झारखंड के एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट जज को मामले से अलग करने की मांग की; कहा- याचिकाकर्ता के वकील को यह कहते हुए सुना कि मामले को 200% अनुमति दी जाएगी
LiveLaw News Network
14 Aug 2021 8:20 AM IST
झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामला (उनके द्वारा सुनवाई की जा रही) रखने का निर्देश दिया। दरअसल, झारखंड के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने जज को मामले से अलग करने की मांग करते हुए कोर्ट को बताया कि उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील को यह कहते हुए सुना कि इस मामले को 200% अनुमति दी जाएगी।
न्यायमूर्ति द्विवेदी ने कहा कि केवल महाधिवक्ता के इस तरह प्रस्तुत करने पर न्यायालय को मामले से अलग होने की आवश्यकता नहीं है।
न्यायमूर्ति द्विवेदी ने आगे कहा कि,
"न्याय प्रदान करने या न्यायाधीश के रूप में कर्तव्य के निर्वहन और न्यायिक निर्णय लेने के रास्ते में कुछ भी नहीं आना चाहिए।"
झारखंड के एजी ने एक महिला पुलिस अधिकारी/मृतक के पिता द्वारा दायर याचिका की सुनवाई से न्यायमूर्ति द्विवेदी को अलग करने की मांग की। दरअसल, महिला पुलिस को पुलिस क्वॉटर में फंदे में लटका हुआ पाया गया था।
आज जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि 11 अगस्त 2021 को इसी मामले में कार्यवाही समाप्त होने के बाद उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील को यह कहते हुए सुना था कि मामले को 200% अनुमति दी जाएगी।
इसलिए उन्होंने निवेदन किया कि मामला इस न्यायालय की सूची से बाहर किया जाना चाहिए।
हालांकि, जब कोर्ट ने महाधिवक्ता से इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा, तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनकी मौखिक दलील पर्याप्त है।
दूसरी ओर, राजीव सिन्हा, ए.एस.जी.आई. सीबीआई की ओर से पेश हुए ने कहा कि यह अदालत को संबोधित करने का तरीका नहीं है और जो हुआ वह सीधे तौर पर अदालत की महिमा पर आक्षेप लगाने के बराबर है और इसे रोका जाना चाहिए।
अदालत ने न्यायपालिका में आम आदमी के विश्वास की दृष्टि से इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया।
केस का शीर्षक - देवानंद उरांव बनाम झारखंड राज्य एंड अन्य