आंगनवाड़ी कार्यकर्ता | 'महिलाओं को अविवाहित होने के कारण सार्वजनिक रोजगार से वंचित करना अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन': राजस्थान हाईकोर्ट

Shahadat

8 Sep 2023 6:05 AM GMT

  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता | महिलाओं को अविवाहित होने के कारण सार्वजनिक रोजगार से वंचित करना अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन: राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि अविवाहित होने के आधार पर किसी महिला को सार्वजनिक रोजगार से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत महिला को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह महिला की गरिमा पर भी आघात करता है।

    जस्टिस दिनेश मेहता की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य किसी महिला को सिर्फ इसलिए नौकरी का दावा करने से नहीं रोक सकता, क्योंकि वह विवाह बंधन में नहीं बंधी है।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "किसी महिला की शादी करने की शर्त बिल्कुल अनुचित है और सार्वजनिक रोजगार के लिए आवेदन करने और पाने के महिला के अधिकार का उल्लंघन है, जिसे मनमाना और असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है।"

    न्यायालय ने अविवाहित महिला द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मिनी के कार्यकर्ता और सहायक के तौर पर चयन और नियुक्ति के संबंध में राज्य सरकार के 2016 के सर्कुलर में एक शर्त [शर्त नंबर 2 (ए) (ii)] को चुनौती दी गई थी। उक्त शर्त में केवल विवाहित महिलाओं को ही पदों के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है।

    हाईकोर्ट के समक्ष उनका तर्क दिया गया कि राजस्थान राज्य के 2019 में जारी विज्ञापन में केवल विवाहित महिला उम्मीदवारों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और अन्य पदों के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इस विज्ञापन ने अविवाहित महिला को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में आवेदन करने पर रोक लगा दी है।

    दूसरी ओर, केवल विवाहित महिलाओं को आवेदन करने की अनुमति देने वाले सर्कुलर में शर्त का बचाव करते हुए राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि विचाराधीन शर्त के पीछे यह तर्क है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका के रूप में कार्यरत होने के बाद यदि किसी उम्मीदवार की शादी हो जाती है और वह अपने वैवाहिक घर (किसी अन्य स्थान पर स्थित) में स्थानांतरित हो जाती है तो उस केंद्र के कामकाज में बाधा आएगी, जहां उसकी नियुक्ति हुई थी।

    दोनों पक्षकारों के वकीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने शुरुआत में कहा कि सरकार के सर्कुलर पर अपमानजनक स्थिति के कारण अविवाहित महिलाओं के साथ जो भेदभाव किया गया, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

    उक्त शर्त को प्रथम दृष्टया अवैध, मनमाना और समानता की गारंटी देने वाले भारत के संविधान की योजना के खिलाफ बताते हुए न्यायालय ने कहा कि यह शर्त भेदभाव का बिल्कुल नया मोर्चा है, जिसकी संविधान निर्माताओं ने कभी कल्पना या विचार भी नहीं किया होगा।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "वर्तमान मामला एक क्लासिक मामला है, जिसमें महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव को नया पहलू दिया गया है। अविवाहित महिला के साथ विवाहित महिला द्वारा भेदभाव किया जाता है। इस विवादित शर्त का समर्थन करने के लिए प्रत्यक्ष कारण दिया गया कि अविवाहित महिला शादी के बाद वैवाहिक घर चली जाएगी। यह कारण तर्कसंगतता और विवेक की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। केवल यह तथ्य कि कोई उम्मीदवार अविवाहित है, उसे अयोग्य घोषित करने का कारण नहीं हो सकता।''

    न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य के नीति निर्माताओं से निम्नलिखित प्रश्न पूछे जाने की आवश्यकता है:

    "क्या होगा अगर उम्मीदवार उसी गांव या आसपास के लड़के से शादी करती है? क्या होगा अगर विवाहित महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में नियुक्त होने के बाद दूसरी जगह चली जाती है? क्या होगा अगर, महिला का पति महिला के माता-पिता के घर में रहने का फैसला करता है? क्या होगा यदि महिला विधवा हो जाती है, या तलाकशुदा हो जाती है और किसी नई जगह पर जाने का फैसला करती है? और यदि महिला शादी ही नहीं करना चाहती है तो क्या होगा!"

    इस पृष्ठभूमि में यह मानते हुए कि वैवाहिक स्थिति या आंगनवाड़ी में काम करने के लिए महिला की शादी की शर्त शायद ही किसी उद्देश्य को पूरा करती है, न्यायालय ने 2016 के सर्कुलर के पैरा नंबर 2 (ए) की विवादित शर्त नंबर (ii) की तरह जून 2019 के विज्ञापन की शर्त नंबर 1 को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि महिला का अविवाहित होना आवश्यक है।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह आशंका कि शादी के बाद महिला अपने वैवाहिक घर चली जाएगी, सबसे पहले निराधार है। दूसरी बात, यह अपमानजनक स्थिति को उचित ठहराने या उसकी रक्षा करने का कारण नहीं हो सकता है।"

    हालांकि, न्यायालय ने राज्य को अविवाहित महिला उम्मीदवारों से अपेक्षित वचन लेने या सर्कुलर में संशोधन करने के लिए खुला रखा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यदि कोई महिला किसी भी आंगनवाड़ी केंद्र में किसी भी पद पर कार्यरत है और विवाह या फिर किसी अन्य कारण से उसका किसी दूसरे क्षेत्र में ट्रांसफर कर दिया जाता है तो उसके पिछले आंगनवाड़ी केन्द्र से उनका संबंध समाप्त कर दिया जायेगा।

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