हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

10 Sep 2023 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (4 सितंबर 2023 से 8 सितंबर 2023) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    आईपीसी की धारा 370ए वेश्यालय के ग्राहकों पर तब तक आकर्षित नहीं होती जब तक कि यह न दिखाया जाए कि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि यौनकर्मियों की तस्करी की गई थी: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में माना कि भारतीय दंड संहिता की धारा 370ए की व्याख्या इसके दायरे में किसी 'ग्राहक' को शामिल करने के लिए नहीं की जा सकती है, जब तक कि यह साबित करने के लिए सबूत न हो कि उसके पास यह विश्वास करने का ज्ञान या कारण था कि यौनकर्मियों की तस्करी की गई थी। जस्टिस जी अनुपमा चक्रवर्ती की खंडपीठ ने कहा कि किसी ग्राहक के खिलाफ धारा 370ए को आकर्षित करने के लिए पुलिस को ग्राहक की ओर से तस्करी के बारे में जानकारी साबित करना जरूरी है।

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    एपोस्टिल कन्वेंशन | सरकार को हस्ताक्षरकर्ता देशों की ओर से जारी दस्तावेजों को अस्वीकार नहीं करना चाहिएः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत सरकार चेतावनी दी है कि वो एपोस्टिल कन्वेंशन, 1961 की भावना को कायम रखे। भारत एपोस्टिल कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता है। यह कन्वेंशन एक हस्ताक्षरकर्ता देश के विदेशी सार्वजनिक दस्तावेजों को अन्य हस्ताक्षरकर्ता देशों में वैध बनाने की आवश्यकता को समाप्त कर देता है।

    कोर्ट बुधवार को गुयाना सरकार की ओर से जारी कुछ दस्तावेजों के आधार पर ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड देने की मांग करने वाले एक अमेरिकी नागरिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    केस टाइटल: नारोमाटी देवी गणपत बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और 4 अन्य

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    बैंक लेनदारों से पैसा वसूलने के उपाय के रूप में लुक आउट सर्कुलर का इस्तेमाल नहीं कर सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि क्रेडिटर्स से पैसा वसूलने के उपाय के रूप में बैंक लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) का उपयोग केवल इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि उसे लगता है कि कानून के तहत उपलब्ध उपाय पर्याप्त नहीं है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि एलओसी तभी जारी की जा सकती है जब पर्याप्त कारण हों। उन्होंने कहा कि यदि ऐसी एलओसी जारी करने के लिए कोई पूर्व शर्त है, तो उसा उल्लेख किया जाना चाहिए।

    केस टाइटल: निपुण सिंघल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

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    एनडीपीएस एक्ट की धारा 42 | तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी प्रक्रियाओं का अनुपालन न करना प्रॉसिक्यूशन के लिए घातक: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आरोपी को इस आधार पर जमानत दे दी कि तलाशी और जब्ती की कार्यवाही करते समय जब्ती अधिकारी को संबंधित पुलिस स्टेशन के एसएचओ के रूप में तैनात नहीं किया गया था। इससे एनडीपीएस एक्ट की धारा 42 और उसके बाद राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के आदेश का उल्लंघन हुआ। जस्टिस फरजंद अली ने कहा कि एनडीपीएस एक्ट का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। तलाशी और गिरफ्तारी के संबंध में इसमें उल्लिखित प्रक्रिया का अनुपालन न करना बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

    केस टाइटल: अशोक @ मुल्ला राम बनाम राजस्थान राज्य

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    'पीड़ादायक आपराधिक शिकायत' वापस लिए बिना वैवाहिक अधिकार बहाल करने का पत्नी का दावा पति द्वारा सही गई क्रूरता को कम नहीं करता: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में पति के पक्ष में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखा। इस पति ने अपनी पत्नी के हाथों की गई 'क्रूरता' के आधार पर तलाक का दावा किया था। जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए पत्नी की अपील खारिज करते हुए कहा: अपीलकर्ता/पत्नी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर प्रतिशोध में दायर की गई है, क्योंकि इसे तलाक के लिए वैवाहिक मुकदमे की शुरुआत के बाद दायर किया गया है। पति द्वारा पत्नी के खिलाफ कथित क्रूरता के कृत्यों को पति द्वारा माफ नहीं किया गया है।

    यह अदालत इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती कि पति के परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की तुच्छता को ध्यान में रखते हुए उन्हें आपराधिक कार्यवाही से बरी कर दिया गया था। इसे दोहराने की कोई आवश्यकता नहीं है कि पक्षकार बिना किसी सुलह के अपने क्षयकारी और भिन्न जीवन-शैली जारी रख रहे हैं।

    कोरम: जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य

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    आंगनवाड़ी कार्यकर्ता | 'महिलाओं को अविवाहित होने के कारण सार्वजनिक रोजगार से वंचित करना अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन': राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि अविवाहित होने के आधार पर किसी महिला को सार्वजनिक रोजगार से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत महिला को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह महिला की गरिमा पर भी आघात करता है। जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य किसी महिला को सिर्फ इसलिए नौकरी का दावा करने से नहीं रोक सकता, क्योंकि वह विवाह बंधन में नहीं बंधी है।

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    धारा 100ए सीपीसी वहां दूसरी अपील पर रोक लगाती है, जहां एकल न्यायाधीश ने मूल या अपीलीय डिक्री या आदेश से अपील सुनी हो: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 100ए वहां दूसरी अपील दायर करने पर रोक लगाती है, जहां सिंगल जज ने मूल या अपीलीय डिक्री या आदेश के खिलाफ अपील सुनी थी।

    जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि आगे की अपील पर रोक हाईकोर्ट के लेटर्स पेटेंट या उस समय लागू किसी अन्य कानून में निहित किसी भी बात के बावजूद लागू रहेगी। सीपीसी की धारा 100ए में कहा गया है कि किसी भी हाईकोर्ट के लिए किसी भी पत्र पेटेंट में या या किसी अन्य कानून में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, जहां मूल या अपीलीय डिक्री या आदेश से किसी भी अपील को हाईकोर्ट के सिंगल जज द्वारा सुना और तय किया जाता है, ऐसे सिंगल जज के फैसले और डिक्री के खिलाफ कोई और अपील नहीं की जाएगी।

    केस का टाइटल: प्रोमोशर्ट एसएम एसए बनाम आर्मासुइसे और अन्य और अन्य जुड़ा हुआ मामला

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    जिस किरायेदार की लीज की अवधि समाप्त हो चुकी हो, वक्फ एक्ट के तहत उसे अतिक्रमणकारी माना जाएगाः केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि लीज (पट्टा) की अवधि समाप्त होने के बाद, किरायेदार को वक्फ कानून के तहत 'अतिक्रमणकारी' माना जाएगा। जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस सोफी थॉमस ने कहा कि एक बार वक्फ एक्ट लागू हो गया और कोई लीज मौजूद नहीं रही तो पार्टियों के बीच संबंध वक्‍फ एक्ट के तहत शासित होंगे, न कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत।

    केस टाइटल: नफीसथ बीवी वी. मुख्य कार्यकारी अधिकारी केरल राज्य वक्फ बोर्ड

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    स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत केवल स्वतंत्रता सेनानी ही लाभ के पात्र हैं, उग्रवाद से लड़े लोग नहीं: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना (एसएसएस पेंशन प्लान) के तहत आतंकवाद के खिलाफ लड़ा व्य‌क्ति पेंशन नहीं पा सकता है, क्योंकि ऐसा व्य‌क्ति पेंशन योजना के मानदंडों को पूरा नहीं करता। जस्टिस संजय धर ने कहा कि एसएसएस पेंशन प्लान उन लोगों को सम्मानित करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया है, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

    केस टाइटल: नूर अहमद शाह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

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    जोशीमठ संकट: 'ज़मीन डूबने के असली कारण का पता लगाने को लेकर राज्य गंभीर नहीं', उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को पेश होने का निर्देश दिया

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र में भूस्खलन और धंसाव का अध्ययन करने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल नहीं करने के लिए राज्य अधिकारियों की खिंचाई की। चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा, “उत्तरदाताओं ने स्टडी के संचालन में उपरोक्त क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स को शामिल नहीं किया है। हमें यह अभिव्यक्ति मिलती है कि राज्य भूमि धंसाव के वास्तविक कारणों का पता लगाने और उभरी स्थिति से गंभीरता से निपटने के प्रति गंभीर नहीं है।

    केस टाइटल: पी.सी. तिवारी बनाम उत्तराखंड राज्य

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    बीएसएफ में शामिल होने के बाद ठीक होने वाली बीमारी के कारण बेसिक ट्रेनिंग पूरा नहीं कर पाने वाले कर्मचारी को बर्खास्त करना अनुचित: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बेसिक ट्रेनिंग (Basic Training) पूरा नहीं कर पाने के कारण 'अयोग्य' घोषित कर सेवा से हटा दिए गए बीएसएफ कांस्टेबल के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। कांस्टेबल को सर्विस से हटाने का आधार यह बताया गया था कि वह इलाज योग्य बीमारी के कारण बेसिक ट्रेनिंग पूरा नहीं कर सकता। कांस्टेबल को यह बीमारी सर्विस में शामिल होने के बाद हुई थी।

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    किसी महिला की इज्जत को छूने की कोशिश से बड़ा कोई अपमान नहीं, गुजरात हाईकोर्ट ने 12 साल की लड़की की अबॉर्शन याचिका स्वीकार की; पिता पर रेप का आरोप

    गुजरात हाईकोर्ट ने 12 साल की एक लड़की की लगभग 27 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका स्वीकार कर ली। लड़की का बलात्कार करने का आरोप उसके उसके प‌िता के ऊपर है । कोर्ट ने फैसले में कहा, किसी महिला की इज्जत को छूने की कोशिश करने से बड़ा कोई अपमान नहीं है।

    जस्टिस समीर जे दवे की पीठ ने मामले को दुखद और आश्चर्यजनक माना। उन्होंने फैसले में 'दुर्गा सप्तशती' का उल्लेख करते हुए कहा, "स्त्रिया: समस्ता: सकला जगत्सु [जगत की समस्त स्त्रियां तुम्हारा ही स्वरूप हैं] अर्थात हे देवी जगदम्बे, जगत में जितनी भी स्त्रियां हैं, वह सब तुम्हारी ही मूर्तियां हैं । इसलिए अगर स्त्री चाहे तो वह सब कर सकती हैं जो वह करना चाहती हैं, यह ताकत सिर्फ उसी मे हैं, जो बड़े बड़े संकटों का नाश कर, श्रेष्ठ से श्रेष्ठ और कठिनतम कार्य भी पूर्ण कर सकती हैं । जरुरत हैं तो सर्वशक्तिमान नारी को स्वयं को पहचानने को...।"

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    'मानसिक क्रूरता' में जीवनसाथी की 'वित्तीय अस्थिरता' को भी शामिल किया जा सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि "मानसिक क्रूरता" शब्द इतना व्यापक है कि यह अपने दायरे में जीवनसाथी की "वित्तीय अस्थिरता" को भी ले सकता है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा, “वर्तमान मामले में मानसिक आघात को समझना आसान है, क्योंकि अपीलकर्ता [पत्नी] काम कर रही थी और प्रतिवादी [पति] काम नहीं कर रहा था। अपीलकर्ता और प्रतिवादी की वित्तीय स्थिति में भारी असमानता थी। स्वयं को जीवित रखने में सक्षम होने के प्रतिवादी के प्रयास निश्चित रूप से विफल रहे थे। इस प्रकार की वित्तीय अस्थिरता के कारण पति के किसी भी व्यवसाय या पेशे में स्थापित न होने के कारण मानसिक चिंता उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इसके परिणामस्वरूप अन्य बुराइयां उत्पन्न होती हैं। इसे अपीलकर्ता के लिए मानसिक क्रूरता का निरंतर स्रोत कहा जा सकता है।

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    उत्तर प्रदेश 'धर्मांतरण विरोधी' कानून | बाइबल बांटना, भंडारा आयोजित करना धार्मिक परिवर्तन के लिए 'प्रलोभन' नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अच्छी शिक्षा देना, पवित्र बाइबिल की किताबें बांटना और भंडारा करना उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 (The Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Act 2021) के तहत धर्म परिवर्तन के लिए 'प्रलोभन' नहीं है।

    जस्टिस शमीम अहमद की पीठ ने यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 की धारा 4 के दायरे की भी व्याख्या की [एफआईआर दर्ज करने में सक्षम व्यक्ति]। अदालत ने अपनी इस व्याख्या में यह बताया कि अधिनियम की धारा 3 के तहत जबरदस्ती धर्मांतरण अपराध के संबंध में कौन व्यक्ति एफआईआर दर्ज करा सकता है।

    केस टाइटल- जोस पापाचेन और अन्य बनाम यूपी राज्य, के माध्यम से. प्रिं. सचिव. होम, लखनऊ. और अन्य [आपराधिक अपील नंबर- 877/2023]

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    सीआरपीसी की धारा 82 - व्यक्ति तभी 'घोषित' भगोड़ा अपराधी होता है, जब इस संबंध में उद्घोषणा प्रकाशित होती है : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक सीआरपीसी की धारा 82 के अनुसार लिखित उद्घोषणा प्रकाशित नहीं की जाती है, तब तक आवेदक को भगोड़ा घोषित करने का अवसर ही नहीं आता है। जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 82 के तहत निर्धारित प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 82 की उपधारा (4) के तहत किसी व्यक्ति को भगोड़ा अपराधी घोषित करने से पहले सीआरपीसी की धारा 82 की उपधारा (1) के तहत एक उद्घोषणा प्रकाशित' की जानी चाहिए।

    केस टाइटल - खालिद अनवर उर्फ अनवर खालिद बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो शाखा सुनवाई नई दिल्ली 2023

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    यूपी 'धर्मांतरण विरोधी' कानून की धारा 4 के अनुसार एफआईआर दर्ज कराने के लिए सक्षम व्यक्ति कौन है?: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बताया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 (UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Act 2021) की धारा 4 के दायरे की व्याख्या की [एफआईआर दर्ज करने में सक्षम व्यक्ति]। अपनी इस व्याख्या में कोर्ट ने बताया कि अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध के संबंध में कौन एफआईआर दर्ज कर सकता है।

    जस्टिस शमीम अहमद की पीठ ने कहा कि उक्त प्रावधान के आदेश के अनुसार, केवल वह व्यक्ति, जिसका धर्म परिवर्तन किया गया है, उसके माता-पिता, भाई, बहन, या कोई अन्य व्यक्ति जो उससे रक्त, विवाह से संबंधित है, या गोद लेने वाला ही ऐसे धर्मांतरण के आरोप से संबंधित प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इनके अलावा और कोई नहीं।

    केस टाइटल- जोस पापाचेन और अन्य बनाम यूपी राज्य। के माध्यम से. प्रिं. सचिव. होम, लखनऊ. और दूसरा [आपराधिक अपील नंबर- 877/2023]

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    बिना किसी वैध आधार के महिला आरोपी के पक्ष में लिंग आधारित धारणा न्याय प्रणाली के मूल सिद्धांतों के खिलाफ: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना किसी ठोस या वैध आधार के महिला आरोपी के पक्ष में लिंग आधारित धारणाएं हमारी न्याय प्रणाली के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, “जब तक कि अन्यथा प्रावधान न किया गया हो हमारी कानूनी प्रणाली लिंग तटस्थता के सिद्धांत पर आधारित है, जहां प्रत्येक व्यक्ति को, उनके लिंग को ध्यान में रखे बिना, कानून के अनुसार उनके कृत्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। लिंग आधारित धारणाओं का इस ढांचे में कोई स्थान नहीं है, जब तक कि ऐसे कानून ने प्रावधान न किया हो, क्योंकि ये सत्य और न्याय की खोज को कमजोर करते हैं।”

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    गुजरात हाईकोर्ट ने पिता द्वारा कथित रूप से बलात्कार की शिकार 12 वर्षीय लड़की को 27 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी, मुआवजे के रूप में ₹2.5 लाख रुपए दिये

    गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को 12 वर्षीय एक लड़की के गर्भ गिराने की मांग वाली याचिका को अनुमति दे दी। इस लड़की के साथ उसके पिता ने कथित तौर पर बलात्कार किया, जिससे बाद वह लगभग 27 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मांग लेकर हाईकोर्ट पहुंची थी। पीड़ित लड़की को अदालत ने दो लाख 50 हजार रुपये का मुआवजा भी दिया।

    जस्टिस समीर जे. दवे की पीठ ने पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद यह आदेश पारित किया। यह रिपोर्ट अदालत के 4 सितंबर के आदेश के अनुसार वडोदरा के सर सयाजीराव गायकवाड़ जनरल अस्पताल द्वारा तैयार की गई थी।

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    कर्मचारी को केवल अपने मूल विभाग में ग्रहणाधिकार प्राप्त होता है, दो सेवाओं के बीच आगे-पीछे जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में केरल राज्य और अधीनस्थ सेवा नियमों द्वारा शासित एक कर्मचारी को दो विभागों के बीच आने-जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने माना कि एक कर्मचारी को वैधानिक ग्रहणाधिकार (Lien) केवल मूल विभाग में ही प्राप्त होता है और एक बार इसका उपयोग हो जाने के बाद, वह बाद में उधार लेने वाले विभाग में वापस जाने की अनुमति नहीं मांग सकता है।

    केस टाइटल: संदेश एसवी केरल जल प्राधिकरण

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की ईदगाह मस्जिद को हटाने, एएसआई द्वारा परिसर की खुदाई की मांग वाली जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्म भूमि के रूप में मान्यता देने की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। एडवोकेट महक माहेश्वरी द्वारा 2020 में दायर की गई यह जनहित याचिका पहले जनवरी 2021 में डिफ़ॉल्ट रूप से खारिज कर दी गई थी। हालांकि, मार्च 2022 में इसे बहाल कर दिया गया था।

    केस टाइटल - महक माहेश्वरी बनाम भारत संघ और अन्य

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    बलात्कार का आरोपी सिर्फ इसलिए अपने पागलपन की दलील नहीं दे सकता क्योंकि स्थानीय लोग उसे पागल कहते हैं, पीड़िता और डॉक्टर के साक्ष्य महत्वपूर्ण: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्कूल में 9 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार करने के लिए POCSO अधिनियम की धारा 9 के तहत दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह माना कि नाबालिग की गवाही और साथ ही आरोपी की स्थिर मानसिक स्थिति के बारे में मेडिकल एविडेंस को केवल इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि अपीलकर्ता को स्थानीय लोग पागोल'/'पागल' कहते हैं।

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    देरी के लिए माफी मांगने के आधार के पूरक के लिए आवेदन में अदालतों को पांडित्यपूर्ण दृष्टिकोण से बचना चाहिए, जब तक कि पक्षकारों के अधिकारों का निर्धारण नहीं हो जाता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने हाल ही में देखा कि पांडित्यपूर्ण दृष्टिकोण (Pedantic Approach) की वजह से देरी की माफी की मांग करने वाले आवेदनों में अतिरिक्त आधारों को शामिल करने में बाधा नहीं आनी चाहिए। जस्टिस पुनीत गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि जब पक्ष उन आवेदनों में पूरक दलील पेश करना चाहते हैं, जो दलील अंततः चल रहे मुकदमे में पक्षकारों के अधिकारों का निर्धारण नहीं करेगी तो अदालत को अत्यधिक सख्त या पांडित्यपूर्ण जांच से बचना चाहिए।

    केस टाइटल: शाह मसूद अहमद और अन्य बनाम शाह शब्बीर अहमद

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    3 साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल जाने के लिए मजबूर करने वाले माता-पिता 'गैर-कानूनी कार्य' कर रहे हैं: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले महीने वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से कक्षा एक में एडमिशन के लिए छह वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा लागू करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं खारिज कर दीं। चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने ऐसा करते हुए आगे कहा कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल जाने के लिए मजबूर करना माता-पिता की ओर से 'गैर-कानूनी कार्य' है।

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    आरोपी कस्टम एक्ट, 1962 के तहत दर्ज किए गए प्राकृतिक व्यक्ति के बयानों का क्रॉस एक्ज़ामिनेशन करने का हकदार है : कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि आरोपी उन व्यक्तियों से क्रॉस एक्ज़ामिनेशन करने का हकदार है, जिनके बयान कस्टम एक्ट, 1962 के तहत दर्ज किए गए थे। जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता या आरोपी को क्रॉस एक्ज़ामिनेशन का अधिकार नहीं दिए जाने के कारण पूर्वाग्रह से ग्रसित कहा जा सकता है, क्योंकि अपीलकर्ता ने सत्यता स्थापित करने का अवसर खो दिया है।

    केस टाइटल : मोनोतोष साहा बनाम विशेष निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम

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    डीवी एक्ट | बेटियां केवल वयस्क होने तक भरण-पोषण की हकदार हैं, शादी तक नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) के तहत पिता को अपनी बेटियों को केवल उनके वयस्क होने तक भरण-पोषण राशि का भुगतान करना होगा। उनकी शादी तक भरण-पोषण का भुगतान करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। जस्टिस राजेंद्र बदामीकर ने कहा कि वयस्क होने पर यदि बेटियां अपना भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं हैं तो वे हिंदू दत्तक ग्रहण अधिनियम के प्रावधानों के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं।

    केस टाइटल: XYZ और ABC

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    नशीली दवाओं से संबंधित 'गुप्त' लेनदेन के लिए तकनीकी का उपयोग, एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 के तहत जमानत याचिका पर निर्णय लेने के लिए एक प्रासंगिक विचार: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित सामग्री की खरीद के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग की आलोचना की है। कोर्ट ने माना है कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 37 के तहत जमानत के लिए आवेदनों पर निर्णय लेते समय ऐसे कृत्यों विचार किया जाना चा‌हिए। मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता-अभियुक्त ने प्रतिबंध‌ित पदार्थ प्राप्त करने के लिए विकर ऐप और बिनेंस जैसे ऐप्स का इस्तेमाल किया था और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया था कि उसकी ओर से किए गए लेनदेन का पता न चले।

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    यदि प्राधिकारी हिरासत में लिए गए व्यक्ति की भाषा में विश्वसनीय दस्तावेज़ उपलब्ध कराने में विफल रहता है तो निवारक हिरासत रद्द की जा सकती है: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक खतरनाक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम 1985 (गुंडा एक्ट) के तहत पारित नजरबंदी आदेश इस आधार पर रद्द कर दिया कि अधिकारी हिरासत में लिए गए लोगों को उनके द्वारा पढ़ी जाने वाली भाषा में उनके द्वारा भरोसा किए गए दस्तावेज प्रदान करने में विफल रहे। जस्टिस मोहम्मद नवाज और जस्टिस राजेश राय के की खंडपीठ ने हुचप्पा उर्फ धनराज कालेबाग को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।

    केस टाइटल: श्रेणिका और कर्नाटक राज्य और अन्य

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    पहली पत्नी की मृत्यु के बाद पति की दूसरी शादी, उसे पहली पत्नी से हुए बच्चे का स्वाभाविक अभिभावक होने से अयोग्य नहीं ठहराती: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पहली पत्नी की मृत्यु के बाद पिता की दूसरी शादी, उसे पहली पत्नी से हुए बच्चे का प्राकृतिक अभिभावक बने रहने से वंचित नहीं करती है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा कि वित्तीय स्थित में असमानता भी किसी बच्चे की कस्टडी प्राकृतिक माता-पिता को देने से इनकार करने के लिए एक प्रासंगिक कारक नहीं हो सकती है।

    केस टाइटल: मोहम्‍मद इरशाद और अन्य बनाम नदीम

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    आधार कार्ड न होने पर किसी भी नागरिक के वैधानिक अधिकारों से इनकार नहीं किया जा सकता: तेलंगाना हाईकोर्ट

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने दोहराया कि आधार कार्ड न होने पर किसी भी भारतीय नागरिक को उसके वैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस सुरेपल्ली नंदा ने अमीना बेगम द्वारा दायर याचिका पर पारित आदेश में यह टिप्पणी की। इस याचिका में राजस्व अधिकारियों को उनके पक्ष में पट्टा पासबुक कम-टाइटल डीड (patta passbook-cum-title Deed) जारी करने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई थी।

    केस टाइटल: अमीना बेगम बनाम तेलंगाना राज्य

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