महिला ने बहू की सरकारी नौकरी रद्द करने की मांग की, क्योंकि नौकरी के दस्तावेज़ पर उसने स्वयं को अविवाहित बताया : गुजरात हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

29 July 2021 3:50 PM GMT

  • महिला ने बहू की सरकारी नौकरी रद्द करने की मांग की, क्योंकि  नौकरी के दस्तावेज़ पर उसने स्वयं को अविवाहित बताया : गुजरात हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाया

    गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में डिप्टी मामलातदार के पद पर कार्यरत बहू की नियुक्ति को रद्द करने की मांग करने वाली सास की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसने अपने नौकरी आवेदन पत्र में खुद को अविवाहित बताया था। कोर्ट ने याचिका खारिज करने के साथ याचिकाकर्ता पर 10 हजार का जुर्माना भी लगाया।

    यह देखते हुए कि पक्षकारों के बीच कुछ वैवाहिक विवाद चल रहे हैं, न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की:

    "एक सास प्रार्थना कर रही है कि उसकी बहू की नियुक्ति किसी वैवाहिक विवाद के कारण रद्द कर दी जाए। इस तुच्छ याचिका के कारण आप कितना जुर्माना चुका सकते हैं? इसमें हमारे 10 सदस्यीय कर्मचारी काम करेंगे, मुझे इसे पढ़ना होगा, एजीपी इसे पढ़ेंगे। इसे सेवा का मामला बनाकर एक सास अपनी बहू की नियुक्ति रद्द करने की मांग कर रही है। क्या याचिका है।"

    मामले के विवरण के अनुसार, एक महिला ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर कर जीपीएससी परीक्षा पास करने के बाद अपनी बहू की डिप्टी मामलातदार के पद पर नियुक्ति रद्द करने की मांग की। उसकी रिट याचिका में दावा किया गया था कि उसकी बहू ने नौकरी के आवेदन पत्र में खुद को अविवाहित बताया।

    याचिका में तर्क दिया गया कि उसने अपनी वैवाहिक स्थिति छुपाकर सरकारी नौकरी प्राप्त की थी और याचिकाकर्ता के बेटे और उसकी बहू की तलाक की कार्यवाही 2016 से चल रही है।

    इसे एक असामान्य और अजीब याचिका बताते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह समझ में नहीं आता कि ऐसी परिस्थितियों में रिट याचिका कैसे सुनवाई योग्य हो सकती है?

    अदालत ने यह भी देखा कि वकील ने अपने मुवक्किल को उसकी शिकायत के लिए एक उपयुक्त मंच पर जाने की सलाह देने के बजाय इस तरह की मुकदमेबाजी को प्रोत्साहित किया और उच्च न्यायालय का रुख किया।

    अदालत ने कहा,

    "मुकदमेबाजी में तुच्छता अपने चरम पर है। ऐसी याचिकाओं के कारण न्यायालय और कर्मचारियों का समय बर्बाद होता है। रिट याचिका को 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाकर खारिज किया जाता है।"

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