दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरनेट से महिला से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्रियों को हटाने के मामले में सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को एमिकस क्यूरी नियुक्‍त किया

LiveLaw News Network

12 Oct 2021 7:11 AM GMT

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को एक महिला की याचिका के मामले में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। महिला ने याचिका में छद्म नामों चलाई जा रही अश्लील वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है।

    याचिका में प्रतिवादियों को उनकी साइटों पर प्रदर्शित होने वाली महिला की किसी भी नग्न, यौन रूप से स्पष्ट या विकृत तस्वीरों को ब्लॉक करने के लिए विशिष्ट निर्देश देने की भी मांग की गई है।

    जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आदेश में कहा, "श्री सौरभ कृपाल, विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता, को इस मामले में न्यायालय की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया गया है। याचिकाकर्ता के विद्वान अधिवक्ता, विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सौरभ कृपाल को याचिका के सभी दस्तावेज की आपूर्ति करें।"

    कोर्ट ने इससे पहले केंद्र, गूगल, यूट्यूब और दिल्ली पुलिस साइबर सेल से आपत्तिजनक तस्वीरों और महिलाओं की वीडियो को दिखा रही लिंक और साइटों को हटाने के लिए कहा था।

    गूगल के वकील ने मामले की सुनवाई में कहा कि सभी आपत्तिजनक सामग्री, जो अधिसूचित की गई थी और महिला के खिलाफ यूट्यूब पर उपलब्ध थी, उन्हें हटा दिया गया है और वेबसाइटों पर कोई नई सामग्री अपलोड नहीं की गई है।

    याचिकाकर्ता के वकील ने हालांकि कहा कि केवल पांच लिंक थे जो सक्रिय थे। जिसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को पांचों के खिलाफ मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था।

    दूसरी ओर, केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ता को सही URL देने का निर्देश दिया जाए ताकि यूनियन ऑफ इंडिया इंटरनेट से आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए कार्रवाई कर सके।

    अब इस मामले की सुनवाई 8 नवंबर को होगी।

    हाईकोर्ट ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसके फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट से तस्वीरें लेकर उन्हें अश्लील वेबसाइट पर अपलोड करना आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। भले ही तस्वीरें अपने आप में आपत्तिजनक या अश्लील न हों, लेकिन पार्टी की सहमति के बिना किया गया ऐसा कृत्य व्यक्ति की निजता का उल्लंघन होगा।

    शीर्षक: श्रीमती एक्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्‍य

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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