हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : हाईकोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, चुनिंदा ऑर्डर/जजमेंट

LiveLaw News Network

1 Aug 2021 4:15 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : हाईकोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, चुनिंदा ऑर्डर/जजमेंट

    आइए नज़र डालते हैं देशभर के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछला सप्ताह कैसा रहा। 26 जुलाई 2021 से 30 जुलाई 2021 तक हाईकोर्ट के चुनिंदा ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र....।

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अपनी बूढ़ी मां को गैर-कानूनी तरीके से घर से बेदखल करने का प्रयास करने वाले व्यक्ति पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगाया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी, जिसने अपनी बूढ़ी मां को अवैध रूप से बेदखल करने का प्रयास किया था। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

    न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान ने दायर याचिका को 'दुर्भाग्यपूर्ण याचिका' बताते हुए कहा कि, "प्रतिवेदन के अवलोकन से यह भी पता चलता है कि यह अपनी ही मां को परेशान करने के परोक्ष उद्देश्य से दायर किया गया है ताकि उसके द्वारा दिए गए जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर, याचिकाकर्ता घर को हड़प सके और बुढ़ापे में उसे बेदखल कर सके। यह याचिकाकर्ता की ओर से पुलिस को दिए गए अभ्यावेदन के साथ-साथ इस याचिका की सामग्री से लालच स्पष्ट है।"

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    बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्टेट बोर्ड से कक्षा 10 और 12 की परीक्षा फीस वापस करने पर विचार करने को कहा

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष को COVID19 महामारी के कारण इस साल की कक्षा दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने के मद्देनजर परीक्षा फीस वापस करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने के लिए कहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने सांगली के एक 80 वर्षीय सेवानिवृत्त स्कूल प्रिंसिपल प्रतापसिंह चोपदार की जनहित याचिका का निपटारा किया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि असंख्य परिवारों ने कक्षा दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाओं के लिए क्रमशः 415 और 520 रूपये परीक्षा फीस जमा की थी, वह वापस की जाए।

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    मद्रास हाईकोर्ट ने मद्रास बार एसोसिएशन के चुनाव पर रोक लगाई

    मद्रास हाईकोर्ट ने 21 अगस्त को होने वाले मद्रास बार एसोसिएशन (एमबीए) के चुनाव पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण और न्यायमूर्ति आर पोंगियप्पन की पीठ ने इस आधार पर अंतरिम आदेश जारी किया कि बार एसोसिएशन मतदाता सूची को अंतिम रूप देने से पहले बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पुडुचेरी (बीसीटीएनपी) के साथ अपने व्यक्तिगत सदस्यों के प्रमाण पत्र को सत्यापित करने में विफल रहा है। . अदालत 14 जुलाई की चुनाव अधिसूचना पर रोक लगाने के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना करने वाले एक वकील द्वारा दायर एक रिट याचिका पर फैसला सुनवाई रही थी। अपनी याचिका में याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि COVID-19 महामारी के कारण कई एमबीए सदस्य आवश्यक सदस्यता शुल्क का जमा करने में विफल रहे हैं।

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    "मुझे संबोधित करते समय 'यौर लॉर्डशिप', 'माय लॉर्ड' का इस्तेमाल न करें": पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार त्यागी ने वकीलों से आग्रह किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने बार एसोसिएशन के सदस्यों से संबोधन को लेकर अनुरोध करते हुए नोट जारी किया है, जिसमें बार के सदस्यों से न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी को 'यौर लॉर्डशिप' या 'माय लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचने का अनुरोध किया गया है। ।

    नोट में कहा गया है कि, "यह बार के सम्मानित सदस्यों की जानकारी के लिए है कि न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने अनुरोध किया है कि बार के सम्मानित सदस्य उन्हें 'यौर लॉर्डशिप' या 'माय लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचें और साथ ही आभारी शब्द का भी इस्तेमाल करने से बचें। सभी संबंधित कृपया नोट करें।"

    न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी ने मार्च 2021 में बार के सदस्यों से इसी तरह की अपील की थी कि वे उन्हें 'यौर लॉर्डशिप' या 'माय लॉर्ड' कहकर संबोधित न करें।

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    बैंक गारंटी के लिए एक साल की अनिवार्य अवधि पर जोर नहीं दे सकते बैंक : दिल्ली हाईकोर्ट ने अनुबंध अधिनियम की धारा 28 के अपवाद तीन की व्याख्या की

    एक महत्वपूर्ण फैसले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 की धारा 28 के अपवाद 3 की व्याख्या करते हुए कहा है कि यह बैंक गारंटी के तहत 'दावा अवधि' से संबंधित नहीं है। कोर्ट ने माना कि यह प्रावधान बैंक गारंटी के तहत अधिकारों को लागू करने के लिए लेनदार के लिए अदालत या न्यायाधिकरण से संपर्क करने की अवधि को कम करने से संबंधित है।

    न्यायमूर्ति जयंत नाथ द्वारा लिखे गए निर्णय में कहा गया है,

    "यह स्पष्ट है कि अनुबंध अधिनियम की धारा 28 के अपवाद 3 में लेनदार के लिए अपने अधिकारों को लागू करने के लिए अदालत / न्यायाधिकरण से संपर्क करने की अवधि को कम करने से संबंधित है। यह किसी भी तरह से दावा अवधि से संबंधित नहीं है जिसके भीतर लाभार्थी है बैंक / गारंटर के साथ अपना दावा दर्ज करने का हकदार है।" इस व्याख्या का परिणाम यह है कि बैंक इस बात पर जोर नहीं दे सकते कि बैंक गारंटी में दावा अवधि कम से कम 12 महीने होनी चाहिए।

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    मुस्लिम विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण के लिए मजबूर करने का आरोप: दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इस्लामिक कानून के तहत शादी करने वाले व्यक्तियों को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत अपनी शादी का पंजीकरण कराने के लिए मजबूर किया जा रहा है। याचिकाकर्ता एनजीओ- धनक फॉर ह्यूमैनिटी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता उत्कर्ष सिंह ने कहा कि इस्लामिक कानून के तहत होने वाली शादियों को 2014 के अनिवार्य पंजीकरण विवाह आदेश के तहत पंजीकृत नहीं किया जा रहा है। परिणामस्वरूप, पक्षकारों को अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण करना पड़ रहा है।

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    पहला मामला,‌ जिसका यूट्यूब पर किया गया सजीव प्रसारण; कर्नाटक हाईकोर्ट ने दिया फैसला

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने माना है कि कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) द्वारा 1 जुलाई, 2020 की उत्तर कन्नड़ जिले के कारवार तालुक के बैथकोल गांव में मौजूदा कारवार बंदरगाह के विस्तार के लिए दी गई सहमति अवैध है।

    उच्च न्यायालय ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्थापना के लिए नए सिरे से सहमति दिए जाने तक विस्तार कार्य पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की खंडपीठ ने बैथकोल बंधारु निराश्र‌ितरा यांत्रिक्रुत धोनी मीनुगरारा सहकारा संघा नियमिता और उत्तर कन्नड़ ‌डिस्ट्र‌िक्ट फिशरमैन एसोसिएशन फोरम की ओर से दायर याचिका पर उक्त आदेश दिया। यह पहला मामला था, जिसमें कार्यवाही का सजीव प्रसारण उच्च न्यायालय के यूट्यूब चैनल पर किया गया।

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    न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत का मामला- 'कोर्ट तुरंत, निष्पक्ष और पेशेवर जांच चाहता है': झारखंड हाईकोर्ट ने एसआईटी को तीन अगस्त को जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए

    झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड के न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए घटना की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को तीन अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

    मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि, "हम यह स्पष्ट करते हैं कि यह न्यायालय मामले में तुरंत, निष्पक्ष और पेशेवर जांच चाहता है, इसलिए यह न्यायालय मामले की प्रगति की निगरानी करेगा और साथ ही विशेष जांच दल द्वारा जांच जारी रखने या इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने के लिए निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए मामले में प्रगति पर ध्यान देगा। यही कारण है कि हम इस मामले को 03.08.2021 को देखने के लिए पोस्ट कर रहे हैं। "

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    'अत्यधिक नामांकन शुल्क': उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीसीआई, स्टेट बार काउंसिल को नोटिस जारी किया

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को नामांकन की प्रक्रिया के लिए कानून स्नातकों पर अत्यधिक पंजीकरण शुल्क लगाने के लिए बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर नोटिस जारी किया।

    मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने तदनुसार बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। पीठ ने इन्हें चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

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    "सभी पात्र कैदियों को पैरोल पर रिहा होने के उनके अधिकार के बारे में सूचित करें": राजस्थान हाईकोर्ट ने पूरे राज्य के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया

    राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य की सभी जेलों के अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे सभी पात्र कैदियों को पैरोल पर रिहा होने के उनके अधिकार के बारे में सूचित करें।

    न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ ने यह निर्देश जारी किया। खंडपीठ ने यह निर्देश एक दोषी याचिकाकर्ता को 14 साल की कैद की सजा काटने के बाद पहली पैरोल दी गई थी। वहीं राजस्थान कैदी रिहाई पर पैरोल नियम, 2021 के नियम 10 में कहा गया है कि अपनी सजा का एक विशेष हिस्सा पूरा कर चुका प्रत्येक कैदी पैरोल पर रिहाई के लिए विचार करने का अधिकारी है।

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    महिला ने बहू की सरकारी नौकरी रद्द करने की मांग की, क्योंकि नौकरी के दस्तावेज़ पर उसने स्वयं को अविवाहित बताया : गुजरात हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाया

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में डिप्टी मामलातदार के पद पर कार्यरत बहू की नियुक्ति को रद्द करने की मांग करने वाली सास की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसने अपने नौकरी आवेदन पत्र में खुद को अविवाहित बताया था। कोर्ट ने याचिका खारिज करने के साथ याचिकाकर्ता पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया।

    यह देखते हुए कि पक्षकारों के बीच कुछ वैवाहिक विवाद चल रहे हैं, न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की:

    "एक सास प्रार्थना कर रही है कि उसकी बहू की नियुक्ति किसी वैवाहिक विवाद के कारण रद्द कर दी जाए। इस तुच्छ याचिका के कारण आप कितना जुर्माना चुका सकते हैं? इसमें हमारे 10 सदस्यीय कर्मचारी काम करेंगे, मुझे इसे पढ़ना होगा, एजीपी इसे पढ़ेंगे। इसे सेवा का मामला बनाकर एक सास अपनी बहू की नियुक्ति रद्द करने की मांग कर रही है। क्या याचिका है।"

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    स्थानीय आबादी के जीवन को खतरे में डालने के लिए किसी को भी COVID-19 निर्देशों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक की अवधि बढ़ाई

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य में COVID-19 स्थिति की समीक्षा जारी रखते हुए इस संबंध में राज्य सरकार को कई निर्देश जारी किए।

    मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने भी राज्य सरकार के चारधाम यात्रा के फैसले पर रोक लगाने के अपने आदेश को बढ़ा दिया। चारधाम यात्रा आयोजित करने के उत्तराखंड राज्य मंत्रिमंडल के फैसले पर कोर्ट ने 28 जून 2021 को स्टे ऑर्डर जारी किया था।

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    समन जारी करने के चरण में आईपीसी की धारा 499 के पहले अपवाद के लाभ का दावा नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत परिभाषित मानहानि के अपराध में समन जारी करने के चरण में पहले अपवाद के लाभ का दावा नहीं किया जा सकता है।

    न्यायमूर्ति डॉ योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा कि,

    "समन जारी करने के चरण में आईपीसी की धारा 499 के पहले अपवाद के लाभ का दावा नहीं किया जा सकता है।"

    आईपीसी की धारा 499 का पहला अपवाद इस प्रकार बताता है कि, "किसी भी व्यक्ति के बारे में जो कुछ भी सच है, उसे कहना मानहानि नहीं है, अगर यह जनता की भलाई के लिए है कि लांछन लगाया जाना चाहिए या प्रकाशित किया जाना चाहिए। यह जनता की भलाई के लिए है या नहीं, यह तथ्य का सवाल है।"

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    अनुकंपा नियुक्ति : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'अमानवीय दृष्टिकोण' के लिए एसबीआई पर दो लाख रूपये का जुर्माना लगाया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर एक विधवा महिला के आवेदन पर 'अमानवीय दृष्टिकोण' अपनाने के लिए दो लाख रुपये का अनुकरणीय जुर्माना लगाया है।

    यह जुर्माना महिला (याचिकाकर्ता) को देय है। विधवा महिला ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मांग करते हुए एसबीआई में आवेदन दिया था, जिसके अस्वीकार किए जाने पर महिला ने एसबीआई के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया।

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    "प्रतिबंध अनुच्छेद 14 और 19 के ‌खिलाफ": राजस्थान हाईकोर्ट ने ऑनलाइन फैंटसी गेम्स के खिलाफ याचिका खारिज की

    राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य में ऑनलाइन फैंटसी गेम्स की पेशकश या खेलने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही एक याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के निर्देश संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1) (जी) के खिलाफ होंगे।

    चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने कहा, "इसलिए, हमारा विचार है कि ऑनलाइन फैंटसी गेम्स की पेशकश FIFS के चार्टर के अनुसार हैं, जिसे पहले ही एक व्यवसाय के रूप में न्यायिक रूप से मान्यता दी गई है और परिणामस्वरूप, संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत संरक्षण के हकदार हैं। भारत और राज्य सरकार को इसे प्रतिबंधित करने के लिए निर्देश देने की प्रार्थना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(g) के खिलाफ होगी।"

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    अपनी पसंद के दावे का प्रयोग करने का अधिकार स्वतंत्रता और किसी व्यक्ति की गरिमा का एक अविभाज्य हिस्सा : जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय

    लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे एक जोड़े द्वारा सुरक्षा मुहैया करवाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने कहा है कि अपनी पसंद के दावे का उपयोग करने का अधिकार स्वतंत्रता और किसी व्यक्ति की गरिमा का एक अविभाज्य हिस्सा है।

    न्यायमूर्ति सिंधु शर्मा ने इस प्रकार कहा, "यह तय है कि पसंद के दावे का प्रयोग करने का अधिकार स्वतंत्रता और गरिमा का एक अविभाज्य हिस्सा है और इसे कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अलावा छोड़ना नहीं चाहिए।"

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    "अधिकार के रूप में वित्तीय सहायता का दावा नहीं कर सकते": गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य आत्म-निर्भर योजना के तहत सहायता के लिए ऑटो रिक्शा चालक संघ की याचिका को खारिज किया

    गुजरात हाईकोर्ट ने दो रेलवे स्टेशनों ऑटो रिक्शा चालक संघों द्वारा राज्य सरकार से आत्म निर्भर गुजरात योजना के तहत वित्तीय सहायता की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह देखते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता अधिकार के रूप में वित्तीय सहायता का दावा नहीं कर सकते हैं।

    न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति भार्गव डी. करिया की खंडपीठ ने यह देखते हुए कि सभी व्यवसाय और पेशे COVID-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

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    "चाहते हैं कि बेटियां सुरक्षित रहें, एसिड फेंकने का विचार कहां से आता है?": गुजरात हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार किया

    गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 326ए के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की सजा को निलंबित करने से इनकार करते हुए कहा कि अदालत चाहती है कि बेटियां सुरक्षित रहें।

    इसके साथ ही अदालत ने सवाल किया कि तेजाब फेंकने का विचार कहां से आता है? न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय की खंडपीठ 19 वर्षीय लड़की पर तेजाब फेंकने के दोषी व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने दोषी के शादी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

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    अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रक्षक अधिवक्ताओं के खिलाफ बिना सबूत के एफआईआर दर्ज करने से उनका मनोबल कम होगा: एचपी हाईकोर्ट

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अदालत के आदेश के खिलाफ कथित तौर पर नारे लगाने के आरोप में एक वकील के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए पिछले हफ्ते कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रक्षक अधिवक्ताओं के खिलाफ बिना सबूत के एफआईआर दर्ज करने से उनका मनोबल कम होगा।

    न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ अधिवक्ता विपुल प्रभाकर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। प्रभाकर पर पर हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ नारे लगाने का आरोप था।

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    निजी जानकारी का किसी भी सार्वजनिक गतिविधि या जनहित से कोई संबंध नहीं, आरटीआई अधिनियम के तहत किसी की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत किसी भी निजी जानकारी का किसी सार्वजनिक गतिविधि या जनहित से कोई संबंध नहीं है, इसको सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की जानकारी का खुलासा किसी की निजता में अवांछित आक्रमण का कारण बन सकता है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने राष्ट्रपति राष्ट्रपति भवन के मल्टी-टास्किंग स्टाफ के लिए की गई नियुक्तियों के संबंध में जानकारी मांगने वाले एक आरटीआई अनुरोध के संबंध में एक अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

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