दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता दिवस पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को कथित रूप से अपवित्र करने वाले चार लोगों को जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

15 Oct 2021 8:15 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता दिवस पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को कथित रूप से अपवित्र करने वाले चार लोगों को जमानत देने से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा को कथित रूप से अपवित्र करने, जाति आधारित गालियां देने और आठ लोगों को घायल करने वाले तीन पुरुषों और एक महिला सहित चार लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया।

    न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 341, 354, 509, 147, 148 और 34 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(I)(II)(III) और 3(1)(x) के तहत दर्ज एफआईआर के संबंध में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे।

    अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि पीड़ित स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने गए थे। हालांकि, उन्हें आवेदकों द्वारा झंडा फहराने से रोका गया। इसके साथ उन्होंने कथित तौर पर महिलाओं के साथ अभद्रता करते हुए जाति-विशिष्ट गालियां दीं। साथ ही भूखंड में स्थापित अंबेडकर की प्रतिमा को अपवित्र किया और पीड़ितों को चोट पहुंचाई।

    यह भी आरोप लगाया गया कि आवेदकों ने मूर्ति के पास गाय के गोबर और कचरे का ढेर जमा कर दिया। इसके परिणामस्वरूप मामले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रावधान लगा गए।

    आवेदकों में से एक के अनुसार, यह प्रस्तुत किया गया कि शिकायत पक्षकारों के बीच लंबित भूमि विवाद को देखते हुए की गई है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि आवेदक ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संबंधित एक शिकायत प्रस्तुत की थी। इसमें आरोप लगाया गया कि शिकायतकर्ता तत्काल मामले में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की मूर्ति स्थापित करके भूमि पर अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहे थे।

    यह भी कहा गया कि एफआईआर पढ़ने से यह नहीं पता चलता कि किसी व्यक्ति विशेष पर जाति-आधारित टिप्पणी की गई और एफआईआर में केवल 'चमको' शब्द का उल्लेख किया गया।

    दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने प्रस्तुत किया कि घटनास्थल पर पहुंचने के बाद अपराध दल ने घटना की जगह की तस्वीर खींची। वहां यह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था कि मूर्ति के पास गाय का गोबर और कचरा ढेर जमा था।

    यह प्रस्तुत करते हुए कि जांच जारी है। साथ ही तर्क दिया गया कि घटना की तारीख के वीडियो फुटेज में सभी चार आरोपियों की घटनास्थल पर उपस्थिति दर्ज की गई।

    अदालत ने कहा,

    "पूर्वोक्त को ध्यान में रखते हुए मुझे जमानत पर आवेदकों को रिहा करने का कोई आधार नहीं मिला। तदनुसार जमानत आवेदन खारिज किए जाने योग्य हैं।"

    इसके बाद आवेदकों की जमानत खारिज कर दी गई।

    शीर्षक: दीपक बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और अन्य का राज्य

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