्पस) याचिका दायर नहीं की जा सकती है और इस संबंध में शक्ति का केवल तभी प्रयोग जा सकता है जब एक स्पष्ट मामला बनता है।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    आरोपी को जमानत देते समय पीड़ित के सापेक्ष लाभ/संपत्ति की बहाली की शर्त लगा सकते हैं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि आरोपी को जमानत देते समय पीड़ित के सापेक्ष लाभ/संपत्ति की बहाली की शर्त लगा सकते हैं।

    न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि आरोपी को जमानत देते समय पीड़ित के सापेक्ष लाभ/संपत्ति की बहाली की ऐसी कोई शर्त लगाने को अनुमेय कठिन स्थिति की श्रेणी में नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि, "मेरा विचार है कि यदि अभियुक्त ने धोखाधड़ी/जबरन पीड़ित से लाभ/संपत्ति प्राप्त करने के संबंध में स्वीकार किया है या प्रथम दृष्टया अभेद्य दस्तावेजी सामग्री/वीडियो फुटेज आदि है और आरोपी अपने कानूनी अधिकार को दिखाने में विफल रहता है तो कोर्ट आरोपी को जमानत देते समय पीड़ित के सापेक्ष लाभ/संपत्ति की बहाली की शर्त लगा सकता है।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'एक महिला पर फेंका गया चिट, जिसमें प्यार जाहिर किया गया हो, उसकी मर्यादा भंग करने जैसा': बॉम्बे उच्च न्यायालय

    उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि एक महिला पर चिट फेंकना, जिसमें उसके लिए प्यार जाहिर किया गया हो, और जिसमें कविताएं हों, भले ही लिखे गए हों, एक महिला की मर्यादा का हनन करने के लिए पर्याप्त है।

    न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, कोर्ट 8, अकोला द्वारा 2018 में पारित एक फैसले के खिलाफ दायर एक आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन की सुनवाई के दौरान ये अवलोकन किए गए थे, जिसके तहत आवेदक को भारतीय दंड संहिता की धारा 354, धारा 509 और धारा 506 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था और क्रमशः दो साल के कठोर कारावास और 10,000 रुपए का जुर्माना; दो साल का कठोर कारावास और 30,000 रुपए जुर्माना और एक वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    एक ही मामले के आधार पर 'यूपी गैंगस्टर्स एक्ट' के तहत एफआईआर दर्ज करना वैध और अनुमेय: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी सोशल एक्ट‌िवीट‌ीज (प्र‌िवेंशन) एक्ट, 1986 के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर, भले ही उसकी केवल एक ही मामले में भागीदारी हो, वैध और स्वीकार्य है।

    जस्टिस समित गोपाल और जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के कई ऐतिहासिक फैसलों पर भरोसा करने के बाद यह निष्‍कर्ष दिया।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'कुत्ते तभी आक्रामक होते हैं, जब उन्हें भूख या प्यास लगी हो': केरल हाईकोर्ट ने सामुदायिक कुत्तों के ‌लिए फी‌डिंग सेंटर बनाने का निर्देश दिया

    केरल में तीन युवकों द्वारा एक कुत्ते की निर्दयतापूर्वक हत्या किए जाने के बाद केरल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की गई सुनवाई में राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वो क्षेत्र में, विशेषकर सामुदायिक कुत्तों के लिए फीडिंग सेंटरों की स्‍थापना के लिए तेजी से कदम उठाए।

    जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस पी गोपीनाथ की पीठ ने सुनवाई के दरमियान कहा, "कुत्ते तभी आक्रामक होते हैं, जब वे भूखे या प्यासे हों। उन्हें भोजन और पानी की तलाश है। हम उनके लिए फीडिंग सेंटर्स की पहचान कर सके तो आधी समस्या हल हो जाएगी।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    फर्जी वकालतनामा के माध्यम से जमानत की सुनवाई में मिलीभगत: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकालत के 'नैतिक मूल्यों में गिरावट' की निंदा की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह पता चला कि आरोपी और शिकायतकर्ता की ओर से पेश होने वाले वकील मिलीभगत से काम कर रहे हैं। इसमें शिकायतकर्ता के वकील ने आरोपी के वकील के निर्देश पर फर्जी वकालतनामा दायर किया।

    आरोपी के वकील ने एक फर्जी वकालतनामा की 'व्यवस्था' की थी और जमानत देने के लिए अनापत्ति दर्ज करने के लिए आरोपी का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वकील को नियुक्त किया था। न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि लंबे समय से वकीलों द्वारा उक्त कार्रवाई बेहद निंदनीय है, जो पेशे और संस्थान की पवित्रता पर हमला करती है।

    एक उचित उपाय के रूप में कोर्ट ने कहा कि वकालतनामा के साथ किसी भी पहचान प्रमाण (अधिमानतः आधार कार्ड) की एक स्व-सत्यापित प्रति भी दर्ज की जानी चाहिए, जिसमें व्यक्ति के मोबाइल नंबर का उल्लेख किया गया हो।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    परिवीक्षा अवधि की समाप्ति के बाद स्वत: पुष्टि का दावा नहीं किया जा सकता: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि परिवीक्षा अवधि (Probation Period) की समाप्ति के बाद स्वत: पुष्टि का दावा नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उसी नौकरी के लिए कोई वैकेंसी न हो।

    न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकल न्यायाधीश पीठ ने 2 जनवरी, 2018 की सेवाओं को बंद करने से संबंधित आदेश को संशोधित करते हुए टिप्पणी की कि, "परिवीक्षा अवधि की समाप्ति का मतलब पुष्टिकरण नहीं है और परिवीक्षा की अवधि की समाप्ति पर आम तौर पर अधिकारी की पुष्टि करने वाला एक आदेश पारित करने की आवश्यकता होती है और जब तक नियुक्ति की शर्तें या सेवा शर्तों को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक नियम अन्यथा प्रदान नहीं करते हैं और यदि ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया जाता है, तो उसे परिवीक्षा पर जारी रखा माना जाएगा।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    केवल मुस्लिम आबादी कम होने के कारण सेक्युलर राज्य में उर्दू शिक्षक को हटाने की पॉलिसी लागू नहीं कर सकते : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक उर्दू शिक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में केवल कम मुस्लिम आबादी होने के कारण उर्दू शिक्षक को हटाने की नीति को सही नहीं कहा जा सकता।" कोर्ट ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी नीति का हवाला देने पर की।

    एक याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह एक उर्दू शिक्षक के रूप में बिना किसी शिकायत के काम कर रही थी, लेकिन राज्य सरकार की नीति का हवाला देते हुए उसकी सेवाएं बंद कर दी गईं। राज्य सरकार की यह नीति मुस्लिम आबादी 20% से कम होने पर स्पष्ट रूप से एक उर्दू शिक्षक की सेवाओं को बंद करने की अनुमति देती है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story