हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

17 Oct 2021 4:30 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देशभर के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (11 अक्टूबर, 2021 से 14 अक्टूबर, 2021 तक) क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप।

    पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूजा पंडाल में कथित रूप से जूते दिखाकर देवी दुर्गा के अपमान का आरोप लगाने वाली याचिका पर राहत देने से इनकार किया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को कोलकाता के दमदम इलाके में एक दुर्गा पूजा पंडाल में जूतों (तलवों) के कथित प्रदर्शन के खिलाफ दायर एक याचिका पर राहत देने से इनकार कर दिया।

    न्यायमूर्ति कौसिक चंदा की खंडपीठ याचिकाकर्ता शांतनु सिंघा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि पूजा पंडाल (दमदम पार्क, भारत चक्र क्लब में) में जूते प्रदर्शित करके देवी दुर्गा का पूर्ण अनादर किया गया।

    केस का शीर्षक - शांतनु सिंघा @ संतनु सिन्हा बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता दिवस पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को कथित रूप से अपवित्र करने वाले चार लोगों को जमानत देने से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को कथित रूप से अपवित्र करने, जाति आधारित गालियां देने और आठ लोगों को घायल करने वाले तीन पुरुषों और एक महिला सहित चार लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया।

    न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 341, 354, 509, 147, 148 और 34 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(I)(II)(III) और 3(1)(x) के तहत दर्ज एफआईआर के संबंध में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे।

    शीर्षक: दीपक बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और अन्य का राज्य

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    कलकत्ता हाईकोर्ट ने भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और अन्य को मारपीट मामले में अग्रिम जमानत दी

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कैलाश विजयवर्गीय, आरएसएस सदस्य जिस्नू बसु और प्रदीप जोशी को मारपीट के एक मामले में अग्रिम जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने उक्त नेताओं अग्रिम जमानत इस आधार पर दी कि मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं/जमानत आवेदकों को 25 अक्टूबर तक जमानत दी जानी चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले की सुनवाई 20 अक्टूबर को होनी है।

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    लोक अदालत से बंद हुआ मामला डिक्री/निर्णय के समान, उक्त आदेश को अदालतें वापस नहीं ले सकतीं, सीआरपीसी की धारा 362 के तहत प्रतिबंध लागू होगा : कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक बार लोक अदालत में मामला बंद हो जाने के बाद यह एक डिक्री या निर्णय के समान होता है, इसलिए अदालत या मजिस्ट्रेट के पास उक्त आदेश को वापस लेने की शक्ति नहीं होती।

    न्यायमूर्ति के. नटराजन की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा, "एक बार जब मामला बंद हो जाता है, तो यह लोक अदालत में डिक्री या निर्णय के समान होता है। इसलिए, एक बार समझौता के मामले में आरोपी द्वारा राशि का भुगतान नहीं किया गया है तो याचिकाकर्ता कानून के अनुसार राशि की वसूली के लिए उसी अदालत से संपर्क कर सकता है। उसे मामले को फिर से खोलने की आवश्यकता नहीं है, जो पहले से ही अदालत द्वारा बंद कर दिया गया है। साथ ही अदालत या मजिस्ट्रेट के पास सीआरपीसी की धारा 362 के तहत प्रावधानों के अनुसार प्रतिबंध के मद्देनजर उक्त आदेश को वापस लेने की शक्ति नहीं है।"

    केस शीर्षक: शैली एम. पीटर और मेसर्स बनाम बनियान प्रोजेक्ट्स इंडिया प्रा. लिमिटेड

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    अगर डॉक्टरों को हमेशा मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा पीटे जाने/प्रताड़ित किए जाने की धमकी दी जाएगी तो उनके लिए काम करना मुश्किल होगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि अगर डॉक्टरों को हमेशा मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा पीटे जाने / प्रताड़ित किए जाने की धमकी दी जाएगी तो उनके लिए काम करना मुश्किल होगा।

    न्यायमूर्ति विकास बहल की खंडपीठ ने ये बातें अस्पताल में अशांति फैलान, डॉक्टरों की पिटाई करने और डॉक्टर की हत्या की धमकी देने के लिए नरेश कुमार और अन्य (अदालत के समक्ष आवेदकों) के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए सीआरपीसी की 482 के तहत दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा।

    केस का शीर्षक - नरेश कुमार एंड अन्य बनाम हरियाणा राज्य एंड अन्य

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    कर्नाटक हाईकोर्ट ने निचली अदालतों को सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपी से पूछताछ और उसके बयान दर्ज करने से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में निचली अदालत के न्यायाधीशों द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत आरोपी से पूछताछ और उसके बयान दर्ज करते समय कुछ निर्देशों को ध्यान में रखने के लिए दिशानिर्देश जारी किए।

    न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार ने कहा, "सीआरपीसी की धारा 313 'ऑडी अल्टरम पार्टेम' (Audi Alteram Partem (सुनवाई का अधिकार) के मौलिक सिद्धांत का प्रतीक है। चूंकि यह वह चरण है जहां आरोपी को सुनवाई का मौका मिलता है।"

    केस का शीर्षक: मीनाक्षी एंड कर्नाटक राज्य

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    कुछ श्रेणियों में महिलाओं के लिए गर्भपात की सीमा 24 सप्ताह तक बढ़ाने वाले नियम को केंद्र ने अधिसूचित किया

    केंद्र सरकार ने मंगलवार (12 अक्टूबर) को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया। ये नियम कुछ श्रेणियों की महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी ऑफ टर्मिनेश की सीमा को 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ा देते हैं। इन नियमों को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 6 के तहत अधिसूचित किया गया है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम, 2021, 24 सितंबर 2021 से लागू हुआ था।

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    'यह महान पेशे के हित में नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी सुरक्षा के लिए लाइसेंसी बन्दूक रखने की मांग वाली एक वकील की याचिका खारिज की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने आवेदन को खारिज करने के बन्दूक लाइसेंस प्राधिकरण के फैसले को चुनौती देने वाली एक वकील की याचिका से निपटने के दौरान कहा कि बिना किसी उचित कारण के एक वकील द्वारा एक लाइसेंसी बन्दूक रखने की एक सामान्य प्रवृत्ति प्रशंसनीय नहीं है और यह एडवोकेट के महान पेशे के हित में नहीं है।

    न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने आगे कहा कि यदि किसी अधिवक्ता को अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक सुरक्षा के लिए लाइसेंसी बन्दूक की आवश्यकता होती है, तो यह एक बहुत ही खतरनाक प्रथा होगी।

    केस का शीर्षक - राम मिलन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एंड 2 अन्य

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    प्रकाश सिंह मामले में डीजीपी नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रकाश सिंह और अन्य बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों पर कहा कि उक्त दिशा-निर्देश केवल संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति के लिए जारी किए गए हैं, जो केवल राज्यों पर लागू होते हैं।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने फैसला सुनाया, "निर्णय और निर्देशों में एजीएमयूटी कैडर के तहत आने वाले केंद्र शासित प्रदेशों के आयुक्तों/पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति के लिए कोई उल्लेख नहीं है।"

    केस शीर्षक: सद्रे आलम बनाम भारत संघ

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    त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मवेशी ले जाने के संदेह में भीड़ में शामिल 18 साल के युवक को बेरहमी से पीट-पीट कर मार डालने के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

    त्रिपुरा हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। यह व्यक्ति कथित तौर पर उस भीड़ का हिस्सा था जिसने पशु चोरों की टीम का हिस्सा होने के संदेह में 18 वर्षीय लड़के सैफुल इस्लाम की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

    न्यायमूर्ति एसजी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने यह कहते हुए कि 18 साल के एक युवा लड़के को केवल इस संदेह पर भीड़ द्वारा बेरहमी से पीटा गया था कि वह एक मवेशी ले जा रहा था, भले ही उसके पास कोई मवेशी नहीं मिला, आरोपी गगन देबबर्मा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।

    केस शीर्षक - गगन देबबर्मा बनाम त्रिपुरा राज्य

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    उथरा मर्डर केस : केरल कोर्ट ने सांप से कटवाकर पत्नी की हत्या करने वाले पति को उम्रकैद की सजा सुनाई

    केरल की एक अदालत ने बुधवार को उथरा मर्डर केस में सूरज एस कुमार को अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद और पांच लाख रूपये जुर्माना भरने की सजा सुनाई।

    न्यायमूर्ति मनोज एम की अध्यक्षता में कोल्लम अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय ने हत्या के मामले में अपना फैसला सुनाया, जहां पति ने अपनी पत्नी पर कोबरा सांप फेंक दिया, जब वह सो रही थी। सांप के काटने से उसकी पत्नी की मौत हो गई।

    केस का शीर्षक: केरल राज्य बनाम सूरज एस कुमार

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    केरल हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाने वाले पार्टी झंडे के खतरे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया; राज्य सरकार से जवाब मांगा

    केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को संबंधित अधिकारियों से आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाने वाले पार्टी झंडे के खतरे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

    न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने राज्य को नोटिस जारी किया और इस पर जवाब मांगा कि राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर लगाए फ्लैग पोस्ट को क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए।

    केस का शीर्षक: मन्नम शुगर मिल्स कोऑपरेटिव लिमिटेड बनाम पुलिस उपाधीक्षक

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरनेट से महिला से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्रियों को हटाने के मामले में सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को एमिकस क्यूरी नियुक्‍त किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को एक महिला की याचिका के मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। महिला ने याचिका में छद्म नामों चलाई जा रही अश्लील वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है।

    याचिका में प्रतिवादियों को उनकी साइटों पर प्रदर्शित होने वाली महिला की किसी भी नग्न, यौन रूप से स्पष्ट या विकृत तस्वीरों को ब्लॉक करने के लिए विशिष्ट निर्देश देने की भी मांग की गई है।

    शीर्षक: श्रीमती एक्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्‍य

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    सेक्‍शन 197 सीआरपीसीः पुलिसकर्मियों पर 'अवैध कृत्यों' के लिए मुकदमा चलाने के लिए राज्य की मंजूरी जरूरी नहीं: केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस की बर्बरता के मामलों में पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दायर करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत निर्धारित स्‍वीकृति आवश्यक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बर्बरता के कृत्य पुलिसकर्म‌ियों के आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित नहीं हैं।

    जस्टिस मैरी जोसेफ ने कहा, "...आधिकारिक कर्तव्यों की आड़ में अवैध कार्य करने पर आरोपी धारा 197 के तहत परिकल्पित सुरक्षा पाने का उत्तरदायी नहीं हैं। उपरोक्त प्रावधान के तहत विचार की गई स्वीकृति के तहत अवैध कृत्यों की रक्षा का इरादा नहीं है।"

    केस शीर्षक: डी. राजगोपाल बनाम अय्यप्पन और अन्य और जुड़ा हुआ मामला

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    'विचारधाराओं का सह-अस्तित्व होना चाहिए; वामपंथी आंदोलनों ने भारतीय संवैधानिक कानून के विकास में बहुत योगदान दिया': उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मुरलीधर ने कहा

    उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस मुरलीधर ने रविवार को कहा, "आप कल्पना कर सकते हैं कि वामपंथी वकीलों, वामपंथी झुकाव वाले वकीलों ने संवैधानिक कानून के विकास की दिशा में क्या योगदान दिया। यह शोध का विषय है, मैं कानून के शोधकर्ताओं से गंभीरता से अनुरोध करता हूं जो सुन रहे हैं। वामपंथी वकीलों, ऐसे वकील, जिन्होंने वामपंथी विचारधारा साझाा की, संवैधानिक कानून के विकास में उनके योगदान के बारे में पर्याप्त नहीं लिखा गया है।"

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    पुलिस नाबालिग लड़कियों के रोमांटिक रिश्ते का विरोध करने वाले परिजनों के इशारे पर POCSO मामले दर्ज कर रही, जो 'घिसी-पटी और दुर्भाग्यपूर्ण प्रथा' हैः दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस द्वारा उन लड़कियों के परिजनों के इशारे पर POCSO मामले दर्ज करने की ''दुर्भाग्यपूर्ण प्रथा'' पर चिंता व्यक्त की है, जिनको किसी युवा लड़के के साथ अपनी लड़की के रोमांटिक जुड़ाव और दोस्ती पर आपत्ति होती है।

    न्यायमूर्ति जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने मामले में आरोपी 21 वर्षीय युवक को जमानत देते हुए कहा, ''सहमति से यौन संबंध कानूनी ग्रे क्षेत्र में रहा है क्योंकि नाबालिग द्वारा दी गई सहमति को कानून की नजर में वैध सहमति नहीं कहा जा सकता है ... इसलिए कानून की कठोरता का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है और बाद में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।''

    केस का शीर्षकः प्रद्युम्न बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) व अन्य

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    एससी/एसटी अधिनियम अपराध - संज्ञान आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका स्वीकार्य नहीं; केवल धारा 14ए(1) के तहत अपील अनुरक्षणीय: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के अपराध में विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित संज्ञान आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदन दायर नहीं किया जा सकता है और इस तरह के आदेश के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम की धारा 14 ए (1) के तहत केवल एक अपील हाईकोर्ट के समक्ष दायर होगी।

    इस मामले में आवेदक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 504, 506 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 3(1)(डी) के तहत विशेष न्यायाधीश, एससी/एसटी एक्ट, इलाहाबाद (प्रयागराज) द्वारा पारित संज्ञान आदेश को रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एक आवेदन दायर किया गया था।

    केस का शीर्षक - शेर अली बनाम उत्तर प्रदेश सरकार एवं अन्य

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