इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओलम्पिक में भारत के 'असाधारण' प्रदर्शन का हवाला देकर विश्वविद्यालय से एलएलएम पाठ्यक्रम के लिए खेल कोटा प्रदान करने को कहा

LiveLaw News Network

13 Aug 2021 9:16 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओलम्पिक में भारत के असाधारण प्रदर्शन का हवाला देकर विश्वविद्यालय से एलएलएम पाठ्यक्रम के लिए खेल कोटा प्रदान करने को कहा

    ओलंपिक 2020 में भारतीय टीम के असाधारण प्रदर्शन का जिक्र करते हुए, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को रजिस्ट्रार, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर को एलएलएम कोर्स के लिए खेल कोटा उपलब्ध कराने पर विचार करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ विश्वविद्यालय और राज्य स्तरीय क्रिकेटर जूही दुबे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें एलएलएम, यानी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए खेल कोटा का लाभ इस आधार पर नहीं दिया गया था कि ऐसा कोई कोटा मौजूद नहीं है।

    याचिकाकर्ता का मामला

    दुबे ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह एलएलबी में स्पोर्ट्स कोटे की लाभार्थी थीं। वह पाठ्यक्रम, जिसे उन्होंने वर्ष 2020 में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया, हालांकि, चूंकि एलएलएम पाठ्यक्रम के लिए ऐसा कोई कोटा मौजूद नहीं था, इसलिए वह इस कोटे का लाभ नहीं उठा सकीं।

    इसके जवाब में, विश्वविद्यालय के वकील ने प्रस्तुत किया कि कोटा संकाय-वार प्रदान किया गया था और दो सीटों का पूरा कोटा एलएलबी के लिए था, इसलिए, एलएलएम के लिए कोई कोटा उपलब्ध नहीं था।

    हालांकि, इस पर विवाद नहीं था कि एलएलएम में खेल कोटा के संबंध में विश्वविद्यालय स्तर पर उचित निर्णय लिया जा सकता है।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि भारत के लोग खुश हैं और उन खिलाड़ियों का स्वागत कर रहे हैं, जिन्होंने ओलंपिक -2020 में भाग लिया और जीत हासिल की।

    कोर्ट ने कहा, "ओलंपिक-2020 में भारतीय टीम का असाधारण प्रदर्शन पिछले चार दशकों में सर्वश्रेष्ठ है और भारत विश्व रैंकिंग में 48वें नंबर पर और कुल पदकों के मामले में 33वें नंबर पर रहा। भारत के सात पदक विजेताओं में से ( एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य), तीन महिलाएं हैं (भारोत्तोलन में मीराबाई चानू-रजत, बैडमिंटन में पीवी सिंधु-कांस्य और मुक्केबाजी में लवलीना बोरगोहेन-कांस्य)।"

    चूंकि कोर्ट एक राज्य-स्तरीय क्रिकेटर के मामले से निपट रहा था, इसलिए, कोर्ट ने आगे कहा कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम में बारह अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं, ‌जिनमें नवीनतम दीप्ति भगवान शर्मा हैं, जिन्हें 2020 में पुरस्कार दिया गया। मिताली राज को बीसीसीआई ने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामांकित किया है।

    अदालत ने यह भी देखा कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम का प्रदर्शन असाधारण रहा और टीम वर्ष 2020 में विश्व टी-20 में उपविजेता रही और एक दिवसीय विश्व कप-2017 में भी वह उपविजेता रही।

    कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया के खेलो इंडिया कार्यक्रम पर भी ध्यान दिया और कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में खेले जाने वाले खेलों के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करके और जमीनी स्तर पर भारत में खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करना है।

    इस पृष्ठभूमि में, न्यायालय ने कहा, " विश्वविद्यालय से उम्मीद है कि ऐसे मेधावी खिलाड़ियों को एलएलएम के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में भी स्पोर्ट्स कोटे का लाभ दिया जाए। राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकारें भी आने वाले खिलाड़ियों की मदद कर रही हैं और हमें उम्मीद है कि यहां तक ​​कि क्रिकेट सहित आगामी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में, हमारे देश को अधिक पदक, पुरस्कार और ट्राफियां मिलेंगी ।"

    अंत में रिट याचिका का निस्तारण दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के कुलसचिव को निर्देश देते हुए किया गया कि ऐसे खिलाड़ियों को अधिक सहायता प्रदान करें और खिलाड़ियों के हित में एलएलएम के लिए खेल कोटा प्रदान किया जाए।

    केस टाइटिल - जूही दुबे बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य

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