हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाई कोर्ट के ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

LiveLaw News Network

29 Sep 2020 6:11 AM GMT

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह हाई कोर्ट के ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    21 सितंबर 2020 से 25 सितंबर 2020 तक हाई कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र.....

    तब्लीगी जमात के सदस्य ऐसी गतिविधियों में शामिल थे, जिससे COVID-19 फैलने की आशंका हो, यह साबित करने के लिए कोई सामग्री नहीं हैः बॉम्‍बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) ने सोमवार (21 सितंबर) को 8 म्यांमार नागरिकों, जिनके खिलाफ तब्लीगी गतिविधियों के लिए एफआईआर दर्ज हुई थी, के खिलाफ दायर एफआईआर और चार्जशीट को रद्द कर दिया और कहा कि "अभियोजन को जारी रखने की अनुमति देने से कुछ भी नहीं होगा बल्‍कि न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, विशेष रूप से विदेशियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में साक्ष्यों की कमी के कारण।" ज‌स्टिस वीएम देशपांडे और ज‌स्टिस अमित बी बोरकर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, "यह भी विवादित नहीं है कि उन्हें डॉ ख़वाज़, एनएमसी जोनल अधिकारी, मोमिनपुरा, नागपुर की देखरेख में 24.03.2020 से 31.03.2020 तक अलग-थलग रखा गया था। यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि आवेदक किसी भी ऐसे कार्य में लिप्त थे, जिससे COVID -19 का संक्रमण फैलने की आशंका थी।"

    आगे पढ़ने के लिय यहां क्लिक करें

    ''कोई भी व्यक्ति चेहरे पर मास्क के बिना अपने घर के बाहर नहीं दिखना चाहिए'' : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, 'अगर आज कार्रवाई नहीं की तो हम अपने वंशजों का सामना करने नहीं कर पाएंगे'

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार (24 सितंबर) को पूरे उत्तर प्रदेश राज्य के लिए एक परमादेश जारी करते हुए कहा है कि ''कोई भी व्यक्ति अपने घर के बाहर चेहरे पर मास्क के बिना नहीं दिखना चाहिए और उसे यह भी ध्यान रखना होगा कि मास्क उसके नाक और मुंह दोनों को ढक रहा हो।'' न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ क्वारंटीन केंद्रों में अमानवीय स्थिति और कोरोना पाॅजिटिव को बेहतर उपचार प्रदान करने के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    "अपमानजनक शब्दों की अभिव्यक्ति मात्र से धारा 124A या 153A आकर्षित नहीं होती है", जम्‍मू व कश्मीर उच्च न्यायालय ने देश, सरकार और सेना के खिलाफ अपमानजनक ‌‌टिप्‍पणी करने के आरोपी पार्षद को जमानत दी

    जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय ने गुरुवार (24 सितंबर) को LAHDC (लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद, लेह) के एक निर्वाचित पार्षद को जमानत दे दी, जिस पर देश के नेतृत्व और सशस्त्र बलों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप था। ज‌स्ट‌िस संजय धर की खंडपीठ जाकिर हुसैन (लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित LAHDC के पार्षद) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह कहा गया था कि याचिकाकर्ता को 2020 की एफआईआर संख्या 33 के मामले में झूठा फंसाया गया है।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    मद्रास हाईकोर्ट ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी को बीमारी के आधार पर 30 दिनों का अवकाश दिया

    मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी टी अर्पुथम को 30 दिन की छुट्टी देने का निर्देश दिया। वह कई बीमारियों से ग्रसित और जेल में COVID-19 से संक्रमण होने की आशंका होने के मद्देनजर उन्हें छुट्टी दी गई है। जस्टिस एन किरुबाकरन और जस्टिस पी वेलमुरुगन की खंडपीठ ने कहा कि दोषी को हाल ही में 60 दिनों की छुट्टी मिली थी और तमिलनाडु सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस रूल्स, 1982 के रूल्स 22 (3) के तहत उसे अगला साधारण अवकाश 12.01.2022 तक ही दिया जा सकता है।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    जम्मू कश्मीर के वकील बाबर कादरी की गोली मारकर हत्या

    अपनी जान के खतरे की आशंका जाहिर करने के तीन दिन बाद ही वकील एवं पैनलिस्ट बाबर कादिर को श्रीनगर के हवाल इलाके में उनके आवास के निकट गुरुवार शाम गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। कादरी जम्मू एवं कश्मीर हाईकोर्ट के प्रख्यात वकील थे और कश्मीर में मानवाधिकारों एवं किशोर न्याय से संबंधित अनेक मामलों से जुड़े थे। हाल ही हमें उन्होंने ट्वीट किया था कि उनकी जान को खतरा है, क्योंकि उनके खिलाफ यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वह एजेंसियों के लिए कार्य करते हैं।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    वर्चुअल सुनवाई के दौरान धूम्रपान करने पर गुजरात हाईकोर्ट ने वकील पर जुर्माना लगाया

    वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही के दौरान धूम्रपान करने वाले एक वकील के "गैरजिम्मेदाराना आचरण" पर कड़ा रुख अपनाते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने उस पर 10,000 रूपये का जुर्माना लगा दिया। न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने वाले वकीलों को "न्यूनतम गरिमापूर्ण आचरण" बनाए रखने की आवश्यकता है ताकि कार्यवाही के साथ-साथ संस्थान की महिमा और गरिमा को भी बनाए रखा जाए।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    याचिकाकर्ताओं को जनहित याचिकाएं दाखिल करने से पहले पर्याप्त होमवर्क करना चाहिए : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली में अवैध हुक्का बार को बंद करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को तैयारियों में कमी के लिए फटकार लगाई और इस बात पर प्रकाश डाला कि जनहित याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ताओं को पर्याप्त होमवर्क करना चाहिए। याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति देते समय मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने टिप्पणी की

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    [रिपब्लिक टीवी पर सांप्रदायिक रिपोर्टिंग का आरोप] दिल्ली हाईकोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को 4 सप्ताह के भीतर शिकायत पर फैसला करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 'पालघर मॉब लिंच‌िंग मामले' की सांप्रदायिक रिपोर्टिंग करने के आरोप में रिपब्लिक टीवी के ‌खिलाफ यूथ कांग्रेस सचिव अमरिश रंजन पांडेय द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर विचार करे। जस्टिस नवीन चावला की खंडपीठ ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को याचिकाकर्ता की शिकायत पर विचार करने और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। एडवोकेट जोबी पी वर्गीज के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि चैनल ने महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिंचिंग की घटना को सांप्रदायिक घटना के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया, जिससे आम आदमी के मन में डर पैदा हो गया।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    तब्लीगी जमात के सदस्य ऐसी गतिविध‌ियों में शामिल थे, जिससे COVID-19 फैलने की आशंका हो, यह साबित करने के लिए कोई सामग्री नहीं हैः बॉम्‍बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) ने सोमवार (21 सितंबर) को 8 म्यांमार नागरिकों, जिनके खिलाफ तब्लीगी गतिविधियों के लिए एफआईआर दर्ज हुई थी, के खिलाफ दायर एफआईआर और चार्जशीट को रद्द कर दिया और कहा कि "अभियोजन को जारी रखने की अनुमति देने से कुछ भी नहीं होगा बल्‍कि न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, विशेष रूप से विदेशियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन में साक्ष्यों की कमी के कारण।" ज‌स्टिस वीएम देशपांडे और ज‌स्टिस अमित बी बोरकर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, "यह भी विवादित नहीं है कि उन्हें डॉ ख़वाज़, एनएमसी जोनल अधिकारी, मोमिनपुरा, नागपुर की देखरेख में 24.03.2020 से 31.03.2020 तक अलग-थलग रखा गया था। यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सामग्री नहीं है कि आवेदक किसी भी ऐसे कार्य में लिप्त थे, जिससे COVID -19 का संक्रमण फैलने की आशंका थी।"

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    ''तोड़फोड़ हुई संपत्ति को उसी तरह नहीं छोड़ा जा सकता, आपको यहां समय चाहिए'' : कंगना रनौत मामले में बाॅम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी से कहा

    बांद्रा के पाली हिल स्थित कंगना रनौत के बंगले में बनाए गए कार्यालय को ध्वस्त करने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बाॅम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालत आंशिक रूप से ध्वस्त संपत्ति को ऐसे नहीं छोड़ सकती और पीठ शुक्रवार से कंगना के मामले की सुनवाई शुरू करेगी। इस मामले में एमसीजीएम अधिकारी भाग्यवंत लेट के वकील ने कोर्ट से हलफनामा दायर करने के लिए कुछ और समय दिए जाने की मांग की थी।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    गिरफ्तारी से पहले 7 दिन की अग्रिम सूचना दें', पंजाब और हरियाणा हाकोर्ट ने पूर्व पंजाब डीजीपी सुमेध सैनी को दी अंतरिम राहत

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार (23 सितंबर) को पंजाब राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) सुमेध सिंह सैनी को उनके खिलाफ एक आपराधिक मामलें में एक सप्ताह का अग्रिम नोटिस जारी करे। ताकि वह कानून के अनुसार वह अपना बचाव पक्ष करने में सक्षम हो सके। जस्टिस अरुण कुमार त्यागी की एकल पीठ, सैनी द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, इस न्यायालय द्वारा दिए गए संरक्षण को विस्तारित करने के लिए दिए गए आदेश दिनांक 11.10.2018 को किसी भी घटना से संबंधित पूरे सेवा कैरियर से संबंधित है आवेदक/याचिकाकर्ता।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पति पत्नी के नाम की सिफारिश

    सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति करने के लिए दस न्यायिक अधिकारियों के नाम की सिफारिश की थी। इन दस अधिकारियों में से दो अधिकारी पति और पत्नी हैं। द हिंदू ने इस संदर्भ में रिपोर्ट प्रकाशित की है। मुरली शंकर कुप्पुराजु, जो वर्तमान में तिरुचि में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में सेवारत हैं उनका विवाह मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच में रजिस्ट्रार (न्यायिक) के रूप में तैनात थेमिलसेल्वी टी वेलायपलयम से वर्ष 1996 में हुआ था।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    'पूछताछ आवश्यक नहीं' : केरल हाईकोर्ट ने धार्मिक द्वेष को बढ़ावा देने के आरोपी ईसाई धर्म प्रचारक को दी अग्रिम ज़मानत

    केरल हाईकोर्ट ने 22 सितंबर (मंगलवार) को धार्मिक द्वेष को बढ़ावा देने के आरोपी ईसाई उपदेशक को अग्रिम जमानत दे दी।

    न्यायमूर्ति अशोक मेनन की एकल पीठ इस मामले में आवेदक की तरफ से दायर अग्रिम जमानत आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। आवेदक को एर्नाकुलम सेंट्रल पुलिस स्टेशन में दर्ज अपराध संख्या 582/2020 में आरोपी बनाया गया था। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत दंडनीय अपराध का मामला दर्ज किया गया है।

    अभियोजन पक्ष का मामला

    (ई-लोक अदालत) कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने निपटाए 1,15,925 मामले

    19 सितंबर को आयोजित मेगा ई-लोक अदालत में कुल 1,15,925 मामले -- 1,07,617 लंबित, 7,383 प्री-लिटिगेशन और 925 मामलों का निराकरण किया गया। कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कुल 2,31,303 मामलों की पहचान की गई और ई-लोक अदालत के संचालन के लिए पूरे राज्य में 875 पीठों का गठन किया गया। निपटाए गए मामलों की कुल राशि 357.64 करोड़ रुपये रही, जिसमें से 27.33 करोड़ रुपये जुर्माना और शमनीय शुल्क के रूप में वसूल किए गए और राज्य सरकार को जमा किया गया। बाकी 330.3 करोड़ रुपये - परक्राम्य उपकरण अधिनियम और अन्य दीवानी मामलों के तहत मोटर वाहन दुर्घटना मामलों में दावेदारों को भुगतान किया गया। मेगा ई-लोक अदालत का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमाना ने किया जो नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    हिरासत में रखने के दौरान किसी व्यक्ति को परीक्षा देने से रोका नहीं जा सकताः जम्मू और कश्मीर HC

    जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने सोमवार (21 सितंबर) को सरकार को निर्देश दिया कि वह 22 सितंबर से शुरू होने वाली कक्षा 12वीं की परीक्षा में बैठने के लिए हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति (ओमेर अकबर मीर) की व्यवस्था करे।

    न्यायमूर्ति संजय धर की एकल पीठ ने कहा,

    "परीक्षा के तहत एक व्यक्ति को परीक्षा देने से रोका नहीं जा सकता। जम्मू और कश्मीर एचसी निदेशालय सरकार। परीक्षा में बंदी के रूप को निखारने के लिए प्रतिबंध के तहत एक व्यक्ति को परीक्षा देने से रोका नहीं जा सकता है, जब तक कि दबाव वाली परिस्थितियां नहीं होती हैं, जिसमें स्वयं को भी शामिल करना शामिल हो सकता है।"

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने वित्तीय सहायता योजना में राज्य बार काउंसिल की शर्तों को चुनौती देने वाली वकीलों की जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें जरूरतमंद अधिवक्ताओं को कर्नाटक राज्य बार काउंसिल द्वारा 5 करोड़ रुपये के राज्य अनुदान के वितरण के लिए योजना को चुनौती दी गई। योजना को अनुचित और अन्यायपूर्ण बताया गया है। एसोसिएशन ने राज्य बार काउंसिल द्वारा 26 अगस्त को तैयार की गई योजना को रद्द करने की मांग की है, और कहा है कि योजना में वित्तीय सहायता पाने के इच्छुक वकीलों के लिए भेदभावपूर्ण शर्तें लगाई गई हैं। उक्त योजना के तहत महिला अधिवक्ता, 40 वर्ष से अधिक आयु के वकील और 1 जनवरी 2010 के बाद नामांकित व्यक्ति वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    ठप पड़ी परियोजना में ठगे गए घर खरीदारों से ईएमआई वसूलने से वित्तीय संस्थानों को रोकने के आदेश को वापस लेने से बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने किया इनकार

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को आवास विकास वित्त निगम (एचडीएफसी) द्वारा दायर एक अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें विभिन्न वित्तीय संस्थानों को घर खरीदारों से, जिनकी अधिकांश बचत एक डेवलपर द्वारा लांच धोखाधड़ी की योजना में फंसी हुई थी, से ईएमआई नहीं वसूलने के निर्देश देने वाले एक पिछले आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। उक्त योजना नागरिकों से सावधि जमा लिया गया था और परिपक्वता के बाद वे उसे चुकाने में विफल रहे थे।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    क्या आप आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से एकत्र किए गए व्यक्तियों के डेटा का उपयोग कर रहे हैं? कर्नाटक HC ने केंद्र सरकार से पूछा

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को अदालत के समक्ष बयान देने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि क्या वह उन व्यक्तियों के आंकड़ों का उपयोग कर रही है जिन्होंने स्वेच्छा से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड किया है। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने कहा, "चूंकि यह भारत सरकार द्वारा विकसित एक ऐप है, इसलिए पहला सवाल यह है कि क्या एकत्र किए गए आंकड़ों का उपयोग राज्य द्वारा किया जा रहा है। यदि इस प्रश्न का उत्तर हां है, तो कानून के किस प्राधिकार के तहत और किस उद्देश्य के लिए इस डेटा का उपयोग किया जा रहा है। यह एक बहुत ही साधारण बात है जिसे हमें अंतरिम राहत पर विचार करते समय निर्णय लेना होगा। यह स्पष्टीकरण अनिवर ए अरविंद की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए मांगा गया है, जिसमें सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंचने के लिए आरोग्य सेतु ऐप के अनिवार्य उपयोग को चुनौती दी गई है।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    सस्पेंशन कोई सजा नहीं, सिर्फ नियोक्ता-कर्मचारी के संबंध में आया ठहराव हैः तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा,''आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे कर्मचारी को नियोक्ता पर थोपा नहीं जा सकता''

    यह देखते हुए कि ''निलंबन कोई सजा नहीं है'' और यह ''सिर्फ नियोक्ता और एक कर्मचारी के बीच संबंध को निलंबित करता है'', तेलंगाना हाईकोर्ट ने बुधवार को दोहराया है कि सिविल सेवा नियमों के तहत अगर किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित है या विभागीय जांच चल रही है तो उस कर्मचारी को निलंबित किया जा सकता। अदालत एक डिप्टी तहसीलदार की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी,उसने अपने निलंबन के आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता के खिलाफ 24 जुलाई 2020 को आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 506 रिड विद 34 के तहत किए गए अपराध के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसके बाद उसे 31 जुलाई 2020 को उसे निलंबित कर दिया गया था। अपीलकर्ता ने 17 अगस्त 2020 एकल पीठ द्वारा पारित आदेश की वैधता को चुनौती दी थी। एकल पीठ ने याचिकाकर्ता की तरफ से उसके निलंबन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    न्यायमूर्ति संजय यादव मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त

    केंद्र ने मंगलवार (22 सितंबर) को 30 सितंबर से न्यायमूर्ति संजय यादव को (भारत के संविधान के अनुच्छेद 223 के अनुसार) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की। जस्टिस संजय यादव ने वर्ष 2019 में भी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया है। वर्तमान में जस्टिस यादव वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होंगे।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने संजय राउत को कंगना रनौत के मामले में एक पार्टी के रूप में शामिल होने की अनुमति दी

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्यसभा सांसद और शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत को कंगना रनौत की याचिका पर एक पक्ष बनने की अनुमति दे दी, जो बांद्रा में अपनी संपत्ति के विध्वंस को चुनौती दे रही थी, क्योंकि अभिनेत्री ने नगर निगम ग्रेटर मुंबई द्वारा उसके खिलाफ की गई कार्रवाई में दुर्भावना का आरोप लगाते हुए कहा था कि राउत ने एक वीडियो में उन्होंने कथित रूप से कहा था "उखाड़ देंगे"। न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति आरआई छागला की खंडपीठ ने भागवंत लेट डिजाइन अधिकारी, एच वेस्ट वार्ड को मामले में एक पक्ष के रूप में शामिल होने की अनुमति दी।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    कंगना रनौत ने लगाया मुंबई सिविक बॉडी पर भेदभाव करने का आरोप, कहा पड़ोसी मनीष मल्होत्रा को दिया डिमोलिशन नोटिस का जवाब देने के लिए सात दिन का समय

    अपने खिलाफ पक्षपात और निजी प्रतिशोध का आरोप लगाते हुए, अभिनेता कंगना रनौत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष एक पत्युत्तर दायर किया है। कंगना ने अपने रिजाॅइंडर या पत्युत्तर में कहा है कि ग्रेटर मुंबई के नगर निगम की तरफ से दायर अतिरिक्त हलफनामे में यह कहा गया था कि वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, परंतु सच यह है कि एमसीजीएम ने ''अपने गैर कानूनों कामों को कवर करने के लिए अंतिम प्रयास करते हुए यह बात कही है।''

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    सरकारी वकील निजी पक्षों के लिए हुए पेश: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, राज्य बार काउंसिल से जवाब तलब किया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ मामलों में कथित तौर पर निजी पक्षों की ओर से पेश हुए केंद्र के सरकारी वकील का पंजीकरण रद्द करने की मांग संबंधी रिट याचिका पर सोमवार को नोटिस जारी किये।

    न्यायमूर्ति विवेक चौधुरी की पीठ ने केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ वेस्ट बंगाल, सरकारी वकील सयानतन बसु और अन्य निजी प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत कार्यवाही को रद्द करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका सुनवाई योग्य नहींः केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि एक मजिस्ट्रेट को प्रोटेक्शन ऑफ वूमन फ्रम डोमेस्टिक वाॅयलेंस एक्ट की धारा 12 के तहत दायर आवेदन की अनुरक्षणीयता पर विचार करना होगा, यदि दूसरे पक्ष द्वारा इस तरह का विवाद कोर्ट के समक्ष उठाया जाता है तो। हाईकोर्ट ने दोहराया है कि एक पक्ष जिसके खिलाफ अधिनियम की धारा 12 के तहत कार्यवाही शुरू की जाती है, वह इस कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकता।

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    कर्नाटक हाईकोर्ट का निर्देश, सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों के निस्तारण के लिए स्वत संज्ञान याचिका दायर की जाए

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों के मद्देनजर, जिसमें हाईकोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों से कहा गया है कि वे विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के युक्तिसंगत निस्तारण के लिए एक कार्य योजना तैयार करें, स्वत संज्ञान याचिका दायर करें। चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि यचिका को सुनवाई के लिए 23 सितंबर को पेश किया जाए। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग के नवादगी को राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने का निर्देश दिया गया है, या उन्हें राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक अतिरिक्त महाधिवक्ता को नामित करने की अनुमति दी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य सोंधी को अदालत की सहायता के लिए एमिकस क्यूरिया के रूप में नियुक्त किया गया है

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    ऑनलाइन परीक्षा) 'तकनीकी खामियों से इनकार नहीं जा सकता ', गुजरात हाईकोर्ट ने 'फेल' हुए छात्र को अगले चरण में परीक्षा देने की अनुमति दी

    गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार (18 सितंबर) को एक 'फेल हुए छात्र' (विश्वविद्यालय द्वारा घोषित) को परीक्षा के अगले चरण (23 सितंबर को होने वाली परीक्षा) में बैठने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने माना कि ऑनलाइन परीक्षा के दौरान कई बार तकनीकी खामियों का सामना करना पड़ जाता है। न्यायमूर्ति संगीता के विष्णु की एकल पीठ ने आगे कहा कि ''जब तकनीक के साथ काम किया जा रहा है, तो तकनीकी गड़बड़ियों या खामियों से इनकार नहीं किया जा सकता है और इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।''

    आगे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

    Next Story