वायु सेना अधिकारी का COVID-19 वैक्सीन लेने से इनकार: गुजरात हाईकोर्ट ने भारतीय वायु सेना को मामले पर नए सिरे से विचार करने के निर्देश दिए, अस्थायी राहत बढ़ाई गई

LiveLaw News Network

12 Aug 2021 9:56 AM GMT

  • वायु सेना अधिकारी का COVID-19 वैक्सीन लेने से इनकार: गुजरात हाईकोर्ट ने भारतीय वायु सेना को मामले पर नए सिरे से विचार करने के निर्देश दिए, अस्थायी राहत बढ़ाई गई

    गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय वायु सेना को एक भारतीय वायुसेना के अधिकारी के मामले में रिकॉर्ड पर रखी गई सभी संबंधित सामग्रियों को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया, जिसने COVID-19 वैक्सीन लेने से इनकार किया है।

    न्यायमूर्ति ए जे देसाई और न्यायमूर्ति एपी ठाकर की पीठ वायु सेना अधिकारी योगेंद्र कुमार (वर्तमान में गुजरात के जामनगर में तैनात) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया है और स्पष्टीकरण मांगा गया है कि COVID19 वैक्सीन लेने से इनकार करने पर क्यों न उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएं।

    अदालत ने मामले का फैसला होने तक उन्हें दी गई अंतरिम राहत को भी बढ़ा दिया है और आगे निर्देश दिया है कि यदि कोई प्रतिकूल आदेश पारित किया जाता है, तो उसे याचिकाकर्ता की सेवा की तामील की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के लिए लागू नहीं किया जाएगा।

    अदालत ने कहा कि,

    "प्रतिवादी - प्राधिकरण याचिकाकर्ता के मामले को जल्द से जल्द चार सप्ताह की अवधि के भीतर तय करेगा। यह कहने की जरूरत नहीं है कि प्रतिवादी - प्राधिकरण याचिकाकर्ता के मामले को उसके द्वारा किए गए प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए निपटाएगा।"

    अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि यह सच है कि COVID-19 टीकाकरण आम जनता के लिए वैकल्पिक है, लेकिन वायु सेना के कर्मियों के लिए इसे उनकी सेवा शर्त का हिस्सा बनाकर नीतिगत निर्णय के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है।

    महत्वपूर्ण रूप से यह भी प्रस्तुत किया कि पूरे देश से IAF के केवल 9 कर्मियों ने टीकाकरण से इनकार किया है, जिनमें से एक अधिकारी को सेवा शर्त उल्लंघन के लिए दिए गए कारण बताओ नोटिस का जवाब देने में विफल रहने के लिए सेवा समाप्त कर दिया गया।

    संक्षेप में मामला

    26.2.2021 को कमांडिंग ऑफिसर को भेजे गए उनके व्यक्तिगत आवेदन के जवाब में उन्हें यह कारण बताओ नोटिस दिया गया है, जिसमें उन्होंने COVID19 टीकाकरण के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त की थी।

    उन्होंने अपने आवेदन में कहा था कि,

    ''मैं एलोपैथी दवाओं को केवल आपात स्थिति में अपनाता हूं या फिर जब आयुर्वेद में समाधान संभव ना हो। मेरी चेतना आयुर्वेदिक तरीकों का उपयोग करने के बजाय टीकाकरण की अनुमति नहीं देती है। यह मेरा विनम्र अनुरोध है कि मुझे COVID19 के टीकाकरण से छूट दी जाए।''

    याचिकाकर्ता ने कोर्ट का रुख करते हुए प्रस्तुत किया कि भारत संघ का कहना है कि COVID19 वैक्सीन स्वैच्छिक है और एक आरटीआई प्रश्न के जवाब में, सरकार ने कहा था कि COVID के टीके को लेना पूरी तरह से स्वैच्छिक है और सरकारी सुविधाओं, नागरिकता, नौकरी आदि के प्रावधान का वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है।

    याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि उसे अपनी पसंद का इलाज कराने का अधिकार है और उस पर जबरन वैक्सीनेशन नहीं कराया जा सकता है।

    उन्हें दो बार (29 अप्रैल और 10 मई) कारण बताओ नोटिस दिया गया था, जिनमें उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था कि COVID19 वैक्सीन लेने से इनकार करने के लिए क्यों न उनकी सेवा को समाप्त कर दिया जाना चाहिए?

    एक कारण बताओ नोटिस में आईएएफ ने कहा कि,

    ''आपकी अवज्ञा घोर अनुशासनहीनता के कगार पर है और आपके सेवा में बने रहने से अन्य वायु योद्धाओं और वायुसेना (वायु सेना) के नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। एओसी-इन-सी एसडब्ल्यूएसी(एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, साउथ वेस्टर्न एयर कमांड),आईएएफ की राय है कि अनुशासित बल में आपकी निरंतरता अनुपयुक्त है। आपको कारण बताना है कि क्यों न आपको एयर फोर्स एक्ट 1950 की धारा 20 (3) रिड विद एयर फोर्स रूल्स 1969 के रूल 18 के अनुसार सेवा से बर्खास्त कर दिया जाए ?"

    उन्होंने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि भारतीय वायुसेना द्वारा अपने कर्मियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य करने के लिए लिखित में कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया था।

    याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि पिछले महीनों की देश के अखबारों की कई रिपोर्ट बताती हैं कि COVID19 वैक्सीन लेने के बाद कई मौतों और गंभीर प्रतिकूल घटनाओं की सूचना मिली है।

    याचिका में कहा गया है कि,

    ''इस प्रकार, याचिकाकर्ता को भारत के संविधान के आर्टिकल 14 के तहत जीवन के अधिकार के तहत इलाज का अधिकार चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए और टीका लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए जो प्रतिकूल प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है।''

    याचिका में की गई प्रार्थनाएं-

    -याचिकाकर्ता को भारतीय वायु सेना द्वारा 10.05.21 को जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द किया जाए -भारतीय वायु सेना को निर्देश दिया जाए कि वह याचिकाकर्ता को टीका लगवाने के लिए बाध्य न करे और इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी करना बंद करे

    - भारतीय वायु सेना को निर्देश दिया जाए कि वह 10.5.2021 को जारी किए गए कारण बताओ के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे

    -भारतीय वायु सेना को भारत संघ के आदेश का पालन करने के लिए निर्देशित करें कि टीका विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक है और इसलिए भारतीय वायु सेना में वैक्सीन को अनिवार्य बनाने का कोई आदेश जारी न किया जाए।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट गुंजन सिंह, एडवोकेट आउम कोतवाल ने किया था।

    केस का शीर्षक - योगेंद्र कुमार बनाम भारतीय वायु सेना एंड अन्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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